Spotting
 Timeline
 Travel Tip
 Trip
 Race
 Social
 Greeting
 Poll
 Img
 PNR
 Pic
 Blog
 News
 Conf TL
 RF Club
 Convention
 Monitor
 Topic
 #
 Rating
 Correct
 Wrong
 Stamp
 PNR Ref
 PNR Req
 Blank PNRs
 HJ
 Vote
 Pred
 @
 FM Alert
 FM Approval
 Pvt

RailCal app

site support

22626 SBC-MAS Double Decker - எப்பவுமே டாப் டக்கர் - Vijay Baradwaj

Search Forum
<<prev entry    next entry>>
Blog Entry# 4310524
Posted: May 06 2019 (17:47)

No Responses Yet
General Travel
1422 views
2

May 06 2019 (17:47)  
AmishKumar^~
AmishKumar^~   12525 blog posts
Entry# 4310524              
रेलवे स्टेशन बोर्ड पर “समुद्र तल से ऊँचाई” क्यों लिखी होती है?
A.K. Sinha, भारतीय रेल में मुख्य योजना इंजीनियर
समुद्र तल की ऊँचाई से ट्रेन के ड्राइवर को कोई भी मदद नहीं मिलती है।
गौर करें , ज्यादातर स्टेशन स्वतंत्रता के पूर्व के हैं, जिस वक़्त वाष्प इंजन चला करते थे जिसमें गियर नहीं होता था ( डीजल और विद्युत लोको में
...
more...
भी गियर नहीं होता है - थ्रोटल और टैप चेंजर होता है जो गियर से बिल्कुल अलग है) अतःलोको पायलट को मदद करने वाली बात बेतुकी और हास्यास्पद है।
समुद्र तल की ऊँचाई का बोर्ड - मुख्यतः सिविल इंजीनियर हेतु लिखा होता एक रेफेरेंस पॉइंट के रूप में । यह स्टेशन निर्माण के समय ही लिखा जाता है ।
मान लें कि तीन लगातार स्टेशन अ, ब और स हैं। तीनों स्टेशन 10 -10 किलोमीटर के फासले पर हैं
स्टेशन “अ” की ऊंचाई 100 मीटर है
स्टेशन “ब” की ऊंचाई 100 मीटर है
स्टेशन “स” की ऊंचाई 160 मीटर है
तो स्टेशन “अ” से स्टेशन “ब” की ट्रैक लेवल होगी
और स्टेशन “ब” से स्टेशन “स” की ट्रैक लेवल नहीं होगी बल्कि
(160 -100)/ 10X 1000 = 6/1000 या 1/166 चढ़ाई (rising gradient ) वाली होगी। यह चढ़ाई सामान्यतः अनुमत ग्रेडिएंट 1/200 से ज्यादा है अतः: “ब” से “स” ट्रेन जाएगी तो पीछे से एक बैंकिंग /banking लोको भी मदद के लिए लगेगा । इन्हें सामान्यतया घाट सेक्शन कहते हैं । “स” से “ब” आने में 1/166 की ढाल मिलेगी , अतः: ड्राइवर सावधान रहेगा, गति नियंत्रित रखेगा। बहुत जगह ऐसी जगहों पर गति कम कर दी जाती है । दिल्ली कलकत्ता बरास्ते गया - कोडरमा के आसपास गुरपा गुझण्डी ऐसा ही घाट सेक्शन है जहां 130 पर चलनेवाली राजधानी भी 65 पर चलती है । मालगाड़ियों की रफ्तार और भी कम की जाती है ।
वाष्प इंजन के जमाने में वापिस लौटें तो स्टेशन “स” से “अ” जाने में 1 टन कोयला लगेगा तो लौटने में चढ़ाई के कारण स्टेशन “अ” से “स” में ज्यादा कोयला लगेगा और यदि 1 टन ही दिया गया तो ट्रेन बीच में ही खड़ी हो जाएगी और ईंधन समाप्त हो जाएगा। डीजल इंजन में भी इसी अनुसार तेल की गणना की जाती है । विद्युत लोको में ईंधन खत्म वाली बात तो नहीं होती है पर विद्युत खपत पर नज़र इन्ही पर आधारित आकलन के अनुसार रखी जाती है ।
अब दूसरा परिदृश्य लें
मान लें कि तीन लगातार स्टेशन अ, ब और स हैं। तीनों स्टेशन 10 -10 किलोमीटर के फासले पर हैं
स्टेशन “अ” की ऊंचाई 100 मीटर है
स्टेशन “ब” की ऊंचाई 100 मीटर है
स्टेशन “स” की ऊंचाई 120 मीटर है
तो स्टेशन “अ” से स्टेशन “ब” की ट्रैक लेवल होगी
और स्टेशन “ब” से स्टेशन “स” की ट्रैक लेवल नहीं होगी बल्कि
(120 -100)/ 10X 1000 = 2/1000 या 1/500 खड़ी चढ़ाई वाली होगी।
इसमें दूसरे लोको की जरूरत नहीं पड़ेगी । परंतु वाष्प इंजन के समय में हर इंजन के कोयले की खपत की गणना की जाती थी तो स्टेशन वाइज कोयले की खपत निम्नवत होगी
स्टेशन “स” से “ब” कोयले की खपत - सबसे कम होगी - ढाल के कारण
स्टेशन अ से ब औऱ ब से अ की खपत सामान्य और बराबर होगी
स्टेशन “ब” से “स” कोयले की खपत - सबसे ज्यादा होगी - चढ़ाई के कारण
हर ट्रेन में कोयले/डीजल की खपत का राशन बना होता है । यह राशन चार्ट इन्ही विभिन्न स्टेशन की सापेक्षिक ऊंचाई के आधार पर बनता है । यह सापेक्षिक ऊंचाई समुद्र तल की ऊंचाई पर निर्भर करती है ।
जहाँ तक ट्रेन ड्राइवर की बात है तो वो स्टेशन पर लगे ऊंचाई को नहीं देखते हैं, बल्कि पटरी के बगल में लगे ग्रेडिएंट पोस्ट को देखते हैं - जिसपर 100 , 200 या 400 या 1000 इत्यादि up/down arrow की निशान के साथ लगा होता है जो कि ग्रेडिएंट के साथ साथ चढ़ाई या ढाल की भी जानकारी देता है । वैसे ड्राइवर को अधिकतम ग्रेडिएंट की जानकारी पहले से ही होती है , जिसे रूलिंग ग्रेडिएंट कहते हैं ।
जहाँ पटरी बिल्कुल समतल होती है वहाँ L (L फ़ॉर Level /लेवल) लिखा होता है

Translate to English
Translate to Hindi
Scroll to Top
Scroll to Bottom
Go to Desktop site
Important Note: This website NEVER solicits for Money or Donations. Please beware of anyone requesting/demanding money on behalf of IRI. Thanks.
Disclaimer: This website has NO affiliation with the Government-run site of Indian Railways. This site does NOT claim 100% accuracy of fast-changing Rail Information. YOU are responsible for independently confirming the validity of information through other sources.
India Rail Info Privacy Policy