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Kolkata Metro: The only Metro of IR. কলকাতা মেট্রো : তিলোত্তমার জীবন রেখা ।। - PPG

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Blog Entry# 2025733
Posted: Oct 16 2016 (16:32)

15 Responses
Last Response: Oct 26 2016 (12:38)
Travelogue
24197 views
34

★★★
Oct 16 2016 (16:32)   SVDK/SMVD Katra (5 PFs)
TouristerDivyanshu^~
TouristerDivyanshu^~   172564 blog posts
Entry# 2025733            Tags   Past Edits
Part 1
-------
_/\_ JAI MATA DI _/\_
_/\_ जय माता दी _/\_
इस यात्रा से मेरा खास लगाव है इसलिए मै इस यात्रा का विवरण दे रहा हू
इस
...
more...
यात्रा का शुभ आरंभ पिछले साल से ही है
जीईई के एग्ज़ाम मे क्वालिफाइ करने के बाद मेरी मां की मन्नत थी की वो मां वैष्णो के दरबार मे जाएगी
और ये तय हुआ की दिसंबर मे हम सह परिवार मां वैष्णो के दरबार मे जाएँगे
हालाँकि मै नास्तिक हूँ मै सिर्फ़ अपने मां और पापा को ही भगवान मानता हू! मां की इच्छा थी इसीलिए मै भी तैयार हो गया जाने के लिए
कुछ कारण वश् ये मुमकिन ना हो सका इसीलिए मैने अपने दोस्तो के साथ जाना ठीक समझा और जन्वरी मे वहा गया
मैने इस साल फिर से जीईई का एग्ज़ाम मे क्वालिफाइ किया और अच्छे अंको से टॉप किया साथ ही साथ मुझे इसी वर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार मिला भारत स्काउट्स & गाइड मे
२ मौके थे खुशी के और इस बार मां ने सोच लिया था की किसी भी तरह चाहे टिकेट्स मिले या ना मिले वो मां वैष्णो के दरबार मे जाएँगी ही, काउन्सेलिंग के बाद कॉलेज जाने से पहले मैने अपने परिवार व अपनी महिला मित्र के परिवार की टिकट 16 जुलाइ 2016 को भारतीय रेलवे के खिड़की से बुक की, हालाँकि टिकट पानीपत से नही मिली- अंबाला छावनी से मिली हेमकुंत एक्सप्रेस मे, इससे किसी को आपत्ति नही थी!
8 अक्टूबर 2016 को जाने की टिकट थी और वापसी की 11 अक्टूबर 2016
मेरा व मेरी महिला मित्र का परिवार पास मे ही रहते है इसीलिए टिकट साथ मे ही थी हालाँकि मेरी महिला मित्र के बारे मे मेरी मां और मेरी बहन को मालूमात था अतार्थ उसकी भी मां को पता था और दोनो परिवार मे गहरी मित्रता भी है !!!
यह यात्रा मेरे लिए अब और भी महत्वपूर्ण थी क्यूंकी एक तो मेरी मां खुश थी, दूसरा मेरी ये पहली ट्रेन की यात्रा थी मेरी महिला मित्र के साथ....
धीरे धीरे दिन कम हो रहे थे और यात्रा की तिथि नज़दीक आ रही थी, मन मे लड्डू फुट रहे थे और
रेल प्रेम भी उमड़ रहा था...
पिछले कुछ दिनो से मै झाँसी मे था अपने कुछ प्रॉजेक्ट के सिलसिले मे इसीलिए मै पानीपत 8 की बजाए 7 को ही पहुँच गया और माँ ने पहले से ही पॅकिंग कर रखी थी!
8 तारीख को पापा भी पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से आए
मैने 7 को ही दिल्ली - फाजिल्का इंटरसिटी एक्सप्रेस मे पानीपत से अंबाला छावनी की टिक्ट बुक करदी
------> _/\_ जय माता दी _/\_ <------
8 अक्टूबर को हम सब पानीपत रेलवे स्टेशन पहुचे और पता चला की हर रोज़ की तरह आज भी
ट्रेन लेट है! ज़यादा आश्चर्या की बात नही थी और तभी स्टेशन पर आती है नई दिल्ली - ऊना जनशताब्दी एक्सप्रेस
थोड़ी बहुत फोटोग्राफी की मैने
उसके बाद थोड़ा इंतेज़ार और डीज़ल इन्ज़िन की धक धक आवाज़ सुनाई पड़ी और ट्रेन धक धक करती हुई प्लेटफॉर्म ३ पर आई हम सबकी सीट्स डी 2 मे थी परंतु किसी भी डिब्बे पर डी 2 नही मिला
इसीलिए मैने अपने अंदाज़े से चेयर कार के अगले डिब्बे मे बेतना उचित समझा हालाँकि सीट भी मिल गई
और हम अंबाला आराम से पहुच गए!
रास्ते भर मई अपनी प्रिय वेबसाइट इंडियारेलइन्फो पे ट्रिप डाइयरी कर रहा था...
अंबाला छावनी पर हम सब ने पहुँच कर रात्रि भोजन किया और मै यू ही घूमने निकल पड़ा रेल प्रेमी के चक्कर मे और इस तरह स्टेशन से बाहर आ गया अपनी बहन और महिला मित्र व महिला मित्र के भाई सब साथ मे ही थे.
वापस स्टेशन पर आते वक्त मैने श्री शक्ति एक्सप्रेस को ग़ाज़ियाबाद डब्ल्यू ए पी - 4 के साथ देखा और भागते हुए उसकी फोटो खिचने गया परंतु मै लेट हो गया और ट्रेन निकल पड़ी, पर ज़यादा दुख नही हुआ क्यूंकी अगले दिन सुबह मै उससे दुबारा कटरा स्टेशन पर देख सकता था, तब तक हमारी हेमकुण्ट एक्सप्रेस का चार्ट बन चुका था और मई सीटो का विवरण देख रहा था.
एक ही डिब्बे मे हर सीट अलग अलग थी, दो टिकट र ए सी मे भी रह गई थी, हम लोग कुल 9 लोग थे उसमे एक हाफ टिक्ट भी था.
टोटल 6 सीट कन्फर्म थी और सब अलग थलग, बहुत हेर फेर के बाद ३ सीटो को एक्सचेंज किया गया और एक कूप बनाया गया ताकि सभी महिलाए एक साथ सुरक्षित रह सके, नवरात्रि के पावन अवसर के कारण ट्रेन मे भीड़ भी अधिक थी. मै पूरी रात जागता रहा अतार्थ सब समान की देखभाल भी कर रहा था और इंडियारेलइन्फो पे ट्रिप डाइयरी भी साथ मे चल रही थी. पठानकोट तक तो जिओ 4जी ने बक़ुबा साथ दिया उसके बाद अभी प्रीपेड सिम सो गए, क्यूंकी हम जम्मू मे प्रवेश कर रहे थे, ठंड भी लगने लगी थी और जम्मू करीब १ घंटे की देरी से पहुचे और आधे से ज़यादा ट्रेन खाली हो गई. जम्मू उस दिन सुबह छावनी बना हुआ था हर तरफ आर्मी ही आर्मी थी कुकी सभी आर्मी की लीव कॅन्सल कर दी गई थी और उन्हे जल्द से जल्द अपने अपने बटालियन मे वापस आने का आदेश था. इसीलिए मेने भी वाहा फोटोग्राफी करना उचित नही समझा.
अब हम सब एक साथ एक ही कूप मे आ गए, और सुभह सुभह चाय की चुस्कियो का मज़ा लिया और अब जम्मू से कटरा का सफ़र जो की सबको पता है बहुत ही सुहाना है. सब लोग खिड़की पे लगे हुए थे और सुरंग-पुल के मज़े ले रहे थे, सभी मोबाइल और कॅमरा चार्ज हो रहे थे. कुछ देर बाद उधमपुर आ गया, वहा डी एम यू के ईलवा कुछ नही मिला. उधमपुर के बाद अचानक मै सो गया और जब आँख खुली तो श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा स्टेशन पर थे और आस पास कोई नही था ट्रेन खाली थी. घरवाले बाहर निकल चुके थे और वो मेरे साथ मज़ाक कर रहे थे की मुझे वो लोग भूल गए...
फिर मै भी उठा और मूह हाथ धो कर सबके पास पहुचा, सब लोग आपस मे बात कर रहे थे, जेसे कुछ हुआ ही ना हो.
स्टेशन पर मेने श्री शक्ति के एंजञ को देख ही लिया और उसकी फोटो लेने लगा आगे और भी आचे नज़ारे थे तो मेने बहुत सी फोटो ग्राफी की, कटरा से अब ध्ृमशाला मे जाना था, हम जब भी वैष्णो देवी जाते है तो एक ही धर्मशाला मे रुकते है वो ह " श्री धरधर्मशाला", रेलवे स्टेशन से पहली बार बाहर आ रहे थे इसीलिए इतना अंदाज़ा नही था.
और ऑटो वाले २०० रुपए माँग रहे थे. इसीलिए हमने और लोगो को देखते हुए पैदल चलने का निर्णय लिया, और कुछ समय बाद कटरा बस स्टेंड आ गए और धर्मशाला मे रूम बुक किया. मै रूम मे जाते ही सो गया और १२ बजे उठा, तब तक सभी लोग तैयार हो गए थे और खाना भी खा लिया था. मै भी नहा धो कर तैयार हुआ और बिना खाए पिए माता रानी के दर्शन के लिए निकल पड़े. मेरी किस्मत अच्छी थी तो मुझे गुलशन कुमार जी का मशहूर लंगर खाने का नसीब हुआ, वाहा मैने भर पेट खाया, अब हम ज़्ब लोग माता रानी के जया कारे लगते हुए निकल पड़े, करीब ४ घंटे के बाद हम लोग अधकुअँवरी पहुचे, इतना समय इसलिए लगा क्यूंकी हम लोग रास्ते भर खाते पीते और फोटो खिचवाते हुए चढ़ रहे थे, अधकुआरी मे नंबर लगाया और फिर आगे बढ़ गए, हालाँकि हम लोग समय से विलंब चल रहे थे तो इस बार थोड़ी तेज़ी से चढ़ाई की और करीब 8 बजे तक दरबार पहुच गए, वहा पर इतनी भीड़ थी क्यूंकी आरती के कारण दर्शन रुके हुए थे, इसीलिए हमने पहले खाना खाया, कुछ लोग नहाने को कह रहे थे तो वो नहाने चले गए, पर मेरी इतनी हिम्मत नही थी की मै ठंडे पानी से नहाता, अचानक मेरी बहन रोने लगी क्यूंकी उसके पैर मे बहुत दर्द हो रहा था, दर्शन के लिए लाइन भी बहुत लंबी थी, इसीलिए २-३ घंटे लाइन मे लगना असंभव था ख़ासकर मेरी मां जो की हाल मे ही बीमार थी और मेरी बहन के लिए, मै आगे बढ़ता गया, पूरा भवन सज़ा हुआ था नवरात्रि के पावन अवसर पर, विदेशो से फूल आए थे सजाने के लिए, आगे एक गेट पर २ आर्मी के जवान थे और वहा पर गेट खुला था पर उसमे सिर्फ़ सरकारी अधिकारी जा रहे थे, मै उनके पास जा कर अपनी समस्या बताई तो पहले उन्होने मना कर दिया, फिर मैने अपना भारत स्काउट का कार्ड दिखाया तो उन लोगो ने एक दम हाँ कर दी, और कहा आप अपने परिवार को ले आइए, जब मै अपने परिवार के पास पहुचा तो पता चला की मेरी मां वापस जाने को कह रही थी क्यूंकी मेरी बहन की तब्यत बहुत खराब थी, उसे अब बुखार भी हो गया था, फिर मैने बोला की समान को क्लॉक रूम मे जमा करो हमे आगे वी आइ पी गेट से एंट्री मिल गई है, फिर सब लोग वहा पहुँच गए और एंट्री मिल गई और माता रानी का धन्यवाद करते हुए हम निकल पड़े, कुछ समय बाद दर्शन भी हो गए और इस बार सबसे बढ़िया दर्शन हुए, अब बारी थी सोने की क्यूंकी रात भूत हो चुकी थी करीब 12 बज रहे थे और कंबल लेने के लिए लंबी लाइन तीस, २ बजे के करीब कंबल मिला और फिर जब सोने गए तो कही जगह ही नही थी, तो हमने किसी तरह २ लोगो के लिए जगह बनाई और वाहा दो लोग सो गए मई रात भर इधर उधर घूमता रहा, ख़ाता पीता रहा, सुबह ६ बजे तक सभी लोग आगे बढ़ने के लिए तैयार हो गए, कंबल जमा करने मे भी २ घंटे लग गए, 8 बज चुके थे और भूख भी लगने लगी थी तो हमने खाकर आयेज बढ़ने का फ़ैसला लिया और अंतः मे हम लोग 11 बजे तक भैरोनाथ पहुच गए, वहा ज़यादा भीड़ नही थी इसीलिए दर्शन जल्दी हो गए, और फिर वहा पर हमने प्रकीर्ति के नज़ारे लिए, पीर पंजल की उँची उँची पर्वतो के दृश्या अध्बुध थे, हिमालयन पर्वतो के पहाड़ जो की बर्फ से ढके हुए थे वो और ब ज़यादा आचे लग रहे थे, खूब सारी फोटोग्राफी भी की, फिर आगे बढ़ने लगे, अब बंदर ही बंदर वाला नज़ारा था, लंगूर बंदर भी थे, उनसे बचते बचते सांची छत तक आए और वहा पर हेलिकॉप्टर के आने जाने का स्थान बना हुआ था, हर २-३ मिनिट मे एक एक करके हेलिकॉप्टर आते थे.
for part 2
/blog/post/2025737

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17 Posts

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1

Oct 17 2016 (05:36)
TouristerDivyanshu^~
TouristerDivyanshu^~   172564 blog posts
Re# 2025733-18              
Thanks bhai, :-)
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Oct 26 2016 (12:38)
madanmohanmeena^~
madanmohanmeena^~   15465 blog posts
Re# 2025733-22              
Asali maja to hindi travelogue me hi aata h.
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