भी नही आया था, शाम तक नंबर आने की उमीद थी, मेरे परिवार वाले पहले कई बार आ चुके है और हमने अधकुअवारी का दर्शन पहले भी किया हुआ था तो हमने सोचा इस बार हम नही जाएँगे, सिर्फ़ साथ मे आए मेरी मित्र के परिवार वालो को दर्शन करने को कह देते है, तो हम लोगो ने वाहा आराम करना ठीक समझा, २ बजे तक नंबर लग गया और मेरी मित्र के परिवार वाले चले गए, हम लोग केफे कॉफी डे मे जाकर कॉफी के लुफ्त उठा रहे थे, 5 बजे तक वो लोग भी आ गए और अब सब लोग साथ मे नीचे उतरने लगे, मैने और मेरी मित्र ने सीढ़ियों से उतरने का निर्णय लिया और इस चक्कर मे ह्म लोग अपने परिवार वालो से बिछड़ गए, हालाँकि रास्ते भर खाते पीटते और शॉपिंग करते हुए नीचे आए, और एक जगह जहा लंगर मिलता ह वाहा रुकना उचित समझा और एक घंटा इंतेज़ार करने प्र भी परिवार का कोई भी सदस्या न्ही दिखा तो मुझे चिंता होने लगी......
इसलिए हमने सोचा की अब बाड़ गंगा पे अनाउन्स्मेंट करवा दे, अनाउन्स्मेंट भी हो गई फिर कुछ देर बाद घरवाले दिखाई पड़े, फिर सब लोग मिले और मुझे थोड़ी डाँट भी पड़ी अपने पापा से, अब हम लोग बाहर आ चुके थे और पैदल ही धर्मशाला जाने का सोचा क्यूंकी रात का समय था और ऑटो वाले फिर से ज़यादा पेसे माँग रहे थे, धर्मशाला पहुचने के बाद थोड़ा आराम फरमाया और फिर सब लोग खाना खाने के लिए निकल पड़े, हमारी वापसी की ट्रेन जम्मू मेल थी जो अगले दिन थी, सबने भर पेट खाना खाया और वापस आकर, धर्मशाला मे मूव पैरो मे लगाकर सो गए ताकि दर्द कम हो जाए, उस रात की नींद बहुत ही अच्छी आई, एक बार आँख लगी तो सीधा सुबह मे खुली वो भी तब जब पापा ने उठाया चाय पीने के लिए, मै चाय पीकर फिर सो गया कयनकि अब मेरी हालत खराब थी, पेट मे गुदगुद और सिर मे दर्द सभी लोग शॉपिंग के लिए जाने वाले थे पर मैने माना कर दिया और आराम से सोता रहा, 11 बजे तक मै भी उठा और नहा धो कर निकल पड़ा मार्केट, मेरे परिवार वाले भी मिल गए जो की प्रसाद ले रहे थे, अब तक हुमारी वापसी ट्रेन की चार्ट प्रिपेयर हो चुकी थी जो की चार घंटे पहले बनती है, अब मुझे सीट्स भी पता करनी थी, आस पास कोई केफे की दुकान नही थी साथ ही मोबाइल मे नेटवर्क, इसीलिए एसटीडी पर गया और रेलवे की हेल्प लाइन नंबर पर कॉल किया, एक पीएनआर की सीट्स पता करने मे ही मेरे 33 रुपए का बिल आ गया, मैंने दिमाग़ लगाया और सोचा की चार्ट तो स्टेशन पर भी लगा होगा और ट्रेन पर भी वही पता करते है, तो अब हम सब लोगो ने पॅकिंग करली थी और निकालने की त्यारी कर रहे थे, सभी फोन चार्ज हो चुके थे क्यूंकी स्टेशन पे फोटो ग्राफी बाकी थी, इस बार ऑटो लिया और स्टेशन पहुच गए 1 बजे ही, वहा पर सभी लोगो ने खूब फोटो ग्राफी की!!!
इतने मे मैने चार्ट देख कर सीट्स नोट की और फिर उस हिसाब से सीट्स प्र समान रखा, हालाँकि इस बार २ ग्रूप मे सीट्स मिली एक मेरे परिवार की और एक मेरे मित्र के परिवार की बाद मे हमने उधर की 5 सीट्स एक्सचेंज की और एक ही कूप मे 8 सीट्स करली एक दूसरे कूप मे रह गई, सभी लोग साथ बैठे थे, मै तो जम्मू मेल के फोटो खिचने के लिए निकला हुआ था और दूसरी ट्रेन्स की फोटो के लिए भी परंतु जम्मू मेल के एलवा कुछ हाथ ना लगा, श्री शक्ति और उत्तर संपर्क क्रांति यार्ड मे गई हुई थी, बस जेनरेटर की आवाज़ हा रही थी हालाँकि मैने लोको की पिक्स भी खूब ली, जब मई वापस पहुचा तो मेरे पापा ने मुझे स्नैक्स लाने को कहा जो की स्टेशन की पहली मंज़िल पर था, ट्रेन छूटने मे आधा घंटा था इसीलिए मई भी चला गया और रेलवे का रेस्टरौरंत वाक़या मे बहुत अछा बना हुआ था, कॉलरिंक्स और चिप्स लेने के बाद मै वापस प्लॅटफॉर्म नंबर 1 पर आ रहा था तो वाहा पर टीटी खड़े थे जिन्होने मुझे रोक लिया और पूछा टिकेट्स और मेरे पास टिकेट्स नही थी, मेरे बेग्स मे पड़ी थी, उनको मैने कहा की मेरे परिवार वाले ट्रेन मे है, पहले उसने मना कर दिया परंतु बाद मे उसने भेज दिया, मई जेसे ही ट्रेन मे चढ़ा ट्रेन ने हॉर्न दिया, तभी ट्रेन मे कई लोग माता रानी के जया कारे लगा रहे थे, हमने भी लगाया, और एलेक्ट्रिक लोको से ये मेरी पहली कटरा की यात्रा थी, ट्रेन अपनी रफ़्तार मे सुरंगो से निकलती रही और मैने खूब फोटो शॉट किया, उधमपुर मे मुझे उधमपुर-आनंद विहार स्पेशल ट्रेन मिली जिसकी फोटो मेने ली, और जम्मू हम आधे घंटे की देरी से पहुचे, जम्मू से 2 नशेड़ी हमारे डिब्बे मे सॉवॅर हो गए, हमारी सीट्स अब एक से लेकर 8 ट्के थी जो की गेट क साथ थी, वो दोनो ने बीड़ी पीना शुरू किया, पहले मेरे मित्र के पापा ने माना किया तो नही माने बाद मे मेरे पापा ने माना किया तो बीड़ी फेक दी पर बैठे रहे, आर पी एफ आ जा रही थी लेकिन कुछ कर नही रही थी, कुछ देर बाद कठुआ मे उन दोनो ने शराब की बॉटल निकाली इतने मे मै टीटी को ढूंदे निकल पड़ा, हालाँकि स्लीपर कोच का टीटी मुझे नही मिला इसीलिए मैने एसी कोच के टीटी को इसकी शिकायत की तो उसने कहा वो आर पी एफ भेजेगा, मई वापस आया तब तक वो दोनो शुरू हो चुके थे...
कुछ देर मे टीटी आया स्लीपर कोच का तो उसको मेने कहा तो उसने दोनो को अगले स्टेशन पर उतार दिया पर वो एस 6 मे संवार हो गए जहा पर उनकी किसी ग्रूप ऑफ स्टूडेंट्स ने पिटाई करदी और वो फिर हुमारे डिब्बे मे आ गए, इस बार मेरे पापा खुद गए और २ आ पी एफ को ले कर आए तो उन दोनो को अगले स्टेशन पर उतार कर आगे ले गए, लेकिन जब रात मे जालंधर आया तो मुझे वो दोनो वही स्टेशन पर दिखे....!!!!
खैर इस बीच हमने पठानकोट मे खाना लिया था जो की ऑर्डर किया था, खाना टेस्टी था, और मेरी रात मे फिर से ड्यूटी लगी रखवाली की लुधियाना ट्के तो मै जगा रहा उसके बाद कंट्रोल नही हुआ तो पेप्सी ली मैने लुधियाना पर, जो की चालीस की दे रहा था ज्ब दो-तीन बार बोला तो उसने पाँच रुपए दिए, लेकिन मई सो गया और अंबाला मे उठा, तब तक मेरे पापा जाग चुके थे और उन्होने मुझे कहा तुम सो जाओ, उसके बाद मई जो सोया तो सीधा करनाल के बाद उठा, सब लोग उठ चुके थे, और उतरने के लिए इंतेज़ार मे थे, इस ट्रिप मे मै ट्रिप डाइयरी नही कर पाया, पानीपत पर प्लॅटफॉर्म 1 पर ट्रेन रुकी और हम उतार गए, सुबह का समय था और ठंडी हवा चल रही थी, तो हमने चाय की चुस्कियो का आनंद लिया, कुछ देर बाद उत्तर संपर्क क्रांति की अनाउन्स्मेंट हुई, पर मई उससे स्पॉट नही कर पाया...
मेरे पापा के पैरो मे दर्द के कारण वो कार नही चला सकते थे इसलिए मुझे मौका मिला सुबह सुबह, घर पहुच कर अभी समान रखा ही था की मेरे पापा ने कहा की इस डिसेंबर मे हम सब शिर्डी चलेंगे....
नेक्स्ट ट्रिप एक दम बन गयी.....
इस पूरे ट्रिप मे मुझे इस बार अपनी रेल की फोटो ग्राफी करने मे सबसे अधिक मज़ा आया
आशा करता हूँ आप लोगो को मेरी ट्रिप की रिपोर्ट पसंद आई होगी
पूरे ट्रिप को लिखने मे मुझे 7 घंटे का समय लगा कल से लेकर अभी तक, सभी फोटो इंडिया रेल इन्फो पे डाली जा चुकी, हालाँकि जो लोग रह गए ह उनके लिए नीचे लिंक दिया गया है, इस पूरी ट्रिप को लिखने मे quilpad editor ने बखूबी साथ दिया, साथ ही इस ट्रिप का अंत यही करते हुए मई सभी लोगो का धन्यवाद करना चाहूँगा की वो लोग इसको पढ़े और अपने अपने आशीर्वाद प्रकट करे, ग़लतियो के लिए माफ़ कीजिए कुकी ना तो मेरी हिन्दी अच्छी है ना मेरी अँग्रेज़ी....
धन्यवाद
दिव्यांशु गुप्ता
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