बिलासपुर । पर्यावरण संरक्षण, पारंपरिक खानपान व शैली और स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए रेलवे ने अनूठी पहल की है। इसके तहत देशभर के 400 स्टेशनों का चयन कर वहां भोजन व चाय-नाश्ते के लिए दोना-पत्तल, कुल्हड़ और टेराकोटा के बर्तनों का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। बिलासपुर जोन में ऐसे 25 स्टेशनों का चयन किया गया है, जिसमें बिलासपुर मंडल के 12, रायपुर के छह और नागपुर के सात स्टेशन शामिल हैं। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के साथ अन्य जोन को इसी तरह स्टेशनों को चिंहित करने के लिए कहा गया है।
रेलवे स्टेशनों में स्थित बड़ी फूड यूनिट की कमान आइआरसीटीसी के पास है। यहां यात्रियों को खानपान परोसने के लिए प्लास्टिक का उपयोग होता...
more... है। इससे पर्यावरण को नुकसान है। आइआरसीटीसी की ओर से पर्यावरण संरक्षण के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार सेे जोड़ने नई योजना बनाई गई है। देश के अधिकांश राज्यों में खानपान परोसने के लिए ऐसी चीजों का उपयोग किया जाता है जो प्रकृति जुड़े होते हैं। छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां माहुल पत्ते से दोना व पत्तल बनाया जाता है। इसका उपयोग भोजन और नाश्ता परोसने के लिए होता है। इसी तरह साउथ के होटलों में केले की पत्ती, बनारस में बरगद व कहटल के ताजा पत्ते से नाश्ता देने का चलन है। इन प्राकृतिक चीजों से न तो पर्यावरण को नुकसान है और न मवेशियों की जान को खतरा है। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा। साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
जोन ने इन स्टेशनों को किया चिंहित
बिलासपुर रेल मंडल: बिलासपुर, रायगढ़, चांपा, कोरबा, अंबिकापुर, अनूपपुर, शहडोल, पेंड्रारोड, उमरिया, करगीरोड, ब्रजराजनगर व उसलापुर।
रायपुर रेल मंडल: रायपुर, दुर्ग, भाटापारा, तिल्दा, बिल्हा व बालोद ।
नागपुर रेल मंडल: राजनांदगांव, डोंगरगढ़, गोंदिया, भंडारा रोड, इतवारी, छिंदवाड़ा व बालाघाट।
क्या कहते हैं अधिकारी
भारतीय रेलवे ने स्थानीय उत्पाद तथा पर्यावरण संरक्षित उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रत्येक जोनल रेलवे को 25-25 स्टेशन नामित करने को निर्देशित किया है, जहां पर कुल्हड़, टेराकोटा के प्लेट, ग्लास आदि का उपयोग किया जा सके।
साकेत रंजन
सीपीआरओ, दपूमरे जोन बिलासपुर