ही जाना था, और वापसी में कोई भी o/n ट्रैन चलती थी । हमेशा की तरह , स्वर्ण मंदिर मेल में भारी WL थी ,
तब हमने स्वर्ण मन्दिर मेल में तत्काल कोटा में बुकिंग करायी , जो हमे 500₹ में पड़ी ।
बोरीवली से बांसवाड़ा का बस में किराया 900₹- 1200₹ तक है , इसलिये भारतीय रेल एक अच्छा विकल्प है । अब वापसी की टिकट बनाना था जिसके के लिए हमे कोई बेहतरीन विकल्प नही दिख रहा था। उस समय मुम्बई राजधानी में 200 सीट खाली थी लेकिन कीमत थी 1620₹ थी , जो बहोत ज्यादा था 624km के लिए , तब हमने IRI के कुछ दोस्तों से सलाह लिया और अंतिम में गरीब रथ फाइनल हो गयी ,इतने में सुबह के 11 बज गए थे तब
हमने 12910 में 3A के PT/TQ भर गया था।
और वातानुकूलित कुर्सी यान में 3 सीट TQ में मिल रही थी, तो हमने जल्द से इसमें बुकिंग कर दी ।इसकी कीमत हमे ₹750 पड़ी ।
और इसी के साथ रात के 21:15 बजे पिताजी स्वर्ण मंदिर में प्रवेश कर चुके थे और ट्रेन मुम्बई सेंट्रल से अपने निर्धारित समय पे रवाना हो गयी , ट्रैन में भीड़ बहोत थी, चलने की जगह पर भी यात्री अपनी रात निकालने के लिए वही सो गये , और सभी कम्पार्टमेंट के पैसेज में भी यात्री सो गये । और सुबह अपने निर्धारित समयानुसार रतलाम स्टेशन पे पहोच गयी ।
क्योंको पिताजी की सीट UB थी , तो उन्हें कोई परेशानी नही हुई । ट्रैन के शौचालय भी साफ़ सुत्रे थे, और रतलाम स्टेशन पे उनकी दोबारा सफाई हुई । GT मेल एक बहोत बढ़िया ट्रैन हे।
और आगे के कार्य के लिए रतलाम से MPSRTC की बस से बांसवाड़ा पहोच गए ।
और कार्य पूरा होते वे वहा से रवाना हो कर रतलाम स्टेशन आ गए रात 22:30 बजे ।
तो फिर वे स्टेशन के बाहर गए , और एक दुकान पे चले गये । जहाँ से उन्होंने रतलाम की
प्रसिद्ध रतलामी सेव के 6-7 पैकेट खरीद लिया ,कुछ घर के लिए और कुछ अपने मित्रों के लिए । और इंतज़ार करते करते रात के 23:25 बजे और गरीबरथ अपने समयानुसार रतलाम स्टेशन पे आ गयी । असली बात तो यहाँ से चालू होगी ।
क्योंकि पिताजी कभी भी गरीबरथ के AC CC में नही बैठे थे तो उन्होंने ऐसा अनुमान लगाया था कि, सीटिंग कोच कर्णावती एक्सप्रेस जैसा होगा 2x3 रो वाली सीट और फ्लेक्सिबल हो गी , तो वो सोच रहे थे की सीट को बेंड कर के
आराम से सो जायेंगे । फिर वो कोच में प्रवेश कर लिए और ट्रेन रवाना हो गयी अपने निर्धारित समय से । ट्रेन खचाखच भरी हुई थी ,
शौचालय पुरे तरह से गंदे हो गए थे , पर ये बात अच्छी थी की सब में पानी आ रहा था । 7M के वाशबेसिन एक दम लाल हो चूका था और उसमे बीड़ी और विमलल पान मसाला के कुछ पैकेट पड़े हुए थे । WL यात्री तो दरवाज़ा खोल के वही बैठ गये अपने सामान के साथ और कुदरती ठंडी हवा का लुफ़्फ़ उठा रहे थे , टिकट लिया ac का और हवा बाहर का । इसी के साथ पिताजी के कर्णावती एक्सप्रेस के CC कोच वाले अनुमान पे पानी फिर गया। अब
पिताजी के पास एक बैग था , जिससे रखने के लिए ऊपर लगेज रेक में जगह नही थी । तो उनहोने बैग को चलने की जगह पर रख दिया ।
और सीट पे बैठ गये । चार्जिंग के सॉकेट थे पर काम नही कर रहे थे तो बगल में बैठे एक व्यक्ति ने अपने लैपटॉप से पिताजी का फ़ोन चार्जिंग पे लगा दिया । अब तो 8 घंटे की यटी बैठ के करना था। शुरवाती एक घंटा तो निकल गया ।
अब सोना था पर लंबाई ज्यादा होने के कारण
वे फ़ीट नही हो पा रहे थे और लेग स्पेस भी बहोत कम था जिससे काफी दिक्कत हुई ।
ऐसे में रात के 1 बज गए थे और किसी ने कोच की कूलिंग बहोत तेज़ कर दी जिससे पूरा कोच अंदर से ठर गया था , तब पिताजी चादर ओढ़ कर बैठ गए । और गरीब रथ के CC में
लाइट भी बंद नही होती है , तो ये भी एक तकलीफ थी । ऐसे में कोच के अन्य यात्री अपने
चेरे पे जाड़ा टॉवल रख के सो गये , इसको देखते हुए पिताजी नेे भी अपना रुमाल मुँह पर रख दिया और सोने का प्रयत्न किया । कुछ देर बाद गरीबरथ वड़ोदरा पहोच गयी , तब तक तो
पिताजी के बदन में भारी दर्द चालू हो गया , एक सरीखे सीधे बैठने के कारण और सीट भी फ्लेक्सिबल नही होने के कारण । फिर वे स्टेशन के बेंच पे बैठ गये ।ट्रैन यहाँ से 10 मिनट की देरी से रवाना हुई थी । फिर से वही तरीके से अपने सीट पे बैठ गये । और नींद नही आने के कारण , उन्होंने अपने फ़ोन में एक मूवी देखना उच्चित समजा । फिर सुरात आ गया 04:50 पे। यहाँ पे कई यात्री उतरे और चढे ।
ऐसे में जैसे तैसे टाइम पास किया और सुबह के 7:30 बज ने की इंतज़ार कर रहे थे ।
फिर ट्रैन अपने समयनुसार बोरीवली के प्लेटफार्म क्र.8 पे आ गयी और वे उतर गये कोच से ।और कुछ देर बाद घर आये ।
घर आते ही हमें फटकार लगाते हुए कहने लगे की " इतना बदन दर्द आज तक कभी नही हुआ जो पिछले 6 घंटे में हो गया" । और कहने लगे की जयपुर मुम्बई सुपरफास्ट एक्स. में wl टिकट बनाया होता तो भी चलता था ,
दरवाज़ा के पास बैठना आसान है , गरीबरथ के CC के मुकबाले । और अंत में कहने लगे की ,
किसी से अगर बदला लेना हो तो उसे मुम्बई से दिल्ली इस कोच में बिठा के भेज दो ।😁😁 .. और सीख देते हुए हमें कहा कि wl टिकट लेके चले जाओ किसी भी ट्रेन में , पर गरीबरथ में कभी मत जाना , इसी के साथ यह भी कहा कि कर्णावती एक्सप्रेस के 2S कोच बहोत बढ़िया है , भरपूर जगह हे पैरो के लिए और सीट भी फ्लेक्सिबल है ।
इससे हमें अफसोस होते हुए लगा की 850₹ और देकर राजधानी में ही टिकट करा देना चाहिए था ।
one grand salute to all those passenger , who r travelling in garibrath AC CC . and that to e2e passengers of GR such as ANVT BGP / LTT KCVL / BDTS NZM as
they deserve it...
#dharmesh_soni