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Vaishali Express - जितना सुंदर तुम्हारा नाम उतनी सुंदर तुम्हारी चाल - be my valentine - Rahul Vatsa

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Blog Entry# 2536505
Posted: Oct 14 2017 (21:44)

23 Responses
Last Response: Oct 24 2017 (15:11)
Travelogue
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11

Oct 14 2017 (21:44)   12824/Chhattisgarh Sampark Kranti Express | NZM/Hazrat Nizamuddin (9 PFs)
madanmohanmeena^~
madanmohanmeena^~   15486 blog posts
Entry# 2536505            Tags  
🚂🚂जयपुर- दिल्ली-बिलासपुर-जयपुर 🚂🚂यात्रा वृतांत part 2
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(Part 1 /blog/post/2534740 )
अब हम exam दे चुके थे और एग्जाम देकर बाहर निकले ।एग्जाम कुछ हद तक ठीक ठाक रहा था मगर रिजल्ट आ चुका है और मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ ह।
अब
...
more...
बारी थी दूसरे एग्जाम की जो कि बिलासपुर में था। मैं गया सीधा मेट्रो स्टेशन ताकि नई दिल्ली जा सकूं।
मैं जब भी दिल्ली जाता हूं या कहीं बाहर dusri jagah पर जाता हूं तो मेरे दिमाग में बहुत सारे loco pics और स्टेशन board एवं ट्रेन बोर्ड की फोटो घूमती रहती है और मैं इसी पल का इंतजार करता रहता हूं कि कब जा कर मैं वह फोटो निकालू। उस दिन भी मैं यही सोच रहा था मगर मैं क्या देखता हूं कि जैसे ही मैं मेट्रो स्टेशन पर पहुंचा और मेट्रो में बैठा बाहर काफी तेजी से बारिश होने लगी।
मैं धीरे-धीरे मेट्रो से नई दिल्ली पहुंच गया वहां भी बारिश हो रही थी । किसी तरह मेट्रो से निकलकर भागकर स्टेशन में प्रवेश किया।
मेरे चाचा जी की नई दिल्ली रेलवे हॉस्पिटल में डॉक्टर है वह आए और मेरे लिए खाना लेकर आए। मैं चाचा के साथ काफी देर बातें करते रहा और खाना खाया। उसके बाद चाचा का ड्यूटी का टाइम हो गया और चाचा हॉस्पिटल चले गए ।
अब मैंने सोचा कि रेल fanning करूंगा maगर यह बारिश थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। कभी सरी रेलगाड़ियां आ रही थी जिसमें कुछ राजधानियां और कुछ एक्सप्रेस थी। मगर क्या करता बारिश रुकी नहीं तो फोटो कैसे लें पाता ।
फिर भी मैंने बारिश में भीगते हुए भुवनेश्वर राजधानी और भी कई सारी ट्रेनों के फोटो लिए जिसके दौरान मेरे शर्ट भीज गई एवं फोन भी भीजने लगा था तो मैं वापस आया aur shed के नीचे खड़ा रहा।
जैसे ही मौका मिलता मैं कोई ना कोई फोटो निकाल लेता ।
में सुबह से नहाया नहीं था तो मैं सोच रहा था कि जाकर नहा लूं बाहर कांप्लेक्स में लेकिन फिर मैंने सोचा कि नई दिल्ली को छोड़ो निजामुद्दीन पर चलते हैं वहां जाकर नहा लेंगे क्योंकि मुझे वहीं से अपनी छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति भी पकड़नी थी।
मैंने देखा कि जबलपुर जाने वाली श्रीधाम एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर एक पर खड़ी थी और उसके जाने का टाइम हो चुका था तो मैं सीधा गया और श्रीधाम एक्सप्रेस में बैठ गया लेकिन श्रीधाम एक्सप्रेस का टाइम हो गया छूटने का मगर वो तो चलने का नाम ही नहीं ले रही थी । 10 मिनट 15 मिनट 20 मिनट करते-करते 50 मिनट लेट नई दिल्ली से छूटी इसके बाद मैंने सोचा कि चलो 15-20 मिनट में निजामुद्दीन पहुंच जाएंगे मगर यह मैं क्या देखता हूं कि निजामुद्दीन के आउटर पर गाड़ी खड़ी हो गई । अब बाहर काफी तेज बारिश हो रही थी तो गाड़ी से बाहर भी नहीं उतर सकते । लगभग यह गाड़ी 50 मिनट के करीब खड़ी रही उसके बाद जा कर वहां से रवाना हुई लेकिन करीबन 300 मीटर आगे चलकर ही फिर से खड़ी हो गई और काफी देर तक खड़ी रही आखिरकार यह गाड़ी शाम के 17:00 बजे निजामुद्दीन स्टेशन पर जाकर खड़ी हुई ।
अब मैं ना तो नहा सकता था ना ही कुछ और कर सकता था यह मेरे साथ पहली बार था कि मुझे नई दिल्ली से निजामुद्दीन तक का सफर 2 घंटे 30 मिनट में करना पड़ा मेरी रेल fanning का कीमती वक्त भी काफी बर्बाद हो गया लेकिन मेरी किस्मत अभी sahi नहीं थी aur mere बचे हुए 30 मिनट me bhi बहुत तेज बारिश की वजह से मैं बिल्कुल भी रेल faiनिंग नहीं कर पाया।
मेरी गाड़ी प्लेटफार्म पर खड़ी थी मगर मैं उस में प्रवेश नहीं किया क्योंकि जहां पर मेरा कोच खड़ा था वहां पर बहुत तेज बारिश हो रही थी ।
फिर मैं लगभग गाड़ी रवाना होने के 5 मिनट पहले डब्बे में चढ़ा और वहां जाकर अपनी सीट देखी वैसे कहने को तो वह सिट मेरी झांसी से होने वाली थी लेकिन मुझे उम्मीद थी कि निजामुद्दीन से झांसी तक वो सीट खाली ही जाएगी मैं जा कर उसी सीट पर बैठ गया और दुआ करने लगा कि काश कोई सवारी नहीं आए । chart bhi बारिश की वजह से nhi laga tha us din ।
आखिरकार मेरी दुआ सफल हुई और कोई भी सवारी उस सीट पर नहीं आई meri साइड upper thi और जो साइड लोअर थी वह एक बिहार के छपरा के बंदे की थी।
वो मेरी मेरी एज का था मुझे लगा कि अच्छा दोस्त मिल गया है और वह अच्छा बंदा था मेरी उससे काफी बातचीत होने लगी और मैं उसके साथ लोअर birth एंजॉय करने लगा । गाड़ी अपने निर्धारित समय से रवाना हुई बाहर होती बारिश के साथ हम गाड़ी की गति का मजा लेने लगी ।
कभी विंडो का शटर खोलते , कभी गिराते , कभी हवा का आनंद लेते । हमारी गाड़ी चलने लगी कुछ ही देर में संपर्क क्रांति ने रफ्तार पकड़ ली और मुझे लगने लगा कि मैं वाकई किसी संपर्क क्रांति में ही बैठा हुआ हूं बारिश के साथ ही सफर बहुत ही सुहावना हो चला था गाड़ी कुछ देर में ही मथुरा क्रॉस कर गई। मैं आपको एक बात बताना भूल गया मेरे सामने जो बिहार का बंदा बैठा था वह मुझे काफी बहादुर लगा क्योंकि जब वह ट्रेन में चढ़ा तो उसके पूरे कपड़े गीले हो चुके थे और उस बंदे ने बहादुरी दिखाते हुए सभी सवारियों के सामने ही अपने कपड़े towel se चेंज कर लिए इस तरह मैंने उसको उसकी बहादुरी के लिए शाबाशी दी।
🚂🚂🚂🚂🚂🚂🚂🚂🚂🚂🚂🚂
यात्रा का अगला Part बाद में सुनाया जाएगा कृपया इंतजार करें

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14 Public Posts - Sat Oct 14, 2017

4 Public Posts - Sun Oct 15, 2017

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Oct 15 2017 (06:09)
madanmohanmeena^~
madanmohanmeena^~   15486 blog posts
Re# 2536505-19              
Bhai hindi me phone par type karna to bahut mushkil aur time taking hota h. Isiliye mai voice typing ka use karta hu . Jisme kuchh mistakea ho jati h to unhe english me hi correct kar deta hu.
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3 Public Posts - Sun Oct 15, 2017

1 Public Posts - Tue Oct 24, 2017
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