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Blog Entry# 3172481
Posted: Mar 05 2018 (12:01)

1 Responses
Last Response: Mar 06 2018 (11:12)
General Travel
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Mar 05 2018 (12:01)   VGLJ/VGL Jhansi Junction (8 PFs)
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Entry# 3172481            Tags   Past Edits
झांसी 9 फरवरी (आईएएनएस)| बुंदेलखंड का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन झांसी स्टेशन पर रात के समय दिल्ली की ओर जाने वाली गाड़ी के आते ही भगदड़ जैसी स्थिति बन जाती है।
गाड़ी के आते ही सिर पर गठरी, हाथ में थैले और बच्चों को गोदी में लिए सैकड़ों पुरुष और महिलाएं खाली डिब्बे की तलाश में भाग पड़ते हैं, ताकि वे किसी डिब्बे में जगह तो पा सकें।
कई परिवार ऐसे होते हैं, जिन्हें एक गाड़ी निकल जाने पर दूसरी का इंतजार करना होता है। हर रोज सैकड़ों परिवार झांसी स्टेशन से ही
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पेट की आग बुझाने परदेस जा रहे हैं।
रात को लगभग दो बजे हबीबगंज से निजामुद्दीन की ओर जाने वाली शान-ए-भोपाल गाड़ी के आते ही प्लेटफार्म नंबर 3 पर लोग बदहवास स्थिति में सामान्य श्रेणी के खाली डिब्बों की ओर भागने लगते हैं, कोई आगे की ओर भाग रहा होता है, तो कोई पीछे की ओर। जैसे ही कोई डिब्बा खाली मिल जाता है, तो वे भेड़-बकरियों की तरह उसके भीतर जाना चाहते हैं। इस कोशिश में कोई सफल हो जाता है, तो कोई गाड़ी चल देने के कारण स्टेशन के प्लेटफार्म पर ही खड़ा रह जाता है।
सामाजिक कार्यकर्ता पवन राजावत कहते हैं, झांसी रेलवे स्टेशन का रात का नजारा उन्हें भीतर तक झकझोर गया। मुझे सूखा और रोजगार का अभाव होने के कारण झांसी से पलायन की जानकारी तो थी, मगर इतनी बड़ी तादाद में लोग पलायन कर रहे हैं, इसका तो सपने में भी गुमान नहीं था। स्टेशन पर बोरी में सामान बांधे पड़े परिवार देखकर यही लगा कि झांसी के गांव के गांव खाली हो गए होंगे।
राजाराम रहने वाले तो झांसी के हैं, मगर उन्हें भी काम की तलाश में परदेस जाना पड़ा है। उन्होंने बताया, यहां मुझे हर रोज काम नहीं मिल पा रहा है, सप्ताह में तीन से चार दिन ही मजदूरी मिल पाती है, इससे उनके परिवार की जरूरत पूरी नहीं होती। हम यहां से दिल्ली जा रहे हैं, वहां रोज काम तो मिलेगा ही, साथ में दाम भी बेहतर मिल जाएंगे। जब लौटेंगे तो जेब भरी होगी और परिवार की जरूरत को पूरा कर सकेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार अशोक गुप्ता कहते हैं, पलायन कोई नई समस्या नहीं है, मगर इस बार जैसे हालात कभी नहीं बने। इस इलाके से दिल्ली की ओर जाने वाली चाहे रेलगाड़ी हो या बस, सब ठसाठस भरी जा रही हैं। लोग गांव ऐसे छोड़ रहे हैं, जैसे यहां उन पर मौत का साया मंडरा रहा हो। राज्य की सरकारें और नेता मुंह पर उंगली रखे बैठे हैं। किसी को चिंता नहीं है कि झांसी का यह हाल क्यों हो रहा है।
झांसी में सूखे की भयावहता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कई इलाकों में पीने के पानी का संकट गहराने लगा है, मवेशियों के लिए चारा और पानी आसानी से नहीं मिल रहा है। गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं, इतना कुछ होने के बाद भी किसी को इस इलाके की परवाह नहीं है। अगर नजदीक चुनाव होते तो बात ही कुछ और होती। पिछले साल को ही याद करें, जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव थे तो केंद्र ने पानी की ट्रेन ही भेज दी थी, भले ही वह खाली थी। अभी राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार है, मगर इस इलाके के लोगों की आंखों से बहते आंसू पोंछने के लिए कहीं से भी कोई हाथ बढ़ता नजर नहीं आ रहा है।

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Mar 06 2018 (11:12)
333~
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Re# 3172481-1              
Humare IRI ke kuch members in mazboor logo ko tourist me consier kerte hai...
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