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Blog Posts by IM UR LOVER
(1) Is there any cloak room for luggage available at Amritsar Jn station 24 hours all days? (2) Is there any cloak room for luggage available at NDLS station 24 hours all days? (3) What about getting a non-ac/ac retiring room for 3 passengers at Amritsar Jn? (4) What about getting a non-ac/ac retiring room for 3 passengers at NZM?
2 Public Posts - Mon Aug 15, 2011
49 Public Posts - Mon Aug 15, 2011
@KALINGAS**: Re# 220278-68
Today (8:53AM)
Re# 220208-55 Reply Add Bookmark Remove Post
Author: IM UR LOVER 25 blog posts 6 correct pred (100% accurate) chat
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@IM UR LOVER: Re# 220278-70
आजादी आजादी की 65वीं सालगिरह पर भारत सिर्फ अपनी दुविधाओं से नहीं जूझ रहा बल्कि दुनिया के हर देश की अर्थव्यवस्था एक दूसरे से गुंथी हुई है। यह अनिश्चितता का काल है। यूरोप और अमेरिका मंदी और दंगों का सामना कर रहे हैं। रूस घर में ही पनपे फासीवाद से जूझ रहा है और चीन अपनी अंतहीन आकांक्षाओं की गिरफ्त में है। ऐसे बदलावों के दौरान हमें यह सोचना जरूरी है कि भविष्य के भारत की तस्वीर कैसी होगी।
हम समाजवाद और पूंजीवाद के बीच झूलते रहते...
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आजादी आजादी की 65वीं सालगिरह पर भारत सिर्फ अपनी दुविधाओं से नहीं जूझ रहा बल्कि दुनिया के हर देश की अर्थव्यवस्था एक दूसरे से गुंथी हुई है। यह अनिश्चितता का काल है। यूरोप और अमेरिका मंदी और दंगों का सामना कर रहे हैं। रूस घर में ही पनपे फासीवाद से जूझ रहा है और चीन अपनी अंतहीन आकांक्षाओं की गिरफ्त में है। ऐसे बदलावों के दौरान हमें यह सोचना जरूरी है कि भविष्य के भारत की तस्वीर कैसी होगी।
हम समाजवाद और पूंजीवाद के बीच झूलते रहते...
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@IM UR LOVER: Re# 220278-71
लोकतंत्र के आयामों को आम आदमी ही आकार देता है। आम लोगों के अखबार बिजनेस भास्कर के हर पाठक को यह पता है कि देश में परिवर्तन की जो मौजूदा लहर दिख रही है वह इतनी मजबूत नहीं है कि कोई वास्तविक सुधार हो सके। क्या इसका मतलब यह है कि ग्लोबल अनिश्चितता के इस दौर में हमारे यहां कोई परिवर्तन नहीं होगा? क्या इसका मतलब यह है कि हम कभी एक सफल देश के तौर पर दुनिया के सामने हम नहीं आ सकेंगे? एक चीनी विशेषज्ञ ने मुझसे कहा था- 'जब हम भारत की ओर देखते हैं तो कई संघर्ष दिखाई पड़ते हैं। देश के आकार और लोकतंत्र के कारण दिक्कतें और भी जटिल...
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लोकतंत्र के आयामों को आम आदमी ही आकार देता है। आम लोगों के अखबार बिजनेस भास्कर के हर पाठक को यह पता है कि देश में परिवर्तन की जो मौजूदा लहर दिख रही है वह इतनी मजबूत नहीं है कि कोई वास्तविक सुधार हो सके। क्या इसका मतलब यह है कि ग्लोबल अनिश्चितता के इस दौर में हमारे यहां कोई परिवर्तन नहीं होगा? क्या इसका मतलब यह है कि हम कभी एक सफल देश के तौर पर दुनिया के सामने हम नहीं आ सकेंगे? एक चीनी विशेषज्ञ ने मुझसे कहा था- 'जब हम भारत की ओर देखते हैं तो कई संघर्ष दिखाई पड़ते हैं। देश के आकार और लोकतंत्र के कारण दिक्कतें और भी जटिल...
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82 Public Posts - Mon Aug 15, 2011
1 Public Posts - Tue Aug 16, 2011
3 Public Posts - Wed Aug 17, 2011
@All My Indian Brothors, Sisters(All Member, Admins, Guest & Respected Moderator Sir..
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Aao desh ka samman kare, ,
shahido ki shahadat yaad kare, ,
ek baar fir se rashtra ki kamaan..
Hum...
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Aao desh ka samman kare, ,
shahido ki shahadat yaad kare, ,
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Hum...
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11 Public Posts - Sun Aug 14, 2011
@Ranz Leim**: Re# 220208-4
सर -यह नेक कर्म ?? कोई महान आत्मा ही होगी जो ऐसा कर रही है - और ऐसा आज ही नहीं हो रहा है हम पिछले कई दोनों से देख रहे है -- सो कृपया इस हलकट मनुष्य की हरकतों पर ध्यान ना देवे -
सर -यह नेक कर्म ?? कोई महान आत्मा ही होगी जो ऐसा कर रही है - और ऐसा आज ही नहीं हो रहा है हम पिछले कई दोनों से देख रहे है -- सो कृपया इस हलकट मनुष्य की हरकतों पर ध्यान ना देवे -
1 Public Posts - Sun Aug 14, 2011
@Happy Independence Day 2 All**: Re# 220208-0
हमने 15 अगस्त, 1947 को पटकथा का केंद्रीय भाव खो दिया था। हमने सोच लिया कि एडविना और लॉर्ड लुईस माउंटबेटन के महल पर तिरंगा लहराना ही महात्मा गांधी द्वारा 1919 में शुरू की गई स्वतंत्रता परियोजना के अंत का प्रतीक है। यह तो एक दूसरे और उतने ही मुश्किल स्वातं˜य संघर्ष की शुरुआत थी। पहला ब्रिटिशों के विरुद्ध रहा था। दूसरा भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष साथी भारतीयों के खिलाफ होगा।
जब...
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हमने 15 अगस्त, 1947 को पटकथा का केंद्रीय भाव खो दिया था। हमने सोच लिया कि एडविना और लॉर्ड लुईस माउंटबेटन के महल पर तिरंगा लहराना ही महात्मा गांधी द्वारा 1919 में शुरू की गई स्वतंत्रता परियोजना के अंत का प्रतीक है। यह तो एक दूसरे और उतने ही मुश्किल स्वातं˜य संघर्ष की शुरुआत थी। पहला ब्रिटिशों के विरुद्ध रहा था। दूसरा भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष साथी भारतीयों के खिलाफ होगा।
जब...
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@IM UR LOVER: Re# 220208-16
जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय का बाबू, जो आपको कानूनी तौर पर मिलने वाली चीज भी आपकी जेब से कुछ फीसदी लिए बगैर नहीं देता। कॉन्स्टेबल, जो हर नियम-कायदे को अपने फायदे के रूप में देखता है। हर गड्ढा, जो आप देखते हैं, वह भ्रष्टाचार की अंगूठा निशानी है : क्या आपको हैरानी होती है कि क्यों हमारी सड़कें पहली ही बारिश के बाद युद्ध का मैदान बन जाती हैं, जहां हमें हर पल जूझना होता है? क्यों बारिश लंदन, इस्तांबुल या सिंगापुर की सड़कों की गत नहीं बिगाड़ती, जहां दरअसल हर दोपहर बारिश होती है?
मुक्ति...
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जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय का बाबू, जो आपको कानूनी तौर पर मिलने वाली चीज भी आपकी जेब से कुछ फीसदी लिए बगैर नहीं देता। कॉन्स्टेबल, जो हर नियम-कायदे को अपने फायदे के रूप में देखता है। हर गड्ढा, जो आप देखते हैं, वह भ्रष्टाचार की अंगूठा निशानी है : क्या आपको हैरानी होती है कि क्यों हमारी सड़कें पहली ही बारिश के बाद युद्ध का मैदान बन जाती हैं, जहां हमें हर पल जूझना होता है? क्यों बारिश लंदन, इस्तांबुल या सिंगापुर की सड़कों की गत नहीं बिगाड़ती, जहां दरअसल हर दोपहर बारिश होती है?
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@IM UR LOVER: Re# 220208-17
पत्रकार प्रशिक्षित रूप से मीन-मेख निकालने वाले होते हैं। वे आधे भरे गिलास को आधा खाली गिलास कहना पसंद करते हैं। लेकिन यह केवल पत्रकारों का ही शगल नहीं है। ऐसा लगता है कि इन दिनों पूरे देश में नकारात्मकता की लहर दौड़ रही है, जो इस दृढ़ विश्वास से उपजी है कि हम एक भ्रष्ट और कुप्रशासन से ग्रस्त देश में रह रहे हैं और इसमें हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्यादा उम्मीदें नहीं की जा सकतीं।
जहां हम अपने 65वें स्वतंत्रता दिवस की...
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पत्रकार प्रशिक्षित रूप से मीन-मेख निकालने वाले होते हैं। वे आधे भरे गिलास को आधा खाली गिलास कहना पसंद करते हैं। लेकिन यह केवल पत्रकारों का ही शगल नहीं है। ऐसा लगता है कि इन दिनों पूरे देश में नकारात्मकता की लहर दौड़ रही है, जो इस दृढ़ विश्वास से उपजी है कि हम एक भ्रष्ट और कुप्रशासन से ग्रस्त देश में रह रहे हैं और इसमें हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्यादा उम्मीदें नहीं की जा सकतीं।
जहां हम अपने 65वें स्वतंत्रता दिवस की...
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@IM UR LOVER: Re# 220208-18
चलिए, अब हमारे बदनाम नेताओं की बात करते हैं। हां, कुर्सी पर बैठने के कुछ ही सालों में उनकी संपत्ति बढ़कर कई गुना हो जाती है और उनमें से अधिकांश राजनीति को महज कमाई का जरिया मानते हैं, लेकिन इतने नेताओं के बीच कोई एक नेता वह भी तो है, जो अपने क्षेत्र की बेहतरी के लिए अथक प्रयास करता है।
हां, निर्वाचन प्रक्रिया में धन की भूमिका कम करने के लिए हमें चुनाव सुधारों की सख्त दरकार है, लेकिन अगर चुनावों में सफलता का एकमात्र पैमाना...
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चलिए, अब हमारे बदनाम नेताओं की बात करते हैं। हां, कुर्सी पर बैठने के कुछ ही सालों में उनकी संपत्ति बढ़कर कई गुना हो जाती है और उनमें से अधिकांश राजनीति को महज कमाई का जरिया मानते हैं, लेकिन इतने नेताओं के बीच कोई एक नेता वह भी तो है, जो अपने क्षेत्र की बेहतरी के लिए अथक प्रयास करता है।
हां, निर्वाचन प्रक्रिया में धन की भूमिका कम करने के लिए हमें चुनाव सुधारों की सख्त दरकार है, लेकिन अगर चुनावों में सफलता का एकमात्र पैमाना...
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@IM UR LOVER: Re# 220208-20
यदि राजनीति सेल्यूलाइड का आईना होती तो यकीनन हमारे नेता फ्रेम से बाहर नजर आते। एक पखवाड़ा पहले दो हिंदी फिल्में रिलीज हुई थीं: बुड्ढा होगा तेरा बाप और देल्ही बेली। पहली फिल्म में किंवदंती बन चुके अमिताभ बच्चन 1970 के दशक का जादू फिर से जगाने की कोशिश कर रहे थे, जबकि दूसरी फिल्म एक मल्टीप्लेक्स मूवी थी, जिसके युवा अभिनेता एमटीवी पीढ़ी के अनुरूप थे। व्यवसाय के आंकड़े बताते हैं कि देल्ही बेली ने पहले सप्ताह में अमिताभ की फिल्म से दोगुनी कमाई...
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यदि राजनीति सेल्यूलाइड का आईना होती तो यकीनन हमारे नेता फ्रेम से बाहर नजर आते। एक पखवाड़ा पहले दो हिंदी फिल्में रिलीज हुई थीं: बुड्ढा होगा तेरा बाप और देल्ही बेली। पहली फिल्म में किंवदंती बन चुके अमिताभ बच्चन 1970 के दशक का जादू फिर से जगाने की कोशिश कर रहे थे, जबकि दूसरी फिल्म एक मल्टीप्लेक्स मूवी थी, जिसके युवा अभिनेता एमटीवी पीढ़ी के अनुरूप थे। व्यवसाय के आंकड़े बताते हैं कि देल्ही बेली ने पहले सप्ताह में अमिताभ की फिल्म से दोगुनी कमाई...
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@IM UR LOVER: Re# 220208-21
आसान विकल्प तो यही होगा कि इस दुर्दशा के लिए हम भारतीय राजनीति में बुजुर्गो के वर्चस्व को दोषी ठहराएं। आखिर वे ही तो उत्साह के साथ कभी परंपरा तो कभी जरूरत का हवाला देकर राजनीति में वरिष्ठता के सिद्धांत की रक्षा करते रहे हैं। सरकार में ‘धवल केशों’ की महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता।
राजनीति कोई क्रिकेट का मैच नहीं है, जहां युवाओं के चलते मैच जीते या हारे जा सकें। विवेकशीलता दुर्लभ गुण है और यह गुण केवल समय के साथ ही उन्नत...
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आसान विकल्प तो यही होगा कि इस दुर्दशा के लिए हम भारतीय राजनीति में बुजुर्गो के वर्चस्व को दोषी ठहराएं। आखिर वे ही तो उत्साह के साथ कभी परंपरा तो कभी जरूरत का हवाला देकर राजनीति में वरिष्ठता के सिद्धांत की रक्षा करते रहे हैं। सरकार में ‘धवल केशों’ की महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता।
राजनीति कोई क्रिकेट का मैच नहीं है, जहां युवाओं के चलते मैच जीते या हारे जा सकें। विवेकशीलता दुर्लभ गुण है और यह गुण केवल समय के साथ ही उन्नत...
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6 Public Posts - Sun Aug 14, 2011
@IM UR LOVER: Re# 220208-22
हम सभी का सामना किसी ऐसे ‘अंकल’ से हुआ होगा, जो समय-समय पर हमें याद दिलाते रहते हैं कि इस देश का भगवान ही मालिक है। उनकी हर बात का लब्बोलुआब यह रहता है कि भारत एक भ्रष्ट और नाकारा देश है, जहां जिंदगी गुजारना मुश्किल है। वे हमें बताते हैं कि आरटीओ से लेकर राशन की दुकान और नगर पालिका तक हर सरकारी अधिकारी घूस खाता है। वे हमें यह भी बताते हैं कि कोई भी सरकारी महकमा ठीक से अपना काम नहीं करता।
गड्ढों...
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हम सभी का सामना किसी ऐसे ‘अंकल’ से हुआ होगा, जो समय-समय पर हमें याद दिलाते रहते हैं कि इस देश का भगवान ही मालिक है। उनकी हर बात का लब्बोलुआब यह रहता है कि भारत एक भ्रष्ट और नाकारा देश है, जहां जिंदगी गुजारना मुश्किल है। वे हमें बताते हैं कि आरटीओ से लेकर राशन की दुकान और नगर पालिका तक हर सरकारी अधिकारी घूस खाता है। वे हमें यह भी बताते हैं कि कोई भी सरकारी महकमा ठीक से अपना काम नहीं करता।
गड्ढों...
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@IM UR LOVER: Re# 220208-29
हो सकता है एक लचर लोकपाल से हमें आज कोई नुकसान न हो, लेकिन कल हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, जब हमारे बच्चों को कॉलेज में सीट नहीं मिलेगी, जब अस्पतालों में हमारा ठीक से इलाज नहीं किया जाएगा और जब हमारा कोई जरूरी काम सरकारी फाइलों में अटककर रह जाएगा।
हम एक गरीब देश में रहते हैं। गरीब इसलिए नहीं कि हममें अमीर बनने की क्षमता नहीं है, बल्कि इसलिए कि हमारे नेताओं ने हमें निराश किया है। हमने उनके हाथों में जरूरत से ज्यादा सत्ता...
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हो सकता है एक लचर लोकपाल से हमें आज कोई नुकसान न हो, लेकिन कल हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, जब हमारे बच्चों को कॉलेज में सीट नहीं मिलेगी, जब अस्पतालों में हमारा ठीक से इलाज नहीं किया जाएगा और जब हमारा कोई जरूरी काम सरकारी फाइलों में अटककर रह जाएगा।
हम एक गरीब देश में रहते हैं। गरीब इसलिए नहीं कि हममें अमीर बनने की क्षमता नहीं है, बल्कि इसलिए कि हमारे नेताओं ने हमें निराश किया है। हमने उनके हाथों में जरूरत से ज्यादा सत्ता...
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@guest: Re# 220208-27
जी हां अपने तमिलियन होने पर मुझे गर्व है और फख्र है -- इसी के साथ मुझे हिंदी समझाने का -पढने का - लिखने का और बोलने का अधिकार है - यह मेरा कर्त्तव्य भी है -- क्योकि हिंदी हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा है --- आपको अस्चर्या होगा सर में चेन्नई में ही एक निजी स्कूल में हिंदी पढ़ाने का अध्यापक हु - और इस कर्म से मुझे दिल को सकूँ मिलता है - भाषा मेरे लिए मेरी प्रगति में कभी भी बाधक नहीं रही - हम कई वर्ष डेल्ही में रहे -वाराणसी में रहे -अवध में रहे -तो हिंदी मेरी अपने आप उतरोत्तर प्रगति करती गयी -- मुझे हिंदी से प्यार है लगाव है - हां...
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जी हां अपने तमिलियन होने पर मुझे गर्व है और फख्र है -- इसी के साथ मुझे हिंदी समझाने का -पढने का - लिखने का और बोलने का अधिकार है - यह मेरा कर्त्तव्य भी है -- क्योकि हिंदी हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा है --- आपको अस्चर्या होगा सर में चेन्नई में ही एक निजी स्कूल में हिंदी पढ़ाने का अध्यापक हु - और इस कर्म से मुझे दिल को सकूँ मिलता है - भाषा मेरे लिए मेरी प्रगति में कभी भी बाधक नहीं रही - हम कई वर्ष डेल्ही में रहे -वाराणसी में रहे -अवध में रहे -तो हिंदी मेरी अपने आप उतरोत्तर प्रगति करती गयी -- मुझे हिंदी से प्यार है लगाव है - हां...
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2 Public Posts - Sun Aug 14, 2011
@कमल जैन**: Re# 220208-37
प्रिय कमल भाई - शुक्रिया आपका -- आपने आज इस ब्लॉग को गुलामी से मीन्स ताले से मुक्ति दिलाई - मेरा निवेदन है की मत बांधो आज किसी तरह की जंजीरे -- खोल दो उड़ने दो आज धरा के इस पंछी को -मुक्त नील गगन की छाँव में --
प्रिय कमल भाई - शुक्रिया आपका -- आपने आज इस ब्लॉग को गुलामी से मीन्स ताले से मुक्ति दिलाई - मेरा निवेदन है की मत बांधो आज किसी तरह की जंजीरे -- खोल दो उड़ने दो आज धरा के इस पंछी को -मुक्त नील गगन की छाँव में --
1 Public Posts - Sun Aug 14, 2011
@कमल जैन**: Re# 220208-37
हमारे सभी भाईयो को कल के सुबह की पहली किरण देश की आजादी के इस महोत्सव की - खुशहाली की -हरियाली की - मस्त मस्त नीर भरे बादलो की - झूम झूम कर बढाए देवे -
हमारे सभी भाईयो को कल के सुबह की पहली किरण देश की आजादी के इस महोत्सव की - खुशहाली की -हरियाली की - मस्त मस्त नीर भरे बादलो की - झूम झूम कर बढाए देवे -
1 Public Posts - Sun Aug 14, 2011
@IM UR LOVER: Re# 220208-41
-- अब हम चले कर फ़िदा जान ओ तन साथीओ -अब तुम्हारे हवाले यह साईट साथीओ ---उम्मीद है सुबह की प्रथम किरण को हम फिर हाजिर नाजिर होगे आपके सामने - शब्बा खैर करे ---
-- अब हम चले कर फ़िदा जान ओ तन साथीओ -अब तुम्हारे हवाले यह साईट साथीओ ---उम्मीद है सुबह की प्रथम किरण को हम फिर हाजिर नाजिर होगे आपके सामने - शब्बा खैर करे ---
2 Public Posts - Sun Aug 14, 2011
@Mahesh Kavthanकर: Re# 220208-44
एक विचार नीय लेख फिर आपको देकर जा रहा हु ताकि आप इस पर गंभीरता पूर्वक विचार kar सके --
भ्रष्टाचार और इसे रोकने की कोशिश ऐसा मुद्दा रहा है जिसने भारतीयों को 'एक' कर दिया है। हालांकि, अभी हमें पता नहीं है कि भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है। इसके लिए राजनेताओं और नौकरशाहों पर उंगली उठाना आसान है। लेकिन क्या घूस देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले उतने ही जिम्मेदार नहीं हैं?
हमें...
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एक विचार नीय लेख फिर आपको देकर जा रहा हु ताकि आप इस पर गंभीरता पूर्वक विचार kar सके --
भ्रष्टाचार और इसे रोकने की कोशिश ऐसा मुद्दा रहा है जिसने भारतीयों को 'एक' कर दिया है। हालांकि, अभी हमें पता नहीं है कि भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है। इसके लिए राजनेताओं और नौकरशाहों पर उंगली उठाना आसान है। लेकिन क्या घूस देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले उतने ही जिम्मेदार नहीं हैं?
हमें...
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@IM UR LOVER: Re# 220208-46
और अंत में -- आपका यह lover जा रहा है इस गीत के कुछ बोलो को देकर -हम तो जाते अपने गाम - सबको राम राम राम राम सबको राम राम राम --
और अंत में -- आपका यह lover जा रहा है इस गीत के कुछ बोलो को देकर -हम तो जाते अपने गाम - सबको राम राम राम राम सबको राम राम राम --
@Happy Independence Day 2 All**: Re# 220208-45
shukriya ajhar bhai jaan
shukriya ajhar bhai jaan
2 Public Posts - Sun Aug 14, 2011
1 Public Posts - Mon Aug 15, 2011
@guest: Re# 220208-51
मनमोहन सिंह, नेहरू और इंदिरा के बाद सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने का गौरव पहले ही हासिल कर चुके हैं। राष्ट्रीय अखंडता का प्रतीक रहे लाल किले पर देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने सबसे ज्यादा 17 बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इंदिरा गांधी ने देश की प्रधानमंत्री के नाते 16 बार तिरंगा फहराया।
मनमोहन सिंह, नेहरू और इंदिरा के बाद सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने का गौरव पहले ही हासिल कर चुके हैं। राष्ट्रीय अखंडता का प्रतीक रहे लाल किले पर देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने सबसे ज्यादा 17 बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इंदिरा गांधी ने देश की प्रधानमंत्री के नाते 16 बार तिरंगा फहराया।
2 Public Posts - Mon Aug 15, 2011
@IM UR LOVER: Re# 220208-52
प्यारे दोस्तो, एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत 64 वर्षो का सफर तय कर चुका है। यह हम सभी के लिए गौरव और खुशी का क्षण है। साथ ही हमें एक राष्ट्र के रूप में अपने विचारों को पुनर्जीवित करने, अपनी प्रगति की समीक्षा करने और उन चुनौतियों का सामना करने के लिए नई रणनीतियां बनाने की भी जरूरत है, जो 21वीं सदी के भारत के समक्ष मुंह बाए खड़ी हैं। मेरा मानना है कि ऊर्जा और प्रेरणा से भरे युवा हमारी सबसे बड़ी संपदा हैं।
भारत...
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प्यारे दोस्तो, एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत 64 वर्षो का सफर तय कर चुका है। यह हम सभी के लिए गौरव और खुशी का क्षण है। साथ ही हमें एक राष्ट्र के रूप में अपने विचारों को पुनर्जीवित करने, अपनी प्रगति की समीक्षा करने और उन चुनौतियों का सामना करने के लिए नई रणनीतियां बनाने की भी जरूरत है, जो 21वीं सदी के भारत के समक्ष मुंह बाए खड़ी हैं। मेरा मानना है कि ऊर्जा और प्रेरणा से भरे युवा हमारी सबसे बड़ी संपदा हैं।
भारत...
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@IM UR LOVER: Re# 220208-55
मैंने उससे पूछा तुम फुर्सत के क्षणों में कुछ न कुछ पढ़ते क्यों रहते हो? उसने जवाब दिया कि उसके बच्चे उससे बहुत सवाल पूछते हैं। इसलिए उसने पढ़ना शुरू कर दिया है, ताकि उनके सवालों का कुछ तो जवाब दे पाए। पढ़ाई के प्रति उसकी इस लगन ने मुझे प्रभावित किया।
मैंने उससे कहा कि वह पत्राचार पाठ्यक्रम के जरिये फिर से पढ़ाई की शुरुआत करे और बारहवीं पास करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए तैयारी करे। उसने इसे एक चुनौती की तरह लिया। बीए...
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मैंने उससे पूछा तुम फुर्सत के क्षणों में कुछ न कुछ पढ़ते क्यों रहते हो? उसने जवाब दिया कि उसके बच्चे उससे बहुत सवाल पूछते हैं। इसलिए उसने पढ़ना शुरू कर दिया है, ताकि उनके सवालों का कुछ तो जवाब दे पाए। पढ़ाई के प्रति उसकी इस लगन ने मुझे प्रभावित किया।
मैंने उससे कहा कि वह पत्राचार पाठ्यक्रम के जरिये फिर से पढ़ाई की शुरुआत करे और बारहवीं पास करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए तैयारी करे। उसने इसे एक चुनौती की तरह लिया। बीए...
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1 Public Posts - Mon Aug 15, 2011
jabalpur se 17/09/2011 ko 11 jyoterling ki train ja rahi haiisme ltc hogi kya
bilkul hogi - aap iske liye kisee E_TICKIT agent se contact kare
3 Public Posts - Sun Aug 14, 2011
3 Public Posts - Sun Aug 14, 2011