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Blog Entry# 1956917
Posted: Aug 09 2016 (22:17)

3 Responses
Last Response: Aug 10 2016 (11:34)
General Travel
25207 views
0

Aug 09 2016 (22:17)   52137/Shakuntala NG Passenger (UnReserved) | AMI/Amravati (Terminal) (4 PFs) | MIB/ZDM-3
 
~   41 blog posts
Entry# 1956917            Tags   Past Edits
Guys is it true??
भारत अब भी देता है अंग्रेजों को टैक्स, जान कर चौंक जाएंगे...
वैसे तो भारत को ब्रितानी हुकूमत से बाहर आए 70 वर्ष होने जा रहे हैं लेकिन आप इस बात को जान कर हैरान हो जाएंगे कि आज भी भारत के कुछ हिस्सों पर अंग्रेजों का राज चलता है. इंडियन रेलवे जो कि भारत सरकार के अधीन काम करती है अंग्रेजों को टैक्स देती है.
दरअसल,
...
more...
भारत का एक रेलवे ट्रैक आज भी ब्रितानी हुकूमत के अधीन है. सिर्फ इतना ही नहीं इसके एवज में भारत ब्रिटेन को लगान भी देता है. नैरो गेज (छोटी लाइन) के इस ट्रैक का इस्तेमाल करने वाली इंडियन रेलवे हर साल 1 करोड़ 20 लाख की रॉयल्टी ब्रिटेन की एक प्राइवेट कंपनी को देती है.
जानें कहां है यह ट्रैक...
यह नैरोगेज ट्रैक महाराष्ट्र प्रांत में है और अमरावती से मुर्तजापुर के बीच बिछी है. इसकी कुल लंबाई 189 किलोमीटर है. इस ट्रैक पर सिर्फ एक पैसेंजर ट्रेन चलती है जो सफर को 6-7 घंटे में पूरा करती है. इस सफर के दौरान शकुंतला एक्सप्रेस अचलपुर और यवतमाल समेत 17 छोटे-बड़े स्टेशनों पर रुकती है.
100 साल पुरानी 5 डिब्बों वाली यह ट्रेन पहले स्टीम इंजन से चला करती थी और साल 1994 से यह स्टीम इंजन के बजाय डीजल इंजन से चलती है. इस रेल रूट पर लगे सिग्नल आज भी ब्रिटिशकालीन ही हैं. 5 बोगी वाली इस पैसेंजर ट्रेन में प्रतिदिन एक हजार से अधिक लोग यात्रा करते हैं.
कैसे हुई थी इस रेल ट्रैक की शुरुआत?
अमरावती का यह इलाका कभी कपास के लिए पूरे देश में मशहूर हुआ करता था. तब वहां उपजे कपास को मुंबई पोर्ट तक पहुंचाने के लिए अंग्रेजों ने इसे बनवाया था. साल 1903 में ब्रिटिश कंपनी क्लिक निक्सन ने इस रेल ट्रैक को बिछाने की शुरुआत की थी और यह काम 1916 में पूरा हुआ था.
इस रूट पर चलने वाली शकुंतला एक्सप्रेस की वजह से इसे शकुंतला रेल रूट के नाम से भी जाना जाता है. इस कंपनी को अब सेंट्रल प्रोविन्स रेलवे कंपनी के नाम से जाना जाता है.
रेल के राष्ट्रीयकरण के बावजूद रह गया बचा...
अब इस बात से तो सभी वाकिफ हैं कि साल 1951 में रेल का राष्ट्रीयकरण हो गया लेकिन यह रूट भारत सरकार के जद में नहीं आया. आज भी इस रेल रूट के एवज में भारत सरकार हर साल इस कंपनी को 1 करोड़ 20 लाख रुपये की रॉयल्टी ब्रिटिश कंपनी को देती है.
ब्रिटिश कंपनी करती है संरक्षण...
इस ट्रैक के देख-रेख और संरक्षण का काम आज भी ब्रिटेन की कंपनी करती है. वैसे तो भारत सरकार हर साल उन्हें पैसे देती है लेकिन इसके बावजूद यह ट्रैक बेहद खस्ताहाल है. रेलवे की सूत्रों की मानें तो पिछले 60 सालों से इसकी मरम्मत तक नहीं हुई है. इस ट्रैक पर चलने वाले जेडीएम सीरीज के डीजल लोको इंजन की अधिकतम स्पीड आज भी 20 किलोमीटर प्रति घंटे रखी जाती है.

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Aug 10 2016 (00:14)
Pran22^~   54713 blog posts
Re# 1956917-1              
true as far i know.
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0

Aug 10 2016 (03:28)
Satish~
Satish~   499 blog posts
Re# 1956917-2              
click here
Please check this, Just scroll down for Murtijapur Ellichpur Railway
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16275 views
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Aug 10 2016 (11:34)
vabrenu~
vabrenu~   433 blog posts
Re# 1956917-3              
Shakuntala railway will be convert in Broad gauge .
click here
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