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Blog Entry# 1999853
Posted: Sep 23 2016 (12:54)
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Last Response: Sep 24 2016 (15:24)
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15जनवरी 1934 के भूकंप के बाद दरभंगा से सहरसा और फारबिसंगज का संपर्क खत्म हो गया। जहाँ कोसी ने भी अपना रास्ता बदला वहीं ट्रेनों का परिचालन भी निर्मली तक सिमट कर रह गया। 82 साल बाद भी इस मार्ग को फिर से परिचालन का इतंजार हैं। जहाँ अब कोसी पर महासेतु का निर्माण हो चुका हैं, वही झंझारपुर से फारबिसंगज तक मेंगा ब्लॉक भी लिया जा चुका हैं। मीटर गेंज ट्रेनों का परिचालन अब बस सकरी-झंझारपुर और राघोपुर-सहरसा तक सिमट चुका हैं। कुछ दिनों में यह भी बंद हो जायेगा और वो दिन फिर से आयेगा, जब 1934 के बाद इन रेल खंड पर फिर से दौडे़गी ट्रेन।
सभार- दरभंगा राज।
सभार- दरभंगा राज।
2 Public Posts - Fri Sep 23, 2016
कोसी ने इस लायक ही नही छोड़ा की दरभंगा भपटियाही के बीच तस्वीर लिया जा सकें, तस्वीरें भपटियाही-फारबिसंगज के बीच की है शायद। वैसे 2012 में मैने एक तस्वीर लिया था, महासेतु के पास से ही कोई छोटी सी पुल गुजरती थी उस समय। अलाइन्मेन्ट बदला जायेगा, रहडीया स्टेशन भी इतिहास हो जायेगा। कुछ चीजों पर काम भी करना होगा, शायद दरभंगा-सहरसा के लिए लोको रिर्वस्ल होगा भपटियाही में। बाईपास का निर्माण जरूरी होगा, फारबिसंगज के लिए भी ललिग्राम एक समस्या होगी। रेलवे इस का हल निकालेगा या नही, यह भी एक अलग मुद्दा होगा।
1 Public Posts - Fri Sep 23, 2016
2 Public Posts - Sat Sep 24, 2016