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Blog Entry# 1168577
Posted: Jul 22 2014 (17:40)
4 Responses
Last Response: Jul 22 2014 (18:06)
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भारतीय रेल एक बड़ा संस्थान है जिसके द्वारा चलाई जा रही हजारों गाड़ियों में प्रतिदिन कई लाख लोग यात्रा करते हैं | लेकिन दुःख की बात है कि इसकी रेल की पटरियों का इस्तेमाल लाखों लोग शौचालय के रूप में करते हैं | यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि रेल की पटरियां दुनिया का सबसे बड़ा शौचालय बन कर रह गया है | इसमें रेल की जिम्मेदारी इतनी नहीं है जितनी राज्यों की है | सब राज्य अपनी योजनायें बनाते समय इस समस्या की ओर ध्यान नहीं देते | उन्हें चाहिए कि जितनी इच्छा वे नई रेल पटरी और गाड़ियों की करते हैं उससे ज्यादा जरूरत सुलभ शौचालय बनाने की है जिससे देश के लाखों लोग इस पटरी का शौचालय के रूप में प्रयोग न करें | इस ओर ध्यान देने की जिम्मेदारी रेल की नहीं | उन राज्यों की होनी चाहिए जिन राज्यों से होकर रेल गुजरती है |...
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आपने शायद मेरे पिछले पोस्ट नहीं पढ़े हैं | यह मेरे अपने विचार हैं | क्या आप सहमत हैं?
Agree.. I remember, when I was in Mumbai, western line par poori local train ki public naak par roomal rakh leti thi, jab train Mahim cross karti thi..
यह हालत सिर्फ मुंबई नहीं , हर बड़े शहर के पास ऐसी ही स्थिति होती है | शर्मसार औरते कड़ी हो जाति है और बेशर्म लोग आराम से बैठे रहते हैं | यदि उन्हें शौचालय की सुविधा मिले तो वे भी उसका प्रयोग करें |