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प्रधानमंत्री ने बिहार के लोगों को नई और आधुनिक सुविधाओं के लिए बधाई दी, जिससे बिहार समेत पूर्वी भारत के रेलयात्रियों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि बिहार में नदियों के जाल की वजह से इसके कई हिस्से एक-दूसरे से कटे हुए हैं और इसके कारण लोगों को लंबी-लंबी यात्राएं करनी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि चार साल पहले इस समस्या को दूर करने के लिए पटना और मुंगेर में दो महासेतुओं को बनाया गया था। अब इन दोनों रेल पुलों के चालू होने से उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच सफर आसान हुआ है और इससे खास तौर पर उत्तर बिहार के विकास को नई गति मिली है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि साढ़े आठ दशक पहले आए भूकंप ने मिथिला और कोसी क्षेत्र को अलग कर दिया गया और यह एक संयोग है कि कोरोना जैसे महामारी के बीच में दोनों क्षेत्रों को जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज सुपौल-आसनपुर-कूप रेलमार्ग को इसके निर्माण में शामिल रहे प्रवासी मजदूरों की कड़ी मेहनत की वजह से देश को समर्पित किया गया है। उन्होंने कहा कि मिथिला और कोसी क्षेत्र के लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए इस नई कोसी रेललाइन की परिकल्पना 2003 में की गई थी, जब श्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और श्री नीतीश कुमार की रेल मंत्री थे। उन्होंने कहा कि इस सरकार के समय इस परियोजना में तेजी से काम हुआ और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके सुपौल-आसनपुर कुपहा मार्ग का काम पूरा किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कोसी महासेतु से होकर सुपौल-आसनपुर के बीच शुरू होने वाली नई रेल सेवा से सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को बहुत ज्यादा फायदा होगा। यह पूर्वोत्तर के लोगों के लिए भी एक वैकल्पिक रास्ता बनेगा। उन्होंने कहा कि इस महासेतु के निर्माण से 300 किलोमीटर लंबा सफर सिर्फ 22 किलोमीटर में सिमट गया है, इससे पूरे इलाके में व्यापार और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे बिहार के लोगों का समय और पैसा दोनों ही बचेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोसी महासेतु की तरह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सुविधा के साथ किउल नदी पर एक नया रेलमार्ग बनने से इस पूरे रेल मार्ग पर ट्रेनें 125 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सुविधा के बनने से हावड़ा-दिल्ली मुख्य रेललाइन पर ट्रेनों की आवाजाही में भी कमी आएगी, जिससे बेवजह देरी से राहत मिलेगी और यात्रा भी सुरक्षित होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 6 वर्षों से भारतीय रेलवे को नए भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप ढालने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारतीय रेलवे पहले से कहीं ज्यादा साफ-सुथरी है। उन्होंने आगे कहा कि ब्रॉड गेज रेललाइनों से मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को हटाकर भारतीय रेलवे को पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित बनाया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे की रफ्तार भी बढ़ी है। वंदे भारत जैसी मेड इन इंडिया ट्रेनें आत्मनिर्भरता और आधुनिकता का एक प्रतीक हैं और रेल नेटवर्क का हिस्सा बन रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे में आधुनिकीकरण की कोशिशों से बिहार को काफी फायदा मिल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव (इलेक्ट्रिक रेलइंजन कारखाना) और मारहौरा में डीजल लोकोमोटिव को बनाया गया है। इन दोनों परियोजनाओं में लगभग 44000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को इस बात का गर्व होगा कि भारत में सबसे शक्तिशाली इलेक्ट्रिक इंजन- 12000 हॉर्स पावर, बिहार में बनता है। बिहार के पहले लोको शेड ने भी काम करना शुरू कर दिया है, जहां इलेक्ट्रिक इंजनों की देखभाल की जाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज बिहार में लगभग 90% रेल नेटवर्क का विद्युतीकरण हो चुका है। उन्होंने कहा कि बिहार में पिछले 6 वर्षों में 3000 किलोमीटर से अधिक रेलवे का विद्युतीकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार में 2014 के पहले के 5 वर्षों में लगभग 325 किलोमीटर नई रेललाइनें चालू की गईं, जबकि 2014 के बाद 5 वर्षों में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर नई रेल लाइनें चालू की गईं, जो पहले के मुकाबले लगभग दोगुनी है। उन्होंने आगे कहा कि अभी 1000 किलोमीटर नई रेललाइनों को बनाने का काम जारी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हाजीपुर-घोसवार-वैशाली रेललाइन की शुरुआत होने के साथ दिल्ली और पटना सीधी रेल सेवा से जुड़ जाएंगे। इस सेवा से वैशाली में पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा और नई नौकरियां भी पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर काम तेज गति से चल रहा है और इस कॉरिडोर का लगभग 250 किमी हिस्सा बिहार में पड़ेगा। इस परियोजना के पूरा होने के बाद सवारी गाड़ियों में देरी की समस्या कम हो जाएगी और माल ढुलाई में देरी की समस्य भी काफी हद तक दूर हो जाएगी।
प्रधानमंत्री ने कोरोना के संकट के दौरान अथक परिश्रम करने के लिए रेलवे की सराहना की। उन्होंने कहा कि रेलवे ने प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने और उन्हें श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए वापस लाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बिहार और महाराष्ट्र के बीच देश की पहली किसान रेल शुरू की गई है.
इस मौके पर रेल और वाणिज्य व उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में कोसी महासेतु का निर्माण कार्य पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि यह महासेतु बिहार की कृषि और अर्थव्यवस्था के विकास के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा। मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे बिहार के विकास में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने परियोजना को पूरा करने और राज्य में विकास की दूसरी पहल करने के लिए भारतीय रेलवे का आभार जताया। सीएम बिहार ने घरों को लौटने वाले बिहार मूल के लोगों की मदद करने के लिए विपरीत हालात के बावजूद ट्रेनें चलाने के लिए रेलवे को विशेष तौर पर धन्यवाद दिया।
कोसी रेल महासेतु को राष्ट्र के लिए समर्पित किया जाना बिहार के लिए ऐतिहासिक पल है और इससे पूरा क्षेत्र पूर्वोत्तर से जुड़ रहा है । 1887 में निर्मली और भपटियाही (सरायगढ़) के बीच एक मीटर गेज लिंक बना था। 1934 में भारी बाढ़ और इंडो-नेपाल भूकंप में तबाह हो गया था। इसके बाद कोसी नदी के रास्ता बदलने वाले स्वभाव की वजह से लंबे समय तक इस रेल लिंक को दोबारा बनाने का कोई प्रयास ही नहीं किया गया।
भारत सरकार ने कोसी मेगा ब्रिजलाइन परियोजना को 2003-04 में मंजूरी दी थी। कोसी रेल महासेतु 1.9 किलोमीटर लंबा है और इसकी निर्माण लागत 516 करोड़ रुपये है। भारत-नेपाल सीमा के साथ बना यह पुल सामरिक महत्व भी है। इस परियोजना को कोविड महामारी के दौरान पूरा किया गया, जिसे पूरा करने में प्रवासी श्रमिकों ने भी योगदान दिया। इस परियोजना का उद्घाटन इलाके के लोगों के 86 साल पुराने सपने और लंबे इंतजार को पूरा करेगा।
महासेतु को समर्पित करने के साथ प्रधानमंत्री ने सुपौल स्टेशन से सुपौल-राघोपुरा डेमू ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। एक बार नियमित ट्रेन सेवा शुरू होने के बाद यह सुपौल, अररिया और सहरसा जिलों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। इससे इलाके के लोगों के लिए कोलकाता, दिल्ली और मुंबई के लिए लंबी दूरी की यात्रा आसान हो जाएगी।
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एमजी/एएम/आरकेएस/एसएस
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