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Blog Entry# 2684456
Posted: Nov 12 2017 (00:32)
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Last Response: Nov 12 2017 (15:10)
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asingh601~
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Nov 12 2017 (15:44)
Blog Category Changed: Info Update by SBI WDP4D LGD WAP7🔁Bikaner Secunderabad Express/1747726
Nov 12 2017 (00:34)
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Blog Category Changed: Info Update by SBI WDP4D LGD WAP7🔁Bikaner Secunderabad Express/1747726
Nov 12 2017 (00:34)
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OLD NEWS of PIT LINE found when it introduced to have construction at Marauda its 2015 news.
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20 दुकान, 130 मकान बने मैदान, रेलवे की जमीन के कब्जे साफ
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20 दुकान, 130 मकान बने मैदान, रेलवे की जमीन के कब्जे साफ
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Sun, 17 May 2015 09:06 PM (IST)
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भिलाई। मरोदा में बनने वाली वाशिंग लाइन व यार्ड में आड़े आ रही 20 दुकान व 130 मकानों को तोड़ने के लिए रविवार को रेलवे और प्रशासन ने बड़ा अभियान चलाया। सुबह सात बजे से शुरू हुई कार्रवाई शाम चार बजे तक चली। इस दौरान रेलवे की जमीन को कब्जा मुक्त कर मैदान बना दिया गया।
इस दौरान लोगों आक्रोश भी फूटा लेकिन भारी संख्या में पुलिस व आरपीएफ का बल होने के कारण कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। कांग्रेसियों ने भी जाम लगाने की कोशिश की।
मरोदा रेलवे स्टेशन के पास रेलवे की नई वाशिंग लाइन व यार्ड प्रस्तावित है। स्टेशन के आसपास रेलवे की करीब 300 एकड़ जमीन है। इस पर लोगों ने अवैध कब्जा कर मकान बना लिए। मरोदा रेलवे स्टेशन में नई वाशिंग लाइन व रैक रखने एवं उनके मेंटेनेंस के लिए यार्ड प्रस्तावित होने के बाद से ही इसके दायरे में आने वाले कब्जों को तोड़ने की कवायद शुरू हो गई थी।
तकरीबन एक साल पहले मार्किंग कर लोगों को रेलवे ने नोटिस भी जारी किया। पिछले तीन माह में यहां के लोगों को आठ बार नोटिस देकर दूसरी जगह शिफ्ट होने कहा गया। रविवार को कार्रवाई की मुनादी भी कराई गई। कई लोगों ने इस बीच घरों को खाली कर दिया था जो बच गए वे आज कार्रवाई के दौरान अपने सामान समेटते रहे।
2010 में हुआ था टेंडर
मरोदा में वाशिंग लाइन व यार्ड के लिए 2010 में टेंडर किया गया था। दुर्ग रेलवे स्टेशन पर यात्री ट्रेनों की बढ़ती संख्या के कारण मरोदा में तीन वाशिंग लाइन बनाने का निर्णय हुआ। इसी प्रकार रावघाट परियोजना व जेपी सीमेंट के रैक आने के बाद इन्हें रखने के लिए यार्ड बनना भी तय हुआ। इन दोनों के लिए मरोदा रेलवे स्टेशन का चयन किया गया। वाशिंग लाइन का काम भी शुरू कर दिया गया। वहीं यार्ड बनाने का काम शुरू किया जाना है।
10 घंटे तक चली कार्रवाई
अवैध कब्जों को हटाने के लिए आज शुरू की गई कार्रवाई करीब 10 घंटे तक चली। सुबह सात बजे मरोदा स्टेशन के बांयी ओर से कब्जों को तोड़ना शुरू किया गया। मौके पर मौजूद 17 जेसीबी में से आठ जेसीबी मशीनों को बस्ती के अंदर बाहर एक साथ कब्जे तोड़ने के लिए लगा दिया गया। कुछ ही घंटों में तोड़फोड़ की कार्रवाई तेज हो गई और देखते ही देखते 150 कब्जों को जमींदोज कर दिया गया।
दुकानदारों से बहस
सुबह कार्रवाई शुरू होते ही जिन दुकानों को तोड़ना शुरू किया गया उन दुकानदानों से बहस भी हुई। इस दौरान प्रशासन के वाहनों के सामने खड़े हो गए थे। एक पुलिस अधिकारी ने तो विरोध कर रहे एक व्यक्ति को जोरदार मुक्का भी ज़ ड दिया। काफी शोर शराबे व विरोध के बीच प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हुई तो पूरा काम होने के बाद ही बंद हुआ। इस दौरान कई बार लोग अधिकारियों के पास आते रहे और तोड़फोड़ बंद करने की मांग करते रहे।
कांग्र ेसियों ने किया प्रदर्शन
कार्रवाई शुरू होने के बाद युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता व पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर मौके पर पहुंची। युवक कांग्रेसियों ने सड़क पर बैठकर चक्काजाम करने का प्रयास किया, लेकिन मौके पर उपस्थित पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर कांग्र ेसियों को हिरासत में ले लिया गया। कांग्र ेसी विरोध में गिरफ्तारी देना चाह रहे थे लेकिन पुलिस ने इन्हें बस में बिठाया और दूर ले जाकर छो़ ड दिया। विरोध करने पहुंची पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर ने इनके व्यवस्थापन की मांग की।
घरों में बोर तक खोद लिए थे
रेलवे की जमीन पर कब्जे करने वालों ने यहां पर पक्के मकान बना लिए थे। उजा़ डे गए 150 मकानों को बनाने में लोगों ने लाखों खर्च किए। कब्जेदारों ने अपने घरों में पानी की सुविधा के लिए बोर तक खोद रखे थे जो अब बेकार हो गए। रेलवे की कार्रवाई के बाद लोगों को कुछ नहीं मिला। लोगों के अपने आशियाने उज़ डने का गम तो था ही इसके अलावा इस बात की भी चिंता थी कि ऐसा आशियाना वे दोबारा बना पाएंगे या नहीं।
बिजली विभाग ने काटे कनेक्शन
कार्रवाई के दौरान बिजली विभाग ने कनेक्शन काट दिए और 70 मीटर भी अपने कब्जे में ले लिए। रिसाली वितरण केन्द्र के जेई सरफराज खान ने बताया कि कई मीटर मलबे में दबे होंगे। करीब 80 हजार रुपए के मीटर मलबे में दबे होने की आशंका है।
मदरसा टूटने से बच्चे हुए बेघर
रेलवे की कार्रवाई की चपेट में यहां का एक मदरसा भी आया। इस मदरसे में 45 बच्चे रह रहे थे। सभी बच्चों को मरोदा में ही स्थित एक अन्य मदरसे में रखा गया। इसी प्रकार आशियाना टूटने से बेघर हुए कई लोग शासकीय स्कूल में पहुंच गए। प्रशासन ने बेघर हुए लोगों के व्यवस्थापन की अब तक कोई व्यवस्था नहीं की।
बेबस आंखों से देखा उज़ डता आशियाना
इधर रेलवे की कार्रवाई जारी थी तो उधर कई लोगों के आंखों में आंसू थे। बेबस आखों में आंसूओं के साथ लोग अपने उज़ डते आशियाने को देखते रहे। प्रशासन को कुछ नहीं कह पाने की विवशता भी लोगों की आंखों में साफ देखी जा सकती थी। कार्रवाई के बीच विवशता के साथ घर का सामान खाली कर रहे थे।
इनका कहना है
नियमानुसार हुई कार्रवाई
रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे थे। रेलवे ने नियमानुसार सभी कब्जेधारियों को साल भर पहले ही नोटिस जारी कर दिया गया था। पिछले तीन माह में कई बार इन्हें नोटिस जारी किया गया था। आज नियमानुसार ही कार्रवाई की गई।
-एके वाजपेयी, एसडीएम दुर्ग
अधिक विरोध नहीं
लोगों ने कार्रवाई का ज्यादा विरोध नहीं किया। कुछ जगहों पर थोड़ी तकरार जरूर हुई लेकिन बाद में सब कुछ ठीक हो गया। पुलिस बल की मौजूदगी में सभी चिन्हांकित कब्जों को हटा लिया गया।
-राजेश अग्रवाल, एएसपी सिटी
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भिलाई। मरोदा में बनने वाली वाशिंग लाइन व यार्ड में आड़े आ रही 20 दुकान व 130 मकानों को तोड़ने के लिए रविवार को रेलवे और प्रशासन ने बड़ा अभियान चलाया। सुबह सात बजे से शुरू हुई कार्रवाई शाम चार बजे तक चली। इस दौरान रेलवे की जमीन को कब्जा मुक्त कर मैदान बना दिया गया।
इस दौरान लोगों आक्रोश भी फूटा लेकिन भारी संख्या में पुलिस व आरपीएफ का बल होने के कारण कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। कांग्रेसियों ने भी जाम लगाने की कोशिश की।
मरोदा रेलवे स्टेशन के पास रेलवे की नई वाशिंग लाइन व यार्ड प्रस्तावित है। स्टेशन के आसपास रेलवे की करीब 300 एकड़ जमीन है। इस पर लोगों ने अवैध कब्जा कर मकान बना लिए। मरोदा रेलवे स्टेशन में नई वाशिंग लाइन व रैक रखने एवं उनके मेंटेनेंस के लिए यार्ड प्रस्तावित होने के बाद से ही इसके दायरे में आने वाले कब्जों को तोड़ने की कवायद शुरू हो गई थी।
तकरीबन एक साल पहले मार्किंग कर लोगों को रेलवे ने नोटिस भी जारी किया। पिछले तीन माह में यहां के लोगों को आठ बार नोटिस देकर दूसरी जगह शिफ्ट होने कहा गया। रविवार को कार्रवाई की मुनादी भी कराई गई। कई लोगों ने इस बीच घरों को खाली कर दिया था जो बच गए वे आज कार्रवाई के दौरान अपने सामान समेटते रहे।
2010 में हुआ था टेंडर
मरोदा में वाशिंग लाइन व यार्ड के लिए 2010 में टेंडर किया गया था। दुर्ग रेलवे स्टेशन पर यात्री ट्रेनों की बढ़ती संख्या के कारण मरोदा में तीन वाशिंग लाइन बनाने का निर्णय हुआ। इसी प्रकार रावघाट परियोजना व जेपी सीमेंट के रैक आने के बाद इन्हें रखने के लिए यार्ड बनना भी तय हुआ। इन दोनों के लिए मरोदा रेलवे स्टेशन का चयन किया गया। वाशिंग लाइन का काम भी शुरू कर दिया गया। वहीं यार्ड बनाने का काम शुरू किया जाना है।
10 घंटे तक चली कार्रवाई
अवैध कब्जों को हटाने के लिए आज शुरू की गई कार्रवाई करीब 10 घंटे तक चली। सुबह सात बजे मरोदा स्टेशन के बांयी ओर से कब्जों को तोड़ना शुरू किया गया। मौके पर मौजूद 17 जेसीबी में से आठ जेसीबी मशीनों को बस्ती के अंदर बाहर एक साथ कब्जे तोड़ने के लिए लगा दिया गया। कुछ ही घंटों में तोड़फोड़ की कार्रवाई तेज हो गई और देखते ही देखते 150 कब्जों को जमींदोज कर दिया गया।
दुकानदारों से बहस
सुबह कार्रवाई शुरू होते ही जिन दुकानों को तोड़ना शुरू किया गया उन दुकानदानों से बहस भी हुई। इस दौरान प्रशासन के वाहनों के सामने खड़े हो गए थे। एक पुलिस अधिकारी ने तो विरोध कर रहे एक व्यक्ति को जोरदार मुक्का भी ज़ ड दिया। काफी शोर शराबे व विरोध के बीच प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हुई तो पूरा काम होने के बाद ही बंद हुआ। इस दौरान कई बार लोग अधिकारियों के पास आते रहे और तोड़फोड़ बंद करने की मांग करते रहे।
कांग्र ेसियों ने किया प्रदर्शन
कार्रवाई शुरू होने के बाद युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता व पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर मौके पर पहुंची। युवक कांग्रेसियों ने सड़क पर बैठकर चक्काजाम करने का प्रयास किया, लेकिन मौके पर उपस्थित पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर कांग्र ेसियों को हिरासत में ले लिया गया। कांग्र ेसी विरोध में गिरफ्तारी देना चाह रहे थे लेकिन पुलिस ने इन्हें बस में बिठाया और दूर ले जाकर छो़ ड दिया। विरोध करने पहुंची पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर ने इनके व्यवस्थापन की मांग की।
घरों में बोर तक खोद लिए थे
रेलवे की जमीन पर कब्जे करने वालों ने यहां पर पक्के मकान बना लिए थे। उजा़ डे गए 150 मकानों को बनाने में लोगों ने लाखों खर्च किए। कब्जेदारों ने अपने घरों में पानी की सुविधा के लिए बोर तक खोद रखे थे जो अब बेकार हो गए। रेलवे की कार्रवाई के बाद लोगों को कुछ नहीं मिला। लोगों के अपने आशियाने उज़ डने का गम तो था ही इसके अलावा इस बात की भी चिंता थी कि ऐसा आशियाना वे दोबारा बना पाएंगे या नहीं।
बिजली विभाग ने काटे कनेक्शन
कार्रवाई के दौरान बिजली विभाग ने कनेक्शन काट दिए और 70 मीटर भी अपने कब्जे में ले लिए। रिसाली वितरण केन्द्र के जेई सरफराज खान ने बताया कि कई मीटर मलबे में दबे होंगे। करीब 80 हजार रुपए के मीटर मलबे में दबे होने की आशंका है।
मदरसा टूटने से बच्चे हुए बेघर
रेलवे की कार्रवाई की चपेट में यहां का एक मदरसा भी आया। इस मदरसे में 45 बच्चे रह रहे थे। सभी बच्चों को मरोदा में ही स्थित एक अन्य मदरसे में रखा गया। इसी प्रकार आशियाना टूटने से बेघर हुए कई लोग शासकीय स्कूल में पहुंच गए। प्रशासन ने बेघर हुए लोगों के व्यवस्थापन की अब तक कोई व्यवस्था नहीं की।
बेबस आंखों से देखा उज़ डता आशियाना
इधर रेलवे की कार्रवाई जारी थी तो उधर कई लोगों के आंखों में आंसू थे। बेबस आखों में आंसूओं के साथ लोग अपने उज़ डते आशियाने को देखते रहे। प्रशासन को कुछ नहीं कह पाने की विवशता भी लोगों की आंखों में साफ देखी जा सकती थी। कार्रवाई के बीच विवशता के साथ घर का सामान खाली कर रहे थे।
इनका कहना है
नियमानुसार हुई कार्रवाई
रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे थे। रेलवे ने नियमानुसार सभी कब्जेधारियों को साल भर पहले ही नोटिस जारी कर दिया गया था। पिछले तीन माह में कई बार इन्हें नोटिस जारी किया गया था। आज नियमानुसार ही कार्रवाई की गई।
-एके वाजपेयी, एसडीएम दुर्ग
अधिक विरोध नहीं
लोगों ने कार्रवाई का ज्यादा विरोध नहीं किया। कुछ जगहों पर थोड़ी तकरार जरूर हुई लेकिन बाद में सब कुछ ठीक हो गया। पुलिस बल की मौजूदगी में सभी चिन्हांकित कब्जों को हटा लिया गया।
-राजेश अग्रवाल, एएसपी सिटी
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Railway ki jameen pe har jagah kabja hai kumhari me bhi itne sare log reh rahe hai ki kya bataye
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