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Blog Entry# 1268889
Posted: Nov 06 2014 (15:39)
3 Responses
Last Response: Nov 06 2014 (17:24)
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'ट्रेनों से नहीं भूख से डर लगता है साहब
गाजियाबाद: तेज रफ्तार ट्रेन से भी डर नहीं लगता, इन्हें डर लगता है तो भूख से। इनकी नजर रहती है तो सिर्फ प्लास्टिक की खाली पानी की बोतल पर। बात हो रही है उन बच्चों की जो भूखे पेट के लिए प्लेटफार्म और रेलवे ट्रैक से पानी की खाली बोतलें बीनते हैं।
ट्रेनों से फेंकी गई खाली बोतलों को इकट्ठा करने के लिए ये बच्चे जान भी दांव पर लगा देते हैं। इन्हीं बोतलों को बेचकर ये बच्चे अपना और अपने परिवार का गुजारा...
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गाजियाबाद: तेज रफ्तार ट्रेन से भी डर नहीं लगता, इन्हें डर लगता है तो भूख से। इनकी नजर रहती है तो सिर्फ प्लास्टिक की खाली पानी की बोतल पर। बात हो रही है उन बच्चों की जो भूखे पेट के लिए प्लेटफार्म और रेलवे ट्रैक से पानी की खाली बोतलें बीनते हैं।
ट्रेनों से फेंकी गई खाली बोतलों को इकट्ठा करने के लिए ये बच्चे जान भी दांव पर लगा देते हैं। इन्हीं बोतलों को बेचकर ये बच्चे अपना और अपने परिवार का गुजारा...
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Railway ko kuchh karna chaahiye.taaki train se log kachra sidhe patri pe naa feke
train se kachra parti par nahin phenkne ke liye railway kuchh nahin kar sakti, kuchh karna hai to hum-aap jaise passenger ko karna padega.
i have also seen chidren getting in/out of moving trains at dangerous speeds at outers in mumbai. :(