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Blog Entry# 4304051
Posted: Apr 29 2019 (00:20)
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Last Response: Jun 29 2019 (15:01)
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Apr 29 2019 (00:20) 22436/New Delhi - Varanasi Vande Bharat Express | NDLS/New Delhi (16 PFs)
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Arifwap 17601 blog postsEntry# 4304051 Tags Past Edits
May 02 2019 (12:45)
Station Tag: Allahabad Junction/ALD added by Mohd Arif*^~/228436
May 02 2019 (12:45)
Station Tag: Varanasi Junction/BSB added by Mohd Arif*^~/228436
May 02 2019 (12:45)
Station Tag: Kanpur Central/CNB added by Mohd Arif*^~/228436
Apr 29 2019 (00:31)
Station Tag: New Delhi/NDLS added by Mohd Arif*^~/228436
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Train Tag: New Delhi - Varanasi Vande Bharat Express/22436 added by Mohd Arif*^~/228436
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Train Tag: New Delhi - Varanasi Vande Bharat Express/22436 added by Colossal Wreck^~/1518058
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Train Tag: New Delhi - Varanasi Mahamana Express/22418 removed by Mohd Arif*^~/228436
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Part One of Part Three
ट्रेन अठारह की पहली यात्रा--
बहु चर्चित ट्रेन18 में सफ़र का इंतज़ार आखिर 21अप्रैल को पूरा हुआ , इस यात्रा के लिए मेरा इस ट्रैन की शुरुआत से ही प्रयास कर रहा था किंतु हर बार कोई न कोई वजह से मुझे अपनी यात्रा तिथि आगे बढ़ाने को मज़बूर होना पड़ा था , ख़ैर काफ़ी कोशिशों के बाद आखिर 21अप्रैल को यह यात्रा होना तय हो पाया , तय कार्यक्रम के मुताबिक मैने लखनऊ से दिल्ली को यात्रा 17 अप्रैल को गोरखपुर हमसफ़र द्वारा...
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ट्रेन अठारह की पहली यात्रा--
बहु चर्चित ट्रेन18 में सफ़र का इंतज़ार आखिर 21अप्रैल को पूरा हुआ , इस यात्रा के लिए मेरा इस ट्रैन की शुरुआत से ही प्रयास कर रहा था किंतु हर बार कोई न कोई वजह से मुझे अपनी यात्रा तिथि आगे बढ़ाने को मज़बूर होना पड़ा था , ख़ैर काफ़ी कोशिशों के बाद आखिर 21अप्रैल को यह यात्रा होना तय हो पाया , तय कार्यक्रम के मुताबिक मैने लखनऊ से दिल्ली को यात्रा 17 अप्रैल को गोरखपुर हमसफ़र द्वारा...
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तय की तथा वापसी ट्रेन18 से , किन्तु इस यात्रा की तिथि तय होने तक 12अप्रैल हो चुका था और उस वक़्त ट्रेन18 में केवल 67सीट बची हुई थी तथा ऐसे स्तिथी में खिड़की वाली सीट मिलने की संभावनाएं काफी ज्यादा कम थी , जिसको ध्यान रखते हुए मैंने एक जुआ खेलने का निर्णय लिया जिसके मुताबिक मैंने इस ट्रैन को वेटलिस्ट में जाने दिया तथा जब वेटलिस्ट क्रमांक 32 हो गया उस वक़्त टिकट का आरक्षण किया , खैर इस सब आधी अधूरी तैयारियो के साथ मैं दिल्ली रवाना हो गया , ट्रेन18 के टिकट बुक होने के साथ ही वेटलिस्ट घटने और खिड़की की सीट मिलने की उत्सुकता भी साथ जुड़ी रही
सफर का दिन -:
अखित सफर का दिन आ ही गया ,टिकट जो कि 32वेटलिस्ट था वह 19अप्रैल को ही कन्फर्म हो गया था किंतु सीट की जानकारी केवल चार्ट बनने पर ही मालूम हो सकती थी जिसका काफी उत्सुकता से इंतज़ार था , 20 की रात को मैंने रात्रि विश्राम के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का डॉरमेट्री लिया हुआ था जो कि ठीक प्लेटफार्म 16 पर था , मुझे केवल ऊपर से नीचे ही आना था ट्रेन लेने के लिए , खैर दिन में काफी व्यस्तता के कारण थकान के वजह से मैं रात 11 बजे डॉरमेट्री में पहुँच के आराम करते हुए सुबह 5 बजे का अलार्म सेट कर के सो गया , ट्रेन चार्टिंग के बाद कौन सीट मिली है इसकी तथा ट्रेन18 में सफर की उत्सुकता के कारण मेरी नींद तय समय से पहले ही खुल गई तथा मैं 4:45 पर ही उठ गया और अलार्म को बजने से पहले ही बंद कर दिया और उसके बाद बेहद उत्सुकता तथा घबराते हुए अपना फ़ोन उठाया जिसपे सीट के बारे में जानकारी SMS द्वारा आ चुकी थी , मैं फ़ोन उठा के देख तो उसके C10,78 सीट नंबर लिखा हुआ था , मैंने काफी ढूढ़ा की ये कौन सी सीट होती है किंतु इंटरनेट पर ट्रेन18 के सीट लेआउट की पुख्ता कोई जानकारी प्रप्त नही हुए लेकिन मेरे खुद के अंदाजे के हिसाब से यह खिड़की सीट थी, इसलिए मैं ख़ुश तो था किंतु सीट खिड़की की ही है यह सुनिश्चित केवल ट्रेन में चढ़ने के बाद ही मालूम हो सकता था , खैर उठने के बाद मैं तैयार हो कर करीब 5:15 तक डोरमेट्री छोड़ दिया और नीचे प्लेटफ़ॉर्म 16 पर आ गया ,
प्लेटफार्म खचा-खच भरा हुआ था जिसमे अधिकांश वह यात्री थे जिनकी ट्रेन पूर्वा एक्सप्रेस दुर्घटना के वजह से या तो लेट थी या रद्द कर दी गई थी , खैर में पहले से मन बना के आया था कि ट्रैन को प्लेटफॉर्म लगते हुए वीडियो निकलना है इसलिए मैं अपने हिसाब से सदरबाज़ार छोर पर अपने सामान के साथ वीडियो लेने को तैयार था , ऐसा सब करते 5:30 हो चुका था , मैं विडियो लेने के लिए तैयार था कि तभी मेरे दिमाग मे अचानक ख्याल आया कि अपनी लोकेशन को चेक कर लेता ही कि सही जगह हूं या नही और गूगल मैप खोलते ही मुझे झटका लगा कि मैं जिस जगह पर हूं वो सदरबाज़ार नही दरअसल तिलक ब्रिज का छोर है और मैं दिशा भ्रम का शिकार हो गया हूं , अब तक 5:37 के करीब हो चुके थे मैं इसके बाद अपना सामान ले कर दूसरे छोर जाने की कोशिश की किंतु अब देर हो चुकी थी , मैं आधे रास्ते ही था कि मुझे ट्रेन18 प्लेटफॉर्म के तरफ़ आते दिखी ,शुरुवात में ही ऐसा होने से थोड़ी निराश तो हुई किंतु फिर मैं अपनी सीट के तरफ बढ़ गया , काफी चलने के बाद मुझे अपना डब्बा मिला और वहां पहुच के मुझे तस्सली हुई कि मेरे द्वारा खेला गया जुआ सफल रहा और मैन कोच के सबसे पीछे वाली खिड़की सीट मिल गई जो कि काफ़ी बढ़िया थी किसी भी रैलफैंन के लिए , खैर मैं अपना सामान ऊपर की ओर रख कर ट्रेन के पीछे भगा ताकि ट्रेन के पिछले छोर की तस्वीर ले कर ही संतोष कर सकूं ,, खैर पीछे पहुँचने पर पहले ही काफी युवा तस्वीर निकालने में व्यस्त थे ,मैं भी उस भीड़ में घुस कर कुछ तस्वीरी निकल कर वापिस आ गया , अब करीब 5:55 हो चुके थे , मैं अपनी सीट पर पहुँचा तो मुझे भी वही देखने को मिला जिस से हर रैलफैंन को नफ़रत होती है , मेरी सीट पर एक 65-60वर्ष के दंपति बैठे हुए थे अगल बगल , तथा उनका 30-35 वर्षीय पुत्र वहां खड़ा हुआ था 78नंबर सीट के यात्री से सीटो की अदलाबदली की बात करने के लिए जो कि मैं था ताकि वो सीट बदल सके ,, खैर इन ट्रैनों में लोअर बर्थ वाली परिस्थिति रहती नही जिसके लिए मैं अपनी सीट का बलिदान किसी वृध्द को देने के लिए सोचता भी ,
खैर उनके पुत्र ने प्यार भरे लहज़े में मुझसे सीट बदलने का आग्रह किया और मैंने उनसे भी प्यार भरे लहज़े में अपनी सीट खाली करने के लिए स्पष्ट शब्दों में इंकार कर दिया , और माता जी को बगल वाले सीट पर आने का आग्रह किया , उनके पुत्र ने दूसरी साइड वाले युवक से भी वही बात की और उस युवक ने भी साफ इंकार कर दिया , ख़ैर उसके बाद उनका पुत्र अपनी नाकामयाबी से निराश हो कर नीचे उतर गया , अब तक सब अपनी सीट ले कर बैठ चुके थे तथा टाइम करीब 5:58 हो चला था ,,ट्रेन रवानगी को तैयार थी , गेट बंद होने का ऐलान लगतार हो रहा था , जिसमे बिना टिकट ,वैटलिस्ट और अपनी परिजनों को छोड़ने आये लोगो को ट्रैन से उतर जाने का आग्रह किया जा रहा था , खैर 5:59 पर गेट बंद कर दिए गए , ठीक 6:00 बजे ट्रेन ने रेंगना शुरू कर दिया ,
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सफर का दिन -:
अखित सफर का दिन आ ही गया ,टिकट जो कि 32वेटलिस्ट था वह 19अप्रैल को ही कन्फर्म हो गया था किंतु सीट की जानकारी केवल चार्ट बनने पर ही मालूम हो सकती थी जिसका काफी उत्सुकता से इंतज़ार था , 20 की रात को मैंने रात्रि विश्राम के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का डॉरमेट्री लिया हुआ था जो कि ठीक प्लेटफार्म 16 पर था , मुझे केवल ऊपर से नीचे ही आना था ट्रेन लेने के लिए , खैर दिन में काफी व्यस्तता के कारण थकान के वजह से मैं रात 11 बजे डॉरमेट्री में पहुँच के आराम करते हुए सुबह 5 बजे का अलार्म सेट कर के सो गया , ट्रेन चार्टिंग के बाद कौन सीट मिली है इसकी तथा ट्रेन18 में सफर की उत्सुकता के कारण मेरी नींद तय समय से पहले ही खुल गई तथा मैं 4:45 पर ही उठ गया और अलार्म को बजने से पहले ही बंद कर दिया और उसके बाद बेहद उत्सुकता तथा घबराते हुए अपना फ़ोन उठाया जिसपे सीट के बारे में जानकारी SMS द्वारा आ चुकी थी , मैं फ़ोन उठा के देख तो उसके C10,78 सीट नंबर लिखा हुआ था , मैंने काफी ढूढ़ा की ये कौन सी सीट होती है किंतु इंटरनेट पर ट्रेन18 के सीट लेआउट की पुख्ता कोई जानकारी प्रप्त नही हुए लेकिन मेरे खुद के अंदाजे के हिसाब से यह खिड़की सीट थी, इसलिए मैं ख़ुश तो था किंतु सीट खिड़की की ही है यह सुनिश्चित केवल ट्रेन में चढ़ने के बाद ही मालूम हो सकता था , खैर उठने के बाद मैं तैयार हो कर करीब 5:15 तक डोरमेट्री छोड़ दिया और नीचे प्लेटफ़ॉर्म 16 पर आ गया ,
प्लेटफार्म खचा-खच भरा हुआ था जिसमे अधिकांश वह यात्री थे जिनकी ट्रेन पूर्वा एक्सप्रेस दुर्घटना के वजह से या तो लेट थी या रद्द कर दी गई थी , खैर में पहले से मन बना के आया था कि ट्रैन को प्लेटफॉर्म लगते हुए वीडियो निकलना है इसलिए मैं अपने हिसाब से सदरबाज़ार छोर पर अपने सामान के साथ वीडियो लेने को तैयार था , ऐसा सब करते 5:30 हो चुका था , मैं विडियो लेने के लिए तैयार था कि तभी मेरे दिमाग मे अचानक ख्याल आया कि अपनी लोकेशन को चेक कर लेता ही कि सही जगह हूं या नही और गूगल मैप खोलते ही मुझे झटका लगा कि मैं जिस जगह पर हूं वो सदरबाज़ार नही दरअसल तिलक ब्रिज का छोर है और मैं दिशा भ्रम का शिकार हो गया हूं , अब तक 5:37 के करीब हो चुके थे मैं इसके बाद अपना सामान ले कर दूसरे छोर जाने की कोशिश की किंतु अब देर हो चुकी थी , मैं आधे रास्ते ही था कि मुझे ट्रेन18 प्लेटफॉर्म के तरफ़ आते दिखी ,शुरुवात में ही ऐसा होने से थोड़ी निराश तो हुई किंतु फिर मैं अपनी सीट के तरफ बढ़ गया , काफी चलने के बाद मुझे अपना डब्बा मिला और वहां पहुच के मुझे तस्सली हुई कि मेरे द्वारा खेला गया जुआ सफल रहा और मैन कोच के सबसे पीछे वाली खिड़की सीट मिल गई जो कि काफ़ी बढ़िया थी किसी भी रैलफैंन के लिए , खैर मैं अपना सामान ऊपर की ओर रख कर ट्रेन के पीछे भगा ताकि ट्रेन के पिछले छोर की तस्वीर ले कर ही संतोष कर सकूं ,, खैर पीछे पहुँचने पर पहले ही काफी युवा तस्वीर निकालने में व्यस्त थे ,मैं भी उस भीड़ में घुस कर कुछ तस्वीरी निकल कर वापिस आ गया , अब करीब 5:55 हो चुके थे , मैं अपनी सीट पर पहुँचा तो मुझे भी वही देखने को मिला जिस से हर रैलफैंन को नफ़रत होती है , मेरी सीट पर एक 65-60वर्ष के दंपति बैठे हुए थे अगल बगल , तथा उनका 30-35 वर्षीय पुत्र वहां खड़ा हुआ था 78नंबर सीट के यात्री से सीटो की अदलाबदली की बात करने के लिए जो कि मैं था ताकि वो सीट बदल सके ,, खैर इन ट्रैनों में लोअर बर्थ वाली परिस्थिति रहती नही जिसके लिए मैं अपनी सीट का बलिदान किसी वृध्द को देने के लिए सोचता भी ,
खैर उनके पुत्र ने प्यार भरे लहज़े में मुझसे सीट बदलने का आग्रह किया और मैंने उनसे भी प्यार भरे लहज़े में अपनी सीट खाली करने के लिए स्पष्ट शब्दों में इंकार कर दिया , और माता जी को बगल वाले सीट पर आने का आग्रह किया , उनके पुत्र ने दूसरी साइड वाले युवक से भी वही बात की और उस युवक ने भी साफ इंकार कर दिया , ख़ैर उसके बाद उनका पुत्र अपनी नाकामयाबी से निराश हो कर नीचे उतर गया , अब तक सब अपनी सीट ले कर बैठ चुके थे तथा टाइम करीब 5:58 हो चला था ,,ट्रेन रवानगी को तैयार थी , गेट बंद होने का ऐलान लगतार हो रहा था , जिसमे बिना टिकट ,वैटलिस्ट और अपनी परिजनों को छोड़ने आये लोगो को ट्रैन से उतर जाने का आग्रह किया जा रहा था , खैर 5:59 पर गेट बंद कर दिए गए , ठीक 6:00 बजे ट्रेन ने रेंगना शुरू कर दिया ,
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Part Two of Three
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अब तक सभी यात्री अपनी जगह ले चुके थे , ट्रेन तिलक ब्रिज पर करने के बाद रफ़्तार पकड़ना शुरू कर चुकी थी , ट्रेन के भीतर अभी न्यूज़ पेपर वितरण का कार्य प्रारंभ हो चुका था , सभी यात्रियों को एक हिंदी एवं एक अँग्रेजी अख़बार दिए जा रहे थे , अब ट्रेन आनंदविहार पार कर रही थी किंतु अभी भी ट्रैन अपनी रफ़्तार पड़कने में सफल नही हो पा रही थी , किन्हीं कारणों से चंद्र नगर से ग़ाज़ियाबाद रेल रूट के बीच ट्रेने धीमी रफ़्तार...
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अब तक सभी यात्री अपनी जगह ले चुके थे , ट्रेन तिलक ब्रिज पर करने के बाद रफ़्तार पकड़ना शुरू कर चुकी थी , ट्रेन के भीतर अभी न्यूज़ पेपर वितरण का कार्य प्रारंभ हो चुका था , सभी यात्रियों को एक हिंदी एवं एक अँग्रेजी अख़बार दिए जा रहे थे , अब ट्रेन आनंदविहार पार कर रही थी किंतु अभी भी ट्रैन अपनी रफ़्तार पड़कने में सफल नही हो पा रही थी , किन्हीं कारणों से चंद्र नगर से ग़ाज़ियाबाद रेल रूट के बीच ट्रेने धीमी रफ़्तार...
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से गुजारी जा रही थी , ख़ैर ग़ाज़ियाबाद आते आते ट्रेन करीब 100 को रफ्तार पकड़ चुकी थी , यहां हमें 1लीटर की पानी बोतल दी गई , अब तक सुबह की चाय मिलने का कोई संकेत नही मिल सका था , ग़ाज़ियाबाद पार करते ही ट्रैन अपनी रफ़्तार पकड़ने लगी ट्रेन अब 130 की रफ़्तार पर भाग रही थी ,इस ट्रेन के यात्रियों में एक अलग ही उत्साह था , सब काफी ख़ुश नज़र आ रहे थे और ट्रेन की खूबियों को सराहा रहे थे , काफी लोग अपने मोबाइल कैमरे से अपनी सेल्फी और ट्रेन की तस्वीरें निकाल रहे थे , ख़ैर दादरी के पास कैटरिंग स्टाफ़ ने सुबह की चाय का वितरण शुरू किया , लगभग सुबह 6:50 पर कैटरिंग स्टाफ़ द्वारा एक ट्रे में दो बिस्कुट और एक कप में गरम पानी दिया साथ मे एक छोटी डंडी और पैकेट में बंद मसाला चाय का पैकेट भी दिया गया , मैंने वो पैकेट खोल के गरम पानी मे मिलाया और पहला घूट पीते ही लगा कि ये क्या है , दरअसल उस चाय का स्वाद ऐसा था कि मैं अपने दुश्मन को भी वो चाय ना पिलाऊँ , चाय के नाम पर बेस्वाद जलजीरा जैसा कोई प्रदार्थ दिया गया हो ऐसा महसूस हुआ ,काफी कोशिश के बाद भी उस चाय में कोई चाय जैसा टेस्ट नही आया ,खैर मैने फिर साथ दिए गए बिस्किट खा कर अपने मुँह का स्वाद ठीक किया , यह सब होते करीब 8:25 हो चुके थे , ट्रेन अपने पूरे रफ्तार में भाग रही थी कि तभी 2RPF जवान किसी को ढूंढते हुए गेट की तरफ गए , तभी गेट के तरफ से कुछ तेज़ आवाज़े आने लगी , जिज्ञासावश मैंने जब गेट का रुख़ किया तो आरपीएफ के जवान एक व्यक्ति से पूछताछ कर रहे थे ,कऱीब जाने पर मालूम हुआ कि वो व्यक्ति बिना किस टिकट के ट्रेन18 में यात्रा कर रहा था ,तथा पकड़े जाने पर उसने बताया कि उसने जो ऑनलाइन टिकट लिया था वो वेटलिस्ट में ही रह गया था , और वह ऐसे ही चढ़ गया , मौजूद आरपीएफ ने उसे काफ़ी फटकार लगाने के बाद दो रास्ते सुझाएँ की या तो वो कानपुर में खुद को जीआरपी के हवाले कर दे या 3480₹ का जुर्माना भुगतान करे जिसके बाद उसको ट्रेन के गेट पर रह कर यात्रा की अनुमति दी जायेगी , काफ़ी देर चले ड्रामे के बाद और उस व्यक्ति के यह कहने पर की उसके पास अभी पर्याप्त पैसे नही है जुर्माना भरने के लिए यह तय हुआ कि उस व्यक्ति का मोबाइल जीआरपी के पास रहेगा और वह ट्रेन के गेट के पास यात्रा करते हुए इलाहाबाद में अपने परचित से पैसे मंगवा के देगा जिसके बाद उसका मोबाइल उसको वापिस किया जायेगा , खैर यह सब होते ट्रेन अलीगढ़ पार कर चुकी थी , यात्री अभी तक सुबह के नाश्ते के इंतज़ार कर रहे थे, मैंने अभी यह ध्यान दिया कि चाय के लिए दिया हुआ ट्रे और बाकी समान अभी तक वैसे ही वहां मौजूद थे ,हटाये नही गए थे ,,खैर मुझे चाय में मिली निराश के बाद नाश्ते से ज्यादा उम्मीद नही थी , लगभग 7:40पर छोटा पैकेट दिया जाता है जिसमे एक टिसू , एक हैंडवाश जेल , एक चमच और साथ मे एक छोटा पैक टमाटर की चटनी दी जाती है , ये समान मिलने के बाद हम नाश्ते के इंतज़ार करने लगते है जो कि काफ़ी लंबा इंतजार था , कऱीब 8:05 पर नाश्ते के पैकेट देना शुरू किया जाता है , जो कि सबसे आखिर में बैठे मुझ तक आने में वक़्त 8:20 तक हो जाता है , खैर मैंने कैटरिंग स्टाफ से नॉनवेज के लिए डिमांड किया जो कि खत्म हो चुका था ,पर उन्होंने दूसरे डब्बे से ला कर मुझे दिया , डब्बे खोलने पर उसमे ऑमलेट एवं डोनट, क्रोइसैन, ब्रूसकेटा दिया गया , नाश्ते के लिए सामग्री तो काफी थी किंतु वो बेमेल थी , अगर सरल भाषा मे कहाँ जाए तो तीन तरह की ब्रेड परोसी गई थी जिसके साथ एक छोटा सा टमाटर केचअप दिया गया था , मैंने पानी के साथ किसी तरह इस नास्ते को भी समाप्त किया किंतु मेरे बगल बैठी माता जी इस बेमेल सुबह के नाश्ते को खाने में असमर्थ रही और लगभग पूरा समान दुबारा बंद कर के वापिस रख दिया , अब तक करीब 8:35 होने को थे , नाश्ते के बाद हमे पेय प्रदार्थ के लिए तीन विकल्प दिए गए जिसमे चाय/कॉफी या सेब का बंद पैकेट जूस का विकल्प था , सुबह के चाय के ख़राब अनुभव के बाद मैंने चाय या कॉफ़ी ना लेना ज्यादा बेहतर समझा और सेब का जूस लेना बेहतर समझा , जो कि ठंडा बिल्कुल नही था , इसलिये स्वाद उतना सही नही लगा , ख़ैर अब तक ट्रेन टूण्डला निकल चुकी थी ,, मैंने यह ग़ौर किया कि इस ट्रेन के यात्रियों में अजीब ही इच्छा है चलते रहने की ,मानो इनके पैर ने पहिये लगे हो ,,कोई इधर जा रहा कोई उधर , कोई गेट पर टहल रहा , मुझे शुरू में तो काफ़ी अजीब सा लग रहा था यह सब, तभी मेरे बगल वाली सीट पर बैठी माता जी भी उठ कर टहलने चली गई , उसके बाद मुझे ध्यान आया कि दोष यात्रियों में नही है ना उनके पैर में पहिये लगे है , दरअसल इसकी असली वजह इस ट्रैन की ठोस रबर वाली बिना पुश बैक कुर्सियां थी ,काफ़ी यात्रिओ की पीठ 2-3घंटे बाद ही जवाब देना शुरू कर चुकी थी , दरअसल इन सीटों में पुशबैक का सिस्टम तो था नही ऊपर से ये ठोस रबड़ के होने के वजह से मुलायम भी नही थी , जिसके वजह से लंबे समय तक इनपर बैठना तकलीफ़देह था , खैर ट्रेन जब इटावा से निकल चुकी थी तो मैं भी अपनी सीट से उठ गया , इस ट्रेन की यह बात मुझे काफी पसंद आई कि इस ट्रेन में गेट का एरिया काफ़ी बड़ा था , यह इतना बड़ा था कि करीब 15-20लोग आराम से एक साथ खड़े हो सके , खैर वहां पहले ही काफ़ी लोग अपनी थकान मिटा रहे थे जो सीटो से परेशान थे , मैन भी कुछ समय वहां बिताया
Pic 1. tomato Ketchup nd tissue , spoon , hand wash liquid in pack
Pic 2 . Morning Breakfast
Pic 3 Rpf with Without Ticket passnger
Pic 4 Without Ticket Passnger
Pic 5 . Near Kanpur
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