तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ।।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति ।
दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति।।
जय देव … जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतति सम्पति सभी भरपूर पावे ।।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे ।। 2 ।।
जय जय श्री गणराज विध्यासुखदाता ।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ।।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति ।
दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति।।
जय देव … जय देव
अष्टो सिद्धि दासी संकटको बैरी ।
विघनाविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।।
कोटि सूरजप्रकाश ऐसी छबि तेरी ।
गंड-स्थल मदमस्तक झूले शाशिहारी ।। 3 ।।
जय जय श्री गणराज विध्यासुखदाता ।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ।।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति ।
दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति।।
जय देव … जय देव
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
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श्री गणेश चतुर्थी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
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