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Blog Entry# 514051
Posted: Aug 27 2012 (21:09)
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"इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ. सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ. जो ना समझ सके, उनके लिये "कौन". जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ. दुनिया कि नज़रों में, जाने क्युं चुभा सा. सबसे नशीला और बदनाम शराब हूँ. सर उठा के देखो, वो देख रहा है तुमको. जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब हूँ. आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे. दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ. एक ऐसा गीत गाना चाहता हूँ मैं ख़ुशी हो या ग़म, बस मुस्कुराना चाहता हूँ मैं ! दोस्तो से दोस्ती तो हर कोई निभाता है दुश्मानो को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूँ मैं ! जो हम उड़े उँचाई पर अकेले तो क्या नया किया, साथ मैं हर किसी के पंख फैलाना चाहता हूँ मैं ! वो सोचते हैं की मैं अकेला हूँ उनके बिना, तन्हाईया साथ मैं मेरे इतना बताना चाहता हूँ मैं !...
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