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Blog Entry# 2295526
Posted: May 27 2017 (16:36)
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Last Response: Mar 31 2018 (13:41)
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May 27 2017 (16:36) 18310-Slip/Jammu Tawi - Tatanagar Express | DLI/Old Delhi Junction (16 PFs)
AdittyaaSharma^~
AdittyaaSharma^~ 74429 blog postsEntry# 2295526 Tags Past Edits
May 27 2017 (17:23)
ऐसे तो फाटे हुए कपड़े को सिलने के लिए सुई में लगाना पड़ता है धागा,
इसी क्रम में मैं पहुंचा मेरे सत्रहवें पड़ाव खागा,
।
इसी आपाधापी में डरते डरते पहुंचे हमारेसत्रहवें अट्ठारहवें पड़ाव इलाहाबाद,
क्योंकि जहां अखरोट बेचा जा रहा था वो जगह थी हमाराअठारहवां उन्नीसवां पड़ाव मेजा रोड,
हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए हम पहुंचे हमारेउन्नीसवें बीसवें पड़ाव विंध्याचल,
लेकिन गाड़ी जबतक गति पकड़ती तो आ गयाबीसवां इक्कीसवां पड़ाव मिर्ज़ापुर,
क्योंकि उसका नाम है हमाराइक्कीसवां बाइसवां पड़ाव चुनार,
क्योंकि अब हम आ गए थे हमारेबाईसवें तेइसवें पड़ाव रोबेर्ट्सगंज,
इन्हीं लोग के साथ आते आते आ गए हमारेतेइसवें चौबीसवें पड़ाव चुर्क,
लेकिन नींद को भगाकर पहुंच गए हमारेचौबीसवें पच्चीसवें पड़ाव चोपन,
उसी तिलकुट को याद करते करते पहुंच गए हमारेपच्चीसवें छब्बीसवें पड़ाव रेणुकूट,
मेरी यात्रा में मैं पहुंचा मेरेछब्बीसवें सत्ताइसवें पड़ाव दुद्दीनगर,
उसी को खाते खाते आ गया मैं मेरेसत्ताइसवें अट्ठाईसवें पड़ाव विंढमगंज,
ऐसी यारी की खोज में मैं आ गया मेरेअट्ठाईसवें उन्नतीसवें पड़ाव नगर उंटारी,
पर उसके बारे में सोचते सोचते आ गया मैं मेरेउन्नतीसवें तीसवें पड़ाव गढ़वा,
उस चोट को सहते सहते पहुंच गया मैं मेरेतीसवें इक्कतीसवां पड़ाव गढ़वा रोड,
उसी क्रम में आ गया हमाराइकतीसवां बत्तीससवां पड़ाव डाल्टनगंज,
लेकिन अभी मैं पहुंच गया था मेरेबत्तीसवें तैतिसवें पड़ाव बरवाडीह,
उसी को खोजते खोजते आ गया मैं मेरेतैतिसवें चौतीसवें पड़ाव लातेहार,
लेकिन मुझे उसका अनुभव नहीं था इसलिए सोचते सोचते आ गया मैं मेरेचौतीसवें पैंतीसवें पड़ाव टोरी,
इसी सवारी का आनद उठाते उठाते आ गया मैं मेरेपैंतीसवें छत्तीसवें पड़ाव खलारी,
लेकिन अभी उसकी याद आ रही थी तो उसी को याद करते आ गया मैं मेरेछत्तीसवें सैंतीसवें पड़ाव पतरातू,
थोड़ा सी लगी थी भूख इसलिए लिया थोड़ा आलू बोंडा, ऑमलेट और छोले @ मेरेसैंतीसवें अड़तीसवें पड़ाव बरकाकाना,
क्योंकि बरकाकाना के बाद हम आ गए थे हमारेअडतीसवें उनचालीसवें पड़ाव रामगढ़ कैंट,
इसी को खोजते खोजते पहुंचे हम हमारेउनचालीसवें चालीसवें पड़ाव मुरी,
क्योंकि घन्टे भर के बाद हम लोग पहुंचे हमारेचालीसवें इकतालीसवें पड़ाव चांडिल,
गाड़ी आई हमारे अगले और आखिरीइक्तासलिसवें बयालीसवें पड़ाव के प्लेटफार्म संख्या पांच पर @ टाटा🙏😊
May 27 2017 (16:58)
मेरी यात्रा में मैंपहुंच पहुंचा मेरे छब्बीसवें पड़ाव दुद्दीनगर,
गाड़ी आई हमारे अगले और आखिरी इक्तासलिसवें पड़ाव के प्लेटफार्म संख्या पांच पर @ टाटा🙏😊
May 27 2017 (16:38)
Station Tag: Tatanagar Junction/TATA added by Waiting For Extension Of TATA ROU JAT Upto SVDK😊^~/1421836
ऐसे तो फाटे हुए कपड़े को सिलने के लिए सुई में लगाना पड़ता है धागा,
इसी क्रम में मैं पहुंचा मेरे सत्रहवें पड़ाव खागा,
।
इसी आपाधापी में डरते डरते पहुंचे हमारे
क्योंकि जहां अखरोट बेचा जा रहा था वो जगह थी हमारा
हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए हम पहुंचे हमारे
लेकिन गाड़ी जबतक गति पकड़ती तो आ गया
क्योंकि उसका नाम है हमारा
क्योंकि अब हम आ गए थे हमारे
इन्हीं लोग के साथ आते आते आ गए हमारे
लेकिन नींद को भगाकर पहुंच गए हमारे
उसी तिलकुट को याद करते करते पहुंच गए हमारे
मेरी यात्रा में मैं पहुंचा मेरे
उसी को खाते खाते आ गया मैं मेरे
ऐसी यारी की खोज में मैं आ गया मेरे
पर उसके बारे में सोचते सोचते आ गया मैं मेरे
उस चोट को सहते सहते पहुंच गया मैं मेरे
उसी क्रम में आ गया हमारा
लेकिन अभी मैं पहुंच गया था मेरे
उसी को खोजते खोजते आ गया मैं मेरे
लेकिन मुझे उसका अनुभव नहीं था इसलिए सोचते सोचते आ गया मैं मेरे
इसी सवारी का आनद उठाते उठाते आ गया मैं मेरे
लेकिन अभी उसकी याद आ रही थी तो उसी को याद करते आ गया मैं मेरे
थोड़ा सी लगी थी भूख इसलिए लिया थोड़ा आलू बोंडा, ऑमलेट और छोले @ मेरे
क्योंकि बरकाकाना के बाद हम आ गए थे हमारे
इसी को खोजते खोजते पहुंचे हम हमारे
क्योंकि घन्टे भर के बाद हम लोग पहुंचे हमारे
गाड़ी आई हमारे अगले और आखिरी
May 27 2017 (16:58)
मेरी यात्रा में मैं
गाड़ी आई हमारे अगले और आखिरी इक्तासलिसवें पड़ाव के प्लेटफार्म संख्या पांच पर @ टाटा🙏😊
May 27 2017 (16:38)
Station Tag: Tatanagar Junction/TATA added by Waiting For Extension Of TATA ROU JAT Upto SVDK😊^~/1421836
5 compliments
Wonderful! The one n only shayar of IRI __/\__ JAI MURI _/\_ बहुत ही बढ़िया, शर्मा जी। 👍
Wonderful! The one n only shayar of IRI __/\__ JAI MURI _/\_ बहुत ही बढ़िया, शर्मा जी। 👍
मेरे दिल्ली से टाटानगर के यात्रा की कहानी,मुरी एक्सप्रेस के ठहरावों की जुबानी😊
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सुबह 04:00 से 04:30 बजे खड़े खड़े गिरती है आंखों से नींद की किल्ली,
क्योंकि स्टेशन का नाम ही है पुरानी दिल्ली,
....
more...
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सुबह 04:00 से 04:30 बजे खड़े खड़े गिरती है आंखों से नींद की किल्ली,
क्योंकि स्टेशन का नाम ही है पुरानी दिल्ली,
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प्लेटफार्म से दिखती ट्रेन जिसकी है थोड़ी दूरी,
पास आती है तो पता चलता है कि वो है एक्सप्रेस मुरी,
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दिल्ली से चलते ही पूरा होता है मुरी एक्सप्रेस में बैठकर टाटानगर जाने का सपना,
सलीमगढ़ किले के बाद आता है लोहे का पूल जिसके नीचे से बहती है यमुना,
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कुछ दूरी के बाद लोको के मेले को देखकर दिल होता है आबाद,
क्योंकि हमारा पहला पड़ाव है ग़ाज़ियाबाद,
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ग़ाज़ियाबाद से चलते ही आता है ट्रेन में बेचने छोला,
छोला खाते खाते तबतक आ जाता है दूसरा पड़ाव चोला,
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चोला से चलने के बाद ट्रेन ढूंढ़ती है दूसरा गढ़,
गढ़ ढूंढते ढूंढते तीसरा पड़ाव आया तालों का शहर अलीगढ़,
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यूं तो पसन्द है मुझे माज़ा का आमरस,
ट्रेन में माज़ा पीते पीते पहुंच गए हमारे चौथे पड़ाव हाथरस,
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सूखे मेवे में मुझे पसन्द नहीं है अखरोट,
लेकिन उसके टेढ़े आकार के बारे में सोचते सोचते पहुंचे हम हमारे पांचवे पड़ाव जलेसर रोड,
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गाड़ी चली थोड़ी गति में इसलिए दिल मेरा थोड़ा डोला,
इसी डोलेपन को कश्मकश में हम पहुंचे हमारे छठे पड़ाव टूंडला,
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टूंडला से चलकर सोचा कि क्यों ना ले लूं चूड़ी अपनी माँ के लिए जिससे उनके हाथ हो जाये आबाद,
इसी सोच में मैं पहुंचा चूड़ियों के शहर यानी हमारे सातवें पड़ाव फ़िरोज़ाबाद,
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फ़िरोज़ाबाद से बढ़े तो एक बात आई याद,
की बन्धु आने वाला है हमारा आठवां पड़ाव शिकोहाबाद,
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कविता में I Like जैकवा & जिलवा,
इसी गाने को सुनते सुनते आ गए यादव जी के गढ़ यानी हमारे नौवें पड़ाव इटावा,
इटावा से आगे बढ़े तो समोसा खाए बगैर मन नहीं माना,
तो समोसा खाने के लिए ट्रेन पहुंची हमारे दसवें पड़ाव भरथना,
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यूं तो तितली का बच्चा रहता है In ककून,
उस बच्चे को याद करते करते पहुंच गए हमारे ग्यारहवें पड़ाव फफूंद,
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फफूंद से आगे बढ़े तो दिल में थी थोड़ी झिझक,
क्योंकि करीब आ रहा था हमारा बारहवां पड़ाव झींझक,
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ऐसे तो मशहूर है रामपुरी छुरा,
इसी में मैं पहुंचा तेरहवें पड़ाव रूरा,
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रूरा से बढ़ने पर मिले कुछ लोग सनकी,
इन सनकियों से पीछा छुड़ाने के लिए पहुंच गए चौदहवें पड़ाव पनकी,
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ऐसे सब होना चाहते है सिंगल से मिंगल,
रिश्ता ढूंढते पहुंच गए तनु के मायके और मनु के ससुराल हमारे पंद्रहवें पड़ाव कानपुर सेंट्रल,
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कानपुर सेंट्रल की आवभगत से मज़ा आया भरपूर,
अब इस मज़े को और मज़ेदार बनाने के लिए पहुंच गए हमारे सोलहवें पड़ाव फतेहपुर,
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ऐसे तो फाटे हुए कपड़े को सिलने के लिए सुई में लगाना पड़ता है धागा,
इसी क्रम में मैं पहुंचा मेरे सत्रहवें पड़ाव खागा,
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एक डर था बस की आगे चलके ना हो ज़िन्दगी बर्बाद,
इसी आपाधापी में डरते डरते पहुंचे हमारे अट्ठारहवें पड़ाव इलाहाबाद,
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इलाहाबाद से बढ़े तो फिर से देखना पड़ा अखरोट,
क्योंकि जहां अखरोट बेचा जा रहा था वो जगह थी हमारा उन्नीसवां पड़ाव मेजा रोड,
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मेजा रोड से आगे बढ़ने पर मन में उठी माँ की भक्ति की हलचल,
हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए हम पहुंचे हमारे बीसवें पड़ाव विंध्याचल,
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विंध्याचल से आगे बढ़ने पर मज़ा आने लगा भरपूर,
लेकिन गाड़ी जबतक गति पकड़ती तो आ गया इक्कीसवां पड़ाव मिर्ज़ापुर,
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ऐसे तो बचपन से जुड़े हैं मेरे इस स्टेशन से दिल के तार,
क्योंकि उसका नाम है हमारा बाइसवां पड़ाव चुनार,
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जब डब्ल्यु.ए. पी.4 कानपुर को ट्रेन से अलग किया तो नहीं हुआ भावनाओं पर काबू,
पर जब डब्ल्यु.डी. पी.4डी देखा तो पता चला ये तो है पतरातू,
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चुनार से आगे बढ़े तो मन में हुआ रंज,
क्योंकि अब हम आ गए थे हमारे तेइसवें पड़ाव रोबेर्ट्सगंज,
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ऐसे तो कुछ लोग होते हैं नशे में धूर्त,
इन्हीं लोग के साथ आते आते आ गए हमारे चौबीसवें पड़ाव चुर्क,
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आ रही थी नींद तो किया सोने का मन,
लेकिन नींद को भगाकर पहुंच गए हमारे पच्चीसवें पड़ाव चोपन,
मकर संक्रांति में खाते हैं तिलकुट,
उसी तिलकुट को याद करते करते पहुंच गए हमारे छब्बीसवें पड़ाव रेणुकूट,
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सबकी ज़िन्दगी में आता है हमेशा कोई न कोई डगर,
मेरी यात्रा में मैं पहुंचा मेरे सत्ताइसवें पड़ाव दुद्दीनगर,
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चॉकलेट में पसन्द है मुझे मंच,
उसी को खाते खाते आ गया मैं मेरे अट्ठाईसवें पड़ाव विंढमगंज,
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ऐसे तो कायम रहती है सच्चे दोस्तों की यारी,
ऐसी यारी की खोज में मैं आ गया मेरे उन्नतीसवें पड़ाव नगर उंटारी,
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ऐसे तो मुझे पसन्द नहीं है करेला का भरवा,
पर उसके बारे में सोचते सोचते आ गया मैं मेरे तीसवें पड़ाव गढ़वा,
.
गढ़वा से आगे बढ़ने पर लग गई मुझे हल्की चोट,
उस चोट को सहते सहते पहुंच गया मैं मेरे इक्कतीसवां पड़ाव गढ़वा रोड,
.
ना जाने इस पड़ाव में कितने थे गंज,
उसी क्रम में आ गया हमारा बत्तीससवां पड़ाव डाल्टनगंज,
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ऐसे तो मुझे याद आ रहा था जमशेदपुर का नीमडीह,
लेकिन अभी मैं पहुंच गया था मेरे तैतिसवें पड़ाव बरवाडीह,
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ऐसे तो बीवियों के गले में अच्छा लगता है मोतियों का हार,
उसी को खोजते खोजते आ गया मैं मेरे चौतीसवें पड़ाव लातेहार,
.
ऐसे तो बीवियां लेती हैं पतियों के बटुए से पैसे चोरी चोरी,
लेकिन मुझे उसका अनुभव नहीं था इसलिए सोचते सोचते आ गया मैं मेरे पैंतीसवें पड़ाव टोरी,
.
मुझे तो बचपन से ही पसन्द है मुरी एक्सप्रेस की लेट लतीफ सवारी,
इसी सवारी का आनद उठाते उठाते आ गया मैं मेरे छत्तीसवें पड़ाव खलारी,
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घर में मैं अपने कुकुर को करता हूँ आतु आतु,
लेकिन अभी उसकी याद आ रही थी तो उसी को याद करते आ गया मैं मेरे सैंतीसवें पड़ाव पतरातू,
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मुम्बई के भाईलोग कहते हैं,"एक शाणा दूसरा अंधे पे काणा"
थोड़ा सी लगी थी भूख इसलिए लिया थोड़ा आलू बोंडा, ऑमलेट और छोले @ मेरे अड़तीसवें पड़ाव बरकाकाना,
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जब डब्ल्यु.डी.पी.4डी पतरातू को किया कोच से अलग तो दिल को लगा कांटा,
लेकिन वो कांटा निकाल दिया जब देखा कि इसमें लगने वाला है डब्ल्यु.एम.4 टाटा,
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चींटी को कहते हैं अंग्रेज़ी में Ant,
क्योंकि बरकाकाना के बाद हम आ गए थे हमारे उनचालीसवें पड़ाव रामगढ़ कैंट,
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रामगढ़ कैंट से आगे बढ़ने पर खाने का मन किया झालमुरी,
इसी को खोजते खोजते पहुंचे हम हमारे चालीसवें पड़ाव मुरी,
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मुरी जंक्शन पर ऐसा हुआ वाक्य की मन हुआ अकेला और दिल को लगा फिर कांटा,
क्योंकि वहां से एक भाग को जाना था राऊरकेला और दूसरे भाग को जाना था टाटा,
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इस वाक्ये से उबरने के लिए हम बढ़े आगे फ़िर भी धड़क रहा था दिल,
क्योंकि घन्टे भर के बाद हम लोग पहुंचे हमारे इकतालीसवें पड़ाव चांडिल,
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अब घड़ी थी सामान बांधने की क्योंकि करीब आ रही थी मंज़िल इसलिए पहन लिया मैंने अपना चप्पल बाटा,
गाड़ी आई हमारे अगले और आखिरी बयालीसवें पड़ाव के प्लेटफार्म संख्या पांच पर @ टाटा🙏😊
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HimalayanRailways^~
HimalayanRailways^~ 14283 blog posts1 compliments
वाह वाह,संगति का असर दिख गया भाई😊
वाह वाह,संगति का असर दिख गया भाई😊
पढने मे अच्छा लगता है हमे साहित्य
यु हीं शायरी करते रहना भाई आदित्य......!
यु हीं शायरी करते रहना भाई आदित्य......!
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