लखनऊ : स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने शुक्रवार को भारतीय रेल के आरक्षण व्यवस्था में सेंध लगाकर तत्काल श्रेणी के रेल टिकट का अवैध कारोबार करने वाले गिरोह का राजफाश किया है। एसटीएफ ने इस धंधे में शामिल सीबीआइ के एक वांछित अभियुक्त समेत तीन को लखनऊ और बस्ती से गिरफ्तार कर लिया। ये अभियुक्त एक अवैध साफ्टवेयर के जरिए रेल के तत्काल श्रेणी के टिकट का कारोबार करते थे। इन अभियुक्तों के कब्जे से छह अदद लैपटाप, तीन कंप्यूटर समेत धंधे में इस्तेमाल होने वाली कई चीजें बरामद हुई हैं। पुलिस महानिरीक्षक कानून-व्यवस्था बद्री प्रसाद सिंह ने पत्रकारों को बताया कि बलरामपुर जिले के नगला निवासी सलमान अहमद को लखनऊ और बस्ती जिले के चैनपुरा निवासी सुभाष तिवारी तथा कटरा बुजुर्ग निवासी सतिराम निषाद को बस्ती से गिरफ्तार किया गया। इनके संदर्भ में सीबीआइ मुंबई की टीम ने यूपी पुलिस को अवगत कराया था। सीबीआइ मुंबई ने बीते दिनों टी...
more... सिस्टम नामक अवैध साफ्टवेयर के जरिए आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर अनधिकृत रूप से सम्पर्क कर भारतीय रेल के तत्काल के टिकट निकाल कर बेचने वाले गिरोह के चार सदस्य गिरफ्तार किये थे, जिन्होंने पूछताछ के दौरान यूपी के सलमान अहमद को गिरोह का मुखिया बताया था। इसके बाद सीबीआइ मुंबई की टीम ने सलमान की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ से अनुरोध किया। अभिसूचना संकलन में एसटीएफ को पता चला कि सलमान लखनऊ के महानगर क्षेत्र के वायरलेस चौराहे पर अपनी स्कार्पियो से आयेगा। शुक्रवार को उसे एसटीएफ ने वायरलेस चौराहे से गिरफ्तार कर लिया। उससे पूछताछ के बाद दोनों और अभियुक्तों को बस्ती से गिरफ्तार कर लिया गया। अहमदाबाद से जुड़ी है गिरोह की जड़े : पूछताछ में सलमान ने बताया कि वह इस कारोबार में एक अवैध साफ्टवेयर का प्रयोग करता है। यह साफ्टवेयर अहमदाबाद के कुलवीर सिंह से प्राप्त किया था। वह इस साफ्टवेयर को बस्ती, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर जिलों में कई व्यक्तियों को कुलदीप सिंह के माध्यम से बेच चुका है। यह गिरोह ग्राहकों से प्रति टिकट ढाई सौ से लेकर एक हजार रुपये तक अधिक रकम वसूल करता था। पहले ही 10 से 15 आरक्षण फार्म भर लेता था : सलमान ने बताया कि साफ्टवेयर के जरिए वह एक साथ दस से 15 पीएनआर के आरक्षण फार्म पूर्व में ही भर लेता था। सुबह पौने आठ बजे उन आरक्षण फार्मो को आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर अपलोड कर देता है। इसके लिए उसे आइआरसीटीसी की वेबसाइट अलग से खोलने की आवश्यकता नहीं पड़ती।