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कोशी की जीवन रेखा — मानसी सहरसा रेलखंड - Prabhat Sharan

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Blog Entry# 4604023
Posted: Mar 29 2020 (13:03)

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Travelogue
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12

★★
Mar 29 2020 (13:03)   15097/Bhagalpur - Jammu Tawi Amarnath Express (PT) | JAT/Jammu Tawi (3 PFs)
Subrat Shrivastava
Subrat Shrivastava   29709 blog posts
Entry# 4604023            Tags   Past Edits
Part2-/blog/post/4604232
My travel experience to Jammu in 2013.
ये ट्रैवल ब्लोग से जायदा इस बात का ब्लोग है कि मै रेलफैन कैसे बना।
5 अप्रैल 2013 को आखिरकार जम्मू तवी जाने का प्लान बना।उस वक्त में 8 क्लास में पढ़ता था।मुझे जम्मू जाने से जायदा एक्साइटमेंट इस बात का था कि मै ट्रेन में बैठने वाला हूं क्युकी मै 7-8 साल बाद ट्रेन
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से सफर करने वाला था।मेरी ट्रेन मुजफ्फरपुर से जम्मू तक बरौनी-जम्मूतवी अमरनाथ सुपरफास्ट एक्सप्रेस थी जो अब भागलपुर जम्मूतवी अमरनाथ एक्सप्रेस है।और मेरा टिकट AC 2टियर में था,मै पहली बार ट्रेन के एसी कोच में सफर करने वाला था,इस बात की भी बोहोत एक्साइटमेंट थी मुझे।
मुझे बचपन से ही ट्रेन/इंजन बोहोत पसंद थी खासकर इंजन पर उस वक्त तक मुझे रेलवे की कोई भी जानकारी नहीं था,ना किसी ट्रेन का नाम पता था,ना इंजन का ना रूट का ना आईसीएफ एलएचबी का,कुछ जानकारी नहीं थी मुझे रेलवे की।पर इस जर्नी की वजह से सब मालूम हो गया था।
ट्रेन सुबह 8 बजे आने वाली थी,मै प्लेटफॉर्म 4 पर बैठा था, यार्ड में आनंद विहार गरीबरथ लगी हुई थी।ट्रेन गोंडा WDM3Aके साथ प्लेटफॉर्म 3 पर आईं।ट्रेन खाली ही थी,मै अपना एसी कोच के अंदर गया,अंदर पूरा ठंडा था और हर बर्थ पर पर्दे लगे हुए थे।मै विंडो साइड जाके बैठ गया और ट्रेन स्टार्ट हो गई। कोच खाली था तो मै कभी लिफ्ट सेइड की विंडो सीट पर बैठ जाता फिर कभी राइट साइड की विंडो सीट पर जिससे मुझे दोनों तरफ का नजारा दिखे।धीरे धीरे कोच भरना चालू हुए फिर मुझे अपनी विंडो सीट पर ही बैठना पड़ा।उस वक्त मै रेल फैन नहीं था तो बीच के जर्नी में कुछ बताने के लिए है ही नहीं पर एक चीज अभी भी याद है कि ट्रेन जब सहारनपुर या मुरादाबाद स्टेशन पर अगले दिन पोहोची थी तो मैने वाहा पर एक डबल देकर ट्रेन को देखा था जो येलो और रेड लिवरी में था।ट्रेन के जम्मू एरिया में पोहोचते ही बोहोत बड़े बड़े पहाड़ दिखाई दे रहे थे जिसमे बर्फ भी थी।बाहर सिर्फ पहाड़ ही पहाड़ थे।कुछ घंटो बाद ट्रेन जम्मू स्टेशन पोहोचि।वो स्टेशन बोहोत खुला खुला था और बोहोत अच्छा था।स्टेशन के बाहर आर्मी वाले बोहोत थे बंदूक के साथ। वाहा रोड पर आर्मी के ट्रक्स बोहोत चलते है।जम्मू में पहाड़ बोहोत है जो मै पहली बार देख रहा था।जम्मू स्टेशन से मुझे रूम तक जाने में 1-2 घंटे लगे गाड़ी से।जम्मू में उस वक्त कंस्ट्रक्शन भी बोहोत हो रहा था रोड का और पहाड़ पर कुछ खुदाई भी ही रही थी हर जगह।
फिर कुछ दिन बाद मै वाहा से वैष्णो देवी कटरा गया।2013 में कटरा तक रेलवे लाइन नहीं थी तो कार से जाते थे सब्लोग।जम्मू जाते समय तो मै बस ट्रेन में बैठा बैठ बाहर का नजारा देखते हुए गया पर वापसी में मै ट्रेन पर थोड़ा जायदा ध्यान दिया जिससे मुझे थोड़ा बोहोत कुछ पता चला।
Part2 will upload later🙏.

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