Kuchh din pahle hui Kaling Utkal trains ke accident se related ek Hamare dost Railway employee ne apne views rakhe h...jisko hum direct paste kar raha hu..
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हमको दुख है *उत्कल रेल दुर्घटना* का। कई दिनों से सबकी अलग अलग बातें। जितने मुँह उतनी बातें वाली बात हो रही है जिन P-WAY रेल कर्मचारियो को इस घटना का जिम्मेदार माना है। वो ठीक है। हमारी ज़िमेदारी यात्रियों की अच्छी यात्रा से है।
क्या...
more... करे रेल की रीढ़ की हड्डी जो है।
ओर इनकी हालात सबको रेल के अन्य विभाग के कर्मचारियों को भी पता है जब लोग स्टेशन पर जाते है तो वो देखते है की कुछ कर्मचारी संतरी कमीज पहन कर दिन रात काम पर लगे रहते है।
चाहे 48℃ की गर्मी हो,बारिश हो,सर्दी हो ये अपना काम करते है। काम करते करते चोट लगना खून निकलना आम बात है।शायद ही कोई ट्रैकमैन हो जिसका काम करते समय कोई न कोई चोट आई हो या उसका खून ना निकला हो। ये ऐसी जगह काम करते है जहाँ पर पीने की लिए पानी भी नही होता। जहाँ सभी विभाग में आर ओ का पानी ,कूलर, एयर कंडीशनर लगे है। ट्रैकमनो को इन सबकी कोई ज़रूरत भी नही होती। इन्हें लंच टाइम पर भी ये नही पता होता आज किस जगह लंच करेगे। आपको पता ही होगा रेल लाइन के साथ साथ कितनी झुग्गी होती है और वहाँ रेल लाइन की कितनी बुरी हालत होती है अन्य लोग तो वहाँ आना भी पसंद नही करते।ओर ट्रैकमैन वहाँ काम भी करता है और उसी जगह के पास लंच भी करता है।
यहाँ तक अन्य विभाग के अपने ही रेल के कर्मचारी इनको पसंद भी नही करते। ट्रैकमैन बोलते ही ऐसा लगता है कि हम रेल कर्मचारी नही।
जब हम रेल में RRC से आये तो हमको पता था। हम ट्रैकमैन भर्ती हुये है। हमको क्या करना है। साथ साथ हमको ये भी भरोसा था कि हम विभाग की परीक्षा दे कर आगे बढ़ सकते है। लेकिन ऐसा नही हुआ।
इंजिनीरिंग विभाग मे से अन्य विभाग में जाना बहुत ही मुश्किल है।
सब ट्रैकमैन गेटमैन भाई आपस मे इस बहस मे बिजी है। कि कुछ लोग अफसर की कोठी पर है। ये भी हमारे साथ आ जाये तो ठीक है। खतौली मे ऑडियो वाले गेटमैन की बात एक दिन में ही रेलवे बोर्ड, मीडिया, पूरे देश में फेल गई। लेकिन पिछले कई वर्षों से ट्रैकमनो की हालत किसी को दिखाई नही दी। किसी मीडिया ने इनके काम को नही दिखाया।इनकी क्या हालत होती है अगर ट्रैकमैन को समझना है तो सिर्फ एक दिन ट्रैकमैन का काम कर के देखो।की वो अपने साथ 25 किलो का वजन ले कर काम करता है।
पूरे देश में एक वर्ष में 312 ट्रैकमैन अपना काम करते हुये हादसे का शिकार हो जाते है।और अपनी जान गवा देते है। ये सबको पता है फिर भी हम अपना काम करते हैं।
हमारी एक मांग आज तक किसी के पास तक नही पहुँची LDCE TO ALL ना ये बात खतौली ऑडियो वाले गेटमैन ने अपने पूरे 12 मिनट के ऑडियो में बोली। कितनी ट्रैकमैन यूनियन बनाई गई। सब ट्रैकमैन यूनियन ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु जी , व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को अपनी समस्या बताई । लेकिन सिर्फ सुना और हमारी माँग पत्र ले कर चले गये। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी सूरजकुंड मे आयोजित रेल विकास शिविर में ट्रैकमैन के बारे में जब कहा लगा शायद अब कुछ होगा । प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि ट्रैकमैन का बेटा ट्रैकमैन हो में इसमे बदलाव चाहता हु। लेकिन कुछ नही हुआ।
लेकिन हम स्किल इंडिया के तहत चाहते है कि ट्रैकमैन को अन्य सभी विभाग में जाने का मौका मिले वो भी अन्य विभाग की परीक्षा दे सके। ट्रैकमैन अपनी पूरी ज़िंदगी ट्रैक पर ना गुज़रे। उसे भी लगे कि वो भी क्लर्क, टी टी ई , गार्ड , स्टेशन मास्टर, कमर्शियल विभाग, ऑपरेटिंग विभाग में एक न एक दिन जा सकता है।