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Blog Entry# 4723697
Posted: Sep 23 2020 (21:34)

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Last Response: Sep 23 2020 (21:35)
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Sep 23 2020 (21:34)   राज्य सभा में परिवर्तन की हवा चल रही है: उपराष्ट्रपति

Rang De Basanti^   138872 news posts
Entry# 4723697         Tags   Past Edits

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Sep 23 2020 (21:35)
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Re# 4723697-1              
Part-2/
11 अगस्त, 2017 को पदभार ग्रहण करने के बाद के विगत तीन वर्षों में राज्य सभा की कार्यप्रणाली में चल रही परिवर्तन की बयार के प्रमाण दिए। श्री नायडू ने बताया कि उनके द्वारा आयोजित एक अध्ययन के अनुसार विगत 25 वर्षों में सदन की उत्पादकता में ह्रास होता गया। विगत 20 वर्षों में सिर्फ एक बार 1999 में आखिरी बार सदन ने 100 प्रतिशत उत्पादकता प्राप्त की थी।

उन्होंने
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बताया कि उनकी अध्यक्षता में विगत तीन वर्षों के दौरान आठ सत्रों में कुल उत्पादकता 65.5 प्रतिशत रही वो भी तब जबकि बीच में चुनावी वर्ष के दौरान तीन सत्रों में सदन की कार्यवाही गंभीर रूप से बाधित होती रही। उस वर्ष राज्य सभा की वार्षिक उत्पादकता मात्र 35.75 प्रतिशत थी जोकि सर्वकालिक न्यूनतम स्तर था।

श्री नायडू ने कहा कि उसके बाद के सत्रों में राज्य सभा की उत्पादकता ऊंचे स्तर पर बरकार रही है, 249 वें सत्र में यह 104 प्रतिशत थी, ऐतिहासिक 250वें सत्र में 99 प्रतिशत, और 251 वें सत्र में 76 प्रतिशत थी। इसके कारण 2019 में सदन की उत्पादकता 78.42 प्रतिशत रही जो कि 2010 के बाद से सर्वाधिक वार्षिक उत्पादकता है।

बढ़े हुए विधाई कार्य के निष्पादन को इस परिवर्तन का संकेत बताते हुए श्री नायडू ने बताया कि विगत तीन वर्षों में उनकी अध्यक्षता में सदन द्वारा पारित कुल 93 विधेयकों में से 60, जो कि कुल का 65 प्रतिशत है, वे आखिरी तीन सत्रों में पारित किए गए। उन्होंने कहा कि सदन के दलीय संगठन और विषय पर विभिन्न दलों के भिन्न भिन्न विचारों के बावजूद भी, राज्य सभा ने तीन तलाक़, नागरिकता संशोधन विधेयक तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पारित किया।

राज्यसभा की आठ विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समितियों का कामकाज उनके लिए चिंता और ध्यान का विषय रहा है, सभापति ने इस संबंध में भी सुधारों के बारे में बताया जिसे उन्होंने परिवर्तन का संकेत कहा। उन्होंने कहा कि इन समितियों की बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति पिछले एक साल (सितंबर, 2019 में पुनर्गठन के बाद से) के दौरान पहली बार 50 प्रतिशत के स्तर को पार कर गई है। 2019-20 के दौरान यह उपस्थिति 50.73 प्रतिशत रही है जबकि 2017-19 की दो वर्ष की अवधि के दौरान 42.90 प्रतिशत की औसत उपस्थिति रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि 2019-20 के दौरान कोरम के बिना आयोजित इन समितियों की बैठकों की संख्या 10.20 प्रतिशत तक नीचे आ गई, जबकि उससे पिछले वर्ष के दौरान यह 38.77 प्रतिशत थी। 2019-20 के दौरान 50 प्रतिशत से अधिक की उपस्थिति के साथ आयोजित बैठकों की संख्या पिछले वर्ष के दौरान 14.28 प्रतिशत से बढ़ कर 51.02 प्रतिशत तक हो गई।

सभापति श्री नायडू ने सदन के सभी वर्गों और नेताओं द्वारा सदन के कामकाज को बेहतर बनाने में दिए गए सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि इस संदर्भ में उन्होने सदन के कार्यात्मक समय के उस एक तिहाई भाग का भी उल्लेख किया जो पिछले आठ सत्रों के दौरान व्यवधानों के कारण व्यर्थ हो गया। उन्होने ऐसे व्यवधानो के प्रभावी समाधान का आग्रह भी किया।

2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे होने का जिक्र करते हुए, श्री नायडू ने सभी व्यक्तियों और संस्थानों से महात्मा गांधी और अन्य नेताओं द्वारा प्रतिपादित स्वतंत्रता संघर्ष के आदर्शों का पालन करने तथा हर नागरिक से उस की आकांक्षाओं और सपनों का नया भारत बनाने के लिए अपना हरसंभव योगदान करने का आग्रह किया। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं से और अधिक संकल्प शक्ति से राष्ट्र-निर्माण के लिए कार्य में शामिल होने का आग्रह किया।

उन्होने कहा कि भारत की आर्थिक शक्ति उसे विश्व में उचित स्थान और आवाज देती है जिससे वह वैश्विक घटनाक्रम को प्रभावित कर सके। श्री वेंकैया नायडू ने सभी से सामूहिक रूप से “कोविड” महामारी के कारण हुई आर्थिक क्षति को दूर करने और देश की अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने 2022 तक विभिन्न क्षेत्रों के लिए निर्धारित लक्ष्यों और 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पूर्णतः प्राप्त करने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने सरकार की उन हालिया पहल की सराहना की जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में बाधाओं को दूर करने के लिए शासन व्यवस्था, नवाचार, और उद्यमिता मे सुधार का प्रयास किया गया है और नॉलेज सोसाइटी के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। इस संबंध में नई शिक्षा नीति-2020 का ज़िक्र करते हुए, श्री नायडू ने कम से कम प्राथमिक स्तर पर शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कृषि को अधिक उत्पादक बनाने और किसानों को आमदनी बढ़ाने के लिए विज्ञान के उपयुक्त प्रयोग का भी आह्वान किया।

श्री वेंकैया नायडू ने स्वराज को सु-राज (सुशासन) में बदलने और सभी को विकास के लाभ पहुँचाने के अलावा शहरी-ग्रामीण अंतर को खत्म करने पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र को रूपांतरित करने के सार्थक ऊर्जावान प्रयासों का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने श्रेष्ठ भारत, स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को सिद्ध करने के लिए दृढ़ संकल्प और सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया।



एमजी/एएम/डीसी



(रिलीज़ आईडी: 1645106) आगंतुक पटल : 164

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