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Blog Entry# 788327
Posted: Jun 20 2013 (17:46)
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शायद ये मेरा दुस्वप्न था||
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हुआ यूँ जैसे ही स्टेशन पे मैंने कदम रखा देखा एक शाइनिंग बोर्ड और अच्छे कलर्स मगर जैसे ही जमीन पे मेरी नज़र पड़ी आंखें फटी की फटी रह गयी. बाहर से लेकर अन्दर तक सिर्फ लोग ही लोग यहाँ वहां जैसे तैसे बेतरतीब बैठे हुए हर जगह गन्दगी का अंबार इवन प्लेटफार्म १ जो की सर्वाधिक क्लीन देखा था और हर जगह से बेहतरीन था लग रहा था जैसे कहीं लोकल स्टेशन पे खड़ा हु.
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हुआ यूँ जैसे ही स्टेशन पे मैंने कदम रखा देखा एक शाइनिंग बोर्ड और अच्छे कलर्स मगर जैसे ही जमीन पे मेरी नज़र पड़ी आंखें फटी की फटी रह गयी. बाहर से लेकर अन्दर तक सिर्फ लोग ही लोग यहाँ वहां जैसे तैसे बेतरतीब बैठे हुए हर जगह गन्दगी का अंबार इवन प्लेटफार्म १ जो की सर्वाधिक क्लीन देखा था और हर जगह से बेहतरीन था लग रहा था जैसे कहीं लोकल स्टेशन पे खड़ा हु.
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