केंद्र की ओर से मदद मिलती है। मार्च 2020 से ही सहिया कोविड-19 से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। इनमें कोविड-19 के निवारक उपायों के बारे में जागरूकता पैदा करना, जैसे साबुन और पानी से लगातार हाथ धोना, सार्वजनिक स्थानों पर बाहर निकलते समय मास्क/फेस कवर का उपयोग करना, खांसी और छींकने आदि के दौरान उचित शिष्टाचार का पालन करना आदि शामिल हैं। वे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, लाइन लिस्टिंग और कोविड-19 मामलों का पता लगाने में भी सहयोग कर रही है।
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click hereजून में 90,917 करोड़ रुपये का सकल जीएसटी राजस्व का संग्रह हुआ
जून, 2020 में सकल जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) राजस्व संग्रह 90,917 करोड़ रुपये का हुआ जिसमें सीजीएसटी 18,980 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 23,970 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 40,302 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर संग्रहीत 15,709 करोड़ रुपये सहित) और उपकर (सेस) 7,665 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर संग्रहीत 607 करोड़ रुपये सहित) हैं। जून, 2020 में राजस्व पिछले साल के इसी महीने में अर्जित जीएसटी राजस्व का 91% है। कोविड-19 के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान राजस्व काफी प्रभावित हुआ है, जिसका एक कारण महामारी का व्यापक आर्थिक प्रभाव और दूसरा कारण महामारी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा रिटर्न दाखिल करने और करों के भुगतान में दी गई ढील है। हालांकि, पिछले तीन महीनों के आंकड़े जीएसटी राजस्व में सुधार या बेहतरी दर्शाते हैं।
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click hereपेट्रोलियम उत्पादों की मांग धीरे-धीरे सामान्य हो रही है
भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत जो इस वर्ष मार्च और अप्रैल के अंतिम सप्ताह में गिर गई थी अब धीरे-धीरे सुधरकर जून में पूर्व लॉकडाउन के स्तर पर आ रही है। तेल विपणन कंपनियों इंडियन आयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के बिक्री आंकड़ों से यह बात सामने आयी है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल खपत वाले देश भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री कोविड महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए देशव्यापी लाकडाउन की वजह से 2007 के बाद से सबसे कम हो गई थी। क्रमिक रूप से लॉकडाउन में ढील दिए जाने और चरणबद्ध तरीके से अर्थव्यवस्था को अनलॉक करने की शुरुआत के साथ, औद्योगिक गतिविधि और लोगों की आवाजाही फिर से शुरू करने की अनुमति मिलने के साथ जून' 20 में कुल पेट्रोलियम उत्पादों की खपत 88% (11.8 एमएमटी) तक पहुंच गई जबकि जून 2019 में यह (13.4 एमएमटी) थी। खपत में तेजी उत्पादन, औद्योगिक तथा परिवहन गतिविधियों का बढ़ना आर्थिक क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों में वृद्धि का संकेत है।
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click hereसंघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा, 2020 और भारतीय वन सेवा परीक्षा, 2020
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा, 2020 और भारतीय वन सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा, 2020 का आयोजन 4 अक्तूबर 2020 (रविवार) को पूरे भारत में संशोधित कार्यक्रम/और इसके तहत 5 जून 2020 को प्रकाशित आरटीएस के अनुसार करेगा। सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा, 2020 [भारतीय वन सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा, 2020] के उम्मीदवारों की बड़ी संख्या में परीक्षा केंद्रों को बदलने के लिए उनकी ओर से प्राप्त अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने उन्हें दोबारा अपने पंसद का केन्द्र चुनने का विकल्प देने का फैसला किया है। इसके अलावा सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा, 2020 और भारतीय वन सेवा (मुख्य) परीक्षा, 2020 के लिए भी उम्मीदवारों को अपने पंसद का केन्द्र चुनने का विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है।
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click hereप्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत अप्रैल-नवंबर, 2020 के दौरान खाद्यान्नों (चावल और गेहूं) और दालों के वितरण के लिए अनुमानित लागत लगभग 1,48,938 करोड़ रुपये है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को नवंबर, 2020 के अंत तक बढ़ाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि पीएमजीकेएवाई योजना को जुलाई से नवंबर, 2020 के अंत तक बढ़ा दिया गया है। इस पांच महीने की अवधि के दौरान 80 करोड़ से अधिक लोगों को प्रति माह प्रत्येक परिवार को 1 किलो मुफ्त साबूत चने के साथ प्रति सदस्य को 5 किलो मुफ्त गेहूं/चावल प्रदान किया जाएगा। इस प्रकार, खाद्यान्न (चावल और गेहूं) और दालों के वितरण की अनुमानित लागत लगभग 1,48,938 करोड़ रुपये होगी, जिसमें कुल अनुमानित व्यय रुपये 46,061 करोड़ का वहन भारत सरकार द्वारा खाद्यान्न सब्सिडी और अंतर-राज्य परिवहन, डीलर के मार्जिन सहित ईपीओएस के उपयोग पर खर्च के लिए किया जायेगा।
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click hereकेन्द्रीय गृह मंत्री ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार कर गरीबों को नवंबर तक मुफ्त राशन देने के लिए प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया
श्री अमित शाह ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि “गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार श्री नरेन्द्र मोदी जी की करोड़ों गरीबों के प्रति संवेदनशीलता और उनके कल्याण के प्रति कटिबद्धता को दर्शाता है।
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click hereकेन्द्रीय कृषि और किसान कल्याiण मंत्री ने किसानों से अपील की कि वे खरीफ मौसम के दौरान अधिकतम फसल उत्पादन के लिए कृषि संबंधी सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रणाली अपनाएं
केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों अपील की है कि वे खेती को एक लाभकारी कार्य बनाने के लिए खेत के प्रकार को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रकार की फसलें उगाएं। देश के किसानों को एक पत्र में, श्री तोमर ने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून की शुरुआत के साथ, कई जगहों पर फसलों की बुवाई पूरी हो चुकी है, और अन्य क्षेत्रों में प्रक्रिया जारी है। श्री तोमर ने अपने पत्र में कहा है कि वह किसानों से संवाद कर रहे हैं ताकि उन्हें उत्पादन बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कृषक समुदाय की निष्ठा की सराहना करते हुए श्री तोमर ने कहा कि कृषि उत्पादन देश की अर्थव्यवस्था की धुरी बन गया है; कृषि और गांव आत्मनिर्भर भारत के केन्द्र में हैं।
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