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इन्दौर – पुणे गाड़ियाँ दादर तक या दौंड तक?
10th Aug 2020
Rail Duniya
रेल...
more... प्रशासन अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम, ज़ीरो बेस टाइमटेबल लागू कराने की कवायदों में हर हफ्ते पखवाड़े में अपने क्षेत्रीय रेलवे के साथ पत्राचार कर रहा है। यह पत्र मीडिया आते है तो रेलवे की अपने क्षेत्रोंकी गाड़ियोंके साथ की गई छेड़छाड़ (?) को देखकर यात्री, यात्री संघठनाए सकतें में आ जाती है। नमूने के तौर पर 20 जुलाई के रेल बोर्ड के पत्र का कुछ अंश हम यहाँ दे रहे है।
यह गाड़ियोंके टर्मिनल्स में किए जाने वाले बदलाव वाला परिच्छेद है। इसमें अनुक्रम 6, 7 और 8 देखिए। 11101/02 ग्वालियर पुणे एक्सप्रेस, 22943/44 इन्दौर पुणे सुपरफास्ट और 19311/12 इन्दौर पुणे एक्सप्रेस इन गाड़ियोंको पुणे के बजाए दादर स्टेशन पर समाप्त करने की व्यवस्था की जा रही है, ऐसा उधृत किया गया है।
इन्दौर, ग्वालियर पुणे की 3 जोड़ी गाड़ियोंमे ऐसे बदलाव को देखकर समस्त मालवा और इन्दौर प्रभाग के लोग अचंभित रह गए। यह गाड़ियाँ इन्दौर क्षेत्र के यात्रिओंमें बेहद लोकप्रिय है। ग्वालियर पुणे एक्सप्रेस सप्ताह में एक बार, इन्दौर पुणे के बीच सुपरफास्ट सप्ताह में 5 बार और एक्सप्रेस सप्ताह में 2 बार चलाई जाती है। यह सभी गाड़ियाँ रोजाना भी चलाई जाए तो भी इनकी बुकिंग्ज फूल रहेगी, यहाँतक की इन्दौर क्षेत्र की मुम्बई में टर्मिनेट होनेवाली गाड़ियोंको भी आगे पुणे तक एक्सटेंड कर दिया जाए तो भी ट्रैफिक में कोई कमी नही आएगी ऐसी अवस्था मे यह गाड़ियाँ दादर में टर्मिनेट किए जाने की सोच पर सन्देह होता है।
आननफानन में यात्री संगठनों ने जब रेलवे के सम्बन्धित एवं वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की तो वह भी एक बार तो भौचक्के रह गए। उन्होंने कहा, शायद समझने में कोई गलती हुई हो। हो सकता है, दादर न हो और पुणे में रखरखाव के लिए जगह की कमी के चलते गाड़ियोंको दौंड में ले जाया जाने की बात तय हुई हो। चूँकि दौंड स्टेशन पुणे से 76 किलोमीटर सोलापुर लाइनपर पड़ता है। कई सवारी गाड़ियोंका टर्मिनल है। वहाँपर मेंटेनेन्स स्टाफ़, पिट लाइने, गाड़ी रखने के और उसका रखरखाव करने हेतु जगह उपलब्ध है।
इन्दौर, ग्वालियर की पुणे जानेवाली गाड़ियाँ वसई रोड से अपना मार्ग बदलकर दादर में टर्मिनेट करने के बजाय पुणे से एक्स्टेंड हो कर दौंड टर्मिनेट की जा सकती है, और दौंड स्टेशन की जगह गलती से दादर छप गया इस तरह की दलील सुन कर यात्री संगठनोंने राहत की साँस तो ली पर उनका संदेह अभी भी बरकरार है। छपाई में गलती क्या तीन तीन जगहोंपर की जा सकती है?
जब तक रेल प्रशासन से इस बात को लेकर पूर्णतया समाधान नही किया जाता तब तक इन्दौर और मालवा प्रभाग के यात्री संगठनोंमें अस्वस्थता कायम रहेगी।