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Blog Entry# 221555
Posted: Aug 16 2011 (22:46)
2 Responses
Last Response: Aug 16 2011 (22:54)
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ऐ मेरे वतन के लोगो ---ज़रा आँख में भर लो पानी ----गुलाम है हम अब भी ----- बेकार गयी शहीदों की कुर्बानी -------------------------------कल आजादी का ढोंग रचाया ---आज गुलामी का चेहरा सामने आया ---- जिसने लाल किले पर तिरंगा फहराया -- देश को आजाद बताया --- उसी के फरमान ने लोकतंत्र की ह्त्या का तांडव रचाया -- खामोश और मौन रह कर अपनी भूख की तड़प को सह कर ,निर्दयी सरकार को अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनाने वाले सत्याग्रहियों पर अंगरेजी हुकूमत की बर्बरता और न्रशंसता का वो काला इतिहास दोहराया है -जिसने सम्पूर्ण देश को चकित -भ्रमित और भयभीत कर डाला है --जिस गांधी ने सत्याग्रह और अनशन की ताकत के बल पर इस देश को आजाद कराया -- अंग्रेजो का हजूम जिस आन्दोलन को नहीं रोक पाया - जिस देश ने अहिंसा के बूते पर लड़ने का इतिहास बनाया -- उसे रोंदने के लिए फिर एक बार इसी देश...
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@IM UR LOVER: Re# 221555-०
भ्रस्ताचारी ही भ्रष्टाचारी का साथ दे सकते है ---और देते रहेगे ---तभी तो देश का लाखो करोडो रुपया स्विस बैंक में जमा हो गया -- तभी तो केवल दो साल में इस देश में दो लाख हजार करोड़ रुपयों का घोटाला का राज खुल गया - तभी इस देश में तुवर की दाल का भाव आसमान छू गया और भ्रस्त मद मस्त सत्ताधीशो का आशियाना अआस्मान को भी छोटा कर गया --
भ्रस्ताचारी ही भ्रष्टाचारी का साथ दे सकते है ---और देते रहेगे ---तभी तो देश का लाखो करोडो रुपया स्विस बैंक में जमा हो गया -- तभी तो केवल दो साल में इस देश में दो लाख हजार करोड़ रुपयों का घोटाला का राज खुल गया - तभी इस देश में तुवर की दाल का भाव आसमान छू गया और भ्रस्त मद मस्त सत्ताधीशो का आशियाना अआस्मान को भी छोटा कर गया --
@IM UR LOVER: Re# 221555-2
कैसे दुष्ट है जो अपने गिरबान में नहीं झाँक रहे है -जो हर दिन अपना जन्म दिन मनाते है दौलत लुटाते है -दौलत में नहाते है --दौलत बटोरने में दिन गुजरते है और रातो को मद मस्त होकर देश की आजादी को कलंकित करते है --हम अपने आप को आजाद मानते है मगर दुष्टता की अति करने वालो को अपने वोट से अपना आका बनाते है --हम उन पर क्या लानत भेजे --हम तो अपने आप पर शर्माते है --जो पुरे देश में चाँद इमानदार लोग नहीं धुंध पाते है ---मनमोहन जैसे इमानदार ही jab ऐसे दलदल में धंसकर बेईमान और बर्बर बन जाते है तो सियासत की इस नंगाई को देख कर ही हम सहम...
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कैसे दुष्ट है जो अपने गिरबान में नहीं झाँक रहे है -जो हर दिन अपना जन्म दिन मनाते है दौलत लुटाते है -दौलत में नहाते है --दौलत बटोरने में दिन गुजरते है और रातो को मद मस्त होकर देश की आजादी को कलंकित करते है --हम अपने आप को आजाद मानते है मगर दुष्टता की अति करने वालो को अपने वोट से अपना आका बनाते है --हम उन पर क्या लानत भेजे --हम तो अपने आप पर शर्माते है --जो पुरे देश में चाँद इमानदार लोग नहीं धुंध पाते है ---मनमोहन जैसे इमानदार ही jab ऐसे दलदल में धंसकर बेईमान और बर्बर बन जाते है तो सियासत की इस नंगाई को देख कर ही हम सहम...
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