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Blog Entry# 4670557
Posted: Jul 17 2020 (07:01)
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Part-2/
विश्व बैंक द्वारा की गई प्रस्तुति में निम्नलिखित बातों पर प्रकाश डाला गया:
नवाचार, सहायक, संस्थागत मजबूती, समन्वय और राज्यों का सशक्तिकरण करके सेवा वितरण में सुधारों की गुंजाइश है।
प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव...
more...
विश्व बैंक द्वारा की गई प्रस्तुति में निम्नलिखित बातों पर प्रकाश डाला गया:
नवाचार, सहायक, संस्थागत मजबूती, समन्वय और राज्यों का सशक्तिकरण करके सेवा वितरण में सुधारों की गुंजाइश है।
प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव...
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अस्वस्थता और मौतों पर कोरोना वायरस के प्रत्यक्ष प्रभाव से आनुपातिक रूप से बड़ा होने की संभावना है। उदाहरण के लिए, आईएमएफ द्वारा किए गए अनुमानों के अनुसार, प्रति व्यक्ति जीडीपी में 6% की गिरावट का अनुमान है जो देश के अब तक के सबसे बड़ी गिरावट में से एक है।
भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरी है। इसके अलावा, राज्यों और देखभाल संस्थाओं में भारी परिवर्तनशीलता है।
खर्च की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बजट निष्पादन में सुधार के लिए पीएफएम सुधारों की आवश्यकता है। इसके साथ ही राज्यों से जिलों में संसाधन के आवंटन के फॉर्मूला में एतिहासिक मापदंडों की बजाय जनसंख्या की आवश्यकता (मृत्यु दर / अस्वस्थता / इक्विटी) का विशेष ख्याल रखने, स्वास्थ्य सुरक्षा योजनाओं के विखंडन को कम करने और मांग-पक्ष वित्तपोषण के तौर-तरीकों को क्रमिक रूप से अपनाने पर जोर देना होगा।
इक्विटी और जरूरत पर नए सिरे से ध्यान देने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, एनएचएम को स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च से संबंधित होना चाहिए। इसी तरह, गरीब राज्यों में प्रति लाभार्थी खर्च में वृद्धि होनी चाहिए। स्वास्थ्य के लिए आवश्यकताओं पर आधारित स्थानांतरण सूत्र सावधानी से डिज़ाइन किए जाने चाहिए। इसके अलावा, एक अलग स्वास्थ्य समीकरण की जरूरत है। लक्षित परिणामों के लिए स्पष्ट जवाबदेही की रूपरेखा भी तैयार किए जाने की जरूरत है।
राज्यों के भीतर संसाधन आवंटन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
सेवा उपलब्ध कराने के लिए एक मजबूत सार्वजनिक / निजी सहयोग गठित करना चाहिए।
भारत सरकार सेवा वितरण सुधारों को बढ़ावा देने के लिए 'ओपन सोर्स' दृष्टिकोण के लिए मार्गदर्शक बन सकती है। उदाहरण के लिए, योजनाओं के कार्यान्वयन में लचीलेपन के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से वित्तपोषण, केंद्रीय योजनाओं से जुड़े राज्यों के साथ जवाबदेही तंत्र स्थापित करने और ज्ञान हस्तांतरण मंचों को बढ़ावा देने का उपयोग किया जा सकता है।
सेवा वितरण नवाचारों को प्रौद्योगिकी समाधानों को शुरू करने की तरह प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र अनुबंधित निजी प्रदाताओं द्वारा चलाए जा सकते हैं, डिजिटल प्रौद्योगिकी, डेटा विज्ञान, पिरामिड मॉडल के नीचे के क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकता है और बहु-क्षेत्रीयकार्यों और सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।
मुख्य सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है। नए टीके, दवाओं और निदान जैसे वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। टीबी निदान और उपचार के लिए निजी क्षेत्र का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और टीबी प्रदर्शन सूचकांक के माध्यम से राज्यों और जिलों को प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन भी दिया जा सकता है।
भविष्य में आने वाली महामारियों की पहचान करने और उनसे निपटने के लिए निगरानी और जिला स्तर की क्षमता को मजबूत करना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
कमजोर क्षमता वाले राज्यों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला बुनियादी ढांचे और कार्य प्रणाली को बढ़ाने के लिए लक्षित निवेश करना।
प्रारंभिक और उचित प्रतिक्रिया (महामारी खुफिया सेवा) के लिए विश्लेषणात्मक क्षमता बढ़ाने हेतु विभिन्न राज्यों में और केंद्रीय स्तर पर एकीकृत रोग निगरानी में मुख्य दक्षताओं के साथ जिला निगरानी टीमों को विकसित करना और उन्हें तैनात करना।
मानव और पशु स्वास्थ्य निगरानी के लिए वास्तविक समय निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली विकसित और उसका समान रूप से फैलाव करना क्योंकि भविष्य की अधिकांश महामारियां पशुओं से ही होंगी।
राष्ट्रीय और राज्य संस्थानों को प्रभावी ढंग से महामारी (एनसीडीसी) के लिए तैयार करना और चिकित्सा अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में आईसीएमआर विकसित करना।
रोगों से निपटने की तैयारी और उपचार के लिए अंतर-एजेंसी समन्वय को मजबूत करना।
आईसीएमआर, एनसीडीसी और एनडीएमए जैसे संस्थानों को बीमारी की तैयारी, निदान, जांच, प्रतिक्रिया और लोगों के स्वास्थ्य के लिए मजबूत किया जाना चाहिए। संस्थागत सुधार और नवाचारों को टीबी, एचआईवी, वीबीडी जैसे रोग नियंत्रण कार्यक्रमों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। स्थानीय निकायों जैसे नगरपालिकाओं को संसाधनों और क्षमता निर्माण के मामले में भी मजबूत किया जाना चाहिए ताकि वे स्वास्थ्य देखभाल सेवा उपलब्ध कराने में अधिक भूमिका निभा सकें।
नीति आयोगके सदस्य डॉ. पॉल ने स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के वितरण में स्थानीय निकायों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जोर देते हुए यह भी कहा कि स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च का 65% हिस्सा राज्य सरकारों से आता है, जबकि 35% हिस्सा केंद्र सरकार से आता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर समग्र व्यय को बढ़ाने की आवश्यकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान संबंधी बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी कहा।
डॉ. इंदु भूषण ने प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) में ‘मिसिंग मिडल’ आबादी को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि गिरते हुए राजस्व और बढ़ती लागत के साथ निजी अस्पतालों को मदद की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्वास्थ्य एक समवर्ती विषय होना चाहिए।
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह ने अर्थव्यवस्था के लिए विशेष पैकेज की घोषणा में स्वास्थ्य के बजटीय परिव्यय को बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री के इरादे की चर्चा की।
यह महत्वपूर्ण है कि 15,000 करोड़ रुपयेके भारत कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज (ईआर एंड एचएसपी) को 22 अप्रैल, 2020 को कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसमें मुख्य रूप से आइसोलेशन वार्ड, आईसीयू आदि के साथ समर्पित कोविड सुविधाओं का विकास और संचालन जैसे आपातकालीन प्रतिक्रिया घटक शामिल किए गए। इसमें स्वास्थ्य पेशेवरों का प्रशिक्षण, परीक्षण क्षमता बढ़ाना, पीपीई,एन-95 मास्क, वेंटिलेटर परीक्षण किट खरीदना और ड्रग्स, कोविड देखभाल केंद्र के रूप में रेलवे कोचों को बदलना,निगरानी इकाइयों को मजबूत करना, आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए जिलों को फंड मुहैया कराना शामिल है।
क्रम संख्या
घटक
राशि करोड़ में
1.
आपातकालीन कोविड-19 प्रतिक्रिया
7,500
2.
कोविड-19 की रोकथाम और इसके लिए तैयारियों केरूप में राष्ट्रीय और राज्य स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना
4,150
3.
महामारी अनुसंधान और बहु-क्षेत्र, राष्ट्रीय संस्थानों और स्वास्थ्य केंद्रों (प्लेटफार्मों) को मजबूत करना
1,400
4.
सामुदायिक संलग्नता और जोखिम संचार
1,050
5.
कार्यान्वयन, प्रबंधन, क्षमता निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन
900
कुल
15,000
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह ने कहा कि पंद्रहवां वित्त आयोग पहली बार स्वास्थ्य वित्तपोषण पर एक पूरा अध्याय समर्पित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि 15वें वित्त आयोग और विश्व बैंक द्वारा गठित स्वास्थ्य क्षेत्र की उच्च स्तरीय समिति स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अपने अध्ययन और विश्लेषण के आधार पर उपयुक्त सिफारिश करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपने के पहले केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से स्वास्थ्य पर भारत सरकार के खर्च पर भी विस्तार से अध्ययन किया जाएगा।
******
एलजी/एएम/एके/डीए
(रिलीज़ आईडी: 1637098) आगंतुक पटल : 162
भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरी है। इसके अलावा, राज्यों और देखभाल संस्थाओं में भारी परिवर्तनशीलता है।
खर्च की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बजट निष्पादन में सुधार के लिए पीएफएम सुधारों की आवश्यकता है। इसके साथ ही राज्यों से जिलों में संसाधन के आवंटन के फॉर्मूला में एतिहासिक मापदंडों की बजाय जनसंख्या की आवश्यकता (मृत्यु दर / अस्वस्थता / इक्विटी) का विशेष ख्याल रखने, स्वास्थ्य सुरक्षा योजनाओं के विखंडन को कम करने और मांग-पक्ष वित्तपोषण के तौर-तरीकों को क्रमिक रूप से अपनाने पर जोर देना होगा।
इक्विटी और जरूरत पर नए सिरे से ध्यान देने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, एनएचएम को स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च से संबंधित होना चाहिए। इसी तरह, गरीब राज्यों में प्रति लाभार्थी खर्च में वृद्धि होनी चाहिए। स्वास्थ्य के लिए आवश्यकताओं पर आधारित स्थानांतरण सूत्र सावधानी से डिज़ाइन किए जाने चाहिए। इसके अलावा, एक अलग स्वास्थ्य समीकरण की जरूरत है। लक्षित परिणामों के लिए स्पष्ट जवाबदेही की रूपरेखा भी तैयार किए जाने की जरूरत है।
राज्यों के भीतर संसाधन आवंटन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
सेवा उपलब्ध कराने के लिए एक मजबूत सार्वजनिक / निजी सहयोग गठित करना चाहिए।
भारत सरकार सेवा वितरण सुधारों को बढ़ावा देने के लिए 'ओपन सोर्स' दृष्टिकोण के लिए मार्गदर्शक बन सकती है। उदाहरण के लिए, योजनाओं के कार्यान्वयन में लचीलेपन के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से वित्तपोषण, केंद्रीय योजनाओं से जुड़े राज्यों के साथ जवाबदेही तंत्र स्थापित करने और ज्ञान हस्तांतरण मंचों को बढ़ावा देने का उपयोग किया जा सकता है।
सेवा वितरण नवाचारों को प्रौद्योगिकी समाधानों को शुरू करने की तरह प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र अनुबंधित निजी प्रदाताओं द्वारा चलाए जा सकते हैं, डिजिटल प्रौद्योगिकी, डेटा विज्ञान, पिरामिड मॉडल के नीचे के क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकता है और बहु-क्षेत्रीयकार्यों और सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।
मुख्य सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है। नए टीके, दवाओं और निदान जैसे वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। टीबी निदान और उपचार के लिए निजी क्षेत्र का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और टीबी प्रदर्शन सूचकांक के माध्यम से राज्यों और जिलों को प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन भी दिया जा सकता है।
भविष्य में आने वाली महामारियों की पहचान करने और उनसे निपटने के लिए निगरानी और जिला स्तर की क्षमता को मजबूत करना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
कमजोर क्षमता वाले राज्यों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला बुनियादी ढांचे और कार्य प्रणाली को बढ़ाने के लिए लक्षित निवेश करना।
प्रारंभिक और उचित प्रतिक्रिया (महामारी खुफिया सेवा) के लिए विश्लेषणात्मक क्षमता बढ़ाने हेतु विभिन्न राज्यों में और केंद्रीय स्तर पर एकीकृत रोग निगरानी में मुख्य दक्षताओं के साथ जिला निगरानी टीमों को विकसित करना और उन्हें तैनात करना।
मानव और पशु स्वास्थ्य निगरानी के लिए वास्तविक समय निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली विकसित और उसका समान रूप से फैलाव करना क्योंकि भविष्य की अधिकांश महामारियां पशुओं से ही होंगी।
राष्ट्रीय और राज्य संस्थानों को प्रभावी ढंग से महामारी (एनसीडीसी) के लिए तैयार करना और चिकित्सा अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में आईसीएमआर विकसित करना।
रोगों से निपटने की तैयारी और उपचार के लिए अंतर-एजेंसी समन्वय को मजबूत करना।
आईसीएमआर, एनसीडीसी और एनडीएमए जैसे संस्थानों को बीमारी की तैयारी, निदान, जांच, प्रतिक्रिया और लोगों के स्वास्थ्य के लिए मजबूत किया जाना चाहिए। संस्थागत सुधार और नवाचारों को टीबी, एचआईवी, वीबीडी जैसे रोग नियंत्रण कार्यक्रमों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। स्थानीय निकायों जैसे नगरपालिकाओं को संसाधनों और क्षमता निर्माण के मामले में भी मजबूत किया जाना चाहिए ताकि वे स्वास्थ्य देखभाल सेवा उपलब्ध कराने में अधिक भूमिका निभा सकें।
नीति आयोगके सदस्य डॉ. पॉल ने स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के वितरण में स्थानीय निकायों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जोर देते हुए यह भी कहा कि स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च का 65% हिस्सा राज्य सरकारों से आता है, जबकि 35% हिस्सा केंद्र सरकार से आता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर समग्र व्यय को बढ़ाने की आवश्यकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान संबंधी बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी कहा।
डॉ. इंदु भूषण ने प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) में ‘मिसिंग मिडल’ आबादी को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि गिरते हुए राजस्व और बढ़ती लागत के साथ निजी अस्पतालों को मदद की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्वास्थ्य एक समवर्ती विषय होना चाहिए।
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह ने अर्थव्यवस्था के लिए विशेष पैकेज की घोषणा में स्वास्थ्य के बजटीय परिव्यय को बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री के इरादे की चर्चा की।
यह महत्वपूर्ण है कि 15,000 करोड़ रुपयेके भारत कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज (ईआर एंड एचएसपी) को 22 अप्रैल, 2020 को कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसमें मुख्य रूप से आइसोलेशन वार्ड, आईसीयू आदि के साथ समर्पित कोविड सुविधाओं का विकास और संचालन जैसे आपातकालीन प्रतिक्रिया घटक शामिल किए गए। इसमें स्वास्थ्य पेशेवरों का प्रशिक्षण, परीक्षण क्षमता बढ़ाना, पीपीई,एन-95 मास्क, वेंटिलेटर परीक्षण किट खरीदना और ड्रग्स, कोविड देखभाल केंद्र के रूप में रेलवे कोचों को बदलना,निगरानी इकाइयों को मजबूत करना, आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए जिलों को फंड मुहैया कराना शामिल है।
क्रम संख्या
घटक
राशि करोड़ में
1.
आपातकालीन कोविड-19 प्रतिक्रिया
7,500
2.
कोविड-19 की रोकथाम और इसके लिए तैयारियों केरूप में राष्ट्रीय और राज्य स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना
4,150
3.
महामारी अनुसंधान और बहु-क्षेत्र, राष्ट्रीय संस्थानों और स्वास्थ्य केंद्रों (प्लेटफार्मों) को मजबूत करना
1,400
4.
सामुदायिक संलग्नता और जोखिम संचार
1,050
5.
कार्यान्वयन, प्रबंधन, क्षमता निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन
900
कुल
15,000
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह ने कहा कि पंद्रहवां वित्त आयोग पहली बार स्वास्थ्य वित्तपोषण पर एक पूरा अध्याय समर्पित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि 15वें वित्त आयोग और विश्व बैंक द्वारा गठित स्वास्थ्य क्षेत्र की उच्च स्तरीय समिति स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अपने अध्ययन और विश्लेषण के आधार पर उपयुक्त सिफारिश करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपने के पहले केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से स्वास्थ्य पर भारत सरकार के खर्च पर भी विस्तार से अध्ययन किया जाएगा।
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एलजी/एएम/एके/डीए
(रिलीज़ आईडी: 1637098) आगंतुक पटल : 162
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