ट्रेनमें सफर करने वाले हजारों यात्रियों के लिए अच्छी खबर है, आगामी तीन महीनों में सिर्फ चार घंटे में दिल्ली पहुंच सकेंगे। इसके अलावा उन्हें बठिंडा-दिल्ली के बीच आवागमन के लिए और अधिक गाड़ियों की सुविधा भी मुहैया होगी। दिल्ली से बठिंडा तक के रेलवे ट्रैक के डबलिंग के साथ-साथ इलेक्ट्रिफिकेशन भी लगभग अंतिम चरण में है।
जून में दिल्ली के बीच इलेक्ट्रिफिकेशन प्रोजेक्ट मुकम्मल हो जाएगा। दिल्ली से जींद तक के रेलवे ट्रैक का इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है जबकि इसके आगे लहरा मुहब्बत रेलवे स्टेशन तक चल रहा रेलवे ट्रैक इलेक्ट्रिफिकेशन का काम इसी महीने तक पूरा हो जाएगा। चीफ सेफ्टी रेलवे कमिश्नर (सीएसआरसी) की मंजूरी मिलने के बाद इलेक्ट्रिक ट्रेन दौड़ेंगी। जून में इंस्पेक्शन सही पाए जाने पर मंजूरी...
more... के बाद ट्रायल के तौर पर एक-दो दिन में इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई जाएंगी। उसके बाद रूटीन में दिल्ली-बठिंडा के बीच इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलने लगेंगी। बठिंडा रेलवे स्टेशन पर सभी 7 प्लेटफार्म पर खंभे लगाने के लिए पूरी तेजी से ड्राइंग के अनुसार खंभे लगाने की कंस्ट्रक्शन चल रही है जबकि रेलवे ट्रैक पर खंभे लगाए जा चुके हैं केबल बिछाया जाना बकाया है। रेल ट्रैक पर केबल खींचने का काम 137 करोड़ रुपए में चंडीगढ़ की कंपनी केईसी को सौंपा गया। पहले चरण में रोहतक से जींद तक के ट्रैक का विद्युतीकरण कार्य 31 जुलाई 2016 तक पूरा किया जाना था जबकि दूसरे चरण में जींद से बठिंडा से 30 किलोमीटर पहले लहरा मुहब्बत स्टेशन तक के रेलवे ट्रैक का इलेक्ट्रिफिकेशन कार्य 31 मार्च तक पूरा किया जाना है।
बठिंडा रेलवे स्टेशन पर इलेक्ट्रिफिकेशन खंभे के लिए पिल्लर बनाते कारीगर।
^जींद-दिल्ली ट्रैक के विद्युतीकरण होने से सबसे बड़ा फायदा ये है कि गाड़ियों की संख्या में इजाफा हो जाएगा। लोगों के लिए ट्रेनों के विकल्प बढ़ जाएंगे।’’ -अनिलयादव, स्टेशन अधीक्षक, जींद जंक्शन
ट्रेनों के विकल्प बढ़ जाएंगे
बठिंडा-राजपुरा ट्रैक प्रोजेक्ट दिसम्बर 2019 तक पूरा होगा
बठिंडा-राजपुरारेल ट्रैक प्रोजेक्ट 1720 करोड़ रुपए की लागत का है जो दिसम्बर 2019 तक पूरा होने की संभावना है। इसके इलेक्ट्रिफिकेशन और राजपुरा-मोहाली/चंडीगढ़ नया रेल लिंक स्थापित करने के तीनों काम दिसंबर 2019 तक पूरे कर लिए जाएंगे। बठिंडा-राजपुरा रेलवे लाइन के साथ इलेक्ट्रिफिकेशन का काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है। यह प्रोजेक्ट 205 करोड़ रुपए का है जिसके अंतर्गत अब तक 12 किलोमीटर तक का हिस्सा बन चुका है।
क्रॉसिंग के झंझट से मिलेगी मुक्ति, लगेगा कम वक्त
वर्तमानमें कई नॉन स्टॉप गाड़ियों को सिंगल लाइन होने के कारण बिना वजह छोटे स्टेशनों पर रोके रखना पड़ता है। डबल लाइन होने से ये निर्धारित समय पर पहुंचेंगी। वहीं, लंबी दूरी की मालगाडिय़ों के लिए भी रास्ता सुगम होगा। फिलहाल दिल्ली-बठिंडा रेलवे ट्रैक पर डीजल इंजन वाली गाड़िया चल रही हैं। दिल्ली-बठिंडा तक का विद्युतीकरण होने से इस रेलवे रूट पर ट्रेनों की संख्या बढ़ जाएगी। दिल्ली, रोहतक, जाखल बठिंडा आदि शहरों में जाने के लिए यात्रियों को ट्रेनों के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ज्यादा गाड़ियों के चलने से रेलवे यात्रियों की संख्या में इजाफा हो जाएगा और इससे रेलवे को फायदा होगा।
मई में डबल ट्रैक हो जाएगा मुकम्मल
फिलहाल3.4 किमी रेलवे ट्रैक की डबलिंग बकाया है जिसके पूरा होने के अगले चरण में नान इंटरलॉकिंग की तारीख मुकर्रर होने के एक महीने के अंतराल में लाइनें जोड़कर डबल ट्रैक शुरू कर दिया जाएगा। डीएम कंस्ट्रक्शन भूषण गर्ग के मुताबिक दिल्ली डबल ट्रैक का काम मई तक पूरा हो जाएगा जबकि जून में इस पर ट्रेनें दौड़ेंगी। हालांकि कोटफत्ता रेलवे स्टेशन तक डबल ट्रैक पर अक्टूबर से गाड़िया आवागमन कर रही हैं। कटार सिंहवाला और कोटफत्ता हाल्ट स्टेशन पर क्रॉसिंग हो रही है जबकि दिल्ली से जाखल के मार्ग में कोई ट्रेन क्रॉसिंग नहीं है।