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Blog Entry# 1853343
Posted: May 19 2016 (00:22)
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Last Response: May 22 2016 (15:50)
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May 19 2016 (00:22) 15307X/Nainital Express (MG) | ASH/Aishbagh Junction (6 PFs) | IZN/YDM-4/6531
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May 19 2016 (12:08PM)
Station Tag: Lakhimpur/LMP added by Mohd Arif*^~/228436
May 19 2016 (12:08PM)
Station Tag: Sitapur City Junction/SPC added by Mohd Arif*^~/228436
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Station Tag: Mailani Junction/MLN added by Mohd Arif*^~/228436
May 19 2016 (12:08PM)
Station Tag: Pilibhit Junction/PBE added by Mohd Arif*^~/228436
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Train Tag: Aishbagh - Tanakpur MG Express/15313 added by Mohd Arif*^~/228436
May 19 2016 (12:22AM)
Loco Tag: IZN/YDM-4/6531 added by Mohd Arif*^~/228436
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Train Tag: Aishbagh - Tanakpur MG Express/15313 added by Mohd Arif*^~/228436
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लखनऊ मीटर गेज की अंतिम यात्रा -
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इस यात्रा की तैयारी करीब 2साल से की जा रही थी पर बाकि साथियो के शुरू में हां और बाद में ना करने वजह से ये यात्रा अनगिनत बार रद्द करनी पड़ी ,, इसी सब के बीच नार्थ ईस्टर्न रेलवे की प्रेस विज्ञप्ति जारी हो गई लखनऊ मीटर गेज के अमान परिवर्तन की जिसके लिए यह रूट हमेशा के लिए बंद होना था , इसके बाद इस यात्रा के लिए दुबारा से तैयारी शुरू की गई, वापिस से साथियो से बात शुरू की पर हमेशा...
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इस यात्रा की तैयारी करीब 2साल से की जा रही थी पर बाकि साथियो के शुरू में हां और बाद में ना करने वजह से ये यात्रा अनगिनत बार रद्द करनी पड़ी ,, इसी सब के बीच नार्थ ईस्टर्न रेलवे की प्रेस विज्ञप्ति जारी हो गई लखनऊ मीटर गेज के अमान परिवर्तन की जिसके लिए यह रूट हमेशा के लिए बंद होना था , इसके बाद इस यात्रा के लिए दुबारा से तैयारी शुरू की गई, वापिस से साथियो से बात शुरू की पर हमेशा...
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के तरह "लोग निकलते गए और करवा छोटा होता गया",आखिर में ये यात्रा के लिए 11मई की तारीक तय हुए और इसमें सिर्फ मैं था और मेरा साथ देने दिल्ली के रेल फैन एडमिन कुश कालरा जी थे ,, हमलोग ने 11मई की सुबह 10:50 की 15313 ऐशबाग - टनकपुर MG एक्सप्रेस लेने का फैसला किया , एडमिन कुश कालरा ने 10मई को नई दिल्ली लखनऊ वातानुकूलित एक्सप्रेस से आने का फैसला किया और मैंने भी एक दिन पहले ही यानि 10 मई की रात को लखनऊ पहुचना तय किया ,जिसके लिए मैंने सुल्तानपुर से मरूधर एक्सप्रेस लिया और देर रात 12 बजे लखनऊ पंहुचा,
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यात्रा का विवरण -
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पहले से तय प्लान के मुताबिक सुबह 9बजे मुझे कुश ने फ़ोन कर के लखनऊ स्टेशन आने को कहा , इस वक़्त श्री कुश लखनऊ पहुँच चुका था और LJN स्टेशन पर डोरमेट्री ले कर वहा आराम कर रहे थे , कुश का फ़ोन आने के बाद मैं भी स्टेशन से निकल पड़ा , करीब 9:50 पर मैं लखनऊ स्टेशन पंहुचा जहाँ कुश अभी तैयार ही हो रहा था ,, करीब 10मिनट इंतज़ार के बाद वो बाहर आया थोड़ा देर हाल ख़ैरियत लेने के बाद हमने स्टेशन ले पास ही नाश्ता किया और फिर हमलोग ऐशबाग के तरफ निकल पड़े , रिक्शा से हमलोग करीब 10:30 पर ऐशबाग पहुँचे और तुरंत ही टिकट कटा कर प्लेटफार्म की तरफ बढ़ गए , हमारी ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 2 पर YDM4 #6531 लोको के साथ पहले से ही लगी हुई थी , गर्मी का मौसम होने के वजह से हमलोग ने करीब 4बोतल पानी स्टेशन पे खरीद के रख लिया कियुकि इस रूट पे हमारी पहली यात्रा थी और आगे कब क्या मिले उसका कोई अंदाज नहीं था ,, थोड़ी बहुत तस्वीरें लेने के बाद हमलोग ने MG स्लीपर कोच जो की जनरल कोच के तरह इस्तेमाल किया जा रहा था उसमे खिड़की की सीट ले ली ,यह कोच लोको से 10 कोच की दुरी पर था ,कोच अन्दर से साफ़ था , ट्रेन को सिग्नल 10:45 पर ही दे दिया गया था और जैसे ही घड़ी की सुई 10:50 पे पहुँची लोको पायलट में हॉर्न बजा के ट्रेन के प्रस्थान का ऐलान किया , करीब 2 बड़ी सीटी के बाद हमारी ट्रेन अपनी 259किलीमीटर की यात्रा के लिए आगे बढ़ी और साथ ही पीछे देर से आने वाले यात्री दौड़ लगा के ट्रेन पकड़ने में लगे हुए थे ,, हमारी पहली मीटर गेज यात्रा होने के वजह से हमलोग भी काफी उत्साहित थे , ट्रेन ऐशबाग से तो खाली ही चली थी पर आगे पड़ने वाले लखनऊ सिटी , डालीगंज स्टेशन पर यात्रियो की भारी संख्या हमारा इंतज़ार कर रही थी ,, ट्रेन जब लखनऊ के सभी स्टेशनों को पार हुई तो ट्रेन काफी हद तक भर चुकी थी और प्रत्येक सीट पर एक यात्री थे और कुछ यात्री पायदान पर भी यात्रा कर रहे थे ,, ऐशबाग से निकले के बाद से हमारी ट्रेन 40-50की रफ़्तार से दौड़ रही थी ,, और मोहिबुल्लापुर से पहले हमारी पहली क्रासिंग हुई , हमारी ट्रेन को स्टेशन पे रोक गया और उसके करीब 10मिनट बाद सीतापुर ऐशबाग पैसेंजर ट्रेन का आगमन हुआ YDM4 लोको के साथ ,इसके बाद हमारी ट्रेन को हरा सिग्नल मिला , ट्रेन के लखनऊ शहरी इलाको को क्रॉस करने के बाद ट्रेन ने कुछ गति पकड़ी और अब यह 60-75 की रफ़्तार पर भाग रही थी , अब ट्रेन ग्रामीण भारत में दाखिल हो चुकी थी और हमारी ट्रेन छोटे स्टेशनों को रफ़्तार से पीछे छोर कर आगे बढ़ी जा रही थी , बीच में 1-2जगहे क्रासिंग के लिए रुकना भी पड़ रहा था जहा यात्री पेड़ से ताज़े आम तोड़ने और चहलकर्मी कर के आनंद ले रहे थे , जब ट्रेन एल क्रासिंग के लिए केजड़ी थी इसी बीच हमारे डब्बे में एक TTE दिखाई पड़े जिनको देख कर सभी यात्री अचम्भित दिखे , लोगो ने बातया की इस रूट पर टिकट चेकिंग पिछली बार कब हुई थी वो उनको याद भी नहीं , खैर हमारे डब्बे में कोई भी यात्री बिना टिकट के नहीं पाया गया और TTE आगे बढ़ गया ,, हमें रास्ते भर में अमान परिवर्तन की तैयारिया साफ़ दिख रही थी ,, हम छोटे बड़े स्टेशन पर रेल ट्रैक सम्बंधित सामान रखा हुआ था और कुछ कुछ दुरी पर ट्रैक पे डाले जाने वाली गिट्टी के भी बड़े ढेर लगे हुए थे , इसी सब के बीच ऐशबाग के बाद पहला बड़ा स्टेशन सीतापुर आ गया ,ट्रेन यहाँ 30मिनट बिलंब से आई थी , यहाँ पर काफी यात्रियो ने अपनी यात्रा समाप्त की और कुछ नए यात्री भी जुड़ गए ,, ट्रेन के स्टेशन पे आने के बाद RF कुश ने कुछ खाने पीने का इंतेज़ाम करने और प्लेटफार्म का जायजा लेने का फ़ैसला किया , पर हमारा डब्बा ऐसी जगह था जहाँ खानपान हेतु ज्यदा विकल्प नहीं थे इसलिए कुश ने सीतापुर से आलू के पकोड़े लिए जो की ताज़ा बने हुए थे , विलम्ब से आने के वजह से यहाँ ट्रेन केवल 5मिनट ही रुकी , सीतापुर के बाद ट्रेन जंगलो के बीच से होते हुए अपनी मंजिल के तरफ बढ़ने लगी ,, ट्रेन अब विलम्ब को कुछ कम करने में लगी थी ,, बीच बीच में कुछ स्टेशनों पर रुकने के बाद ट्रेन अपने अगले बड़े स्टेशन लखीमपुर की तरफ बढ़ चली थी अब ,, करीब 3:30 के आसपास हम लखीमपुर स्टेशन के प्लेटफार्म 1 की ओर दाखिल हुए , यह स्टेशन बेहतर था तथा यहाँ खानपान के लिए सभी विकल्प मौजूद थे पर हमारे पास उचित मात्र में पानी और बाकि सामान मौजूद होने के वजह से हम दोनों ने अपनी खिड़की वाली सीट पर ही बने रहने ही जयदा बेहतर समझा ,, करीब 5मिनट के ठहराओ के बाद हमारी ट्रेन आगे निकल चली , लखीमपुर के बाद जंगल और भी घने होते चले गए और बीच बीच में कुछ छोटे कसबे भी दिखाई दिए , ट्रेन अपने नियमित ठहराओ पर रूकती हुईे अपने अगले बड़े स्टेशन मैलानी की तरफ बढ़ चली थी , करीब 20मिनट के देरी से हम मैलानी में दाखिल हुए , यह स्टेशन अपने खुले मैदान जैसे यार्ड के बावजूद किसी भूत बंगले जैसा लग रहा था , यह स्टेशन उजाड़ होने की देहलीज़ पर खड़ा दिखा यार्ड की सभी लाइन को जंग लग चुके थे केवल प्लेटफार्म की लाइन ही कुछ ठीक स्तिथि में लग रही थी , इस स्टेशन का यार्ड किसी भी बड़े स्टेशन जैसा ही था मगर यहाँ केवल रेलवे जंग लगा यार्ड और जंग लगे पुराने मीटर गेज डब्बे ही थे ,, खैर यहाँ RF कुश ने उतर के स्टेशन का जायज लिए और यहाँ के छोले का ज़ायका लिया जो की ताज़े बने हुए थे , यहाँ ट्रेन के लोको पायलट और गॉर्ड बदले गए जिसके वजह से ट्रेन 15मिनट बाद रवाना हुए ,,
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यात्रा का विवरण -
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पहले से तय प्लान के मुताबिक सुबह 9बजे मुझे कुश ने फ़ोन कर के लखनऊ स्टेशन आने को कहा , इस वक़्त श्री कुश लखनऊ पहुँच चुका था और LJN स्टेशन पर डोरमेट्री ले कर वहा आराम कर रहे थे , कुश का फ़ोन आने के बाद मैं भी स्टेशन से निकल पड़ा , करीब 9:50 पर मैं लखनऊ स्टेशन पंहुचा जहाँ कुश अभी तैयार ही हो रहा था ,, करीब 10मिनट इंतज़ार के बाद वो बाहर आया थोड़ा देर हाल ख़ैरियत लेने के बाद हमने स्टेशन ले पास ही नाश्ता किया और फिर हमलोग ऐशबाग के तरफ निकल पड़े , रिक्शा से हमलोग करीब 10:30 पर ऐशबाग पहुँचे और तुरंत ही टिकट कटा कर प्लेटफार्म की तरफ बढ़ गए , हमारी ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 2 पर YDM4 #6531 लोको के साथ पहले से ही लगी हुई थी , गर्मी का मौसम होने के वजह से हमलोग ने करीब 4बोतल पानी स्टेशन पे खरीद के रख लिया कियुकि इस रूट पे हमारी पहली यात्रा थी और आगे कब क्या मिले उसका कोई अंदाज नहीं था ,, थोड़ी बहुत तस्वीरें लेने के बाद हमलोग ने MG स्लीपर कोच जो की जनरल कोच के तरह इस्तेमाल किया जा रहा था उसमे खिड़की की सीट ले ली ,यह कोच लोको से 10 कोच की दुरी पर था ,कोच अन्दर से साफ़ था , ट्रेन को सिग्नल 10:45 पर ही दे दिया गया था और जैसे ही घड़ी की सुई 10:50 पे पहुँची लोको पायलट में हॉर्न बजा के ट्रेन के प्रस्थान का ऐलान किया , करीब 2 बड़ी सीटी के बाद हमारी ट्रेन अपनी 259किलीमीटर की यात्रा के लिए आगे बढ़ी और साथ ही पीछे देर से आने वाले यात्री दौड़ लगा के ट्रेन पकड़ने में लगे हुए थे ,, हमारी पहली मीटर गेज यात्रा होने के वजह से हमलोग भी काफी उत्साहित थे , ट्रेन ऐशबाग से तो खाली ही चली थी पर आगे पड़ने वाले लखनऊ सिटी , डालीगंज स्टेशन पर यात्रियो की भारी संख्या हमारा इंतज़ार कर रही थी ,, ट्रेन जब लखनऊ के सभी स्टेशनों को पार हुई तो ट्रेन काफी हद तक भर चुकी थी और प्रत्येक सीट पर एक यात्री थे और कुछ यात्री पायदान पर भी यात्रा कर रहे थे ,, ऐशबाग से निकले के बाद से हमारी ट्रेन 40-50की रफ़्तार से दौड़ रही थी ,, और मोहिबुल्लापुर से पहले हमारी पहली क्रासिंग हुई , हमारी ट्रेन को स्टेशन पे रोक गया और उसके करीब 10मिनट बाद सीतापुर ऐशबाग पैसेंजर ट्रेन का आगमन हुआ YDM4 लोको के साथ ,इसके बाद हमारी ट्रेन को हरा सिग्नल मिला , ट्रेन के लखनऊ शहरी इलाको को क्रॉस करने के बाद ट्रेन ने कुछ गति पकड़ी और अब यह 60-75 की रफ़्तार पर भाग रही थी , अब ट्रेन ग्रामीण भारत में दाखिल हो चुकी थी और हमारी ट्रेन छोटे स्टेशनों को रफ़्तार से पीछे छोर कर आगे बढ़ी जा रही थी , बीच में 1-2जगहे क्रासिंग के लिए रुकना भी पड़ रहा था जहा यात्री पेड़ से ताज़े आम तोड़ने और चहलकर्मी कर के आनंद ले रहे थे , जब ट्रेन एल क्रासिंग के लिए केजड़ी थी इसी बीच हमारे डब्बे में एक TTE दिखाई पड़े जिनको देख कर सभी यात्री अचम्भित दिखे , लोगो ने बातया की इस रूट पर टिकट चेकिंग पिछली बार कब हुई थी वो उनको याद भी नहीं , खैर हमारे डब्बे में कोई भी यात्री बिना टिकट के नहीं पाया गया और TTE आगे बढ़ गया ,, हमें रास्ते भर में अमान परिवर्तन की तैयारिया साफ़ दिख रही थी ,, हम छोटे बड़े स्टेशन पर रेल ट्रैक सम्बंधित सामान रखा हुआ था और कुछ कुछ दुरी पर ट्रैक पे डाले जाने वाली गिट्टी के भी बड़े ढेर लगे हुए थे , इसी सब के बीच ऐशबाग के बाद पहला बड़ा स्टेशन सीतापुर आ गया ,ट्रेन यहाँ 30मिनट बिलंब से आई थी , यहाँ पर काफी यात्रियो ने अपनी यात्रा समाप्त की और कुछ नए यात्री भी जुड़ गए ,, ट्रेन के स्टेशन पे आने के बाद RF कुश ने कुछ खाने पीने का इंतेज़ाम करने और प्लेटफार्म का जायजा लेने का फ़ैसला किया , पर हमारा डब्बा ऐसी जगह था जहाँ खानपान हेतु ज्यदा विकल्प नहीं थे इसलिए कुश ने सीतापुर से आलू के पकोड़े लिए जो की ताज़ा बने हुए थे , विलम्ब से आने के वजह से यहाँ ट्रेन केवल 5मिनट ही रुकी , सीतापुर के बाद ट्रेन जंगलो के बीच से होते हुए अपनी मंजिल के तरफ बढ़ने लगी ,, ट्रेन अब विलम्ब को कुछ कम करने में लगी थी ,, बीच बीच में कुछ स्टेशनों पर रुकने के बाद ट्रेन अपने अगले बड़े स्टेशन लखीमपुर की तरफ बढ़ चली थी अब ,, करीब 3:30 के आसपास हम लखीमपुर स्टेशन के प्लेटफार्म 1 की ओर दाखिल हुए , यह स्टेशन बेहतर था तथा यहाँ खानपान के लिए सभी विकल्प मौजूद थे पर हमारे पास उचित मात्र में पानी और बाकि सामान मौजूद होने के वजह से हम दोनों ने अपनी खिड़की वाली सीट पर ही बने रहने ही जयदा बेहतर समझा ,, करीब 5मिनट के ठहराओ के बाद हमारी ट्रेन आगे निकल चली , लखीमपुर के बाद जंगल और भी घने होते चले गए और बीच बीच में कुछ छोटे कसबे भी दिखाई दिए , ट्रेन अपने नियमित ठहराओ पर रूकती हुईे अपने अगले बड़े स्टेशन मैलानी की तरफ बढ़ चली थी , करीब 20मिनट के देरी से हम मैलानी में दाखिल हुए , यह स्टेशन अपने खुले मैदान जैसे यार्ड के बावजूद किसी भूत बंगले जैसा लग रहा था , यह स्टेशन उजाड़ होने की देहलीज़ पर खड़ा दिखा यार्ड की सभी लाइन को जंग लग चुके थे केवल प्लेटफार्म की लाइन ही कुछ ठीक स्तिथि में लग रही थी , इस स्टेशन का यार्ड किसी भी बड़े स्टेशन जैसा ही था मगर यहाँ केवल रेलवे जंग लगा यार्ड और जंग लगे पुराने मीटर गेज डब्बे ही थे ,, खैर यहाँ RF कुश ने उतर के स्टेशन का जायज लिए और यहाँ के छोले का ज़ायका लिया जो की ताज़े बने हुए थे , यहाँ ट्रेन के लोको पायलट और गॉर्ड बदले गए जिसके वजह से ट्रेन 15मिनट बाद रवाना हुए ,,
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................अब हम अपनी मंजिल के काफी करीब आ चुके थे और पीलीभीत यहाँ से केवल 69किलीमीटर ही दूर था ,इसी बीच rf आदित्यनाथ के माध्यम से हमें ये जानकारी हुई की जिस ट्रेन में हम सवार है वही ट्रेन टनकपुर से नैनीताल एक्सप्रेस बन के आयगी तो हम दोनों दुविधा में पड़ गए की पीलीभीत में अपनी यात्रा समाप्त करे या टनकपुर तक की यात्रा करे ,, काफी देर चले मंथन के बाद टनकपुर में मिलने वाले कम समय को ध्यान में रख कर हमने अपनी यात्रा पीलीभीत में ही खत्म करने का फैसला किया , खैर मैलानी से निकले के बाद ट्रेन अच्छी औसत बनाये हुए थी , पर ट्रैक कमजोर होने के वजह से 50-55 तक की ही रफ़्तार बना पा रही थी ,,अब सूरज लगभग ढलने को हो गया था और बीच में एक और ठहराव था जहा पर से ट्रेन में दैनिक यात्रियो का कब्ज़ा हो गया...
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और सूरज के पूरी तरह डूबने के 5मिनट बाद यानि अपने निर्धारित समय से 25मिनट विलम्ब से हम पीलीभीत स्टेशन पर दाखिल हो चुके थे , कियुकि अमान परिवर्तन के लिए पीलीभीत प्लेटफार्म 1 को पूरी तरह बंद कर दिया गया था इसलिए हमारी ट्रेन का प्लेटफार्म नंबर 2 पर आगमन हुआ ,, ऐशबाग के बाद से यह पहला स्टेशन था जो बड़ा MG टर्मिनल लग रहा था ,, खैर यहाँ से उतरने के बाद एक और किस्सा हमारा इंतज़ार कर रहा था ,, हम स्टेशन का फुट ओवर ब्रिज ले कर प्लेटफार्म 1 पर पहुचे वह हमें टिकट चेक कर रहे व्यक्ति से रिटायरिंग रूम या डोरमेट्री के लिए बुकिंग सम्बंधित सवाल पूछे तो वो वयक्ति ने हमें रुकने को कहा ,, जब थोड़ा देर रुकने के बाद भी कोई सुनवाई ना हुई तो हम स्टेशन मास्टर के रूम में पहुचे , वहा पहले से ही काफी भीड़ थी कियुकि उस वक़्त वहा के व्यापरी सीतापुर - ऐशबाग अमान परिवर्तन के लिए बंद होने के विरोध में पहुचे थे और स्टेशन मास्टर को ज्ञापन दे रहे थे ,, उतने में ही हमारे ही ट्रेन में आये हुए दो लोग स्टेशन मास्टर के रूम में दाखिल होते है और थोडा देर रुक के स्टेशन मास्टर की किसी से फ़ोन पर बात करवाते है ,, उत्सुकतावस मैं भी अंदर जा के देखने की कोशिस करता हु की क्या हो रहा तो पता चलता है की वो लोग NER के एक बड़े अधिकारी (नाम और उनका पद मैंने गोपनीय रखा है) से स्टेशन मास्टर की बात करवाने में लगे थे ,, थोड़ी देर बाद स्टेशन मास्टर एक रेल कर्मी को बुला कर उनके लिए डोरमेट्री खोलवा देता है और वो लोग वहा चले जाते है , उनके जाने के बाद RF कुश भी स्टेशन मास्टर के रूम में जा के डोरमेट्री बुक करने की बात करता है तो स्टेशन मास्टर ने यह कहते हुए मना कर दिया की डोरमेट्री के किए 500km तक की दुरी का टिकट चाहिए होता है और आपका 269km का है ,, काफी समझने और बहस के बाद भी स्टेशन मास्टर टस से मस नहीं हुआ ,, rf कुश ने ये पूरी बात आ कर मुझे बताई , उसके बाद हमने यह मामला ट्वीट करने का फैसला किया ,पूरा मामल सम्बंधित विभागों को ट्वीट करने के बाद हमलोग वही आसपास ही रुके रहे,, करीब 15-20मिनट बाद हमलोग को उसी रेल स्टाफ ने बुलाया जिस से हमलोग ने सबसे पहले इस मामले में पूछा था ,, हमें सीधे स्टेशन के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर के ऑफिस ले जाया गया जहा उन्होंने हमसे हमारी समस्या पूछी और हमने उन्हें बातया , मज़े की बात ये रही की वो जितने देर हमसे बात किए उतनी देर उनका फ़ोन बजता ही रहा और वो फ़ोन उठा के यही बता रहे थे की "हा उन्हें शिकायत करने वाले मिल गए है और उनकी समस्या का हल किया जा रहा है " , पूरा मामला जानने के बाद उन्होंने सम्बंधित अधिकारियो को हमारे सामने ही काफी कड़ी फटकार लगाई और आगे से ऐसा ना करने की चेतवानी दी , इसके बाद हमें दूसरे कमरे में ले जाया गया जहाँ बुकिंग होनी थी ,, पर उतने में ही वो बुकिंग क्लर्क को वापिस बुला लिया गया करीब 10मिनट बाद जब क्लर्क और पब्लिक रिलेशन ऑफिसर वापिस आये तो उसने पूरा मामला बातया की NER के एक बड़े अधिकारी ने अपने निजी तौर पर स्टेशन मास्टर को फ़ोन कर के 2 लोगो के लिए रिटायरिंग रूम खुलवाया है और उसका कोई लेखा जोखा नहीं है , उन्हें निशुल्क यह सुविधा दी गई हे और इसलिए हमें स्टेशन मास्टर ने रिटायरिंग रूम बुक करने से मना कर दिया था ,,इस सब के बाद बाद में हमें डोरमेट्री में प्रवेश मिला ,, इसके बाद पब्लिक रिलेशन ऑफिसर ने हमसे ट्वीट करने को कहा जिसमे हम यह कहना था की समस्या का समाधान हो गया है , जैसा की वयस्तव में हो चुका था इसलिये हमने वो ट्वीट कर दिया ,, खैर इसके सबके होने के बाद हमने अपने सामान डोरमेट्री में मिलने वाली अलमारी में लॉक किया और स्टेशन के बाहर निकल गए ,, बाहर निकल के हमने काफी चीज़ों का ज़ायका लिया,, और अंत में स्टेशन के बाहर के ही एक होटल में खाना खाया जो की उस परंपरा को आगे बढ़ाने में लगा हुआ था जिसमे रेलवे , बस स्टेशन या किसी मश्हूर जगह के बाहर मिलने वाले खाने बेहद बकवास और ठगी वाले रहते है ,, खैर इस खराब अनुभव के बाद हम वापिस डोरमेट्री में आ गए , अब करीब 10 बज चुके थे और हमने 2 घंटे आराम करने का फैसला लिया , RF कुश ने इन दो घंटों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए सोना बेहतर समझा , और मैंने ट्रेन निकल जाने के भय के वजह से सोने के जगह इंटरनेट इस्तेमाल करना जयदा बेहतर समझा ,, हमारी ट्रेन 30मिनट विलम्ब से चल रही थी ,, जब ट्रेन पीलीभीत से एक स्टेशन पीछे थी तो मैंने RF कुश को 11:45 पर जगाया और हम करीब 11:55 पर प्लेटफार्म 2 के लिए निकले , स्टेशन पहले से ही खचाखच भरा हुआ था , हमने फुटओवर ब्रिज से ट्रेन का आगमन देखने का फैसला किआ ,, जब ट्रेन पीलीभीत दाखिल हुई तो हमने देखा की ट्रेन जरुरत से जयदा भरी हुई थी ,, लोग ट्रेन की छातो पर बैठे हुए थे , जितनो भीड़ ट्रेन में थी उतनी ही स्टेशन पर ,, खैर ट्रेन आने के बाद हम अपने डब्बे की तरफ बढे , यह हमारा पहला अनुभव था किसी भी MG ट्रेन के वातानुकूलित श्रेणी में यात्रा करने का , शुरू में ट्रेन में चढ़ने के बाद हमें जगह काफी कम लगी , इसके गलियारें से दो लोग कितने भी पतले हो वो साथ क्रॉस नहीं कर सकते थे ,, ट्रेन पे चढ़ने के बाद हम TTE का इंतज़ार करने लगे कियुकि हमारी सीट दो अलग अलग केबिन में थी ,, TTE ट्रेन के पीलीभीत प्रस्थान से पहले ही आ गया , हमने उस से अपनी ये समस्या बताइये तो उन्होंने बिना समय गवाए चार्ट देख कर हमें एक ही केबिन में दो ऊपरी सीट दे दी ,इस ट्रेन के TTE का वयवहार काफी अच्छा था , खैर फिर हमने वहा जा कर अपनी सीट ली , सीट पर लेटने के बाद वह कोच हमें काफी आरामदायक लगा , सीट की लंबाई और चौड़ाई पर्याप्त थी , AC की कूलिंग भी ट्रेन चलने के बाद काफ़ी बढ़िया थी , ट्रेन में उपलब्ध कराई गई चादर , तकिया और कम्बल भी साफ़ थे ,, दिन भर की रेलयात्रा के वजह से हम काफी थक चुके थे और पीलीभीत के बाद हमने सोना ही ज्यदा बेहतर समझा ,, थकान के वजह से हमारी आँख ऐशबाग आने तक भी नहीं खुली थी और जब ट्रेन ऐशबाग पर लग रही थी तब कोच अटेंडेंट ने हमें आ कर उठाया ,, ट्रेन ने रातभर में अपना 30मिनट का बिलंब कवर कर लिया था और ट्रेन ऐशबाग पर अपने निर्धारित समय पर लग गई थी ,, करीब 5 मिनट बाद हम ट्रेन से उतरे और एक आखिरी बार ट्रेन और स्टेशन को देख कर बाहर की तरफ निकल पड़े और ऐसे पूरी हुई हमारी ये लखनऊ मीटर गेज की अंतिम यात्रा :)
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