Part-2/
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले कुछ महीनों से पूरे देश ने एकजुट होकर जिस तरह कोरोना से मुकाबला किया है, उसने, अनेक आशंकाओं को गलत साबित कर दिया है | आज, हमारे देश में recovery rate अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, साथ ही, हमारे देश में कोरोना से मृत्यु-दर भी दुनिया के ज्यादातर देशों से काफ़ी कम है | निश्चित रूप से एक भी व्यक्ति को खोना दुखद है, लेकिन भारत, अपने लाखों देशवासियों का जीवन बचाने में सफल भी रहा है | लेकिन साथियो, कोरोना का खतरा टला नहीं है | कई स्थानों पर यह तेजी से फैल रहा है | हमें बहुत ही ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है | हमें यह ध्यान रखना है कि कोरोना अब भी...
more... उतना ही घातक है, जितना, शुरू में था, इसीलिए, हमें पूरी सावधानी बरतनी है | चेहरे पर mask लगाना या गमछे का उपयोग करना, दो गज की दूरी, लगातार हाथ धोना, कहीं पर भी थूकना नहीं, साफ़ सफाई का पूरा ध्यान रखना - यही हमारे हथियार हैं जो हमें कोरोना से बचा सकते हैं | कभी-कभी हमें mask से तकलीफ होती है और मन करता है कि चेहरे पर से mask हटा दें | बातचीत करना शुरू करते हैं | जब mask की जरूरत होती है ज्यादा, उसी समय, mask हटा देते हैं | ऐसे समय, मैं, आप से आग्रह करूँगा जब भी आपको mask के कारण परेशानी feel होती हो, मन करता हो उतार देना है, तो, पल-भर के लिए उन Doctors का स्मरण कीजिये, उन नर्सों का स्मरण कीजिये, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिये, आप देखिये, वो, mask पहनकर के घंटो तक लगातार, हम सबके जीवन को, बचाने के लिए जुटे रहते हैं | आठ-आठ, दस-दस घंटे तक mask पहने रखते हैं | क्या उनको तकलीफ नहीं होती होगी! थोड़ा सा उनका स्मरण कीजिये, आपको भी लगेगा कि हमें एक नागरिक के नाते इसमें जरा भी कोताही ना बरतनी है और न किसी को बरतने देनी है | एक तरफ हमें कोरोना के खिलाफ लड़ाई को पूरी सजगता और सतर्कता के साथ लड़ना है, तो दूसरी ओर, कठोर मेहनत से, व्यवसाय, नौकरी, पढाई, जो भी, कर्तव्य हम निभाते हैं, उसमें गति लानी है, उसको भी नई ऊँचाई पर ले जाना है | साथियो, कोरोना काल में तो हमारे ग्रामीण क्षेत्रों ने पूरे देश को दिशा दिखाई है | गांवो से स्थानीय नागरिकों के, ग्राम पंचायतों के, अनेक अच्छे प्रयास लगातार सामने आ रहे हैं | जम्मू में एक ग्राम त्रेवा ग्राम पंचायत है | वहाँ की सरपंच हैं बलबीर कौर जी | मुझे बताया गया कि बलबीर कौर जी ने अपनी पंचायत में 30 bed का एक Quarantine Centre बनवाया | पंचायत आने वाले रास्तों पर, पानी की व्यवस्था की | लोगों को हाथ धोने में कोई दिक्कत न हो - इसका इंतजाम करवाया | इतना ही नहीं, ये बलबीर कौर जी, खुद, अपने कन्धे पर spray pump टांगकर, Volunteers के साथ मिलकर, पूरी पंचायत में, आस-पास क्षेत्र में, sanitization का काम भी करती हैं | ऐसी ही एक और कश्मीरी महिला सरपंच हैं | गान्दरबल के चौंटलीवार की जैतूना बेगम | जैतूना बेगम जी ने तय किया कि उनकी पंचायत कोरोना के खिलाफ जंग लड़ेगी और कमाई के लिए अवसर भी पैदा करेगी | उन्होंने, पूरे इलाके में free mask बांटे, free राशन(ration) बांटा, साथ ही उन्होंने लोगों को फसलों के बीज और सेब के पौधे भी दिए, ताकि, लोगों को खेती में, बागवानी में, दिक्कत न आये | साथियो, कश्मीर से एक और प्रेरक घटना है, यहाँ, अनंतनाग में municipal president हैं - श्रीमान मोहम्मद इकबाल, उन्हें, अपने इलाके में sanitization के लिए sprayer की जरूरत थी | उन्होंने, जानकारी जुटाई, तो पता चला कि मशीन, दूसरे शहर से लानी पड़ेगी और कीमत भी होगी छ: लाख रूपये, तो, श्रीमान इकबाल जी ने खुद ही प्रयास करके अपने आप sprayer मशीन बना ली और वो भी केवल पचास हज़ार रूपये में - ऐसे, कितने ही और उदाहरण हैं | पूरे देश में, कोने-कोने में, ऐसी कई प्रेरक घटनाएँ रोज सामने आती हैं, ये सभी, अभिनंदन के अधिकारी हैं | चुनौती आई, लेकिन लोगों ने, उतनी ही ताकत से, उसका सामना भी किया |
मेरे प्यारे देश्वासियो, सही approach से सकारात्मक approach से हमेशा आपदा को अवसर में, विपत्ति को विकास में बदलने में, बहुत मदद मिलती है | अभी, हम कोरोना के समय भी देख रहे हैं, कि, कैसे हमारे देश के युवाओं-महिलाओं ने, अपने talent और skill के दम पर कुछ नये प्रयोग शुरू किये हैं | बिहार में कई women self help groups ने मधुबनी painting वाले mask बनाना शुरू किया है, और देखते-ही-देखते, ये खूब popular हो गये हैं | ये मधुबनी mask एक तरह से अपनी परम्परा का प्रचार तो करते ही हैं, लोगों को, स्वास्थ्य के साथ, रोजगारी भी दे रहे हैं | आप जानते ही हैं North East में bamboo यानी, बाँस, कितनी बड़ी मात्रा में होता है, अब, इसी बाँस से त्रिपुरा, मणिपुर, असम के कारीगरों ने high quality की पानी की बोतल और Tiffin Box बनाना शुरू किया है | bamboo से, आप, अगर, इनकी quality देखेंगे तो भरोसा नहीं होगा कि बाँस की बोतलें भी इतनी शानदार हो सकती हैं, और, फिर ये बोतलें eco-friendly भी हैं | इन्हें, जब बनाते हैं, तो, बाँस को पहले नीम और दूसरे औषधीय पौधों के साथ उबाला जाता है, इससे, इनमें औषधीय गुण भी आते हैं | छोटे-छोटे स्थानीय products से कैसे बड़ी सफलता मिलती है, इसका, एक उदहारण झारखंड से भी मिलता है | झारखंड के बिशुनपुर में इन दिनों 30 से ज्यादा समूह मिलकर के lemon grass की खेती कर रहे हैं | lemon grass चार महीनों में तैयार हो जाती है, और, उसका तेल बाज़ार में अच्छे दामों में बिकता है | इसकी आजकल काफी माँग भी है | मैं, देश के दो इलाकों के बारे में भी बात करना चाहता हूँ, दोनों ही, एक-दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं, और, अपने-अपने तरीक़े से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ हटकर के काम कर रहे हैं - एक है लद्दाख, और दूसरा है कच्छ | लेह और लद्दाख का नाम सामने आते ही खुबसूरत वादियाँ और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के दृश्य हमारे सामने आ जाते हैं, ताज़ी हवा के झोंके महसूस होने लगते हैं | वहीँ कच्छ का ज़िक्र होते ही रेगिस्तान, दूर-दूर तक रेगिस्तान, कहीं पेड़-पौधा भी नज़र ना आये, ये सब, हमारे सामने आ जाता है | लद्दाख में एक विशिष्ट फल होता है जिसका नाम चूली या apricot यानी खुबानी है | ये फसल, इस क्षेत्र की economy को बदलने की क्षमता रखती है, परन्तु, अफ़सोस की बात ये है, supply chain, मौसम की मार, जैसे, अनेक चुनौतियों से ये जूझता रहता है | इसकी कम-से-कम बर्बादी हो, इसके लिए, आजकल, एक नए innovation का इस्तेमाल शुरू हुआ है - एक Dual system है, जिसका नाम है, solar apricot dryer and space heater | ये, खुबानी और दूसरे अन्य फलों एवं सब्जियों को जरुरत के अनुसार सुखा सकता है, और वो भी hygienic तरीक़े से | पहले, जब खुबानी को खेतों के पास सुखाते थे, तो, इससे बर्बादी तो होती ही थी, साथ ही, धूल और बारिश के पानी की वजह से फलों की quality भी प्रभावित होती थी | दूसरी ओर, आजकल, कच्छ में किसान Dragon Fruits की खेती के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं | बहुत से लोग जब सुनते हैं, तो, उन्हें आश्चर्य होता है - कच्छ और Dragon Fruits | लेकिन, वहाँ, आज कई किसान इस कार्य में जुटे हैं | फल की गुणवत्ता और कम ज़मीन में ज्यादा उत्पाद को लेकर काफी innovation किये जा रहे हैं | मुझे बताया गया है कि Dragon Fruits की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, विशेषकर, नाश्ते में इस्तेमाल काफी बढ़ा है | कच्छ के किसानों का संकल्प है, कि, देश को Dragon Fruits का आयात ना करना पड़े - यही तो आत्मनिर्भरता की बात है |