भिलाई। 13 और 26 मीटर की रेल पटरी का उत्पादन करने वाली रेल मिल में लगभग एक माह से पूर्व की तरह आर्डर नहीं है। रेलवे ने किसी तरह लगभग 20,000 टन का आर्डर दिया था, इसे कुछ ही दिन में पूरा कर लिया गया। हाल बेहाल होते ही कर्मचारियों और अधिकारियों ने भी सवाल उठाना शुरू कर दिया है। 1960 से रेल पटरी बनाने वाले मिल का आधुनिकीकरण नहीं होने की वजह से यह वर्तमान में पिछड़ रही है।
एक समय नारा दिया जाता था कि 'रेल है तो सेल है'। 2001 से लेकर 2004 तक रेल उत्पादन दोगना कर पूरे सेल का भार उठाने वाली मिल की हालत पिछले एक माह से खराब सी हो गई है,...
more... क्योंकि रेलवे ने 13 मीटर और 26 मीटर की रेल पटरी फिलहाल लेने से मना कर दिया है।
कोरोना संक्रमण काल और लाकडाउन की वजह से रेल परिवहन महीनों से बंद था। अब कुछ ट्रेनों का परिचालन शुरू हो चुका है, लेकिन आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है। रेलवे के पास फंड नहीं होने की वजह से ज्यादातर परियोजनाओं को भी रोक दिया गया है। इसलिए वह 78 मीटर और 130 मीटर लंबी रेल पटरी ही ले रहा है।
कोरोना काल में भी रेल मिल और यूनिवर्सल रेल मिल-यूआरएम ने अपना उत्पादन जारी रखा था। भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी बता रहे हैं कि रेल मिल में 22 अक्टूबर 1960 को उत्पादन शुरू हुआ था। तब से लेकर अब तक इसकी तकनीक में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किया गया है। न ही किसी तरह का आधुनिकीकरण किया गया। इस मिल को लगातार चलाते रहे। पुराने मिल एवं पुरानी मशीनरी यूनिवर्सल रेल मिल के सामने कुछ नहीं है।
यहां के कर्मचारी एवं अधिकारी अपने आंतरिक संसाधनों से मिल को बेहतर एवं आसान तरीके से चलाने के लिए काम करते रहे। रेल पटरी उत्पादन करने के सुझाव पर अमल करते हुए इस मिल में गुणवत्तायुक्त रेल पटरी का उत्पादन करते आ रहे थे। लेकिन छोटी पटरी की मांग नहीं होने से यहां बन रही पटरी को यार्ड में ही डंप किया जा रहा है।
कर्मियों में छाई मायूसी, सता रहा डर
इधर, कर्मियों में मायूसी छाई है। जब से रेल मिल में उत्पादन चालू हुआ है। रेलवे लगातार ज्यादा से ज्यादा रेल पटरी की मांग करता रहा है। रेल मिल का उत्पादन जब शुरू हुआ, उस वक्त इसकी क्षमता मात्र 3,00,000 टन वार्षिक थी। लेकिन रेलवे के दबाव की वजह से न यहां कभी उत्पादन बंद नहीं हुआ। आंतरिक संसाधनों से रेल मिल की टीम लगातार उत्पादन को बढ़ाते हुए लगभग 8,00,000 टन वार्षिक रेल का उत्पादन भी किया है। वर्तमान स्थिति में अचानक से उत्पादन में आई गिरावट या बंद जैसी स्थिति को देखकर कर्मी मायूस है। कर्मियों को यह भी डर सता रहा है कि कहीं इसका भी हाल बीबीएम या एसएमएस-1 की तरह ना हो जाए।
हैवी स्ट्रक्चर और आइसोमेट्रिक रेल पटरी का उत्पादन जारी
रेल पटरी उत्पादन के जानकारों का कहना है इस मिल को बचाने के लिए प्रबंधन लगातार प्रयास कर रहा है। वर्तमान में यहां हैवी स्ट्रक्चर, आइसोमेट्रिक रेल पटरी और 78 मीटर लंबी रेल पटरी का उत्पादन जारी है। इसकी वजह से बीवीएम या एसएमएस-1 जैसी स्थिति नहीं आएगी। जानकार यह भी कह रहे हैं कि आने वाले दिनों में अगर ऐसे ही लांग रेल की डिमांड रही तो इस मिल को भी 78 मीटर लंबी पटरी की ढलाई के लिए यहां भी आधुनिकरण किया जा सकता है। एक समय ऐसा था ईरान ने 18 मीटर रेल पटरी की मांग की थी। भारतीय रेलवे का आर्डर अधिक होने की वजह से ईरान के आर्डर को पूरा नहीं किया जा सका था। इस आर्डर को बाद में जिंदल ने पूरा किया।