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Blog Entry# 4622797
Posted: May 05 2020 (19:28)

2 Responses
Last Response: May 05 2020 (19:30)
1. ऐसे समय में जब देश कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी की अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रहा है नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता...

1 Public Posts - Tue May 05, 2020

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0

May 05 2020 (19:30)
Rang De Basanti^   59481 blog posts
Re# 4622797-2              
Part-3/
II) फिक्की:
(vi)फिक्की की ओर से 3.23 करोड़ से अधिक पैकेट पका भोजन और 1,50,000 किलो सूखा राशन दिया गया है।
(vii) कोविड- 19 से संबंधित गतिविधियों जैसे मास्क, पका हुआ भोजन, सूखा राशन, पीपीई, सैनिटाइटर, चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति और चिकित्सा सुविधाओं पर 3009.56 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
(viii)
...
more...
फिक्‍की की ओर से पीएम केयर्स फंड में 5123.5 करोड़ रुपए का योगदान दिया गया है। (ix) 58,57,500 से अधिक मास्क, 7,86,725 लीटर सैनिटाइज़र, 25 लाख पीपीई, 10,025 वेंटिलेटर, और 25,000 परीक्षण किट वितरित की गई है।
(x) 7 लाख लोगों के लिए वॉटर एटीएम सुविधा स्थापित की गई है।
III) नैसकॉम:
(xi) नैसकॉम की ओर से 15 लाख लोगों के लिए पका भोजन, 5 लाख से अधिक परिवारों को सूखा राशन और स्वच्छता किट, 2.4 लाख मास्क और दस्ताने, 3.5 लाख साबुन और सैनिटाइज़र, और 2,50,000 पीपीई किट वितरित किए गए हैं।
(xii) पीसीआर परीक्षण के तहत 6500 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया।
(xiii)10,000 से अधिक बच्चों के लिए ऑनलाइन सतत शिक्षण सुविधाएं प्रायोजित की गईं।
(xiv) कोविड-19 के अनुसंधान कार्यों के लिए 4.2 करोड़ रुपए की निधि की व्‍यवस्‍था करने की तैयारी की जा रही है।
ग) स्टार्ट-अप्स और प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचार:
यह महसूस करते हुए कि देशभर के उद्यमी और नवप्रवर्तक कोविड -19 महामारी, से उत्पन्न चुनौती का समाधान तलाशने के लिए तत्‍पर है अधिकार प्राप्‍त मंत्री समूह और नीति आयोग लगातार देश-विदेश में ऐसे स्‍टार्टअप और उद्यमों को बड़े उद्योगों के साथ जोड़ने में सहयोग कर रहे हैं ताकि कम लागत वाले नए डिजाइन के जरूरी चिकित्‍सा उपकरण बनाए जा सकें।
I) हाल के सप्‍ताह में कुछ विश्‍वविद्यालयों द्वारा प्रोत्‍साहित किए गए स्टार्टअप कई नई खोजों और नए प्रयोगो के साथ सामने आए हैं। इन स्‍टार्टअप्‍स ने ऐसे रोबोट बनाए हैं जो अस्पतालों के आइसोलेशन वार्डों में भोजन और दवाएं ले जाने, कार्यालय भवनों और सार्वजनिक स्थानों के प्रवेश द्वार पर हैंड सैनेटाइजर वितरित करने तथा वायरस के बारे में सार्वजनिक रूप से जागरूकता संदेश प्रसारित करने तथा डॉक्टरों और परीक्षणों के लिए ऑनलाइन परामर्श सुविधा उपलब्‍ध कराने का काम भी कर रहे हैं। आईआईटी कानपुर और आईआईटी हैदराबाद के स्टार्ट-अप कम-लागत, आसान उपयोग और पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित कर रहे हैं जिन्हें भारत के ग्रामीण इलाकों में इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इसमें प्रौद्योगिकी एक बड़ी भूमिका निभा रही है। कुछ राज्यों में, ड्रोन का उपयोग सामाजिक दूरियों की निगरानी के लिए किया जा रहा है।
II) कोविड -19 के खिलाफ जंग में, औद्योगिक निकाय विश्वविद्यालयों, उद्योगों, स्टार्ट-अप और सरकार के बीच प्रयासों को एकीकृत करने के लिए मंच प्रदान करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उदाहरण के लिए, सीआईआई, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के साथ काम कर रहा है और पहले से ही आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी दिल्ली, आईआईएस बैंगलोर और ईडीसी पुणे के स्टार्ट-अप से वेंटिलेटर के 28 नवीन डिजाइन और समाधान प्राप्त कर चुके हैं। प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए सीआईआई ने स्वयं एक ऑनलाइन कोविड-19 क्रिटिकल केयर आवश्यक वस्तुएं- डिमांड एंड सप्लाई कनेक्ट प्लेटफॉर्म विकसित किया है। जो आपूर्तिकर्ताओं और निर्माताओं के साथ खरीदारों को जोड़ता है।
III) वेंटिलेटर समाधान:
अग्वा: इस स्टार्ट-अप द्वारा विकसित लागत प्रभावी वेंटिलेटर को आसानी से कोविड के लिए अलग से बनाए गए होटल के कमरों, एंबुलेंस अस्थायी वार्डों में लाया ले जाया जा सकता है। इसमे बिजली की कम खपत होती है और इसे चलाने वाले ऑपरेटरों को कम बिजली की खपत और ऑपरेटरों के लिए न्यूनतम प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ती है। वर्तमान में स्टार्ट-अप में प्रति माह 20,000 यूनिट्स का उत्पादन करने की क्षमता है।
बायोडिजाइन: रेस्पिरिएड नामक एक रोबोट उत्पाद विकसित किया है जो वेंटिलरों के यांत्रिक रूप से संचालित करने में सक्षम होने के साथ ही आसानी से संचालित किया जा सकता है। कंपनी की वर्तमान विनिर्माण क्षमता प्रति माह 2,000 इकाइयां हैं।
कायनात: यह उत्पाद न्यूनतम वेंटिलेटर संबंधित प्रशिक्षण के साथ आशा कार्यकर्ताओं जैसे लोगों द्वारा आसानी से संचालित किया जा सकता है। इसे आसानी से कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है। इसमें इन-बिल्ट बैटरी, ऑक्सीजन कंसंटेटर और स्टेरलाइज़र कैबिनेट है। इसका प्रोटोटाइप तैयार है, कंपनी के इस साल जून के अंत में प्रति माह 5000 वेंटिलेटर बनाने की क्षमता के साथ उत्पादन करने की संभावना है।
IV) अन्य समाधान:
क्योर ए आई : स्टार्ट-अप ने प्रतिदिन 10,000 सीएक्सआर छवियों को संसाधित करने की क्षमता के साथ चेस्ट एक्स-रे (सीएक्सआर) का एआई सक्षम विश्लेषण विकसित किया है।
ड्रोनैप्स: इस स्टार्ट-अप द्वारा विकसित अग्रिम भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और जियो-फेंसिंग सक्षम मानचित्रों का उपयोग हॉटस्पॉट के लिए क्लस्टर रणनीतियों को सूचित करने के लिए किया जा सकता है।
एमफाइन: यह एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संचालित ऑनलाइन डॉक्टर परामर्श और टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म है और इससे डायग्नोस्टिक्स लैब, फ़ार्मेसीज़ आदि जुड़ सकते हैं। प्लेटफ़ॉर्म डॉक्टर परामर्श के लिए वीडियो टूल का भी समर्थन करता है।
माइक्रोगो : स्टार्टअप ने फ्रंटलाइन मेडिकल पेशेवरों के लिए एक हैंडवाश सिस्टम विकसित किया है जो न्यूनतम संसाधनों का उपयोग करता है और उपयोग डेटा को कैप्चर करता है। स्टार्ट-अप की वर्तमान में एक दिन में 100 इकाइयों के उत्पादन की क्षमता है।
स्टेकू: कंपनी ने स्क्रीनिंग के लिए एआई सक्षम थर्मल इमेजिंग कैमरा विकसित किया है और वर्तमान में पंजाब और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ आवश्यक सेवाओं और नागरिकों के लिए ई-पास बनाने के काम में लगी है।
बीईएमएल रेल कोच डिवीजन: एक पुराने स्काई ट्रेन कोच को वॉक-थ्रू सैनिटाइज़र सुरंग में परिवर्तित करने जैसे अभिनव प्रयोग कर रहा है। अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन और एसीसी ट्रस्ट ने सैकड़ों गांवों को स्वच्छ बनाने के लिए कीटाणुनाशक स्प्रे करने के लिए अपने टैंकरों और वाहनों को नए सिरे से तैयार किया है।
सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन आम हो जाने को देखते हुए कई कंपनियां समाधान के लिए डिजिटल अनुप्रयोगों की ओर रुख कर रही हैं। एसएपी अपनी प्रौद्योगिकियों के लिए खुली पहुंच प्रदान कर रहा है जिसका उपयोग प्रकोप से निपटने के लिए किया जा सकता है। आईबीएम ने विश्व सामुदायिक ग्रिड के साथ मिलकर एक आईबीएम सामाजिक प्रभाव पहल की है जो किसी को भी कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन के साथ अपने डिवाइस के निष्क्रिय प्रसंस्करण की अनुमति देता है ताकि वैज्ञानिकों को स्वास्थ्य की सबसे बड़ी समस्याओं का अध्ययन करने में मदद मिल सके । माइक्रोसाफ्ट ने पंजाब सरकार को कोवा ऐप बनाने में मदद की है जिसके जरिए कोविड की प्रामाणिक जानकारी मिल सकती है।
6. आरोग्यसेतु: टेलीमेडिसिन सुविधा के साथ सबसे बड़ा सहभागी जोखिम मूल्यांकन मोबाइल प्लेटफॉर्म है।
मंत्री समूह ने सभी सीएसओ, एनजीओ, अंतर्राष्ट्रीय संगठन और उद्योग भागीदारों से अपने यहां आरोग्यसेतु पोर्टल का प्रभावी तरीके से उपयोग करने का आग्रह किया है। यह एप्लिकेशन लोगों को अन्य लोगों के साथ बातचीत के आधार पर कोविड -19 संक्रमण के जोखिम का आकलन करने में सक्षम बनाता है, यह अत्याधुनिक ब्लूटूथ तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सक्षम एल्गोरिदम का उपयोग करता है। यह दुनिया का सबसे तेजी से विकसित होने वाला मोबाइल एप्लिकेशन है, जिसके लॉन्च के कुछ ही दिन बाद गूगल ऐप पर 80 मिलियन से अधिक इंस्टॉलेशन हैं। अब यह ऑनलाइन टेलीमेडिसिन और चिकित्सा परामर्श (कॉल और वीडियो), होम लैब टेस्ट आदि के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसे नीति आयोग और भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार आरोग्यसेतु मित्र के नेतृत्व में विकसित किया गया है। इसमें संगठनों, उद्योगों और स्टार्ट-अप्स की स्वैच्छिक भागीदारी है
7. पीपीई और परीक्षण किट
मंत्री समूह कई ऐसे भागीदारों के बारे में जानकारी देने में भी मददगार रहा है, जिन्होंने कोविड से संबंधित उपकरण मुफ्त में प्रदान दिए हैं:
आरटीपीसीआर परीक्षण किट- 70,000 किट टेमसेक फाउंडेशन द्वारा प्रदान किए गए हैं।
आरटीपीसीआर परीक्षण किट- बीएमजीएफ फाउंडेशन द्वारा 30,000 किट (यूपी और बिहार को दिये गए)
विकास भागीदारों और दानदाताओं के माध्यम से 3 लाख एन-95 और 5 लाख सर्जिकल मास्क वितरित किए गए।
अधिकार प्राप्त समूह सभी प्रमुख हितधारकों को कोविड में अपने क्षेत्र के विशिष्ट प्रयासों को समन्वित करने के लिए एक एकीकृत मंच प्रदान कर रहा है। इसमें न केवल राज्य और जिला प्रशासन बल्कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सीएसओ, गैर सरकारी संगठनों को भी वृहद स्तर पर जोड़ा गया है। 92,000 सीएसओ के साथ समन्वय किया गया है।
***
एएम/एमएस
(Release ID 89978)
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