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श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पीएमएमएसवाई के तहत मछली उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता, स्थिरता, प्रौद्योगिकी के उपयोग, फसल कटाई पश्चात के बुनियादी ढांचे, मूल्य श्रंखला के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण, 'कैच टू कंज्यूमर' से मत्स्यपालन क्षेत्र में मानक और ट्रेसेबिलिटी लाने, एक मजबूत मत्स्यपालन प्रबंधन ढांचा स्थापित करने, मछुआरों का कल्याण करने और मत्स्य निर्यात प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी करने की दिशा में पूरा ज़ोर दिया जाएगा। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि पीएमएमएसवाई निजी क्षेत्र की भागीदारी, उद्यमशीलता के विकास, व्यापार मॉडलों, 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' को बढ़ावा देने, मत्स्यपालन क्षेत्र में स्टार्ट-अप, इनक्यूबेटर आदि समेत नवीनता और नवीन परियोजना गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करेगा। मंत्री महोदय ने आगे कहा कि चूंकि पीएमएमएसवाई एक मछुआरा...
more... केंद्रित अंब्रैला योजना है इसलिए इसमें जो विकास गतिविधियां सोची गई हैं उनमें मछुआरे, मछली किसान, मछली श्रमिक और मछली विक्रेता प्रमुख हितधारक हैं और उनके सामाजिक आर्थिक दर्जे में बढ़ोतरी करना इस योजना के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है।
मत्स्यपालन मंत्री ने कहा कि पीएमएमएसवाई के कुल अनुमानित निवेश का लगभग 42 फीसदी हिस्सा मत्स्यपालन सुविधाओं के निर्माण और उन्नयन के लिए निर्धारित है। इसके प्रमुख ध्यान वाले क्षेत्रों में फिशिंग हार्बर और लैंडिंग सेंटर, पोस्ट-हार्वेस्ट और कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर, मछली बाज़ार और मार्केटिंग ढांचा, एकीकृत आधुनिक तटीय मछलीपालन गांव और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने का विकास आदि शामिल हैं। मत्स्यपालन क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करके जरूरी मत्स्यपालन बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के अलावा, इस योजना का मकसद वैल्यू चेन का आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण करके हार्वेस्ट के बाद के नुकसान को 25 फीसदी के उच्च स्तर से घटाकर लगभग 10 फीसदी तक लाना है। स्वच्छ सागर योजना के तहत मत्स्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए सोची गई गतिविधियों में जैव शौचालयों को बढ़ावा देना, मछली पकड़ने के जहाजों के लिए बीमा कवरेज, मत्स्य प्रबंधन योजनाएं, ई-ट्रेडिंग / मार्केटिंग, मछुआ एवं संसाधन सर्वेक्षण और राष्ट्रीय आईटी आधारित डेटाबेस का निर्माण करना शामिल है।
इससे जुड़े स्वास्थ्य लाभों के साथ घरेलू मछली की खपत बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार “सागर मित्र” को पंजीकृत करेगी और पीएमएमएसवाई लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए मछली किसान उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) के गठन को प्रोत्साहित करेगी। तटीय मछुआरा गांवों में 3477 सागर मित्र बनाकर युवाओं को मत्स्यपालन विस्तार में लगाया जाएगा। युवा पेशेवरों के वास्ते रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए निजी दायरे में बड़ी संख्या में मत्स्यपालन विस्तार सेवा केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
इस योजना में कई नई गतिविधियों और क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जैसे कि– ट्रेसेबिलिटी, प्रमाणन और प्रत्यायन, खारे / क्षारीय क्षेत्रों में एक्वाकल्चर, जेनेटिक सुधार कार्यक्रम और न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर, फिशरीज और एक्वाकल्चर स्टार्ट-अप, मछली की खपत के लिए प्रचार गतिविधियां, ब्रांडिंग, मछली में जीआई, एकीकृत एक्वा पार्क, एकीकृत तटीय मछली पालन ग्रामों का विकास, अत्याधुनिक थोक मछली बाजार, जलीय रेफरल प्रयोगशालाएं, एक्वाकल्चर एक्सटेंशन सर्विसेज, बायोफ्लोक, मछली पकड़ने की नई नावों या उन्नयन के लिए सहयोग, रोग निदान और गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं, ऑर्गेनिक एक्वाकल्चर का संवर्धन व प्रमाणन और संभावित मत्स्यपालन क्षेत्र (पीएफजेड) उपकरण।
श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पीएमएमएसवाई नई और उभरती हुई तकनीकों को ज़ोर प्रदान करती है जैसे कि री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, बायोफ्लोक, एक्वापोनिक्स, केज कल्टीवेशन वगैरह ताकि उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाया जा सके, एक्वाकल्चर के लिए बंजर भूमि और जल का उत्पादकता भरा उपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि मैरीकल्चर, समुद्री शैवाल की खेती और सजावटी मछलीपालन जैसी कुछ गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा जिनमें ग्रामीण महिलाओं के लिए खास तौर पर बड़े पैमाने का रोजगार पैदा करने की क्षमता है।
सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर जोर देते हुए श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि इस योजना के परिणामस्वरूप मत्स्यपालन औसत उत्पादकता 3 टन प्रति हेक्टेयर के वर्तमान राष्ट्रीय औसत से बढ़कर 5 टन प्रति हेक्टेयर हो जाएगी। ऐसा ऊंचे मूल्य वाली प्रजातियों को बढ़ावा देकर, सभी व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों के लिए ब्रूड बैंकों का एक राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित करके, झींगों के ब्रूड भंडार में आत्मनिर्भरता के लिए नाभिक प्रजनन केंद्रों की स्थापना और आनुवंशिक सुधार के माध्यम से, ब्रूड बैंकों, हैचरी, खेतों को मान्यता देकर, बीमारियों, एंटीबायोटिक्स और अवशेष विषयों, जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन को संबोधित करके हासिल किया जाएगा। ये कदम गुणवत्ता औरऊंची उत्पादकता को सुनिश्चित करेंगे, निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार लाएंगे और मछुआरों व किसानों को ऊंचा मूल्य दिलवाने में मदद करेंगे।
वैश्विक मछली उत्पादन के लगभग 7.73 फीसदी के बराबर होकर और 46,589 करोड़ (2018-19) की निर्यात आय प्राप्त करते हुए भारत ने आज दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मत्स्यपालक और चौथे सबसे बड़े मछली निर्यातक देश का दर्जा पा लिया है। श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि आने वाले वर्षों में हमारे पास दुनिया का पहला, सबसे अधिक मछली उत्पादन और निर्यात करने वाला देश बनने की ऊंची संभावना है और उनका मंत्रालय मत्स्यपालन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री महोदय ने कहा कि हमारे मत्स्यपालन क्षेत्र ने पिछले पांच वर्षों के दौरान मछली उत्पादन और निर्यात आय के मामले में प्रभावशाली वृद्धि दिखाई है। इस क्षेत्र ने 2014-15 से 2018-19 के दौरान 10.88 फीसदी की औसत वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की, मछली उत्पादन में 7.53 फीसदी की औसत वार्षिक वृद्धि और निर्यात आय में 9.71 फीसदी की औसत वार्षिक वृद्धि हासिल की, जिसमें कृषि निर्यात में 18 फीसदी की हिस्सेदारी भी शामिल थी। उन्होंने आगे कहा कि 2018-19 के दौरान राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मत्स्यपालन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2,12,915 करोड़ रुपये रहा, जो कुल राष्ट्रीय जीवीए का 1.24 फीसदी और कृषि जीवीए का 7.28 फीसदी हिस्सा था।
मत्स्यपालन के विकास की व्यापक संभावना को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2014 में, मत्स्यपालन क्षेत्र में “एक क्रांति” का आह्वान किया था और इसे “ब्लू रेवोल्यूशन”यानी नीली क्रांति का नाम दिया था। केंद्र सरकार ने मत्स्यपालन क्षेत्र में प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित नीली क्रांति को लाने के लिए कई पहल शुरू की हैं ताकि एक स्थायी और जिम्मेदार तरीके से मत्स्यपालन क्षेत्र की क्षमता का दोहन किया जा सके। केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख सुधारों और कदमों में ये शामिल हैं - (i)केंद्र सरकार में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी का एक अलग मंत्रालय बनाना, (ii) स्वतंत्र प्रशासनिक ढांचे के साथ मत्स्यपालन का एक नया और समर्पित विभाग स्थापित करना, (iii) नीली क्रांति पर आधारित केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना का कार्यान्वयन: 3,000 करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ 2015-16 से 2019-20 की अवधि के दौरान मत्स्यपालन का एकीकृत विकास और प्रबंधन, (iv) 2018-19 के दौरान 7,522.48 करोड़ के आकार के फिशरीज और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ) का सृजन, और (v) 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ पीएमएमएसवाई योजना का शुभारंभ जो मछली पालन क्षेत्र के लिए सबसे अधिक निवेश वाली योजना है।
इस संवाददाता सम्मेलन के दौरान मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री श्री संजीव कुमार बालियान और श्री प्रताप चंद्र सारंगी और मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. राजीव रंजन उपस्थित थे। इस अवसर पर इन गणमान्य व्यक्तियों ने पीएमएमएसवाई पर एक पुस्तिका का विमोचन किया।
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एसजी/एएम/जीबी/डीए
(रिलीज़ आईडी: 1627057)