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Blog Entry# 1995428
Posted: Sep 18 2016 (16:48)
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Last Response: Sep 22 2016 (19:30)
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अलविदा मीटर गेज। घोघरडीहा से झंझारपुर के बीच परिचालन बंद होने से बस कुछ दिन पहले की तस्वीर, अब एक सुनहरे इतिहास के हिस्से की यादें बन कर रह गयी हैं। DARBHANGA से १९३४ तक फारबिसंगज के बीच रेल सेवा, फिर इस का निर्मली तक सिमट कर रह जाना। बहुत उतार चढ़ाव का गवाह रहा यह रेल खंड करीब ८२ साल के लंबे इतंजार के बाद, फिर से नये अवतार में दरभंगा को पुर्वोत्तर राज्यो से जोड़ने को हो रही तैयार। इस रेल खंड का अब जमीन पर उतरने का इतंजार हैं।
Pic- फेसबुक वाल से।
Pic- फेसबुक वाल से।
1 Public Posts - Sun Sep 18, 2016
2 Public Posts - Thu Sep 22, 2016
दरभंगा से सेवा फारबिसगंज नहीं कनवा घाट तक जाती थी वहां से नदी पार करके अंचरा घाट और फिर फारबिसगंज पूर्णिया तथा आगे.
उस समय कोसी नदी कनवा - अंचरा घाट के बीच थी. यद्यपि यह कहा जा सकता है की उस ज़माने में दरभंगा का संपर्क फारबिसगंज से इस प्रकार था और ये रूट उस समय का ट्रंक रूट था क्यों की तब बरौनी कटिहार मार्ग अस्तित्व में नहीं आया था.
The Imperial Gazetteer of India, v. 11, p. 158/159:
"The...
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उस समय कोसी नदी कनवा - अंचरा घाट के बीच थी. यद्यपि यह कहा जा सकता है की उस ज़माने में दरभंगा का संपर्क फारबिसगंज से इस प्रकार था और ये रूट उस समय का ट्रंक रूट था क्यों की तब बरौनी कटिहार मार्ग अस्तित्व में नहीं आया था.
The Imperial Gazetteer of India, v. 11, p. 158/159:
"The...
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5 Public Posts - Thu Sep 22, 2016