जनरल कोच में यातनाएं झेल रहे यात्री
दीपावली के लिए गांव जाने वालों की संख्या बढ़ी
■चंद्रपुर, ब्यूरो. दीपावली का जो मजा घर में है, वह दूसरी जगह नहीं है. इसलिए उत्तर व...
more... दक्षिण भारत के अनेक राज्यों में काम करने वाले युवा छुट्टी लेकर अपने-अपने गांव रवाना हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार राज्य के अपने पैतृक गांव की ओर निकल पड़े है. चंद्रपुर रेलवे स्टेशन पर सुबह पहुंची संघमित्रा और शाम की सिकंराबाद दानापुर एक्सप्रेस के कोच खचाखच भरे थे. किसी को मां, बहन ने, तो किसी के पुत्र ने फोन किया है. इसलिए ट्रेन में जनरल कोचेस में भारी यातनाएं झेलकर अपने घर पहुंचना चाहते हैं. दिवाली को चंद दिन बचे हैं. इसलिए उत्तर भारत की ओर जाने वाले ट्रेनों के कोच के भीतर का हाल देखकर दीपावली के समय पर अतिरिक्त कोच लगाने की आवश्यकता है. क्योंकि ट्रेनों के कोचेस का हाल देखकर यही लगता है. किसी भी हाल में सभी अपने परिवार के पास पहुंचना चाहते हैं. गुरुवार की सुबह पहुंची ट्रेन संख्या 12295 बंगलुरु दानापुर और शाम को पहुंची 12791 सिकंदराबाद दानापुर ट्रेनों के भीतर खड़े रहने तक की जह नहीं है. यह हाल सिर्फ जनरल कोच का है ऐसा नहीं है. इससे मिलते जुलते हालत एसी और स्लीपर कोच के भी है. जहां आरक्षित सीट वालों को टायलेट जाने में काफी परेशानी का सामना करा पड रहा है. इस प्रकार यात्रियों को परेशानी से बचाने के लिए रेलवे विभाग को विशेष रूप से रामेश्वरम, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलुरु, विशाखापट्टनम, सिकंदराबाद से उत्तर भारत की जाने वाले ट्रेनों में अतिरिक्त कोच की व्यवस्था करनी चाहिए.
आरक्षित कोच के हालत इससे भिन्न नहीं
अनारक्षित कोचेस में इस प्रकार की भारी भीड़ होने की वजह से अनेक लोग अपने बच्चों के साथ आरक्षित श्रेणी वाले कोच के दरवाजे के पास चादर, कपड़ा बिछाकर बैठे है. इसकी वजह से टायलेट जाने वालों को दिक्कत हो रही है. जिनका वेटिंग टिकट है वह लोग भी किसी के साथ एडजेस्ट होकर तो कोई खड़े-खड़े सफर कर रहा है. दिन तो किसी प्रकार किसी के साथ एडजेस्ट होकर गुजर जाता है मुख्य समस्या रात के समय पर आती है. जब सीट वाले सोते हैं, तो बैठने वालों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
ट्रेनों में नहीं मिल रहा आरक्षण
सुबह और शाम को पहुंची ट्रेन के जनरल बोगियों में जानवरों से बेकार हालत में भरे थे. जनरल कोच में जिस सीट मिल गई है, उसे तो कुछ सुकुन है. किंतु जिन्हें जगह नहीं मिली, वह तो नीचे बैठ गया फिर यह ट्रेनें भी लंबी दूरी की है. इन ट्रेनों में अधिकांश प्रयागराज और बिहार राज्य के विभिन्न जिलों के मजदूर वर्ग के युवाओं का समावेश है. जो रोजगार की तलाश में दक्षिण भारत के अनेक राज्यों में रहते हैं और अब दिवाली मनाने के लिए अपने गांव को जा रहे हैं. कोच में भारी यातना झेलकर यात्रियों को महज एक मकसद है. किसी भी हाल में अपने घर तक पहुंचकर परिवार के साथ दीपोत्सव मनाना. ट्रेनों में इतनी भीड़ है कि लोग शौचालय तक में घुसे है. यह हालत इन दिनों इन्हीं ट्रेनों की नहीं है, बल्कि चंद्रपुर से गुजरने वाली लगभग सभी ट्रेनों की हालत इससे मिलती जुलती है.