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DC Line - ये आग का दरिया पार कर पाना नहीं था आसान ...पर धनबादवासियों के इरादे हैं चट्टान.... चलाकर रहेंगे इसपर रेल गाड़ी महान... - Niket Karan

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Blog Entry# 2329389
Posted: Jun 22 2017 (18:30)

15 Responses
Last Response: Jun 22 2017 (20:06)
Travelogue
12762 views
7

Jun 22 2017 (18:30)  
~   1338 blog posts
Entry# 2329389              
हमारा 10 दिवसीय राजस्थान का कार्यक्रम:
परीक्षा खत्म होने पर हमें कहीं घूमने जाना था। जगह के लिए चुनाव हुआ राजस्थान का। तारीख तय हुई 4/6-13/6
Summary::
Original plan::
राँची - हावड़ा: -
...
more...
18628 इंटरसिटी एक्सप्रेस
शालिमार- उदयपुर - 19659 शालिमार-उदयपुर एक्सप्रेस
उदयपुर-जयपुर -- 19666 उदयपुर- खजुराहो एक्सप्रेस
जयपुर-जैसलमेर--14659 मलानी एक्सप्रेस
जैसलमेर-जोधपुर -- 15013 रानीखेत एक्सप्रेस
जोधपुर-जयपुर---18244 भगत की कोठी- बिलासपुर एक्सप्रेस
जयपुर-राँची --- 18632 गरीबनवाज़ एक्सप्रेस
आगे चलकर कुछ कारणों से कार्यक्रम में परिवर्तन हुआ और ट्रेनें बदल गईं। अब जो ट्रेनें प्रयोग में लाई गईं::--
हटिया-खड़गपुर --58026 हटिया खड़गपुर पैसेंजर
खड़गपुर - कोटा --- 19659 शालिमार-उदयपुर एक्सप्रेस
कोटा-जयपुर ---59801 कोटा -जयपुर पैसेंजर
जयपुर-जैसलमेर ---14659 मलानी एक्सप्रेस
जैसलमेर-जोधपुर ---15013 रानीखेत एक्सप्रेस
जोधपुर-जयपुर ---18244 भगत की कोठी - बिलासपुर एक्सप्रेस
जयपुर - कोटा --- बस
कोटा - बरकाकाना --- 18010 अजमेर - सांतरागाछी एक्सप्रेस
बरकाकाना - राँची --- बस

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8 Public Posts - Thu Jun 22, 2017

4275 views
3

Jun 22 2017 (18:40)
~   1338 blog posts
Re# 2329389-9              
Part 7 JAIPUR to BARKAKANA via KOTA
हाँ, तो अब स्थिति ये थी कि हम अपना जयपुर- राँची का 18632 गरीबनवाज़ एक्सप्रेस का SL टिकट रद्द करवा चुके थे और हमारा नया टिकट था 18010 अजमेर- सांतरागाछी एक्सप्रेस मे कोटा से बरकाकाना तक 3AC में WL11 टिकट था जो 11/6/17 को WL7 पर पहुँच चुका था। हमने 9 बजे होटल से चेक-आउट किया और पैदल ही चल पड़े जयपुर जंक्शन से थोड़ी दूर स्थित सिंधी कैम्प बस स्टैण्ड। हमने कोटा के लिएAC बस की खोज की पर हमारा प्रयास असफल रहा। अंतत: राजस्थान लोक परिवहन सेवा की 3*2 बस से कोटा जाना पड़ा। ठीक 3 बजे बस ने हमें कोटा के नयापुरा बस अड्डे पर छोड़ दिया। यहाँ से हमने स्टेशन के
...
more...
लिए टेम्पो पकड़ा और थोड़ी देर बाद हम 4 दिन के बाद वापस कोटा जंक्शन के सामने थे । हमारा टिकट वेटिंग में था तो विश्रामालय का प्रयास करना व्यर्थ था। हमने पहले तो खाना पैक करवाया और पास के ही होटल में एक कमरा ले लिया। कमरे में घुसने के बाद हमारे ममोबाईल पर भारतीय रेल की ओर से संदेश प्राप्त हुआ। संदेश था 18010, PNR ----------, B1/47. हमारी खुशी का ठिकाना न था। आजकल भगवान हमारी कुछ ज्यादा ही सुन रहा था। पहले 59801 मे SL, फिर रिजल्ट और अब 18010 में साइड लोअर। जैसा हमारा इस ट्रिप का इतिहास रहा था हमनें अंदाज़ लगाया कि यहाँ भी चार्जिंग प्वाइंट मिल जाएगा। खैर सब कुछ छोड़ हम खाना खाते हुए भारत- दक्षिण अफ्रीका का मैच देखने लगे । मैच खत्म होने के बाद थोड़ी नींद ली। सो कर उठे तो रात के 00:30 हो रहे थे। हम होटल से निकले और प्लेटफार्म 1 पर लगे लिफ्ट और FOB की मदद से प्लेटफार्म संख्या 4 पर पहुँचे। वहाँ CGS 18010 के डिब्बों की स्थिति बता रहा था। उसकी मदद लेते हुए हम B2 के जगह पहुँचे। अभी पहुँचे ही थे कि एक कानफाड़ू ट्रेन की सीटी सुनाई दी। पलट कर देखा तो नीले-पीले रंग में पुता हुआ पतरातू WDG4 था जो मुंबई एंड से दिल्ली एंड की ओर जा रहा था। हम समझ गए कि यही है हमारी ट्रेन का आज बरकाकाना तक साथी। वैसे तो ट्रेन के आने का समय 02:20 था लेकिन ट्रेन 01:55 पर ही आ चुकी थी। पास आई तो देखा नीले रंग का आबूरोड WDM 3A इसे खींच रहा था। गाड़ी रूकने पर हम अपने डिब्बे में चढ़े। एकदम साफ सुथरा डिब्बा व उतने ही साफ बेड-रोल भी रखे थे। हम अपने सीट पर बैठे तो खिड़की के ऊपर चार्जिंग प्वाइंट भी दिखा। अपने नियत समय 02:30 बजे गाड़ी प्रस्थान कर गई। गाड़ी के खुलते ही हमने सबसे पहले चार्जिंग प्वाइंट का जायजा लिया। कम्बख़्त चार्जर अंदर जा ही नहीं रहा था। हमने देखा ते अंदर हमें कुछ ठूँसा हुआ दिखा। हमें उन यात्रियों पर बड़ा गुस्सा आया जिनका यह काम था। अमाँ यार शान्ति से अपनी यात्रा समाप्त करो और घर जाओ। ट्रेन के उपकरणों से छेड़छाड़ क्यों करते हो? खैर अब कर भी क्या सकते थे? चार्जर बैग में डाला, टीटीई को टिकट दिखाया और सो गया। सुबह उठा तो गाड़ी गुना से खुल रही थी। चाय-चाय की आवाज़ सुन एक कप चाय लिया और धीरे-धीरे पूरा कप खत्म किया। चाय ठीक-ठाक थी। धीरे -धीरे लोग जाग रहे थे और डिब्बे में चहलकदमी बढ़ रही थी। हमारे आस-पास के सभी लोग सोए हुए थे। हम बाहर के नज़ारे का आनंद ले रहे थे। लग रहा था कि बारिश हुए थोड़ी देर ही हुई थी क्योंकि जमीन काफी गीली थी और छोटे-मोटे गड्ढों को भर चुकी थी। थोड़ी देर के लिए गेट पर आया तो मिट्टी की सोंधी खुशबू हवा में अभी तक तैर रही थी और ठंडी हवा का झोंका हमारे चेहरे को स्पर्श कर हमारे मन के प्रफुल्लित कर रहा था। थोड़ी देर गेट पर खड़े रहने के बाद हम अंदर आए तो, डिब्बे की साफ-सफाई चल रही थी और रूम फ्रेशनर छिड़का जा रहा था। इतना होने के बाद जेब पर WCR का बैच लगाए एक वेण्डर खाने का order ले रहा था। हमने भी 100 रु वाली वेज थाली का बोल दिया। सागर से गाड़ी के खुलने पर हमें हमारा खाना मिल गया। एकदम अच्छा तो नहीं पर संतोषज़नक स्वाद था और खाने की मात्रा भी ठीक थी। ट्रेन अपनी गति से चली जा रही थी, कि तभी हमारे सामने दो व्यक्तियों में तू तू - मैं मैं होने लगी। दिन के 12:30 हो रहे थे और वो साहब, जिनका नीचे वाला बर्थ था, उठने का नाम न ले रहे थे। उनका कहना था कि ये मेरी बर्थ है इसलिए हम बैठने नहीं देंगें । ना ही वो मिडिल बर्थ को गिराने दे रहे थे। फिर वो साहब जिनका ऊपर का बर्थ था उन्होंने टीटीई को बुला लिया। टीटीई ने उस व्यक्ति को 9-6 वाला नियम बताया। थोड़ी और बहस के बाद झगड़ा निपटा और आखिर मिडिल बर्थ गिरा। वो साहब टीटीई को उसकी औकात दिखाने की बात कर रहे थे। हमें बड़ा गुस्सा आ रहा था उनकी डींगें सुनकर। आखिर ऐसे लोग लोअर बर्थ लेते ही क्यों हैं? जो इतना सोने का मन होता है तो ऊपर का बर्थ लें। इतने में दो बज चुके थे और गाड़ी कटनी मुरवाड़ा पहुँच चुकी थी। यहाँ हमने रात के लिए एक बिस्किट का पैकेट और 4 केले ले लिए। गाड़ी कटनी मु. से खुली और थोड़ी देर बाद कटनी- बिलासपुर लाईन से अलग होकर सिंगरौली की तरफ मुड़ गई। फिर से डिब्बे की सफाई की गई और रूम फ्रेशनर छिड़का गया। गाड़ी धीमी गति से चली जा रही थी और अब हर स्टेशन पर रुक रही थी। शाम को लगभग 8 बजे के आसपास गाड़ी किसी स्टेशन पर बहुत देर रुकी रही। गाड़ी अभी रुकी हुई ही थी कि वेण्डर डिनर के लिए खाना बाँट रहा था। खाना कटनी में तो चढ़ा नहीं होगा तो एक unscheduled stop पर खाना कैसे लोड किया जा रहा था? क्या वेण्डर को पहले से पता था कि गाड़ी यहाँ रुकेगी? ये सब सोचते हुए हमें नींद आने लगी तो हम सो गए। सुबह 4 बजे के आसपास उठे तो गाड़ी डाल्टनगंज पहुँच रही थी। यहाँ कुछ लोग उतरे और कुछ चढ़े भी। जो यात्री ट्रेन में चढ़े, उन्हें अटेण्डेन्ट ने बेड-रोल दिया। मुझे जगा देख, उन्होंने हम से कन्फर्म किया कि क्या हम बरकाकाना उतरेंगें? हमारे हाँ कहने पर वो चला गया और जो यात्री डाल्टनगंज उतरे थे, उनका बेडरोल समेट कर उठा ले गए। झारखण्ड के जंगलों से गुजरते हुए सूर्य की पहली किरणें फूटी। सुबह की सुनहरी किरणों की छटा जंगल की हरियाली में चार चाँद लगा रही थी। ऐसे ही दृश्यों को निहारते हुए कब बरकाकाना पहुँच गए हमे पता ही नहीं चला। हम उतरे और टैक्सी स्टैण्ड की ओर बढ़े। वहाँ से रामगढ़ के लिए शेयरिंग Auto लिया। फिर रामगढ़ से बस और 2 घण्टे में राँची स्थित अपने घर पहुँच गए। तो ये था हमारा राजस्थान ट्रिप। इस ट्रिप में हमें बहुत ही मज़ा आया और हमारे सबसे प्रिय पर्यटन स्थल राजस्थान ने हमें बिल्कुल निराश नहीं किया।

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6 Public Posts - Thu Jun 22, 2017
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