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Blog Entry# 219962
Posted: Aug 14 2011 (13:59)

23 Responses
Last Response: Aug 14 2011 (19:01)
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Aug 14 2011 (13:59)  
 
ThE_bOsS^~
ThE_bOsS^~   17525 blog posts
Entry# 219962              
Did any body notice below the "INDIA RAIL INFO" stamp, the word "CHAK DE" with flag,
Nice feature by our Moderator Sir, only for today and tomorrow....!
I guess i didn't tell delay, as some body tell before me????
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18 Posts

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Aug 14 2011 (15:03)
IM UR LOVER   82 blog posts
Re# 219962-19              
आजादी की 64वीं वर्षगांठ। इन सालों में कई ऐसे सामाजिक-आर्थिक बदलाव आए जिन्होंने देश की दशा और दिशा बदल डाली। भास्कर ने अपने पाठकों के लिए इनमें से 10 बड़े बदलावों की जानकारी जुटाई है। इनके जरिए..
छोटे दल ताकतवर
1951 से 77 तक कांग्रेस का एकछत्र राज। बहुदलीय लोकतंत्र में लंबी एकदलीय परंपरा। 1975 से पूरे 21 महीने तक आपातकाल। कांग्रेस पर तानाशाही की तोहमत।
अब:
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तेरह साल से केंद्र में कई पार्टियों की मिली-जुली सरकार। राज्यों तक सिमटे रहे छोटे दलों का प्रभाव बढ़ा। क्षेत्रीय मुद्दों की आवाजें दिल्ली में सुनी जाने लगीं।
सूचना:
चंद सेकंड में करोड़ों तक
1947 में सूचना और संचार डाक-तार सेवा पर निर्भर। ऑल इंडिया रेडियो के सिर्फ छह स्टेशन।
अब: इंटरनेट सूचना के प्रसार (1995 से) का सबसे बड़ा साधन। सोशल नेटवर्किग साइट्स, ई-मेल और सैटेलाइट न्यूज चैनलों के मार्फत कुछ सेकेंड में सूचना का प्रसार करोड़ों लोगों तक। सौ से ज्यादा खबरिया चैनल मौजूद।
बदलाव : करीब 10 करोड़ इंटरनेट यूजर्स। गांवों तक सुविधा। चार करोड़ से अधिक मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं।

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Aug 14 2011 (15:06)
IM UR LOVER   82 blog posts
Re# 219962-20              


भारतीय रेल भारत में सरकार द्वारा नियंत्रित और संचालित की जाने वाली रेल कंपनी है। इससे संबंधित सभी निर्णय भारत सरकार का रेल मंत्रालय लेता है। भारतीय रेल के देशभर में 6, 853 स्टेशन हैं। भारत में रेलगाड़ी को आम आदमी की सवारी कहते हैं। वर्तमान में भारतीय रेल का रेलपथ बड़ी लाइन, मीटर लाइन और छोटी लाइन को मिलाकर 108, 706 किमी लंबा है। इसके अलावा भारत में रेलवे का जाल 63, 028 किमी में फैला हुआ है। भारतीय रेल नेटवर्क अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा सबसे
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बड़ा रेल नेटवर्क है। भारतीय उपमहाद्वीप में पहली रेलगाड़ी बंबई से थाणे के बीच चली थी। इसने 21 मील की दूरी तय की थी। थाणे को बंबई से जोड़ने का विचार सबसे पहले बंबई गवर्नमेंट के चीफ इंजीनियर जॉर्ज क्लार्क ने दिया था। उन्हें यह विचार 1843 में अपनी भांडूप यात्रा के दौरान सूझा था।
15 वर्षो तक किए प्रयोग
सभी जानते हैं कि भारत में पहली यात्री ट्रेन बंबई के बोरीबंदर से थाणे के बीच 16 अप्रैल 1853 को चलाई गई थी। 400 यात्रियों के साथ 14 सवारी डिब्बों वाली रेलगाड़ी शाम 3.30 बजे 21 तोपों की सलामी के बाद बोरीबंदर से रवाना हुई। इस ट्रेन ने 34 किलोमीटर की अपनी यात्रा तीन इंजनों साहिब, सिंध और सुल्तान की मदद से पूरी की थी।
मगर, क्या आप जानते हैं कि भारत में ट्रेन सिस्टम की योजना सबसे पहले 1832 में बनी थी। भारतीय उप महाद्वीप में पहली प्रायोगिक रेल लाइन मद्रास प्रेसीडेंसी (वर्तमान में चेन्नई) के चिंताद्रिपेट पुल के पास 1836 में डाली गई थी। 1837 में 3.5 मील लंबी रेल लाइन सेंट थॉमस पहाड़ी के पास रेड हिल्स से स्टोन क्वारिस के बीच बिछाई गई थी। 1844 में भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिग ने निजी उद्यमियों को भारत में रेल नेटवर्क स्थापित करने की अनुमति दी।
विदेशों के साथ भी टाई-अप
भारतीय रेलवे अपने सिस्टम में अधुनिक सुविधाएं लाने के लिए विदेशों के साथ संपर्क कर रहा है। इस दिशा में विएना में आयोजित इंडो-आस्ट्रिया ज्वाइंट इकोनॉमिक कमीशन के आठवें सत्र के दौरान एक समझौते पर साइन किए गए हैं। इससे भारतीय और आस्ट्रियन रेलवे के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर के लेन-देन संबंधी आपसी लाभ के लंबे समन्वय संबंध और गहरे होंगे। भोपाल की तीन गाड़ियों इंटरसिटी जबलपुर, जनशताब्दी और शान-ए-भोपाल में जीपीएस बेस्ड इंफॉर्मेशन एंड एन्टरटेनमेंट सुविधा शुरू होने वाली है। इसके लिए टेंडर कॉल किए जा रहे हैं।
सुरक्षा के लिए 17 हजार करोड़
रेलवे के ऊपर प्रतिदिन यात्रा करने वाले 13 मिलियन यात्रियों की सुरक्षा सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। रेलवे ने इसके लिए कई बड़े प्रयास किए हैं। इसी के तहत रेलवे ने अगले 6 सालों में रेलवे की पुरानी हो गई परिसंपत्तियों के बदलाव के लिए 17 हजार करोड़ की विशेष सुरक्षा निधि का गठन किया है। अनेक डिस्ट्रेस्ड पुलों, पुराने रेलवे ट्रैक, सिग्नलिंग सिस्टम और अन्य सुरक्षा उपकरणों को इस अवधि के दौरान बदला जाएगा। वैसे वर्तमान में रेल यात्रियों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की साझा रूप से है। गाड़ियों में यात्रा करते समय और रेल परिसरों के भीतर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेल सुरक्षा बल को अधिक शक्तियां प्रदत्त करने के उद्देश्य से रेलवे अधिनियम में संशोधन के प्रयास किए जा रहे हैं। महिला यात्रियों की सुरक्षा और सहायता के लिए महिला पुलिस बल तैनात किए गए हैं।
रोज चलती हैं 11 हजार गाड़ियां
भारत में आम जनता सबसे अधिक सफर रेल से करती है। यही कारण है कि भारत में प्रतिदिन 11000 गाड़ियां चलाई जाती हैं, जिनमें 7000 यात्री गाड़ियां हैं। माल की ढुलाई करने के लिए भी रेलवे एक प्रमुख साधन है। इसके अलावा प्रशासन के कामों को और बेहतर बनाने, चालू परियोजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए, यात्रियों को अधिक सुविधा देने आदि के उद्देश्य से भारतीय रेलवे ने वर्तमान जोनों में क्षेत्रीय स्तर पर रि-एडजस्टमेंट करते हुए सात नए जोन बनाने का निश्चिय किया है। दो नए जोन पहले ही काम करना शुरू कर चुके हैं।

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Aug 14 2011 (15:07)
IM UR LOVER   82 blog posts
Re# 219962-21              
भारत में यात्रियों को और सुविधाएं देने, महत्वपूर्ण परियोजनाओं को समय के अंदर पूरा करने आदि के लिए रेलवे ने एक गैर-बजटीय निवेश की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत अगले पांच वर्षो में 15000 करोड़ रुपए का निवेश करते हुए रेल नेटवर्क में क्षमता संबंधी कमियों को दूर किया जाएगा। इस परियोजना में लंबी दूरी की अधिक मेल/ एक्सप्रेस गाड़ियां चलाई जाएंगी और माल गाड़ियों के १क्क् किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने की व्यवस्था की जाएगी।
इसी परियोजना के तहत बंदरगाहों को रेल से जोड़े जाने और मल्टी-मॉडल कॉरीडोर के विकास के लिए मजबूती प्रदान करना रेलवे का लक्ष्य है। इसके अलावा रेलवे इन पैसों का इस्तेमाल चार विशाल पुलों के निर्माण में भी करेगा। इसमें गंगा नदी पर दो,
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ब्रrापुत्र नदी पर एक और एक पुल कोशी नदी पर प्रस्तावित है।
कब तेज दौड़ेगी अपनी भारतीय रेल
भारत जहां अभी हाईस्पीड रेल (एचएसआर) नेटवर्क को बनाने की योजना बना रहा है, वहीं पड़ोसी देश चीन का एचएसआर को 28 हजार किमी लंबा बनाने का काम काफी आगे निकल चुका है। अगले चार वर्षो में यह दुनिया भर के एचएसआर से दोगुना लंबा हो जाएगा। भारत 1980 के दशक तक चीन से रेल नेटवर्क और ट्रैक की लंबाई के मामले में आगे था। मगर, तेजी से प्रयास करते हुए चीन ने 1996 तक कुल ट्रैक की लंबाई भारत से अधिक कर ली और 2001 तक वह इलेक्ट्रिक रूट में भी आगे निकल गया। चीन ने पहला प्रायोगिक एचएसआर 2003 में शुरू किया था और 2014 तक यह 28 हजार किमी लंबा हो जाएगा। यानी यह पूरी दुनिया के एचएसआर नेटवर्क के दोगुने के बराबर हो जाएगा। इसका अर्थ यह है कि उत्तर से दक्षिण तक जाने में लगने वाले समय में करीब 65 फीसदी की और पूर्व से पश्चिम जाने में करीब 75 फीसदी समय की बचत हो सकेगी। 2014 तक चीन की एचएसआर में 500 बिलियन डॉलर निवेश करने की योजना है। वहीं भारत में एचएसआर का काम अभी शुरू भी नहीं हुआ। विदेश मंत्रालय ने आरआईटीईएस लिमिटेड के साथ मिलकर भारत के मिसिंग लिंक के निर्माण के लिए एक अध्ययन किया। इसके तहत जिन जगहों पर रेल नहीं जाती है, वहां नेटवर्क बिछाने के लिए 2941 करोड़ रुपए की जरूरत होगी।
क्यों है भारतीय रेल पीछे
लोगों के जहन में भारतीय रेल के बारे में नकारात्मक छवि बनी हुई है।
रेलवे स्टेशन्स की खस्ता हालत, जिसमें स्टेशन में बुनियादी सुविधाओं तक की कमी है।
ट्रैक की खराब हालत के कारण हाई स्पीड ट्रेन्स नहीं चल पा रही हैं।
सही समय पर ट्रेनों का संचालन नहीं होना।
पेंट्रीकार में मिलने वाले खाद्य सामानों की खराब गुणवत्ता।
मालगाड़ियों से भेजे जाने वाले सामानों की सुरक्षा में कमी।
भारतीय रेल का जाल
रेल ट्रैक: बड़ी लाइन: 86526 किमी, मीटर लाइन: 18529 किमी, छोटी लाइन: 3651 किमी, कुल: 108, 706 किमी।
रेल इंजन: 7566, सवारी डिब्बे: 37, 840, माल डिब्बे: 222, 147, स्टेशन: 6853, यार्ड: 300, गुड्स शेड: 2300, रिपेयर शॉप: 700।

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Aug 14 2011 (15:09)
IM UR LOVER   82 blog posts
Re# 219962-22              
दिल्ली/ मुंबई/ जयपुर. सन 1947 से 2011। आजाद मुल्क के तौर पर 64 साल का सफर। इस दरम्यान कई स्तरों पर सामाजिक-आर्थिक बदलाव हुए। भास्कर ने अलग-अलग क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों से ही इस बारे में बात की। जानकार मानते हैं कि ज्यादातर बड़े बदलाव 20 साल में हुए।
क्षेत्रीय मसलों की गूंज ताकत के साथ दिल्ली तक
मल्टी पार्टी डेमोक्रेसी की मौजूदा झलक सबसे बड़ा बुनियादी बदलाव है। करीब 50 साल कांग्रेस केंद्र में रही। सत्तर के दशक में आपातकाल के दौरान उस पर तानाशाही के आरोप लगे। जनता ने न
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सिर्फ केंद्रीय सत्ता में दूसरे दलों को चुना, बल्कि राज्यों मंे क्षेत्रीय पार्टियों को भी जड़ें जमाने के मौके मिले। 1998 के बाद तो क्षेत्रीय ताकतों की बड़ी भूमिका ही केंद्र में बनने लगी। इन्हें सिर्फ राजनीतिक नजरिए से मत देखिए।
स्थानीय समाजों से जुड़े जरूरी क्षेत्रीय मुद्दों की गूंज दिल्ली में ताकत से सुनाई देने लगी। यह मामूली बात नहीं है। दूसरा बड़ा बदलाव अर्थव्यवस्था का है। 64 साल पहले तक गुलाम रहे मुल्क की अर्थव्यवस्था आज दुनिया में सबसे तेज अर्थव्यवस्थाओं में से है।
अछूते नहीं गांव-कस्बे भी
बड़े बदलाव पिछले बीस सालों ही नजर आए हैं। खासतौर से उदारीकरण के बाद। रोजगार के विकल्प बढ़े। उत्पादन बढ़ा। खेती में सुधार हुआ। इससे बदलाव शहरों से कस्बों-गांवों तक में दिखाई दिया। यह पहला चरण है। हमें सरकार और कापोरेट घरानों तक निर्भर नहीं होना चाहिए। एक बेरोजगार को काम देने का मतलब है एक परिवार को गरीबी की रेखा से ऊपर लाने में हाथ बटाना। दूसरे चरण में, हर साधन संपन्न व्यक्तिइसमें हिस्सेदारी करे।
मजबूत सेकुलर समाज
आप 1947 का वक्त याद कीजिए। तब उद्योग नाम की चीज नहीं थी। गरीबी और अशिक्षा कितनी थी। साठ के दशक तक बहस होती रही कि आबादी बढ़ेगी तो आने वाले दशकों में क्या होगा? लेकिन औद्योगिकीकरण ने हालात पर काबू पाया। मेरी नजर में व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता और मजबूत सेकुलर समाज ऐसे बदलाव हैं, जिनका मैं सबसे पहले जिक्र करना चाहूंगा।
महिलाएं बड़े फैसले ले रही हैं
सबसे बड़ा बदलाव है महिलाओं का सशक्तिकरण। शिक्षा व रोजगार में उनकी बढ़ती भागीदारी के साथ सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक सक्रियता काबिलेगौर है। पंचायत से लेकर राज्यों व केंद्र तक सत्ता में उनकी सशक्त उपस्थिति बढ़ी है। स्वयं सहायता समूहों में वे बड़े फैसले ले रही हैं। समाज में यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण करवट है। सूचना-तकनीक ने जो बदला वह स्वाभाविक है।
आम आदमी की ताकत बढ़ी
पिछले कुछ सालों में मोबाइल और इंटरनेट के जरिए आम आदमी की ताकत बढ़ी है। तकनीक सिर्फ संपन्न वर्ग के कब्जे में नहीं है। सूचना का तो जैसे विस्फोट हुआ है। मीडिया की निगहबानी बढ़ी है। अदालतों के गलत फैसले बदले गए। जैसे-जेसिका लाल प्रकरण। पहले कानून बनने के बाद लोग प्रतिक्रिया देते थे। अब कानून बनाने की प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी है। सूचना और शिक्षा के कानूनी हक जनता की पहल से उपजे। लोकपाल के लिए लड़ाई जारी है। महिलाएं निर्णायक भूमिका में आ रही हैं।
पांच बड़े बाजारों में भारत भी
सबसे बड़ा बदलाव आर्थिक क्षेत्र में आया। भारतीय मध्य वर्ग ने भारत को दुनिया के पांच सबसे बड़े बाजारों में शुमार कर दिया है। कारों के उत्पादन में तो हमारा देश ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों से आगे है। सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में भारत सुपर पावर है। भारतीय प्रोफेशनल्स की ताकत पूरी दुनिया ने मानी है। खेल में अब बॉक्सिंग, कुश्ती, निशानेबाजी, टेनिस, बैडमिंटन, शतरंज में भारतीय खिलाड़ी दुनिया भर में लगातार देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
बुनियादी सुविधाएं गांवों तक
सामाजिक-आर्थिक बदलाव के दो दौर हैं। पहला आर्थिक उदारीकरण से पहले, दूसरा बाद का। उदारीकरण के बाद अभूतपूर्व विकास हुआ। पिछले दशक में बुनियादी सुविधाओं की तस्वीर काफी बदली। सड़कें गांव-गांव तक गईं। स्वर्ण चतुभरुज प्रोजेक्ट के तहत 5, 846 किलोमीटर सड़कों से दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जुड़ रहे हैं। दिल्ली के बाद हैदराबाद, बेंगलुरू, जयपुर, भोपाल, इंदौर जैसे शहरों में मेट्रो ट्रेन की तैयारी हो रही है। मुंबई में मोनो रेल परियोजना पर काम चल रहा है।
लौटेगा सिस्टम: जितना सोना ..
इससे उसका रिजर्व स्टॉक 560 टन हो गया है। इस दौरान चीन ने भी 400 टन सोना खरीद कर अपना रिजर्व स्टॉक 1050 टन कर लिया है।
गोल्ड स्टैंडर्ड से फायदा क्या?
पहला तो सोने के भाव से ही तय होते हैं देशों की करंसी के एक्सचेंज रेट। यानी जितना सोना एक डॉलर में खरीदा जाता है, उतना सोना कितने रुपए में आएगा?
दूसरा जितने नोट छपेंगे, उतनी महंगाई बढ़ती जाएगी। कारण साफ है ज्यादा पैसा होने से ज्यादा चीजें खरीदी जाएंगी। जब सोने से करंसी पर कंट्रोल होगा तो ज्यादा नोट नहीं छाप सकते यानी महंगाई पर काबू।

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Aug 14 2011 (19:01)
DipyamanBasu~
DipyamanBasu~   39673 blog posts
Re# 219962-23              
Thank you Moderator Sir. :)
Chak De.
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