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Ranikhet Express - रेगिस्तान में हरियाली

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General Travel
13316 views
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Sep 19 2021 (16:42)  
madanmohanmeena^~
madanmohanmeena^~   15470 blog posts
Entry# 5070173              
#निजीकरण_और_लोक_कल्याणकारी_राज्य
समय हो तो जरूर पढें :-
मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, पटना, अहमदाबाद
सभी में कॉमन क्या है पता है?
लोकल ट्रेन और उसमे सफर करते गरीबों, ऑफ़िस वर्कर, और दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ कहीं
...
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कम कहीं ज्यादा..

एक बार बिल्कुल सुबह सियालदह रेलवे स्टेशन चले जाइये, बशीरहाट, बनगांव, कृष्णानगर, केनिंग आदि इलाकों से हज़ारों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर, फल-फूल-माछ-सब्जी बेचने वाले (जिसमें बड़ी संख्या महिलाओं की होती है) वहाँ की लोकल ट्रेनों से उतरते हैं।

उतरने के बाद ये आसपास की बाजारों में, सेठ-साहूकार और मारवाड़ियों की दुकानों में फ़ैल जाते हैं और दिन -भर हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद उसी लोकल ट्रेन में उसकी "राजसी" सफर शुरू होती है जहाँ से अगले दो-ढाई घण्टे "मिनिमन ऑक्सिजन" लेते हुए वो वापस अपने घर की ओर लौटते है। (मिनिमन ऑक्सिजन इसलिए कहा क्योंकि लोकल ट्रेन की बेकाबू भीड़ में इतनी ही ऑक्सिजन मिल पाती होगी उसे) मुंबई वाले इस दर्द को समझ सकते है,

इस नारकीय सफ़र को तय करने में उसे बमुश्किल 15 या उससे कुछ ही अधिक रुपये रोजाना के लगते हैं; क्योंकि भारत सरकार लोकल ट्रेनों के टिकट को लगभग नगण्य भाव बेचती है आज भी। अगर उसने मंथली पास बनवा लिया हो तो ये दर और कम हो जाती है।

इसका लाभ उठाने वाले उस श्रमिक , गरीब वर्ग को रात को सोते वक्त सुकून केवल इस बात का होता है कि आज दिन भर की कमाई 200 रुपये थी, जिसमें ट्रेन का किराया देने के बाद 180 रुपये बचे। इसी 20 रुपये की बचत उसे एहसास दिलाती है कि वो एक "लोक-कल्याणकारी राज्य" में जी रहा है, जहाँ सरकार उसका भी ध्यान रखती है, उसे लगभग फ्री में यातायात मुहैया कराती है। वो कई बार फ्री में भी यात्रा कर 20 रुपये और बचा लेता है तो सरकार के लिए वो और भी एहसानमंद हो जाता है, उसे लगता है कि वो एक आजाद मुल्क का वाशिंदा है; जहाँ की सरकार उसके लिए रेल चलाती है और वो उसकी अपनी है; जिसमें आज वो फ्री में घूमकर आया है।

ये बात तो मैंने केवल बंगाल के सियालदह डिवीजन के रेलों की की है, कमोबेश यही हालत शायद बाकी जगह भी होगी जहाँ इन दिहाड़ी मजदूर वर्ग के अलावा विद्यार्थी, मध्यमवर्गीय परिवार के लोग, महिलाएं और न जाने-जाने कितने लोग इस सरकारी अनुकंपा का लाभ पाते हैं। और आप ये मान लीजिए कि रेलवे की कुल कमाई को इस 5-10 रुपये के कुछ लाख की रोजाना के टिकट से रत्ती भर फ़र्क़ नहीं पड़ता।

यही बात उनके लिए भी है जो 180 -220 रुपये में ही दिल्ली से बिहार या कहीं और की यात्रा जनरल बोगी में करके आता है और यकीन मानिए जानवर की तरह उस बोगी में ठूंसकर आने के बाबजूद मैंने आज तक किसी जनरल बोगी में सफर करने वाले को रेल सेवा की कोई शिकायत करते नहीं सुना। ये सारी शिकायतें, सरकार को रेलवे सेवा की घटियापन के लिए कोसते वर्ग वही होते हैं जो एसी कोचों में सफर करते हैं। ये 200 रुपये में सफर करने वाले रेलवे की इसी सेवा से संतुष्ट है कि रेल ने भले 40 घण्टे लिए पर उसे घर तक तो पहुंचा दिया।

आप कह सकते हैं कि वो बेहतर सेवा नहीं लेता, नहीं मांगता तो वो गधा है तो आप बेशक कहते रहें पर वो आपकी सोच का नहीं है।

आपकी नज़र में बेटिकट यात्रा करने वाले छात्र उन्मादी, उत्पाती होंगे पर मेरी नज़र में वो सब वो लोग हैं जिससे ये सरकारी सुविधाएं बागी नहीं बनाती। "15 अगस्त, 1947 को आजादी कहाँ मिली?" समझाने वाले उसे सरकार के खिलाफ नक्सली और माओवादी नहीं बना पाते क्योंकि उसे लगता है कि इस देश की सरकार की रेल का टीटी उसे फ्री में यात्रा करने देता है, यानि सबकुछ गड़बड़ और अन्यायपूर्ण नहीं है।

सरकार कुंभ, गंगा स्नान समेत अनेकानेक मेलों में सरकार "पूजा स्पेशल ट्रेन" चलाती है जो न जाने कितनों को नयूनतम दर पर गन्तव्य पहुँचा देती है। रेलवे के गैंगमैन-ट्रैकमैन की जॉब पाने वाले का परिवार समाज में ठीक-ठाक से उठने बैठने लगता है और ग्रुप C की नौकरी पा लेने वाले का तो खैर "सोशल स्टेटस" ही बदल जाता है जो उसे रेलवे के जॉब से मिलती है।

इस मानसिकता को आप सही मानो या गलत, आप इसे अराजकता और मुफ़्तख़ोरी कहो या जो भी कहो, हो सकता है कि ऐसा कहते हुए आप सही भी हों पर भारतीय समाज का सच यही है, जिसे करते हुए समाज used-too हो गया है और रेलवे का निजीकरण किसी सूरत ये समाज पसंद नहीं करेगा। हरेक को सुविधा और समयबद्धता ही नहीं चाहिए। जिन्हें चाहिए उन्हें आप वैसी ट्रेनें पहले से ही दे रहे हैं

इस सिस्टम को आप बेमतलब छेड़ेंगे तो फिर कई और दिक्कतें पैदा होंगीं। ट्रेन टिकट लेकर चलने को ही अगर आप अनुशासित समाज का प्रतिबिंब मान रहें हैं तो उन देशों को भी देखिये जहाँ टिकट वाली ट्रेनें हैं और स्वतःस्फूर्त समाज अनियंत्रित हो उठता है।

जिस देश में एक भी दिन का "माननीय" सारी उम्र पेंशन का हकदार हो जाता है वहां अगर जनता फ्री में कुछ बुनियादी सुविधाओं का लाभ ले लेती है तो मुझे नहीं लगता कि किसी के पेट में मरोड़ उतनी चाहिए। बल्कि "लोक कल्याणकारी राज्य" में ये बुनियादी सेवाएं तो फ्री या नाममात्र के दर पर होनी ही चाहिए।

मायापुर, इस्कॉन मंदिर में कुछ भी फ्री नहीं है। लंच और डिनर की सामान्य थाली 70/- और स्पेशल थाली 150/- में परोसी जाती है पर वो इसी 70/- वाली थाली की फ्री कूपन भी बांटते हैं , उनको जो सुबह की आरती मुख्य मंदिर में करने पहुँच जाते हैं और आप यकीन करिये कि पैसे देकर खाने वालों की संख्या फ्री खाने वालों से कहीं अधिक होती है; क्योंकि ये सुविधाभोगी वर्ग सुबह की 5 बजे की आरती के लिए नींद नहीं तोड़ पाता अपनी।

जिनको सुविधाएँ चाहिए उनके लिए सरकार हर तरह के विशिष्ट ट्रेन चलाये और जिनको सुविधाओं से कोई मतलब नहीं उनके लिए वर्तमान वाला रेलवे ही "रामराज्य" है। निजीकरण उनसे उनका ये रामराज्य छीन लेगा।

आप प्रबंधन को दुरुस्त कीजिये, खामी सुधारिये क्योंकि गड़बड़ी वहाँ है, निजीकरण तो ये मान लेना है कि इसे सुधारना आपके वश का नहीं है। कई विभाग सुधार की ऐसी प्रक्रिया के "बेस्ट एक्सएम्पलस" हैं कि कैसे कुशल प्रबंधन ने उन्हें दुरुस्त रखा हुआ है।

मैं अर्थशास्त्र नहीं जानता, न ही ये पोस्ट निजीकरण या सरकारीकरण के विषय की समीक्षा के लिए लिखा गया है और न ही मैं यहाँ अर्थशास्त्री बनकर किसी के साथ डिबेट करने आया हूँ पर इन तमाम बहसों के बीच एक पहलू ये भी है।

समाज के मन को पढ़िये......लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर शासन चलाने के बाबजूद ये बहुत छोटी चीजें हैं जो सारे प्रयासों पर इंक पोत देती हैं, इसे समझिये........इतना ही हेतू है।
#copied

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3 Public Posts - Sun Sep 19, 2021
Rail News
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New/Special Trains
SWR/South Western
Jan 14 2019 (14:36)   Train services extended - The Hindu

Rkj_78^~   944 news posts
Entry# 4196598   News Entry# 373929         Tags   Past Edits
The people of Mysuru will have another train service to Bengaluru and Chennai with effect from January 15 (Tuesday) in what is described as a ‘Sankranti...

2 Public Posts - Mon Jan 14, 2019

56948 views
1

Jan 14 2019 (16:52)
Rkj_78^~
Rkj_78^~   11956 blog posts
Re# 4196598-3              
(vi) SUPERFAST SURCHANGE TICKET :
Wherever permitted by Railway Administration, the passenger can travel in unreserved coaches of Superfast trains also. In such a case, he is required to purchase the Superfast Surcharge ticket for each journey in advance. For the convenience of passengers who want to travel regularly by Superfast trains, the Railways also issue the Monthly/Quarterly Superfast Surcharge tickets on demand. The superfast surcharge will, however, not be levied on season ticket holders traveling by those superfast trains, which have total journey less than 325 kms from train originating to destination station.
...
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this will help you. #copied from indiarail.gov.in

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1 Followers
General Travel
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11

May 29 2018 (09:22)  
TouristerDivyanshu^~
TouristerDivyanshu^~   173605 blog posts
Entry# 3462350              
New Version of IRCTC
Faster and better ✌️
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10201 views
1

May 29 2018 (09:26)
~   1966 blog posts
Re# 3462350-1              
Yeh new version. IndiGo k app ki tarah lagg rh h
#copied 😝😂
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14 Public Posts - Tue May 29, 2018
Rail Fanning
69537 views
39

★★★
Mar 19 2018 (01:22)   12451/Shram Shakti Express (PT) | CNB/Kanpur Central (10 PFs)
 
atharvayadav49^~
atharvayadav49^~   51092 blog posts
Entry# 3216731            Tags  
12451 Kanpur Central - New Delhi Shram Shakti SF Express with Decorated and Shining LHB Coaches.
Source :click here
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45 Public Posts - Mon Mar 19, 2018

15650 views
2

Mar 19 2018 (09:30)
~   1402 blog posts
Re# 3216731-46              
ताश के पत्तों से महल नहीं बनता,
नदी को रोकने से समंदर नहीं बनता,
बढ़ाते रहो जिंदगी में हर पल,
क्यूंकि एक जीत से कोई सिकंदर नहीं बनता
#copied
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43 Public Posts - Mon Mar 19, 2018
Rail Fanning
16207 views
3

Mar 17 2018 (20:30)  
~   1402 blog posts
Entry# 3213259              
औड़िहार रेलवे स्टेशन पर हो रहे विकास कार्यो निरीक्षण करते पूर्वांचल के विकास पुरुष रेल राज्य मंत्री व संचारमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सरकार मा0 मनोज सिन्हा जी...
#copied from BJP IT cell
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7 Public Posts - Sat Mar 17, 2018

5 Public Posts - Sun Mar 18, 2018
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