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हाटे-बाजारे एक्सप्रेस : चलती - फिरती मछली बाजार - Piyush Singh

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Page#    5 Blog Entries  
General Travel
13299 views
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Sep 19 2021 (16:42)  
madanmohanmeena^~
madanmohanmeena^~   15470 blog posts
Entry# 5070173              
#निजीकरण_और_लोक_कल्याणकारी_राज्य
समय हो तो जरूर पढें :-
मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, पटना, अहमदाबाद
सभी में कॉमन क्या है पता है?
लोकल ट्रेन और उसमे सफर करते गरीबों, ऑफ़िस वर्कर, और दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ कहीं
...
more...
कम कहीं ज्यादा..

एक बार बिल्कुल सुबह सियालदह रेलवे स्टेशन चले जाइये, बशीरहाट, बनगांव, कृष्णानगर, केनिंग आदि इलाकों से हज़ारों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर, फल-फूल-माछ-सब्जी बेचने वाले (जिसमें बड़ी संख्या महिलाओं की होती है) वहाँ की लोकल ट्रेनों से उतरते हैं।

उतरने के बाद ये आसपास की बाजारों में, सेठ-साहूकार और मारवाड़ियों की दुकानों में फ़ैल जाते हैं और दिन -भर हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद उसी लोकल ट्रेन में उसकी "राजसी" सफर शुरू होती है जहाँ से अगले दो-ढाई घण्टे "मिनिमन ऑक्सिजन" लेते हुए वो वापस अपने घर की ओर लौटते है। (मिनिमन ऑक्सिजन इसलिए कहा क्योंकि लोकल ट्रेन की बेकाबू भीड़ में इतनी ही ऑक्सिजन मिल पाती होगी उसे) मुंबई वाले इस दर्द को समझ सकते है,

इस नारकीय सफ़र को तय करने में उसे बमुश्किल 15 या उससे कुछ ही अधिक रुपये रोजाना के लगते हैं; क्योंकि भारत सरकार लोकल ट्रेनों के टिकट को लगभग नगण्य भाव बेचती है आज भी। अगर उसने मंथली पास बनवा लिया हो तो ये दर और कम हो जाती है।

इसका लाभ उठाने वाले उस श्रमिक , गरीब वर्ग को रात को सोते वक्त सुकून केवल इस बात का होता है कि आज दिन भर की कमाई 200 रुपये थी, जिसमें ट्रेन का किराया देने के बाद 180 रुपये बचे। इसी 20 रुपये की बचत उसे एहसास दिलाती है कि वो एक "लोक-कल्याणकारी राज्य" में जी रहा है, जहाँ सरकार उसका भी ध्यान रखती है, उसे लगभग फ्री में यातायात मुहैया कराती है। वो कई बार फ्री में भी यात्रा कर 20 रुपये और बचा लेता है तो सरकार के लिए वो और भी एहसानमंद हो जाता है, उसे लगता है कि वो एक आजाद मुल्क का वाशिंदा है; जहाँ की सरकार उसके लिए रेल चलाती है और वो उसकी अपनी है; जिसमें आज वो फ्री में घूमकर आया है।

ये बात तो मैंने केवल बंगाल के सियालदह डिवीजन के रेलों की की है, कमोबेश यही हालत शायद बाकी जगह भी होगी जहाँ इन दिहाड़ी मजदूर वर्ग के अलावा विद्यार्थी, मध्यमवर्गीय परिवार के लोग, महिलाएं और न जाने-जाने कितने लोग इस सरकारी अनुकंपा का लाभ पाते हैं। और आप ये मान लीजिए कि रेलवे की कुल कमाई को इस 5-10 रुपये के कुछ लाख की रोजाना के टिकट से रत्ती भर फ़र्क़ नहीं पड़ता।

यही बात उनके लिए भी है जो 180 -220 रुपये में ही दिल्ली से बिहार या कहीं और की यात्रा जनरल बोगी में करके आता है और यकीन मानिए जानवर की तरह उस बोगी में ठूंसकर आने के बाबजूद मैंने आज तक किसी जनरल बोगी में सफर करने वाले को रेल सेवा की कोई शिकायत करते नहीं सुना। ये सारी शिकायतें, सरकार को रेलवे सेवा की घटियापन के लिए कोसते वर्ग वही होते हैं जो एसी कोचों में सफर करते हैं। ये 200 रुपये में सफर करने वाले रेलवे की इसी सेवा से संतुष्ट है कि रेल ने भले 40 घण्टे लिए पर उसे घर तक तो पहुंचा दिया।

आप कह सकते हैं कि वो बेहतर सेवा नहीं लेता, नहीं मांगता तो वो गधा है तो आप बेशक कहते रहें पर वो आपकी सोच का नहीं है।

आपकी नज़र में बेटिकट यात्रा करने वाले छात्र उन्मादी, उत्पाती होंगे पर मेरी नज़र में वो सब वो लोग हैं जिससे ये सरकारी सुविधाएं बागी नहीं बनाती। "15 अगस्त, 1947 को आजादी कहाँ मिली?" समझाने वाले उसे सरकार के खिलाफ नक्सली और माओवादी नहीं बना पाते क्योंकि उसे लगता है कि इस देश की सरकार की रेल का टीटी उसे फ्री में यात्रा करने देता है, यानि सबकुछ गड़बड़ और अन्यायपूर्ण नहीं है।

सरकार कुंभ, गंगा स्नान समेत अनेकानेक मेलों में सरकार "पूजा स्पेशल ट्रेन" चलाती है जो न जाने कितनों को नयूनतम दर पर गन्तव्य पहुँचा देती है। रेलवे के गैंगमैन-ट्रैकमैन की जॉब पाने वाले का परिवार समाज में ठीक-ठाक से उठने बैठने लगता है और ग्रुप C की नौकरी पा लेने वाले का तो खैर "सोशल स्टेटस" ही बदल जाता है जो उसे रेलवे के जॉब से मिलती है।

इस मानसिकता को आप सही मानो या गलत, आप इसे अराजकता और मुफ़्तख़ोरी कहो या जो भी कहो, हो सकता है कि ऐसा कहते हुए आप सही भी हों पर भारतीय समाज का सच यही है, जिसे करते हुए समाज used-too हो गया है और रेलवे का निजीकरण किसी सूरत ये समाज पसंद नहीं करेगा। हरेक को सुविधा और समयबद्धता ही नहीं चाहिए। जिन्हें चाहिए उन्हें आप वैसी ट्रेनें पहले से ही दे रहे हैं

इस सिस्टम को आप बेमतलब छेड़ेंगे तो फिर कई और दिक्कतें पैदा होंगीं। ट्रेन टिकट लेकर चलने को ही अगर आप अनुशासित समाज का प्रतिबिंब मान रहें हैं तो उन देशों को भी देखिये जहाँ टिकट वाली ट्रेनें हैं और स्वतःस्फूर्त समाज अनियंत्रित हो उठता है।

जिस देश में एक भी दिन का "माननीय" सारी उम्र पेंशन का हकदार हो जाता है वहां अगर जनता फ्री में कुछ बुनियादी सुविधाओं का लाभ ले लेती है तो मुझे नहीं लगता कि किसी के पेट में मरोड़ उतनी चाहिए। बल्कि "लोक कल्याणकारी राज्य" में ये बुनियादी सेवाएं तो फ्री या नाममात्र के दर पर होनी ही चाहिए।

मायापुर, इस्कॉन मंदिर में कुछ भी फ्री नहीं है। लंच और डिनर की सामान्य थाली 70/- और स्पेशल थाली 150/- में परोसी जाती है पर वो इसी 70/- वाली थाली की फ्री कूपन भी बांटते हैं , उनको जो सुबह की आरती मुख्य मंदिर में करने पहुँच जाते हैं और आप यकीन करिये कि पैसे देकर खाने वालों की संख्या फ्री खाने वालों से कहीं अधिक होती है; क्योंकि ये सुविधाभोगी वर्ग सुबह की 5 बजे की आरती के लिए नींद नहीं तोड़ पाता अपनी।

जिनको सुविधाएँ चाहिए उनके लिए सरकार हर तरह के विशिष्ट ट्रेन चलाये और जिनको सुविधाओं से कोई मतलब नहीं उनके लिए वर्तमान वाला रेलवे ही "रामराज्य" है। निजीकरण उनसे उनका ये रामराज्य छीन लेगा।

आप प्रबंधन को दुरुस्त कीजिये, खामी सुधारिये क्योंकि गड़बड़ी वहाँ है, निजीकरण तो ये मान लेना है कि इसे सुधारना आपके वश का नहीं है। कई विभाग सुधार की ऐसी प्रक्रिया के "बेस्ट एक्सएम्पलस" हैं कि कैसे कुशल प्रबंधन ने उन्हें दुरुस्त रखा हुआ है।

मैं अर्थशास्त्र नहीं जानता, न ही ये पोस्ट निजीकरण या सरकारीकरण के विषय की समीक्षा के लिए लिखा गया है और न ही मैं यहाँ अर्थशास्त्री बनकर किसी के साथ डिबेट करने आया हूँ पर इन तमाम बहसों के बीच एक पहलू ये भी है।

समाज के मन को पढ़िये......लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर शासन चलाने के बाबजूद ये बहुत छोटी चीजें हैं जो सारे प्रयासों पर इंक पोत देती हैं, इसे समझिये........इतना ही हेतू है।
#copied

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3 Public Posts - Sun Sep 19, 2021
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General Travel
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11

May 29 2018 (09:22)  
TouristerDivyanshu^~
TouristerDivyanshu^~   173606 blog posts
Entry# 3462350              
New Version of IRCTC
Faster and better ✌️
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1

May 29 2018 (09:26)
~   1966 blog posts
Re# 3462350-1              
Yeh new version. IndiGo k app ki tarah lagg rh h
#copied 😝😂
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14 Public Posts - Tue May 29, 2018
General Travel
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7

Dec 04 2017 (10:20)   22419/Suhaildev SF Express (Via Lucknow) | GCT/Ghazipur City (5 PFs)
~   1402 blog posts
Entry# 2849010            Tags   Past Edits
That's called "politician by nature but a civil engineer by profession".......
It show your perfection in railway department....
#copied twitter
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General Travel
21872 views
1

May 07 2016 (16:15)   22449/Guwahati - New Delhi Poorvottar Sampark Kranti Express (PT) | AMGA/Amjonga (2 PFs)
 
Monk_in_Black~
Monk_in_Black~   4903 blog posts
Entry# 1836746            Tags   Past Edits
click here
Dancing EMD delivering raw aggression! EMD lovers, watch it down and witness Mad honking as well as cracking speed..
#copied from youtube
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1 Public Posts - Mon May 09, 2016

1 Public Posts - Tue May 10, 2016
General Travel
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12

★★
Dec 02 2015 (21:01)  
 
Aaeditya Rao
Aaeditya Rao   60 blog posts
Entry# 1668735              
Got this pic from an instagram page. I felt this funny page is worth sharing
#copied
P.c instagram page "Indian Trolls"
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2 Public Posts - Wed Dec 02, 2015

1 Public Posts - Thu Dec 03, 2015
Page#    5 Blog Entries  

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