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Blog Entry# 951749
Posted: Jan 01 2014 (09:34)
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नदी बह रही है. मुकाम गुजर रहे हैं. बहुत कुछ बहा जा रहा है. हम साक्षी ही नहीं, हिस्सा भी हैं इस बहाव के. पता नहीं कितना बह चुके हैं और पता नहीं कितनी यात्रा अभी बाकी है. समय की लहरें सब बहा ले जायेंगी, जानते हुए भी लहरों का जश्न मनाना है. बहते जाना है क्योंकि यही ज़िंदगी है. समय की इस नदी में सारे लंगर उठाकर बहना है. कहीं जाना हो तो भी, न जाना हो तो भी. मकसद हो तो भी, बेमकसद हो तो भी. यही समय है, यही गति है, यही जीवन है, यही यात्रा है. यात्रा बेहतरीन हो, अबूझे पड़ाव आयें, अनजाने रहगुज़र मिलें और कुछ शानदार कहानियाँ बनें. यही शुभकामना है आप सभी को. बहिये और बहते रहिये. आपकी यात्रा मंगलमय हो.#HAPPYNEWYEAR