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Blog Entry# 2406728
Posted: Sep 13 2017 (02:58)
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Last Response: Sep 16 2017 (01:30)
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Sep 13 2017 (02:58) 12177/Howrah - Mathura Chambal Express (PT) | DAA/Datia (3 PFs)
Mridul^~
Mridul^~ 46617 blog postsनमस्कार
अब तक आपने पढ़ा कि हम किस तरह उठे, कैसे तैयार हुए कैसे एकत्रित हुए और कैसे मंदिर पहुंचे.
अब शुरू करते है आगे का वृतांत.
जैसे ही हम लोग ऑटो से उतरे तो सामने एक दरवाजा था . हम सभी उसके अंदर गए तो वह सीधे हाथ कि तरफ निशुल्क सामान रखने की जगह थी. हमने अपने सारे मोबाइल, बेल्ट, बटुए...
more...
अब तक आपने पढ़ा कि हम किस तरह उठे, कैसे तैयार हुए कैसे एकत्रित हुए और कैसे मंदिर पहुंचे.
अब शुरू करते है आगे का वृतांत.
जैसे ही हम लोग ऑटो से उतरे तो सामने एक दरवाजा था . हम सभी उसके अंदर गए तो वह सीधे हाथ कि तरफ निशुल्क सामान रखने की जगह थी. हमने अपने सारे मोबाइल, बेल्ट, बटुए...
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बैग के अंदर डाले और अपने दोनों बैग वही जमा कर दिए. उसके बगल में ही जूता स्टैंड भी था वह हमने जूते जमा किये, उसके बाद प्रवेश किया मंदिर के अंदर एक जयकारा लगाते हुए | मंदिर के अंदर सिर्फ में ही आया बाकी सभी प्रसाद ही खरीद रहे थे. वह नादर जाके देखा तो भक्तो के लिए २ अलग क़तारे थी. हम छोटी वाली कतार में खड़े हो गए | कुछ समय बाद बाकी सब लोग भी आ गए | हम दोनों के बीच में करीब १० लोग थे लेकिन इधर हम पीछे मुड़ कर बातें करते रहे और एक एक करके सभी हमसे आगे निकल गए. उसके बाद हमें दोनों पंक्तियों में अंतर पता लगा, लम्बी वाली पंक्ति से दर्शन अधिक निकट से होते थे. खैर हम सभी ने दर्शन किये उसके पश्चात् हम सभी ने मंदिर प्रांगण में कुछ समय बिताया और शनिवार को यहाँ होने वाली भीड़ का आंकलन किया. इसके बाद हम सभी बाहर आये तो विवेक जी ने पर्यटक केंद्र जाकर पूछताछ की कि दतिया के इसके अलावा घूमने की कौन कौन सी जगह है. उसके बाद पता लगा की दुर्भाग्य से ऐसी कोई भी जगह नहीं जो हम लोगो को पसंद आये तो खाना खाने का प्लान बना. बेथ गए एक ढाबे के अंदर अपना देशी खाना खाने के लिए. इसी बीच हमने और अथर्व ने विदेशी खाने का मन बनाया तो निकल आये ढाबे से बाहर और घुस गए एक रेस्टोरेंट के अंदर. वहां हम दोनों ने पिज़्ज़ा खाया, बर्गर खाया, पैटीज़ खायी और कोल्ड ड्रिंक ली. उसके बाद हम दोनों बाहर आये तब तक बाकी सभी भी अपना खाना समाप्त कर चुके थे. हम सभी ने दुबारा ऑटो के अंदर स्थान ग्रहण किया और चल पड़े रेलवे स्टेशन की तरफ.
जैसे ही हम लोग स्टेशन पहुंचे तो पाया की ताज सुपरफास्ट एक्सप्रेस प्लेटफार्म क्रमांक २ पर खड़ी थी.जल्दी से कैमरा चालु किया और लपके प्लेटफार्म की तरफ. लेकिन अफ़सोस की हम मामूली से विलम्बित हो गए थे. अथर्व जी केवल ताज का पिछला हिस्सा ही देख पाए और बाकी किसी को तो दर्शन भी नसीब न हुए. उसके बाद शुरू हुआ फोटोग्राफी का दौर. हम सभी ने एक से बढ़कर एक करतब दिखाते हुए तथा अनोखे ढंग से फोटोग्राफी की| उसके पश्चात मुझे और अथर्व को छोड़कर बाकी सभी लोग प्रतीक्षालय में पहुंच गए. यहाँ से कुछ ही समय बाद हमसफ़र गुजरी. उसका वीडियो लेने के बाद हम लोग झाँसी वाले छोर पर पहुंचे वहां से समता एक्सप्रेस का वीडियो लिया. उसके पश्चात् हम लोगो ने तीर्थ स्पेशल गाडी के लोको पायलट से कुछ बात की. उसी समय झाँसी की तरफ से झेलम एक्सप्रेस आती हुई दिखाई दी. उसको भी अपने कैमरे में कैद किया उसके बाद पहुंचे पटरिया पार करके मैं लाइन पर. तैयारी थी पंजाब मेल का वीडियो निकालने की उसी के लिए सही जगह का सर्वेक्षण हो रहा था इसी बीच मुख्य लाइन पर खड़ी मालगाड़ी के गार्ड ने खलल दाल दिया, उसने कहा की आप लोगो के पास अगर अनुमति नहीं है तो आप वीडियो नहीं ले सकते. हमने थोड़ा मिन्नतें की लेकिन वह नहीं माना तो हमें वहां से हटकर कोई दूसरी जगह के बारे में सोचना पड़ा लेकिन इसी बीच पंजाब मेल आ गयी. अब क्या करते क्योकि हमारे पास जगह बदलने लायक समय नहीं था. हमने उसी जगह से वीडियो लिया. अथर्व जी थोड़ा पीछे थे इसीलिए गार्ड की नजर उनपर नहीं पड़ी लेकिन गार्ड मुझको ऐसे घर रहा था मानो में बॉर्डर क्रॉस करके दूसरे देश में घुस गया होऊ | खैर वीडियो बनाने के बाद समय था RPF से अनुमति लेने का तो चल दिए हम मंच क्रमांक १ की तरफ जहा RPF थाना था. वहां पहुंचे तो पाया की कमरे के अंदर कोई भी नहीं था तो फिर में स्टेशन मास्टर के पास गया. अफ़सोस की वहां भी कोई भी नहीं था. मेने अथर्व को बताया की जब हमारे ढूंढने से कोई भी नहीं मिल रहा तो फिर ये हमें पकड़ेंगे ही क्यों | मेने सहायक स्टेशन मास्टर से पूछा तो उसने अनुमति देने से इंकार कर दिया उसका कहना था की यह उसके अधिकार छेत्र में नहीं है लेकिन वहां से निकलते ही देखा तो पाया की RPF थाने के अंदर कुछ लोग मौजूद थे. मैने उनसे दृश्य कैद करने की अनुमति लेनी चाहि तो पहले तो उन्होंने मना किया लेकिन उसके पश्चात् जब मैने अपनी पारवारिक पृष्ठभूमि और दृश्य कैद करने का कारण बताया तो उन्होंने खुली छूट देदी. उसके बाद चल पड़े उसी गार्ड के करीब से फोटोग्राफी करने लेकिन तब तक उसकी मालगाड़ी को हरा झंडा मिल गया था. उसकी गाडी जा रही थी और मैंने उसको अपना अगूंठा दिखाया, साथ ही अपना कैमरा ऊपर किया उसने वही से पूछा की अनुमति लेली क्या, तो हां में सर हिलाया उसके पश्चात् मंच क्रमांक १ पर झाँसी वाले छोर पर आ गए. उसी समय मंगला एक्सप्रेस WAG ५ के साथ झाँसी की तरफ गयी. उसका भी दृश्य कैद किया | उसके पश्चात् हम दोनों ने अपने अपने कैमरे चेक किये लेकिन उसी बीच झाँसी की तरफ से ताज एक्सप्रेस आ गयी. हम दोनों ने उसको भी कैद किया उसके बाद हम दोनों टहलते हुए ग्वालियर की तरफ वाले छोर पर आ गए. इंतज़ार था केरला एक्सप्रेस को देखने का लेकिन उसी समय धुआँ छोड़ता हुआ इंजन चम्बल एक्सप्रेस को लेकर मंच क्रमांक १ पर प्रवेश कर गया. हम लोग जल्दी से भागे और मोहित जी को फ़ोन किया तब पाया की वो लोग प्रतीक्षालय से बाहर प्लेटफार्म पर हमारा इंतज़ार कर रहे है. हमने अपना बैग उनसे ग्रहण किया और आनन् फानन में जहा जगह मिली चढ़ गए.
हम अपनी सीट पर पहुंचे तो पाया की वहां पर पहले से लोगो का कब्ज़ा है तो हमने उसके बगल वाली निचली सीट पर धावा बोल दिया. वहां जो यात्री बैठे थे उनको कहा की यह हमारी सीट है तो उन्होंने वह हमें देदी. यहाँ हमने स्थान ग्रहण किया एवं मोहित जी को फ़ोन किया तो पाया कि वहां पर ग्वालियर के बाद खिड़की मिल जायेगी. चूँकि यहाँ चार्जिंग पॉइंट नहीं था एवं मोहित जी के डब्बे में मौजूद था | इसी बीच गाड़ी चली लेकिन दतिया के घुमाव पर जाकर रुक गयी. मामूली सा रुकने के बाद फिर आगे बढ़ी |लेकिन सोनागिरि पर किसी ने जंजीर खींच दी जिसकी वजह से ये पुनः रुक गयी. हमने और अथर्व ने फैसला किया कि वेबसाइट पर अपडेट केवल १ ही ट्रिप डायरी में देंगे. इसी बीच गाडी डबरा के आउटर पर आके फिरसे ठहर गयी. कुछ समय बाद गाडी डबरा पहुंची तो यहाँ काफी जगह खाली हो गयी | अब गाड़ी ने गति पकड़ी और हम लोग तैयार थे पहाड़ो को निहारने के लिए | यहाँ अनुभव काम आया और खिड़की से बिना देखे हाथ निकाल के मैने एक दृश्य कैद किया और वो एकदम सटीक समय पर लिया गया | गाड़ी सुरंग के अंदर प्रवेश कर रही थी | कुछ ही समय बाद हम ग्वालियर पहुंच गए इसी बीच कई बार हमने हर्ष से बात करने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे | हमने अपना सामान उठाया और पहुंच गए मोहित जी के पास | यहाँ आकर अथर्व जी ने कैमरा संभाला और हमने बातें करने के लिए मोर्चा, इसी बीच बातों बातों में पता लगा कि विवेक जी ने इंटरमीडिएट कि परीक्षा हमारे ही विद्यालय से दी थी. वह हमसे १ साल पीछे थे लेकिन जब हम बारहवीं में थे तब हम स्कूल पढ़ने जाते ही नहीं थे इसीलिए हम दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे. इधर हम बातों में व्यस्त थे तो हमारा इंजन फचर फचर चिल्लाते हुए भाग रहा था. ग्वालियर पर हमारी मुलाकात सचखंड एक्सप्रेस से हुई, उत्कल के समय पर हम लोग बातें करने में व्यस्त थे. पातालकोट से घाट सेक्शन कि वजह से मुलाक़ात हो नहीं पायी. सांक पर हमारी गाड़ी कि गति थोड़ी धीमी हुई और यहाँ दुरोंतो एक्सप्रेस से मुलाकात हुई. मुरैना से थोड़ा पहले हमारी मुलाक़ात राजधानी एक्सप्रेस से हुई | कुछ ही समय में हम मुरैना जा खड़े हुए यहाँ हमें कीर्ति जी से मिलना था लेकिन हम मंच पर आये तो वो हमें दिखे नहीं. उसी समय याद आया कि हमने डब्बा बदल दिए है और वो शया ४ के पास ही हमें देख रहे होंगे. भागते हुए हम शया ४ पर पहुंचे वहां हम दोनों ने मुलाक़ात की | इसी बीच गाड़ी ने हॉर्न दे दिया और मोहित जी भी कीर्ति जी से मिलने आ गए. गाड़ी चल पड़ी तो अथर्व एवं मोहित जी तुरंत ही चढ़ गए लेकिन हम थोड़ा अपनी बात ख़तम करने में लग गए. अंदाजा नहीं था की ये धुआँ छोड़ने वाला इंजन इतनी जल्दी गति पकड़ लेगा. लेकिन सकुशल हम पीछे वाले डब्बे में चढ़ गए. इसी समय हमारी मुलाकात गोवा सुपरफास्ट से हुई | गाड़ी ने पुनः गति पकड़ी लेकिन अँधेरा उससे भी तेज गति से बढ़ता जा रहा था. चम्बल एक्सप्रेस ने चम्बल नदी को सकुशल पार किया एवं धौलपुर से ठीक पहले मुलाकात गोंडवाना सुपरफास्ट से हुई. यहाँ धौलपुर कब निकल गया पता ही नहीं चला. उस समय मुझे पता चला की इसका ठहराव धौलपुर नहीं है | उसके पश्चात गाड़ी की गति उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के साथ धीमी हुई तथा जाजऊ आते आते फिरसे पूरी गति पकड़ ली. लेकिन भांडई पर फिरसे थोड़ा धीमी हो गयी | कुछ ही समय में हम आगरा छावनी आ गए. अब शुरू हुई चार्जिंग पॉइंट की खोज क्योकि फोटो की अदला बदली के लिए लैपटॉप को चार्ज करना अनिवार्य था. पुरे प्लेटफार्म २,३,४,५ पर कोई भी चार्जिंग पॉइंट नहीं मिला तो फिर हम बेधड़क प्रतीक्षालय में जा पहुंचे, वहां अपना लैपटॉप ऑन किया तथा फोटो की अदला बदली की, इसी मध्य विवेक जी ने हमें बची हुई यात्रा की शुभकामना दी एवं मोहित, संजय एवं आशीष जी के साथ फ़िरोज़ाबाद की तरफ प्रस्थान किया | करीब ४५ मिनट के बाद हमारा दृश्यों की अदला बदली वाला कार्य समाप्त हुआ उसके बाद अथर्व जी के पिताजी से मुलाक़ात हुई. उसके बाद अथर्व जी से हमने विदा ली और चल दिए फ़िरोज़ाबाद की तरफ. करीब आधा घंटा की यात्रा करने के बाद आगरा के बस स्टेशन पर पहुंचे वहां बस में सामने वाली सीट पकड़ी और चल दिए.
छलेसर के पास एक बार फिरसे इंटरसिटी से मुलाकात हुई वही सुबह वाले इंजन के साथ. करीब ग्यारह बजे तक में भी घर पहुंच गया.
हमारा इतना लम्बा यात्रा वृतांत पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
जैसे ही हम लोग स्टेशन पहुंचे तो पाया की ताज सुपरफास्ट एक्सप्रेस प्लेटफार्म क्रमांक २ पर खड़ी थी.जल्दी से कैमरा चालु किया और लपके प्लेटफार्म की तरफ. लेकिन अफ़सोस की हम मामूली से विलम्बित हो गए थे. अथर्व जी केवल ताज का पिछला हिस्सा ही देख पाए और बाकी किसी को तो दर्शन भी नसीब न हुए. उसके बाद शुरू हुआ फोटोग्राफी का दौर. हम सभी ने एक से बढ़कर एक करतब दिखाते हुए तथा अनोखे ढंग से फोटोग्राफी की| उसके पश्चात मुझे और अथर्व को छोड़कर बाकी सभी लोग प्रतीक्षालय में पहुंच गए. यहाँ से कुछ ही समय बाद हमसफ़र गुजरी. उसका वीडियो लेने के बाद हम लोग झाँसी वाले छोर पर पहुंचे वहां से समता एक्सप्रेस का वीडियो लिया. उसके पश्चात् हम लोगो ने तीर्थ स्पेशल गाडी के लोको पायलट से कुछ बात की. उसी समय झाँसी की तरफ से झेलम एक्सप्रेस आती हुई दिखाई दी. उसको भी अपने कैमरे में कैद किया उसके बाद पहुंचे पटरिया पार करके मैं लाइन पर. तैयारी थी पंजाब मेल का वीडियो निकालने की उसी के लिए सही जगह का सर्वेक्षण हो रहा था इसी बीच मुख्य लाइन पर खड़ी मालगाड़ी के गार्ड ने खलल दाल दिया, उसने कहा की आप लोगो के पास अगर अनुमति नहीं है तो आप वीडियो नहीं ले सकते. हमने थोड़ा मिन्नतें की लेकिन वह नहीं माना तो हमें वहां से हटकर कोई दूसरी जगह के बारे में सोचना पड़ा लेकिन इसी बीच पंजाब मेल आ गयी. अब क्या करते क्योकि हमारे पास जगह बदलने लायक समय नहीं था. हमने उसी जगह से वीडियो लिया. अथर्व जी थोड़ा पीछे थे इसीलिए गार्ड की नजर उनपर नहीं पड़ी लेकिन गार्ड मुझको ऐसे घर रहा था मानो में बॉर्डर क्रॉस करके दूसरे देश में घुस गया होऊ | खैर वीडियो बनाने के बाद समय था RPF से अनुमति लेने का तो चल दिए हम मंच क्रमांक १ की तरफ जहा RPF थाना था. वहां पहुंचे तो पाया की कमरे के अंदर कोई भी नहीं था तो फिर में स्टेशन मास्टर के पास गया. अफ़सोस की वहां भी कोई भी नहीं था. मेने अथर्व को बताया की जब हमारे ढूंढने से कोई भी नहीं मिल रहा तो फिर ये हमें पकड़ेंगे ही क्यों | मेने सहायक स्टेशन मास्टर से पूछा तो उसने अनुमति देने से इंकार कर दिया उसका कहना था की यह उसके अधिकार छेत्र में नहीं है लेकिन वहां से निकलते ही देखा तो पाया की RPF थाने के अंदर कुछ लोग मौजूद थे. मैने उनसे दृश्य कैद करने की अनुमति लेनी चाहि तो पहले तो उन्होंने मना किया लेकिन उसके पश्चात् जब मैने अपनी पारवारिक पृष्ठभूमि और दृश्य कैद करने का कारण बताया तो उन्होंने खुली छूट देदी. उसके बाद चल पड़े उसी गार्ड के करीब से फोटोग्राफी करने लेकिन तब तक उसकी मालगाड़ी को हरा झंडा मिल गया था. उसकी गाडी जा रही थी और मैंने उसको अपना अगूंठा दिखाया, साथ ही अपना कैमरा ऊपर किया उसने वही से पूछा की अनुमति लेली क्या, तो हां में सर हिलाया उसके पश्चात् मंच क्रमांक १ पर झाँसी वाले छोर पर आ गए. उसी समय मंगला एक्सप्रेस WAG ५ के साथ झाँसी की तरफ गयी. उसका भी दृश्य कैद किया | उसके पश्चात् हम दोनों ने अपने अपने कैमरे चेक किये लेकिन उसी बीच झाँसी की तरफ से ताज एक्सप्रेस आ गयी. हम दोनों ने उसको भी कैद किया उसके बाद हम दोनों टहलते हुए ग्वालियर की तरफ वाले छोर पर आ गए. इंतज़ार था केरला एक्सप्रेस को देखने का लेकिन उसी समय धुआँ छोड़ता हुआ इंजन चम्बल एक्सप्रेस को लेकर मंच क्रमांक १ पर प्रवेश कर गया. हम लोग जल्दी से भागे और मोहित जी को फ़ोन किया तब पाया की वो लोग प्रतीक्षालय से बाहर प्लेटफार्म पर हमारा इंतज़ार कर रहे है. हमने अपना बैग उनसे ग्रहण किया और आनन् फानन में जहा जगह मिली चढ़ गए.
हम अपनी सीट पर पहुंचे तो पाया की वहां पर पहले से लोगो का कब्ज़ा है तो हमने उसके बगल वाली निचली सीट पर धावा बोल दिया. वहां जो यात्री बैठे थे उनको कहा की यह हमारी सीट है तो उन्होंने वह हमें देदी. यहाँ हमने स्थान ग्रहण किया एवं मोहित जी को फ़ोन किया तो पाया कि वहां पर ग्वालियर के बाद खिड़की मिल जायेगी. चूँकि यहाँ चार्जिंग पॉइंट नहीं था एवं मोहित जी के डब्बे में मौजूद था | इसी बीच गाड़ी चली लेकिन दतिया के घुमाव पर जाकर रुक गयी. मामूली सा रुकने के बाद फिर आगे बढ़ी |लेकिन सोनागिरि पर किसी ने जंजीर खींच दी जिसकी वजह से ये पुनः रुक गयी. हमने और अथर्व ने फैसला किया कि वेबसाइट पर अपडेट केवल १ ही ट्रिप डायरी में देंगे. इसी बीच गाडी डबरा के आउटर पर आके फिरसे ठहर गयी. कुछ समय बाद गाडी डबरा पहुंची तो यहाँ काफी जगह खाली हो गयी | अब गाड़ी ने गति पकड़ी और हम लोग तैयार थे पहाड़ो को निहारने के लिए | यहाँ अनुभव काम आया और खिड़की से बिना देखे हाथ निकाल के मैने एक दृश्य कैद किया और वो एकदम सटीक समय पर लिया गया | गाड़ी सुरंग के अंदर प्रवेश कर रही थी | कुछ ही समय बाद हम ग्वालियर पहुंच गए इसी बीच कई बार हमने हर्ष से बात करने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे | हमने अपना सामान उठाया और पहुंच गए मोहित जी के पास | यहाँ आकर अथर्व जी ने कैमरा संभाला और हमने बातें करने के लिए मोर्चा, इसी बीच बातों बातों में पता लगा कि विवेक जी ने इंटरमीडिएट कि परीक्षा हमारे ही विद्यालय से दी थी. वह हमसे १ साल पीछे थे लेकिन जब हम बारहवीं में थे तब हम स्कूल पढ़ने जाते ही नहीं थे इसीलिए हम दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे. इधर हम बातों में व्यस्त थे तो हमारा इंजन फचर फचर चिल्लाते हुए भाग रहा था. ग्वालियर पर हमारी मुलाकात सचखंड एक्सप्रेस से हुई, उत्कल के समय पर हम लोग बातें करने में व्यस्त थे. पातालकोट से घाट सेक्शन कि वजह से मुलाक़ात हो नहीं पायी. सांक पर हमारी गाड़ी कि गति थोड़ी धीमी हुई और यहाँ दुरोंतो एक्सप्रेस से मुलाकात हुई. मुरैना से थोड़ा पहले हमारी मुलाक़ात राजधानी एक्सप्रेस से हुई | कुछ ही समय में हम मुरैना जा खड़े हुए यहाँ हमें कीर्ति जी से मिलना था लेकिन हम मंच पर आये तो वो हमें दिखे नहीं. उसी समय याद आया कि हमने डब्बा बदल दिए है और वो शया ४ के पास ही हमें देख रहे होंगे. भागते हुए हम शया ४ पर पहुंचे वहां हम दोनों ने मुलाक़ात की | इसी बीच गाड़ी ने हॉर्न दे दिया और मोहित जी भी कीर्ति जी से मिलने आ गए. गाड़ी चल पड़ी तो अथर्व एवं मोहित जी तुरंत ही चढ़ गए लेकिन हम थोड़ा अपनी बात ख़तम करने में लग गए. अंदाजा नहीं था की ये धुआँ छोड़ने वाला इंजन इतनी जल्दी गति पकड़ लेगा. लेकिन सकुशल हम पीछे वाले डब्बे में चढ़ गए. इसी समय हमारी मुलाकात गोवा सुपरफास्ट से हुई | गाड़ी ने पुनः गति पकड़ी लेकिन अँधेरा उससे भी तेज गति से बढ़ता जा रहा था. चम्बल एक्सप्रेस ने चम्बल नदी को सकुशल पार किया एवं धौलपुर से ठीक पहले मुलाकात गोंडवाना सुपरफास्ट से हुई. यहाँ धौलपुर कब निकल गया पता ही नहीं चला. उस समय मुझे पता चला की इसका ठहराव धौलपुर नहीं है | उसके पश्चात गाड़ी की गति उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के साथ धीमी हुई तथा जाजऊ आते आते फिरसे पूरी गति पकड़ ली. लेकिन भांडई पर फिरसे थोड़ा धीमी हो गयी | कुछ ही समय में हम आगरा छावनी आ गए. अब शुरू हुई चार्जिंग पॉइंट की खोज क्योकि फोटो की अदला बदली के लिए लैपटॉप को चार्ज करना अनिवार्य था. पुरे प्लेटफार्म २,३,४,५ पर कोई भी चार्जिंग पॉइंट नहीं मिला तो फिर हम बेधड़क प्रतीक्षालय में जा पहुंचे, वहां अपना लैपटॉप ऑन किया तथा फोटो की अदला बदली की, इसी मध्य विवेक जी ने हमें बची हुई यात्रा की शुभकामना दी एवं मोहित, संजय एवं आशीष जी के साथ फ़िरोज़ाबाद की तरफ प्रस्थान किया | करीब ४५ मिनट के बाद हमारा दृश्यों की अदला बदली वाला कार्य समाप्त हुआ उसके बाद अथर्व जी के पिताजी से मुलाक़ात हुई. उसके बाद अथर्व जी से हमने विदा ली और चल दिए फ़िरोज़ाबाद की तरफ. करीब आधा घंटा की यात्रा करने के बाद आगरा के बस स्टेशन पर पहुंचे वहां बस में सामने वाली सीट पकड़ी और चल दिए.
छलेसर के पास एक बार फिरसे इंटरसिटी से मुलाकात हुई वही सुबह वाले इंजन के साथ. करीब ग्यारह बजे तक में भी घर पहुंच गया.
हमारा इतना लम्बा यात्रा वृतांत पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
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4 Public Posts - Wed Sep 13, 2017
हमने उसके बगल वाली निचली सीट पर धावा बोल दिया. ..
.. ..
धावा बोल दिया. .. Really.?
.. ..
धावा बोल दिया. .. Really.?
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3 Public Posts - Thu Sep 14, 2017
1 Public Posts - Sat Sep 16, 2017