रेल्वे की लापरवाही और बेहोशी ने एक नवोदयन की जान ले ली......इंसाफ की लड़ाई में साथ दे !!
अजय अमरूते नवोदय विद्यालय बैतूल के 2009 बैच के छात्र थे । कोल इंडिया लिमिटेड में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत थे । वे कुछ दिनों की छुट्टी पर अपने गाँव जूनापानी आ रहे थे। 25 जनवरी की रात 1:47 बजे छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से बैतूल जिले के मुलताई रेल्वे स्टेशन पर उतरते वक़्त उनका एक्सिडेंट हो गया और इस वजह से 26 जनवरी को सुबह 11:45 बजे नागपुर के स्यूरटेक हॉस्पिटल में इलाज़ के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
रेल्वे...
more... की लापरवाही के कारण ये एक्सिडेंट हुआ है जिसने उनकी जान ले ली।
1. मुलताई रेल्वे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 1 की ऊंचाई ट्रेन के फ्लोर के लेवल में नहीं है। कुछ जगहों पर 2 फीट तक का भी अंतर है।
2. ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच में भी सामान्य से कहीं ज़्यादा गैप है।
3. सबसे बड़ी बात ये है कि प्लेटफॉर्म पर कुछ जगहों पर लाइटिंग की भी व्यवस्था नहीं है जिस वजह से रात में उतरने वाले यात्रियों को प्लेटफॉर्म की खामियाँ नज़र नहीं आती।
4. कानूनी कार्रवाई के डर से आज भी कोई व्यक्ति किसी घायल व्यक्ति की मदद करने से कतराता है और घायल व्यक्ति को समय पर मदद नहीं मिल पाती।
5. उस रात मुलताई स्टेशन पर भी यही हुआ था। स्टेशन पर उतरते वक़्त अजय भैया का ट्रेन के पायदान में पैर फस गया था और उसी वक़्त ट्रेन आगे बढ़ने लगी जिस वजह से उन्हें संभलने का मौका भी नहीं मिल। जब उनका पैर फंसा तो वे ज़ोर ज़ोर से चिल्लाये भी लेकिन किसी ने उनकी आवाज़ नहीं सुनी और उनका एक हाथ और एक पैर कट गया। वहाँ मौजूद लोगों ने भी मदद करने से इनकार कर दिया। यहाँ तक कि रेल्वे के एक कर्मचारी ने भी ये कह कर मदद से इनकार कर दिया कि उसके एक हाथ में फ्रेक्चर है। यहाँ तक कि उसने स्ट्रेचर देने से भी मना कर दिया। हादसे के बाद जब अजय भैया ट्रेक पर मदद की गुहार लगा रहे थे तब वहाँ एक व्यक्ति मोबाइल से विडियो बना रहा था।
6. रेल्वे की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिली। मौके पर मौजूद उनके छोटे भाई को ही परिजनों को फोन करके घटना स्थल पर बुलाना पड़ा।
7. एंबुलेंस भी वक़्त से बहुत लेट आई। करीब 45 से 50 मिनट देरी से आई। तब तक बहुत खून बह चुका था।
8. मुलताई के सरकारी अस्पताल में भी पहला उपचार सही तरीके से नहीं हुआ। हॉस्पिटल का कंपाउंडर भी घर पर सो रहा था जिसे काफी मुश्किल से घर से जगा कर लाना पड़ा।
मुलताई से उन्हें नागपुर ले जाया गया। नागपुर के हॉस्पिटल पहुँचते तक वे होश में थे। लगातार जूझ रहे थे मौत से। अजय भैया इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं थे। वे तो हम सब की प्रेरणा थे। लेकिन वे हार गए। हम सब हार गए। वे हमारे बीच नहीं रहे।
उनकी मौत के लिए रेल्वे पूरी तरह जिम्मेदार है। मुलताई स्टेशन पर कुछ भी व्यवस्था नहीं है। आए दिन हादसे होते रहते है। 25 जनवरी को हुए इस हादसे के अगले दिन ही रेल्वे के लोगों ने उस जगह पर प्लेटफॉर्म पर कुछ काम करवा दिया, पुताई कर दी और लाइट लगवा दिया। रेल्वे की लापरवाही और बेहोशी ने उनकी जान ले ली। रेल्वे को इस हादसे की ज़िम्मेदारी लेनी होगी।
हम चुप नहीं बैठेंगे, जब तक रेल्वे आगे आकर हादसे की ज़िम्मेदारी स्वीकार नहीं करता, माफी नहीं मांगता और स्टेशन की सुविधाएं ठीक नहीं करता हम चुप नहीं बैठेंगे। हम चाहते है कि अजय भैया के साथ न्याय हो और भविष्य में और किसी को अपनी ज़िंदगी ना गवानी पड़े।
इस लड़ाई में हमारे साथ पूरा नवोदय विद्यालय परिवार,संपूर्णाकाश फ़ाउंडेशन मुलताई और जिले के सभी नागरिक सम्मिलित हैं। हम अंत तक लड़ेंगे।
सभी नवोदयन से निवेदन है कि इस आंदोलन में साथ दे और इस बात को रेल्वे मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुँचाने में मदद करें।
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