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Godan Express: गोदान एक्सप्रेस - प्रेमचन्द की लेखनी ने रची यह अनुपम कृति, ये जोड़े मुंबई से पूंर्वांचली संस्कृति ।। - Saurabh

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Blog Entry# 2040573
Posted: Oct 28 2016 (20:56)

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General Travel
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5

Oct 28 2016 (20:56)   08791/Durg - Allahabad Chheoki Kumbh Mela SpecialFare Special | NZM/Hazrat Nizamuddin (9 PFs)
 
Vishwanath
Vishwanath   20299 blog posts
Entry# 2040573            Tags   Past Edits
For those who love and understand crisp Hindi write up
कल 08792 निजामुद्दीन-दुर्ग एसी सुपरफास्ट स्पेशल से वास्ता पड़ा। निजामुद्दीन से चलने का ट्रेन का निश्चित समय सवेरे 830 बजे है सुबह सात बजे नेशनल ट्रेन एनक्वायरी सिस्टम पर चेक किया तो पता चला ट्रेन राइट टाइम जाएगी। यहीं से चलती है इसलिए कोई बड़ी बात नहीं थी। स्टेशन पहुंचा तो बताया गया प्लैटफॉर्म नंबर चार से जाएगी। प्लैटफॉर्म पर पहुंच गया तो घोषणा हुई (संयोग से सुनाई पड़ गया वरना देश भर में कई स्टैशनों के कई प्लैटफॉर्म पर घोषणा सुनाई नहीं पड़ती है और हम कुछ कर नहीं सकते) कि ट्रेन एक घंटे लेट है। परेशान होने के सिवा कुछ कर नहीं सकता था।ट्रेन नए निर्धारित समय से खुली और
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कोई 23 मिनट मेकअप करती हुई 37 मिनट लेट ग्वालियर से रवाना हुई। फिर भारतीय रेल के रूप में आ गई और लेट होते हुए सुबह एक घंटा 40 मिनट देर से दुर्ग पहुंच गई। वैसे तो भारतीय रेल अपनी बीमारियों से 67 साल जूझती रही है और किसी को कोई उम्मीद पहले भी नहीं थी पर नरेन्द्र मोदी सरकार बनने के बाद चार्टर्ड अकाउंटैंट रेल मंत्री ने यात्रियों की जेब काटने के ढेरों बंदोबस्त किए हैं और उसमें एसी सुपरफास्ट स्पेशल जैसी ट्रेन चलाई है जिसमें एक दिन पहले भी बगैर किसी तत्काल, वीआईपी या फ्लेक्सी फेयर के नीचे के दो बर्थ आमने-सामने मिल जाते हैं। और लगभग खाली ट्रेन बुजुर्ग यात्रियों को बगैर वरिष्ठ नागरिकों वाली छूट के देर से ही सही, आराम से गंतव्य तक पहुंचा देती है।
इस तरह बुजुर्गों के पास बच्चों का कमाया पैसा है तो उन्हें आराम भी मिल ही रहा है। पर रेलयात्रा को किराये से लेकर अन्य तरह से भी हवाई यात्रा बनाने की कोशिशों को पूरा होने में अभी बहुत देर है और उसमें सबसे बड़ी बाधा है ट्रेन का लेट चलना। बाकी स्टेशन पर लिफ्ट, एसक्लेटर न होना, बैठने के लिए बेंच से लेकर पंखों तक का अकाल और कुलियों की लूट-मनमानी के तो कहने ही क्या हैं। लेकिन वो सब कोई मुद्दा नहीं है। जनता के पैसे से चलने वाली ट्रेन का उद्देश्य जनता को लूट कर मुनाफा कमाना हो गया है यह समझने की भी जरूरत नहीं है।
अब रेल यात्रा को हवाई यात्रा बनाने की बात चली ही है तो यह भी बता दूं कि कल निजामुद्दीन स्टेशन पर शताब्दी जैसी एक ट्रेन आकर लगी तो माथा ठनका। निजामुद्दीन से कौन सी शताब्दी? याद आया, थोड़ी देर पहले विमान परिचारिका जैसी यूनिफॉर्म में कुछ सुंदर स्मार्ट लड़कियां खड़ी थीं, अब नजर नहीं आ रही हैं। ट्रेन से ये विमान परिचारिकाएं कहां जा रही हैं? दिमाग चला और समझ में आ गया कि ये गतिमान एक्सप्रेस है और परिचारिकाएं विमान की नहीं, गतिमान एक्सप्रेस की थीं। इस पर याद आया कि जब गतिमान एक्सप्रेस चलने की घोषणा हुई थी तो भक्तों ने उसका कितना शानदार प्रचार किया था।
विदेशी ट्रेन से लेकर बड़े-बड़े विमानों के अंदर के दृश्यों की फोटो चिपकाकर उन्हें गतिमान एक्सप्रेस बताया था। कुछ अखबारों और मीडिया चैनलों के वेब पन्नों ने भी यह करामात "चित्र : सिर्फ समझने के लिए" जैसे जुमलों के साथ किया था। बाद में हुई निराशा का अंदाजा इस बात से लगता है कि ट्रेन चलनी शुरू हुई तो किसी भक्त यात्री ने उस पर कुछ नहीं लिखा। दरअसल भक्त सिर्फ तारीफ करते हैं. निन्दा नहीं। निन्दा की अपेक्षा वे हमसे करते हैं पर सरकार की नहीं, विरोधी दलों की।
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