UDZ ADI line GC k sath sath electrify bhi hogi..
मेवाड़ में बिजली से चलेंगी ट्रेन, 4 साल में
800 करोड़ खर्च होंगे
उदयपुर. रेल
मंत्रालय ने
मेवाड़...
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बिजली से ट्रेनें
चलाने
का इलेक्ट्रिफिकेशन प्लान तैयार
किया है। चार साल में होने वाले इस काम
की मौजूदा लागत 800 करोड़ रुपए तय
की गई है। उदयपुर से चित्तौड़ होकर
रतलाम, कोटा व अजमेर रेल
लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन इस
योजना में शामिल है। प्लान में उदयपुर-
अहमदाबाद निर्माणाधीन बड़ी रेल
लाइन को भी इसमें लिया गया है।
रेल मंत्रालय ने रेलवे ट्रैक
इलेक्ट्रिफिकेशन के 1800 करोड़
की लागत वाले दो मेगा प्लान तैयार
किए हैं। पहला प्लान में दिल्ली से
वाया जयपुर, अजमेर, पालनपुर होकर
अहमदाबाद तक मेन रेल लाइन
को इलेक्ट्रिफाई किया जाएगा। इसके
टेंडर जारी हो चुके हैं। वर्ष 2016 तक
दिल्ली-अहमदाबाद लाइन पर बिजली से
ट्रेनें चलाने का लक्ष्य है। परियोजना के
सब प्लान में अहमदाबाद-गांधीधाम रेल
लाइन विद्युतीकरण भी जोड़ा गया है।
दूसरी योजना की लागत 800 करोड़
रुपए है।
दूसरे चरण के काम 2015 में शुरू कर
2018 तक पूरे करने का टार्गेट है।
उदयपुर क्षेत्र की रेल संचालन
गतिविधियों का निरीक्षण करने
शनिवार को आए रेलवे बोर्ड के
विद्युतीकरण एवं दूरसंचार विभाग के
निदेशक कुलभूषण ने भास्कर
को बताया कि उदयपुर से अहमदाबाद के
बीच आमान परिवर्तन कार्य पूरा होने
पर ट्रेनों का संचालन डीजल इंजन के
बजाए बिजली के इंजनों से होगा।
अहमदाबाद रेल खंड में अर्थ वर्क
(जमीनी कार्य) पूरा होने के बाद लोहे
की पटरियां बिछाने के साथ बिजली के
पोल लगाने तथा वायरिंग के काम शुरू
किए जाएंगे। प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में
उदयपुर से चित्तौड़ होकर कोटा, रतलाम
और अजमेर तक रेल
लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन
किया जाएगा।
ये रेलखंड पहले से हैं विद्युतीकृत
दिल्ली-मुंबई ट्रंक रेल लाइन पर होने से
कोटा जंक्शन को 20 वर्ष पूर्व
विद्युतीकृत किया जा चुका है। रतलाम
भी इसी ट्रंक लाइन पर स्थित होने से
20 वर्ष पूर्व विद्युतीकृत कर
दिया गया था। अजमेर तथा जयपुर रेल
खंड फिलहाल विद्युतीकृत नहीं हैं। इन रेल
खंडों को विद्युतीकृत करने की टेंडर
कार्यवाही शुरू कर दी गई है। यह काम
2016 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
सिटी स्टेशन व ट्रेनिंग सेंटर का जायजा
रेलवे बोर्ड के इलेक्ट्रिकल एंड
कम्युनिकेशन डायरेक्टर कुलभूषण ने
शनिवार को सबसे पहले रेलवे प्रशिक्षण
संस्थान का अवलोकन किया। अजमेर मंडल
प्रबंधक नरेश सालेचा उनके साथ थे।
संस्थान के प्राचार्य सत्यपाल मैढ़ ने
उनका स्वागत किया। कुलभूषण ने संस्थान
के कम्युनिकेशन सिस्टम को अपग्रेड करने
की जरूरत बताई। उन्होंने इंडियन रेलवे
ट्रैफिक सर्विस के प्रशिक्षु
अधिकारियों की क्लास ली। संस्थान के
ट्रांसपोर्टेशन मॉडल रूम
की भव्यता को देख दंग रह गए। संस्थान
परिसर में नव निर्मित इलेक्ट्रिक ट्रैक
का अवलोकन किया।
सुविधा
ज्यादा क्षमता वाला बिजली का इंजन
सस्ता, हाथोंहाथ पता चल जाती है
खराबी
दिल्ली-मुंबई ट्रंक रेल लाइन पर स्थित
गंगापुर सिटी के लोको इंस्पेक्टर
श्रीप्रकाश शर्मा का कहना है
कि बिजली के रेल इंजनों की रफ्तार व
भार वहन क्षमता डीजल इंजन से अधिक
होती है। देश की सबसे फास्ट ट्रेन
शताब्दी व राजधानी का 160
किमी प्रति घंटे की गति से संचालन
बिजली के इंजनों से हो रहा है। डीजल
इंजन फेल हो जाने पर कारखाने में जांच
करने पर ही खराबी का पता चलता है।
इलेक्ट्रिक इंजन का सिस्टम कंप्यूटर से
कंट्रोल होता है। इंजन के
किसी भी पार्ट में खराबी कंप्यूटर पेनल
पर देखी जा सकती है। सामान्य
खराबी चलती ट्रेन में ड्राइवर खुद
दुरुस्त कर लेते हैं। डीजल इंजन से
ट्रेनों का संचालन बिजली के इंजन के
मुकाबले महंगा पड़ता है। मालगाडिय़ों में
भार खींचने की क्षमता बिजली के रेल
इंजन में ज्यादा होती है।