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Blog Entry# 1588700
Posted: Sep 12 2015 (14:32)
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Last Response: Sep 12 2015 (15:23)
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उत्तरी-पश्चिमी रेलवे ने जयपुर डिविजन के स्टेशन रशीदपुरा खोरी को 2005 में घाटे के चलते बंद कर दिया था।आस-पास के गांव पलथाना, रशीदपुरा खोरी एवं प्रतापगढ़ की लगभग बीस हजार की आबादी यात्रा के लिए इस पर निर्भर है।
पलथाना के निवासी रामू राम कहते हैं, “गांव वालों ने रेलवे को चिट्ठियाँ लिखीं, अधिकारियों के चक्कर लगाए, फिर सबने मिलकर आंदोलन किया।’’साल 2009 में स्टेशन को दोबारा शुरू करने पर रेलवे राजी तो हुई लेकिन तीन लाख रुपए के टिकट खरीदे जाने की शर्त पर। मेहलचंद बताते हैं, ‘‘हमने चंदा कर पैसे कुछ माह में जुटा लिए और ट्रेनें चलने लगीं।”
रेलवे...
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पलथाना के निवासी रामू राम कहते हैं, “गांव वालों ने रेलवे को चिट्ठियाँ लिखीं, अधिकारियों के चक्कर लगाए, फिर सबने मिलकर आंदोलन किया।’’साल 2009 में स्टेशन को दोबारा शुरू करने पर रेलवे राजी तो हुई लेकिन तीन लाख रुपए के टिकट खरीदे जाने की शर्त पर। मेहलचंद बताते हैं, ‘‘हमने चंदा कर पैसे कुछ माह में जुटा लिए और ट्रेनें चलने लगीं।”
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स्थानीय निवासी महेश सिंह के अनुसार गांव के कुछ लोग निगरानी करते हैं कि कोई भी बिना टिकट सफर न करें। शुरुआती कुछ समय तक टिकट काटने का काम ट्रेनों के गार्ड करते रहे पर बाद में टिकट काटने का जिम्मा खोरी गांव के विजय कुमार ने उठाया।
विजय बताते हैं, “मैं पहले से ही लक्ष्मणगढ़ से एडवांस टिकट खरीद कर रख लेता हूं और बेचते वक्त उस पर तारीख की मुहर मार देता हूं। जितने पैसे की टिकट बिकती है उसका 15 प्रतिशत कमीशन मुझे मिलता है।”
दोबारा शुरू होने...
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विजय बताते हैं, “मैं पहले से ही लक्ष्मणगढ़ से एडवांस टिकट खरीद कर रख लेता हूं और बेचते वक्त उस पर तारीख की मुहर मार देता हूं। जितने पैसे की टिकट बिकती है उसका 15 प्रतिशत कमीशन मुझे मिलता है।”
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