#Trinetra
अब कोहरे के कहर से रेलवे को बचाएगा 'त्रिनेत्र'. Text in Hindi version
नई दिल्ली:-
आने वाले दिनों में फॉग की वजह से ट्रेन की लेट लतीफी खत्म हो सकती है। अब रेलवे की डिवलपमेंट सेल ने 'त्रिनेत्र' नामक ऐसा डिवाइस बनाया है, जिससे इंजन ड्राइवर अपने इंजन में ही एक मॉनीटर पर आगे की पटरी और...
more... सिग्नल को देख सकेंगे। इस तरह से उन्हें अब ट्रेन की रफ्तार धीमी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस सिस्टम को लगाने के लिए इंडियन रेलवे ने कंपनियों की खोजबीन शुरु कर दी है। रेलवे की इस कवायद में कई विदेशी कंपनियों ने भी अपनी रुचि दिखाना शुरू कर दिया है।
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इंडियन रेलवे के सूत्रों का कहना है कि यह नया सिस्टम ऐसा है, जिसमें विडियो कैमरों और मैपिंग सिस्टम की अहम भूमिका है। दरअसल, मौजूदा हालात में फॉग के कारण इंजन में बैठे ड्राइवर को सिग्नल देखने में दिक्कत होती है। सिग्नल रेड है या ग्रीन, इसे देखने के लिए ड्राइवर को ट्रेन की स्पीड कम करनी पड़ती है। जब कोहरा घना होता है तो स्थिति यह होती है कि ट्रेन बेहद धीमी रफ्तार से चलती है ताकि सिग्नल क्रॉस न हो जाए, क्योंकि अगर सिग्नल रेड है तो आगे एक्सीडेंट का खतरा होता है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस नए सिस्टम के तहत इंजन के आगे हाई रेज़ॉलूशन ऑप्टिकल विडियो कैमरा और इंफ्रा रेड कैमरा लगाया जाएगा। इसके अलावा ट्रेन में रेडार आधारित मैपिंग सिस्टम भी लगाया जाएगा। इस तरह से इन तीनों की मदद से सिस्टम इंजन के आगे के पटरी के हिस्से की एक विडियो इमेज इंजन में पायलट के सामने लगे कंप्यूटर मॉनीटर पर बन जाएगी। जिसे देखकर ड्राइवर उसे देखकर ही ट्रेन की स्पीड को बढ़ा या कम कर सकेगा।
रेलवे का कहना है कि सिर्फ फॉग ही नहीं कई बार तेज अंधड़ और बारिश के बीच पेड़ और खम्भे आदि गिर जाते हैं। ऐसे में एक्सीडेंट का खतरा रहता है। लेकिन इस डिवाइज के लगने से इस तरह के खतरे से तो बचा जा ही सकेगा, साथ ही एहतियात के तौर पर ट्रेन को रोकने की जरूरत नहीं होगी। बल्कि जब पटरी पर किसी तरह का अवरोध होगा, तभी ट्रेन को रोका जाएगा। रेलवे अफसरों के मुताबिक रेडार मैपिंग सिस्टम की मदद से आगे के सिग्नल की जानकारी मिल जाएगी।
रेलवे के मुताबिक, इस डिवाइस को मकैनिकल बोर्ड की देखरेख में डिवलपमेंट सेल ने तैयार किया है। अब इसे बड़ी मात्रा में बनाने तथा लगाने के लिए इंडियन रेलवे ने प्राइवेट कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए इजराइल, फिनलैंड, यूएसए और ऑस्ट्रिया सहित कई भारतीय कंपनियों ने रुचि दिखाई है।
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