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Pamban Sethu - இது தான் நம்முடைய ராமர் சேது - Darnish C

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Blog Entry# 4689326
Posted: Aug 16 2020 (21:04)

1 Responses
Last Response: Aug 16 2020 (21:05)

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Aug 16 2020 (21:05)
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Re# 4689326-1              
Part-2/
श्री नायडू ने जीवन और आजीविका पर कोविड महामारी के प्रभाव के बारे में बताते हुए कहा कि कोरोना की वजह से आई वैश्विक आर्थिक मंदी के साथ भूख और अल्प-पोषण की समस्या अधिक तीव्र हो सकती है।

श्री नायडू ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान इतनी चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन के लिए भारतीय किसानों की सराहना की।
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more...
उन्होंने कहा कि अपनी प्रतिबद्धता, कड़ी मेहनत और मूल ज्ञान के कारण किसान ऐसा कर सके।

उपराष्ट्रपति ने यह बताते हुए कि स्वस्थ, सामाजिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए और हर तरह से तैयार लोग आपदाओं से निपटने में सक्षम हैं, कहा कि लचीला समुदायों के निर्माण में निवेश करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि नीति निर्माताओं और राजनेताओं को जनसंख्या नियोजन पर भी ध्यान देना चाहिए।

श्री नायडू ने मानव कल्याण और भूखमरी में कमी लाने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान में प्रगति का उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने वैज्ञानिक ज्ञान को स्वदेशी समुदायों के पारंपरिक ज्ञान के साथ एकजुट करने का आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने इस क्षेत्र में प्रगति में तेजी लाने और स्थायी सफलता प्राप्त करने के लिए जनता, नागरिक समाज, पंचायती राज संस्थाओं और सरकारों द्वारा ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।

श्री नायडू ने सभी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि को अधिक लचीला और लाभदायक बनाने का आह्वान किया। उन्होंने फसल पकने से पहले और फसल कटने के बाद के नुकसान को कम करने और बाजार के बुनियादी ढांचे में सुधार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी उपज पर खेत से बाज़ार तक की उचित लागत मिलनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं को चाहिए कि वे सिंचाई के बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा दें और पौष्टिक खाद्य पदार्थों की उपज बढ़ाने के लिए अनुसंधान और विकास पर ध्यान दें और उस तरह किसानों की इन उपजों पर लागत को कम करने में मदद करें।

पूर्वानुमानित शोध के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अग्रिम चेतावनी ने टिड्डियों के हाल के हमलों के दौरान किसानों को लाभान्वित किया। उन्होंने बाढ़ जैसे प्राकृतिक खतरों से बचने के लिए ऐसी ही पूर्वानुमानित चेतावनियों के निर्माण का आह्वान किया।

श्री नायडू ने सहज प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और किसान शिक्षा का आह्वान करते हुए कहा कि हमारी प्रयोगशालाओं को हमारे खेतों और खलिहानों से मजबूती से जोड़ा जाना चाहिए।

श्री नायडू ने यह इच्छा जाहिर की कि वैज्ञानिक किसानों से जुड़े रहने के लिए आईसीटी का अधिकतम उपयोग करें और उन्हें समय पर सलाह और फसलों की अच्छी पैदावार के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करें।

उन्होंने कहा कि भारत कृषि में पारंपरिक ज्ञान का भंडार है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के साथ-साथ इन तकनीकों का सही तालमेल बिठाने के लिए हरसंभव प्रयास करने का आह्वान किया।

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार द्वारा की गई कई पहलों की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने यह उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन नीति कार्यान्वयन की प्रक्रिया को आवश्यक गति प्रदान करके राष्ट्रीय नीतियों को और अधिक मजबूत बनाने में मदद करेगा।

इस ऑनलाइन परामर्श में डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन, प्रो. के. विजयराघवन और देश-विदेश के वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल हुए।

***

एमजे/एएम/एके/डीसी





(रिलीज़ आईडी: 1644134) आगंतुक पटल : 98

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