Spotting
 Timeline
 Travel Tip
 Trip
 Race
 Social
 Greeting
 Poll
 Img
 PNR
 Pic
 Blog
 News
 Conf TL
 RF Club
 Convention
 Monitor
 Topic
 #
 Rating
 Correct
 Wrong
 Stamp
 PNR Ref
 PNR Req
 Blank PNRs
 HJ
 Vote
 Pred
 @
 FM Alert
 FM Approval
 Pvt

RailCal app

site support

এক রাজ্য, দুই রাণী।নাম তাদের, শালিমার ও আলিপুরদুয়ার রাজ্যরানী - Dip

Search Forum
<<prev entry    next entry>>
Blog Entry# 4696538
Posted: Aug 26 2020 (20:51)

1 Responses
Last Response: Aug 26 2020 (20:53)

13862 views
0

Aug 26 2020 (20:53)
Rang De Basanti^   58955 blog posts
Group Recipients: *travel-tourism
Re# 4696538-1              
Part-2/
मार्च 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी में काम कर रहे एक आर्मी सर्जन डॉ. गिल्बर्ट हैडो ने ब्रिटेन में रह रही अपनी बहन को 1857 में चल रहे एक विचित्र आंदोलन का उल्लेख करते हुए निम्नलिखित पंक्तियां लिखी थीं- ‘वर्तमान में पूरे भारत में एक सर्वाधिक रहस्यपूर्ण मामला चल रहा है। ऐसा लगता है कि किसी को भी यह पता नहीं है कि इसका अर्थ क्या है। यह भी ज्ञात नहीं है कि कहां से इसकी शुरूआत हुई, किसके द्वारा शुरू किया गया और इसका उद्देश्य क्या है, क्या इसका संबंध किसी धार्मिक समारोह से हो सकता है और क्या इसका संबंध किसी गुप्त समाज से है। भारतीय समाचार पत्र ऐसे अटकलों से भरे हुए हैं कि इसका क्या अर्थ हो
...
more...
सकता है। इसे चपाती आंदोलन कहा जा रहा है।’पूरे चपाती आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य को जड़ तक हिला दिया। ब्रितानियों ने भारत को अपेक्षाकृत कम लोगों की संख्या (कुल मिला कर 100,000) के साथ नियंत्रित किया और 250 मिलियन लोगों की एक बड़ी आबादी को पराजित कर दिया इसलिए वे इस तथ्य से पूरी तरह अवगत थे कि किसी भी गंभीर विद्रोह की स्थिति में उनकी संख्या कितनी कम है।

वक्ता ने ब्रिटिश सेना में एक भारतीय सिपाही-मंगल पांडे, जो 1857 में सिपाही विद्रोह या भारत की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई के पीछे के प्रमुख व्यक्तियों में से एक, की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने 29 मार्च, 1857 के दोपहर की घटना का वर्णन किया जब बैरकपुर में तात्कालिक रूप से तैनात 34वीं बंगाल नेटिव इंफैट्री के एक अधिकारी लेफ्टिनेंट बौघ को सूचना दी गई कि उसकी रेजीमेंट के कई जवान उत्तेजित स्थिति में हैं। इसके अतिरिक्त, यह भी जानकारी दी गई कि उनमें से एक सिपाही मंगल पांडे एक लोडेड मस्कट के साथ पैरेड ग्राउंड से रेजीमेंट के गार्ड रूम के सामने आ रहा है और दूसरे सिपाहियों को विद्रोह के लिए भड़का रहा है और धमकी दे रहा है कि जो भी पहला यूरोपीय व्यक्ति उसके सामने आएगा, उसे वह गोलियों से उड़ा देगा।’दो ब्रितानी सिपाहियों पर हमला करने के कारण, मंगल पांडे को 20 वर्ष की उम्र में 8 अप्रैल, 1857 को फांसी दे दी गई।

वेबिनार में मेरठ में सैनिक विद्रोह भड़कने के बाद विद्रोह की घटनाओं तथा किस प्रकार विद्रोही तेजी से दिल्ली पहुंच गए जहां 81 वर्षीय बुजुर्ग मुगल शासक, बहादुर शाह जफर को हिन्दुस्तान का बादशाह घोषित कर दिया गया, का क्रमवार वर्णन किया गया। शीघ्र ही, विद्रोहियों ने उत्तर पश्चिम प्रांतों तथा अवध के एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया।

प्रस्तुकर्ताओं ने 1857 के प्रथम स्वाधीनता युद्ध से जुड़े कुछ कम ज्ञात तथ्यों एवं हस्तियों पर भी रोशनी डाली जैसेकि फरीदाबाद के बल्लभगढ़ के नरेश राजा नाहर सिंह ने ब्रितानी सेनाओं से दिल्ली की सीमाओं की रक्षा की तथा 120 दिनों तक दिल्ली को आजाद रखा। अन्य लड़ाइयों में शामिल थीं:

1857 के विद्रोह या भारत की स्वाधीनता की पहली लड़ाई में आरंभ में हुई बदली की सराय की लड़ाई
कानपुर पर कब्जा
बिबिघेर नरसंहार जब भारत के पूर्वी हिस्से से ब्रितानी शासन के खिलाफ हिंसक प्रतिरोध शीघ्र ही उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा था
ईस्ट इंडिया कंपनी ने दिल्ली के रिज में एक सैन्य ठिकाना बनाया तथा रिइंफोर्समेंट्स की सहायता से 1857 के जुलाई मध्य तक कानपुर पर फिर से अग्रेजों ने कब्जा कर लिया तथा सितंबर के आखिर तक दिल्ली पर कब्जा कर लिया। बहरहाल, इसके बाद इसने 1857 की शेष बची हुई अवधि तथा 1858 के अधिकतर समय का इस्तेमाल झांसी, लखनऊ एवं विशेष रूप से अवध के देहाती क्षेत्रों में विद्रोह को कुचलने में किया।
कंपनी ने दिल्ली के उत्तरी क्षेत्र में दिल्ली के रिज में सैन्य ठिकाना बनाया और दिल्ली को घेरने की कोशिश शुरू हो गई। घेराबंदी लगभग 1 जुलाई से 21 सितंबर तक चली। कई सप्ताहों तक ऐसा प्रतीत हुआ कि बीमारियां, थकावट एवं दिल्ली के विद्रोहियों द्वारा लगातार छापेमारी किए जाने के कारण कंपनी के सैनिकों को वापस हटने को मजबूर होना पड़ेगा लेकिन पंजाब में विद्रोह को दबा दिया गया जिसके कारण जान निकोलसन के तहत ब्रितानी, सिख एवं पख्तून सैनिकों के पंजाब मूवेबल टुकड़ी को 14 अगस्त को रिज पर स्थित ब्रितानी सैनिकों की सहायता करने का अवसर मिल गया।
व्याकुलता से प्रतीक्षा कर रही ब्रितानी सेना को मिली इस अतिरिक्त मद से घेराबंदी की मजबूती बढ़ गई, उन्होंने दीवारों में और उनकी बंदूकों ने दीवारों में दरारें पैदा करते हुए विद्रोहियों के तोपखाने को शांत कर दिया। 14 सितंबर को दरारों एवं कश्मीरी गेट के जरिये शहर में घुसने की कोशिश की गई। ब्रितानी हमलावरों ने शहर के भीतर उपस्थिति बना ली लेकिन उन्हें जान निकोलसन सहित सेना की भारी बर्बादी झेलनी पड़ी। एक सप्ताह की स्ट्रीट फाइटिंग के बाद ब्रिटिश लाल किले तक पहुंच गए। उन्होंने बहादुर शाह जफर पर कई प्रकार के आरेप लगाते हुए उन्हें अंग्रेजों के शासन वाले बर्मा (अब म्यांमार में) के रंगून में देशनिकाला दे दिया।
प्रस्तुतकर्ताओं ने स्वतंत्रता की पहली लड़ाई से संबंधित विभिन्न स्थानों एवं स्थलों की सूची बनाई और निम्नलिखित स्थानों में 1857 की आजादी की पहली लड़ाई के लोकप्रिय चरण का अनुभव किया जा सकता है:

क) बैरकपुर - कैंटोनमेंट क्षेत्र, मंगल पांडे सेनोटैफ एवं पार्क के लिए विख्यात

ख) ग्वालियर - ग्वालियर का सुंदर किला जहां रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सेना के विरूद्ध लड़ते हुए शरण मांगी थी, रानी लक्ष्मीबाई का समाधि स्थल।

ग) झांसी - रानी लक्ष्मीबाई जो मणिकर्णिका के नाम से भी विख्यात हैं, की शादी झांसी के महाराजा से हुई थी। झांसी का किला, झांसी कैंटोनमेंट सीमेट्री।

घ) लखनऊ-रेसीडेंसी कॉम्पलैक्स, ला माटिनियरी कॉलेज, जनरल हैवलॉक का मकबरा, आलमबाग पैलेस/ कोठी अलामारी, आलमबाग, सिकंदर बाग और महल, दिलखुश बाग और महल।

डं) कानपुर - कैंटोनमेंट क्षेत्र में स्थित ऑल सेंट्स मेमोरियल चर्च, नाना राव पार्क (बिनिघर नरसंहार का पूर्व स्थल), सती चैरा घाट।

च) आगरा-आगरा का किला, आगरा कालेज लाइब्रेरी सबसे पुरानी पुस्तकालयों में से एक है।

छ) मेरठ - केंट जॉन चर्च, ब्रिटिश सीमेट्री, पैरेड ग्राउंड आदि।

ज) सत्ता का केंद्र -दिल्ली। इसके दो चरण हैं -कश्मीरी गेट और नार्दन रिज चरण।

नार्दन रिज चरण- वाइस रीगल लौज 1902 में बनाया गया, फ्लैगस्टॉफ पावर, खूनी झील, हिन्दू राव हाउस को अब अस्पताल, म्यूटिनी मेमोरियल में बदल दिया गया है।

कश्मीरी गेट चरण-कश्मीरी गेट, सेंट जेम्स चर्च, निकोलसन सीमेट्री, हथियार के भंडारण में उपयोग करने के लिए एक मजबूत भवन ब्रिटिश मैगजीन, टेलीग्राफ मेमोरियल, खूनी दरवाजा।

इसके अतिरिक्त, 1857 के विद्रोह से संबंधित कई संग्रहालय हैं जो बहादुरी और संघर्ष को प्रदर्शित करते हैं। इनमें 1857 पर संग्रहालय, लाल किला, आजादी के दीवाने संग्रहालय, शहीद स्मारक एवं गवर्नमेंट फ्रीडम स्ट्रगल म्यूजियम आदि शामिल हैं।

सुश्री रुपिंदर बरार ने अपनी समापन टिप्पणियों में पर्यटन मंत्रालय की अतुल्य भारत टूरिस्ट फैसिलिटेटर सर्टिफिकेट प्रोग्राम की चर्चा की जो गंतव्य, उत्पादों एवं कहानी के चरणों के बारे में जानकारी के साथ नागरिकों को रूपांतरित एवं प्रोत्साहित करने के लिए एक सक्षमकर्ता का काम भी करेगा। भारत के स्वाधीनता आंदोलन की कहानी सुभष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज (आईएनए) द्वारा किए गए उल्लेखनीय योगदान का उल्लेख किए बिना नहीं कही जा सकती। भारत का सैन्य इतिहास बहुत आकर्षक है जिनमें जैसलमेर का जैसलमेर वार म्यूजियम, नई दिल्ली का एयर फोर्स म्यूजियम, गोवा का नैवल एवियेशन म्यूजियम, अंडमान एवं निकोबार का समुद्रिका नैवल मैरीन म्यूजियम जैसे कुछ म्यूजियम शामिल हैं। ये म्यूजियम पिछले कई वर्षों से भारतीय सेना द्वारा उपयोग में लाए गए हथियारों, वाहनों एवं विमानों को प्रदर्शित करते हैं। हम भारतीय सेना के बहादुर जवानों को सैल्यूट करते हैं और भारत को एक सुरक्षित स्थान बनाने में उनकी अदम्य भावना, वीरता तथा बलिदान का गर्व के साथ स्मरण करते हैं।

देखो अपना देश वेबिनार श्रृंखला को इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस विभाग की तकनीकी साझीदारी में प्रस्तुत किया जाता हे। वेबिनार के सत्र अब click here तथा भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सभी सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी उपलब्ध हैं।

वेबिनार की अगली कड़ी12 अगस्त 2020 को सुबह 11 बजे निर्धारित है और उसका शीर्षक है‘अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वाधीनता संग्राम की अल्प ज्ञात कहानियां तथा वेबीनार click here लिए पंजीकरण खुला हुआ है।

एमजी/एएम/एसकेजे/डीसी





(रिलीज़ आईडी: 1644952) आगंतुक पटल : 83

Translate to English
Translate to Hindi
Scroll to Top
Scroll to Bottom
Go to Desktop site
Important Note: This website NEVER solicits for Money or Donations. Please beware of anyone requesting/demanding money on behalf of IRI. Thanks.
Disclaimer: This website has NO affiliation with the Government-run site of Indian Railways. This site does NOT claim 100% accuracy of fast-changing Rail Information. YOU are responsible for independently confirming the validity of information through other sources.
India Rail Info Privacy Policy