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12988 - बारह नौ सौ अठासी , इसके नखरे हैं नवाबी ! - Keshav Saxena

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Blog Entry# 1029742
Posted: Mar 19 2014 (20:18)

25 Responses
Last Response: Mar 24 2014 (15:14)
Rail Fanning
19788 views
19

★★★
Mar 19 2014 (20:18)   22186X/Indore - Bhopal AC Double Decker Express
 
RaviPrajapati^~
RaviPrajapati^~   5146 blog posts
Entry# 1029742            Tags  
Looks like Indian Railways has taken the word formality very seriously. ET WAM-4 # 20699 moves towards Mangliya with the Bhopal bound DD from Indore. (VM)
click here
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3 Public Posts - Wed Mar 19, 2014

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1 Public Posts - Fri Mar 21, 2014

15 Public Posts - Mon Mar 24, 2014

3701 views
0

Mar 24 2014 (15:14)
SurajParihar~
SurajParihar~   2992 blog posts
Re# 1029742-25              
ईश्वर शर्मा, इंदौर। ये
जानना तकलीफदेह है
कि इंदौर-भोपाल डबल डेकर
देश की सबसे विफल ट्रेनों में
से एक बनने जा रही है। देश
के
...
more...
अन्य रूट पर चल
रही डबल डेकर
की यात्री संख्या और
मुनाफे की तुलना इंदौर-
भोपाल डबल डेकर से करने
पर यह नतीजा सामने
आया है। कारण
पता लगा किराया कम न
करना। इसके चलते इसे बंद
कर अन्य रूट पर भेजने
की सुगबुगाहट भी चल
रही है।
वर्षों इंतजार और कई दौर
की लड़ाई के बाद इंदौर
को मिली डबल डेकर अब बुरा सपना साबित
होती जा रही है। बड़ी उम्मीदों के साथ चली ये ट्रेन
रोजाना फ्लॉप होने के नए रिकॉर्ड बना रही है। बीते
साल 27 सितंबर को शुरू होने के बाद से यह ट्रेन
कभी पूरी भरकर तो चली ही नहीं। शुरू होने के बाद से
इसमें यात्रियों के लाले पड़े हुए हैं। सीजन
शादियों का हो या त्योहारों का इसमें रोजाना महज
100 से 150 यात्री ही जाते-आते हैं। इसके चलते
इसके कोच की संख्या भी घटते-घटते चार ही रह गई
है। उनमें से दो तो रोजाना खाली ही चलते हैं।
बाकी दो में भी कई सीटें खाली रह जाती हैं।
ऐसा रहा फेल-पास का खेल
एक ही बजट में एकसाथ घोषित तीन डबल डेकर में से
दो जबरदस्त सफल रहीं। दरअसल, तीनों को चलाने
की प्लानिंग से लेकर कोच बनने तक का काम लगभग
साथ शुरू हुआ था। मगर चेन्नई और जयपुर डबल
डेकर अच्छी प्लानिंग के कारण सफल रही, वहीं इंदौर-
भोपाल बुरी तरह फेल हो गई। आईनेक्स्ट ने तीनों के
टाइमिंग, रूट और किराए का विश्लेषण किया तो फेल-
पास की वजह सामने आ गई।
1. जयपुर-दिल्ली डबल डेकर
दूरी : 265 किमी
समय : 4.30 घंटे
किराया : 327 रुपए
सफलता के कारण
1. जयपुर-दिल्ली रूट की डबल डेकर टाइमिंग
की वजह से शताब्दी से भी तेज है। ये साढ़े चार घंटे में
जयपुर-दिल्ली की दूरी तय कर लेती है, जबकि उस रूट
पर शताब्दी 4 घंटे 55 मिनट लेती है।
2. टाइमिंग यात्रियों की सुविधा के अनुसार है। सुबह
6 बजे जयपुर से चलकर 10.30 बजे
दिल्ली पहुंचती है। शाम को 5.35 पर चलकर रात
10.05 पर जयपुर लौट आती है। इससे जयपुर से
दिल्ली जाकर दिनभर में काम निपटाकर लौटने वालों के
लिए सबसे बेहतर ऑप्शन है।
2. चेन्नई-बेंगलुरु डबल डेकर
दूरीः 358 किमी
समय : 6 घंटे
किराया : 470 रुपए
सफलता के कारण
1. चेन्नई सेंट्रल से बेंगलुरु सिटी के बीच 358
किमी लंबे रूट के बावजूद डबल डेकर के सिर्फ 7
स्टॉपेज हैं ताकि लेट न हो।
2. टाइमिंग इस तरह प्लान की गई है कि ये चेन्नई
और बेंगलुरु, दोनों शहरों के लोगों को लाभ दे। सुबह
7.25 बजे चेन्नई से चलकर दोपहर 1.30 बजे बेंगलुरु
पहुंचा देती है, और दोपहर 2.40 बजे बेंगलुरु से चलकर
रात 8.45 बजे फिर चेन्नई पहुंचा देती है।
3. इंदौर-भोपाल डबल डेकर
दूरीः 217 किमी
किराया : 390 रुपए
विफलता के कारण
1. न टाइम शेड्यूल सही है, न किराया। भोपाल स्थित
स्टेशन हबीबगंज से सुबह 6 बजे चलकर सुबह 9.35
बजे इंदौर पहुंचती है जबकि जरूरत इस बात की है
कि ये सुबह इंदौर से चलकर भोपाल पहुंचे।
2. 217 किमी के लिए इसमें 390 रुपए किराया है,
जबकि इसी रूट पर इंटरसिटी एक्सप्रेस 310 रुपए
लेती है।
3. ये इंदौर-भोपाल सहित कुल 8 स्टेशनों पर रुकने के
कारण लेट चलती है। कई बार 20 से 40 मिनट लेट।
यह भी पढ़ें : केंद्र सरकार का चुनावी पैंतरा,
सभी राजधानी रूटों पर चलेंगी प्रीमियम ट्रेन
दिसंबर में 10 कोच भेजे मुंबई
27 सितंबर को शुरू हुई डबल डेकर
को इतना फीका रिस्पांस मिला कि महज तीन माह में
ही इसके कोच कम कर छोटा करना पड़ा। दरअसल,
पहले ये 14 कोच की थी लेकिन लगातार असफलता के
कारण दिसंबर में इसके 10 कोच कम कर दिए गए।
इससे यात्री क्षमता 1320 से घटकर 376 रह गई।
बचे कोच मुंबई भेजे गए ताकि किसी अन्य रूट पर चल
सकें। उसके बाद से इसमें महज चार कोच चल रहे हैं।
ये भी नहीं भर पा रहे हैं।
सोता रहा रेलवे, होता रहा नुकसान
जब ट्रेन पहले ही दिन खाली चली थी तब
भी मीडिया ने सवाल उठाए थे
कि इसका किराया ज्यादा है। मगर रेलवे
अधिकारियों ने उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। बाद में
भी जब इसे यात्री नहीं मिले तो सवला उठते ही रहे,
कभी किराया कम करने को लेकर तो कभी रूट, टाइमिंग
आदि को लेकर। जनता की ओर से आए सुझाव भी दिए,
लेकिन रेलवे अधिकारी सुस्त बने रहे। बाद में बात
सांसद सुमित्रा महाजन ने रेल मंत्री से भी चर्चा की,
लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया। नतीजतन ट्रेन
लगातार विफल होती गई और आज ये इस मुहाने पर है
कि देश की सबसे असफल ट्रेनों में शामिल होकर बंद
होने की कगार पर है।
इंदौर-रतलाम कुछ नहीं कर सकते
यूं तो डबल डेकर वेस्टर्न रेलवे के इंदौर स्टेशन
भी आती है मगर रतलाम मंडल का इसके संचालन
संबंधी किसी मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं है। पश्चिम
रेलवे के पीआरओ प्रदीप शर्मा के मुताबिक 'डबल
डेकर के मामले में जो भी निर्णय लिया जाएगा,
वो मध्य रेलवे के भोपाल मंडल से ही लिया जाएगा।
इस मामले में रतलाम या इंदौर जवाबदेह नहीं हैं।'
1320 यात्रियों की क्षमता थी शुरुआत में
14 कोच थे कुल जब ट्रेन शु

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