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Blog Entry# 4617442
Posted: Apr 25 2020 (19:35)
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Last Response: Apr 25 2020 (19:48)
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Apr 25 2020 (19:34) Text of PM’s interaction with Sarpanchs from across the Nation on Panchayati Raj Diwas
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नमस्कार !!
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Part-5/
आइए हम बिहार चलते हैं।
बिहार के जहानाबाद जिले से ग्राम पंचायत घरनिया के प्रधान श्री अजय सिंह यादव हमारे साथ जुड़ रहे हैं। अजय जी नमस्कार।
अजय जी – नमस्कार, सर जी। मैं अजय सिंह यादव, मुखिया, पंचायत घरनिया, बिहार की ओर से हार्दिक अभिनंदन एवं वंदन करता हूं, सर।
प्रधानमंत्री...
more...
आइए हम बिहार चलते हैं।
बिहार के जहानाबाद जिले से ग्राम पंचायत घरनिया के प्रधान श्री अजय सिंह यादव हमारे साथ जुड़ रहे हैं। अजय जी नमस्कार।
अजय जी – नमस्कार, सर जी। मैं अजय सिंह यादव, मुखिया, पंचायत घरनिया, बिहार की ओर से हार्दिक अभिनंदन एवं वंदन करता हूं, सर।
प्रधानमंत्री...
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जी- नमस्कार जी। लॉकडाउन का सर 22 तारीख का बंदी हुआ, उसके बाद सर चार दिन से लगातार अपने स्वयं से मार्किंग कर ग्राम पंचायत क्षेत्र में प्रचार किया, सर कि लॉकडाउन का पालन करना है और सामाजिक दूरी बनाना है कम से कम छह फीट की दूरी पर
प्रधानमंत्री जी – अजय जी लोगों को समझाइए, दो गज की दूरी।
अजय जी – दो गज की दूरी, सर?
प्रधानमंत्री जी – हां
अजय जी – गांव में सर ब्लीचिंग पाउडर छिड़कना है। घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ता, वार्ड पंच, सरपंच साहब प्रत्येक घर में साबुन दिया सर, शरीर और हाथ धोने के लिए सिखलाया सर, एक घंटा-आधा घंटा पहले से हाथ धोइए और जागरूक रहिए। होम क्वारंटाइन में 18 लोगों को रखा सर। उसको भी पंचायत अपनी तरफ से सुविधाएं दे रही है सर। सर 30 बेड का एक होम क्वारंटाइन सेंटर बनाया। उसमें भी खाने पीने का,ANM की ड्यूटी लगाए हैं, चौकीदार का ड्यूटी लगाए हैं सर। एक ग्राम रक्षा दल हमने तैयार किया है सर 45 लोगों का। उसको भी सभी गांवों में सर, गांव की शुरूआत में बांस लगाकर बेरियर लगाए हैं सर ताकि गांव के व्यक्ति बाहर नहीं जाएं। जिसको जरूरी काम है वो ही बाहर जाए, जैसे एमरजेंसी काम के लिए या दवा लाने के लिए। और सर स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल की ओर से गांव में आते हैं हफ्ते में दो बार सर। पंचायत सरकार के पास सर, उसमें भी हम लोग सहयोग के जनप्रतिनिधि सर, हमेशा सर तीन दिन पर मीटिंग करते हैं। पांच से दस मुखिया, सरपंच, ग्राम पंचायत और पंचायतकर्मी।
प्रधानमंत्री जी – अच्छा अजय जी, आपकी पंचायत से भी अनेक प्रवासी साथी दूसरे शहरों से घर लौटे होंगे, जो नहीं आ पाए वो भी आना चाहते होंगे।
अजय जी- जी, आना चाहते हैं सर, पर हम ऐसे रोक दिए हैं कि जहां हैं वहीं रहिए, लॉकडाउन पूरा खुलेगा तब आना है भाई। क्योंकि 14 दिन हम स्कूल में रखते हैं। वो कहते हैं कि नहीं मुखिया जी हम रहेंगे अभी बाहर, जब खुलेगा तब आएंगे। 14 दिन नहीं रहेंगे।
प्रधानमंत्री जी- यानी आपकी बात मानते हैं सब लोग?
अजय जी – हां, मानते हैं, सर।
प्रधानमंत्री जी- चलिए, आप सब सुरक्षित रहें और जो लोग शहरों में हैं वो भी सुरक्षित रहें, उनके मन शांत रहें। आप जरूर उनसे फोन पर बातें करते रहिए। ताकि शहर में थोड़ा उनको तकलीफ जरा मन को ज्यादा होती है। घर याद आता है, मां-बाप याद आते हैं, जो स्वाभाविक भी है। लेकिन ऐसे समय गांव से अगर लोग उनसे बात कर लेते हैं तो उनका मन थोड़ा हल्का हो जाता है। और आज जो काम कर रहे हैं, इसके लिए मैं बधाई देता हूं।
आइए हम उत्तर प्रदेश, बस्ती चलते हैं। बस्ती ग्राम पंचायत नक्तीदेही की प्रधान बहन वर्षा सिंह हमारे साथ जुड़ रही हैं। वर्षा जी नमस्ते।
वर्षा जी – नमस्ते सर। मैं अपने ग्राम पंचायत वासियों की तरफ से आपको नमस्ते करती हूं। और पंचायती राज दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।
प्रधानमंत्री जी – बस्ती में लॉकडाउन का पालन ठीक से हो रहा है?
वर्षा जी –सर, मेरे गांव में पूरी तरह लॉकडाउन का पालन हो रहा है और मैं आशा बहन, आंगनवाड़ी बहन और ANMs के माध्यम से लोगों को घर-घर जाकर जागरूक करवा रही हूं कि लॉकडाउन का पालन करें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और घर में रहें।
प्रधानमंत्री जी – आप कितने समय से प्रधान हैं?
वर्षा जी – सर, मैं फर्स्ट टाइम प्रधान नहीं बनी हूं। इससे पहले भी मैं प्रधान के रूप में किया था।
प्रधानमंत्री जी – जब केंद्र सरकार की योजनाएं जो बनाई हैं पीएम गरीब कल्याण योजना बगैरह, पीएम किसान सम्मान निधि, ये सब पहुंच गई हैं तो वहां कैसे कर रहे हैंआप लोग।
वर्षा जी – सर, हमारे यहां उज्ज्वला योजना के अंतर्गत जो 25 लाभार्थी हैं, किसान सम्मान निधि में 155 लाभार्थी हैं और जो रजिस्ट्रेशन की गई है उसके अंतर्गत 10 लोग हैं और जन-धन योजना के तहत 50 लोग हैं, जिनको लाभ दिया गया है।
प्रधानमंत्री जी – लोगों का अनुभव कैसा है, संतोष है उन सबको?
वर्षा जी – सर, बहुत ही संतुष्ट हैं लोग। आपके लॉकडाउन का, निर्देशों का बहुत अच्छीतरह से पालन कर रहे हैं और लोग अपने-आपको बहुत सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन लोगों की सोच है कि हम घर में ही सुरक्षित हैं क्योंकि ये कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई सटीक इलाज नहीं है। बस इसमें यही इलाज है कि हम घर में रहें, सुरक्षित रहें, सामाजिक दूरी- दो गज की दूरी पर रहें। घर में ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे।
प्रधानमंत्री जी – देखिए, कोरोना वायरस बड़ा विचित्र वायरस है लेकिन उसकी एक विशेषता भी है। वो अपने-आप किसी के घर नहीं जाता है, अपने-आप कहीं नहीं जाता है। अगर आप उसको बुलाने जाएंगे, अगर आप उसको लेने जाएंगे, वो फिर आपके साथ घर में घुस जाएगा। फिर वो घर में किसी को छोड़ता नहीं है। और इसलिए दो गज की दूरी ये मंत्र गूंजते रहना चाहिए। दो गज की दूरी की दूरी रख करके ही बात करेंगे, दो गज की दूरी की दूरी रख करके ही खड़े रहेंगे, दो गज की दूरी की दूरी हमेशा बनाए रखेंगे। जैसे छाता ओढ़ते हैं ना, अगर मैंने एक छाता ओढ़ा और सामने वाले ने छाता ओढ़ा है तो दो गज की दूरी अपने-आप हो जाती है। तो ये बनाए रखेंगे तो मैं समझता हूं ये संकट की घड़ी में मुझे अच्छा लगा कि...।
प्रधानमंत्री जी – अजय जी लोगों को समझाइए, दो गज की दूरी।
अजय जी – दो गज की दूरी, सर?
प्रधानमंत्री जी – हां
अजय जी – गांव में सर ब्लीचिंग पाउडर छिड़कना है। घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ता, वार्ड पंच, सरपंच साहब प्रत्येक घर में साबुन दिया सर, शरीर और हाथ धोने के लिए सिखलाया सर, एक घंटा-आधा घंटा पहले से हाथ धोइए और जागरूक रहिए। होम क्वारंटाइन में 18 लोगों को रखा सर। उसको भी पंचायत अपनी तरफ से सुविधाएं दे रही है सर। सर 30 बेड का एक होम क्वारंटाइन सेंटर बनाया। उसमें भी खाने पीने का,ANM की ड्यूटी लगाए हैं, चौकीदार का ड्यूटी लगाए हैं सर। एक ग्राम रक्षा दल हमने तैयार किया है सर 45 लोगों का। उसको भी सभी गांवों में सर, गांव की शुरूआत में बांस लगाकर बेरियर लगाए हैं सर ताकि गांव के व्यक्ति बाहर नहीं जाएं। जिसको जरूरी काम है वो ही बाहर जाए, जैसे एमरजेंसी काम के लिए या दवा लाने के लिए। और सर स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल की ओर से गांव में आते हैं हफ्ते में दो बार सर। पंचायत सरकार के पास सर, उसमें भी हम लोग सहयोग के जनप्रतिनिधि सर, हमेशा सर तीन दिन पर मीटिंग करते हैं। पांच से दस मुखिया, सरपंच, ग्राम पंचायत और पंचायतकर्मी।
प्रधानमंत्री जी – अच्छा अजय जी, आपकी पंचायत से भी अनेक प्रवासी साथी दूसरे शहरों से घर लौटे होंगे, जो नहीं आ पाए वो भी आना चाहते होंगे।
अजय जी- जी, आना चाहते हैं सर, पर हम ऐसे रोक दिए हैं कि जहां हैं वहीं रहिए, लॉकडाउन पूरा खुलेगा तब आना है भाई। क्योंकि 14 दिन हम स्कूल में रखते हैं। वो कहते हैं कि नहीं मुखिया जी हम रहेंगे अभी बाहर, जब खुलेगा तब आएंगे। 14 दिन नहीं रहेंगे।
प्रधानमंत्री जी- यानी आपकी बात मानते हैं सब लोग?
अजय जी – हां, मानते हैं, सर।
प्रधानमंत्री जी- चलिए, आप सब सुरक्षित रहें और जो लोग शहरों में हैं वो भी सुरक्षित रहें, उनके मन शांत रहें। आप जरूर उनसे फोन पर बातें करते रहिए। ताकि शहर में थोड़ा उनको तकलीफ जरा मन को ज्यादा होती है। घर याद आता है, मां-बाप याद आते हैं, जो स्वाभाविक भी है। लेकिन ऐसे समय गांव से अगर लोग उनसे बात कर लेते हैं तो उनका मन थोड़ा हल्का हो जाता है। और आज जो काम कर रहे हैं, इसके लिए मैं बधाई देता हूं।
आइए हम उत्तर प्रदेश, बस्ती चलते हैं। बस्ती ग्राम पंचायत नक्तीदेही की प्रधान बहन वर्षा सिंह हमारे साथ जुड़ रही हैं। वर्षा जी नमस्ते।
वर्षा जी – नमस्ते सर। मैं अपने ग्राम पंचायत वासियों की तरफ से आपको नमस्ते करती हूं। और पंचायती राज दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।
प्रधानमंत्री जी – बस्ती में लॉकडाउन का पालन ठीक से हो रहा है?
वर्षा जी –सर, मेरे गांव में पूरी तरह लॉकडाउन का पालन हो रहा है और मैं आशा बहन, आंगनवाड़ी बहन और ANMs के माध्यम से लोगों को घर-घर जाकर जागरूक करवा रही हूं कि लॉकडाउन का पालन करें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और घर में रहें।
प्रधानमंत्री जी – आप कितने समय से प्रधान हैं?
वर्षा जी – सर, मैं फर्स्ट टाइम प्रधान नहीं बनी हूं। इससे पहले भी मैं प्रधान के रूप में किया था।
प्रधानमंत्री जी – जब केंद्र सरकार की योजनाएं जो बनाई हैं पीएम गरीब कल्याण योजना बगैरह, पीएम किसान सम्मान निधि, ये सब पहुंच गई हैं तो वहां कैसे कर रहे हैंआप लोग।
वर्षा जी – सर, हमारे यहां उज्ज्वला योजना के अंतर्गत जो 25 लाभार्थी हैं, किसान सम्मान निधि में 155 लाभार्थी हैं और जो रजिस्ट्रेशन की गई है उसके अंतर्गत 10 लोग हैं और जन-धन योजना के तहत 50 लोग हैं, जिनको लाभ दिया गया है।
प्रधानमंत्री जी – लोगों का अनुभव कैसा है, संतोष है उन सबको?
वर्षा जी – सर, बहुत ही संतुष्ट हैं लोग। आपके लॉकडाउन का, निर्देशों का बहुत अच्छीतरह से पालन कर रहे हैं और लोग अपने-आपको बहुत सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन लोगों की सोच है कि हम घर में ही सुरक्षित हैं क्योंकि ये कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई सटीक इलाज नहीं है। बस इसमें यही इलाज है कि हम घर में रहें, सुरक्षित रहें, सामाजिक दूरी- दो गज की दूरी पर रहें। घर में ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे।
प्रधानमंत्री जी – देखिए, कोरोना वायरस बड़ा विचित्र वायरस है लेकिन उसकी एक विशेषता भी है। वो अपने-आप किसी के घर नहीं जाता है, अपने-आप कहीं नहीं जाता है। अगर आप उसको बुलाने जाएंगे, अगर आप उसको लेने जाएंगे, वो फिर आपके साथ घर में घुस जाएगा। फिर वो घर में किसी को छोड़ता नहीं है। और इसलिए दो गज की दूरी ये मंत्र गूंजते रहना चाहिए। दो गज की दूरी की दूरी रख करके ही बात करेंगे, दो गज की दूरी की दूरी रख करके ही खड़े रहेंगे, दो गज की दूरी की दूरी हमेशा बनाए रखेंगे। जैसे छाता ओढ़ते हैं ना, अगर मैंने एक छाता ओढ़ा और सामने वाले ने छाता ओढ़ा है तो दो गज की दूरी अपने-आप हो जाती है। तो ये बनाए रखेंगे तो मैं समझता हूं ये संकट की घड़ी में मुझे अच्छा लगा कि...।
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Part-6/
अच्छा आपके यहां गांव के लोगों को, क्योंकि पहले तो ऐसा कहते थे कि भई दिल्ली एक रुपया निकलता है तो 15 पैसा ही पहुंचता है। आजकल एक रुपया निकलता है तो 100 के 100 पैसे उसके बैंक के खाते मे जमा हो जाते हैं। तो गांव वालों को कैसा लगता है जब पूरे पैसे मिल रहे हैं तो?
वर्षा जी –गांव वाले बहुत संतुष्ट हैं, सर।
प्रधानमंत्री...
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अच्छा आपके यहां गांव के लोगों को, क्योंकि पहले तो ऐसा कहते थे कि भई दिल्ली एक रुपया निकलता है तो 15 पैसा ही पहुंचता है। आजकल एक रुपया निकलता है तो 100 के 100 पैसे उसके बैंक के खाते मे जमा हो जाते हैं। तो गांव वालों को कैसा लगता है जब पूरे पैसे मिल रहे हैं तो?
वर्षा जी –गांव वाले बहुत संतुष्ट हैं, सर।
प्रधानमंत्री...
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जी – क्या बोलते हैं?
वर्षा जी – बोलते हैं, जबसे ये सरकार आई है तब से सारे लाभ सबको पूरी तरह से, अच्छी तरह से मिल पा रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी – चलिए, वर्षा जी, आप बहुत अच्छा काम कर रहीं हैं। हां, बताइए कुछ कह रही थीं आप।
वर्षा जी – सर, गांव में ये चर्चा हो रही है कि इस संकट की घड़ी में कोरोना जैसी जो वैश्विक बीमारी है, आप जैसे प्रधानमंत्री नहीं होते तो देश का क्या होता। सर, जिस क्षेत्र में भी जाते हैं हर जगह यही चर्चा हो रही है, हम लोग अपने बीच में यही चर्चा करते हैं।
प्रधानमंत्री जी – बस वर्षा जी दो गज की दूरी, हम सबको बचाएगी दो गज की दूरी। खैर मुझे अच्छा लगा, गांव वालों को संतोष है। क्योंकि सरकार और जनता के बीच जब विश्वास होता है तो कितने ही बड़े संकटों को हम पार कर लेते हैं। और इस बार जो हम लड़ाई जीत रहे हैं, उसका कुल कारण विश्वास है। सबसे बड़ी ताकत विश्वास है। खुद पर भी विश्वास है, व्यवस्थाओं पर भी विश्वास है और विकल्प है कि हमें संकट से निकलना है।
आइए, पंजाब की ओर चलते हैं। पंजाब, पठानकोट की ग्राम पंचायत हाड़ा की सरपंच बहन पल्लवी ठाकुर हमारे साथ मौजूद हैं। पल्लवी जी नमस्कार।
पल्लवी जी – नमस्कार, सर। आपको मेरी तरफ से और मेरी पूरी पंचायत की तरफ से हार्दिक अभिनंदन। मैं सरपंच ग्राम पंचायत हाड़ा से, जो कि एक बैकवर्ड एरिया है और एक बॉर्डर का एरिया है, तो सर, जैसे कि अभी कोरोना वायरस चल रहा है तो इसके चलते हुए हमारे गांव में हमारे गांववासी और हमारे गाव के युवाओं का जो सबसे बड़ा सहयोग है। जोकि आपके द्वारा दिए गए संदेश का पालन कर रहे हैं- घर पर रहिए। तो सर, इसके लिए हमने गांव में बहुत अच्छे इंतजाम किए हुए हैं। अपने गांव के दोनों प्रवेश द्वारों पर नाके लगाए हुए हैं, जिसमें मैं खुद भी जाती हूं और मेरे गांव के जितने भी पंच हैं और जो उनके साथ हमारे युवा हैं, वो सब वहां पर पहरा दे रहे हैं ताकि न कोई गांव से बाहर जा सके बिना काम से और न ही कोई गांव के अंदर आ सके। और इसके बाद जो हमने घर-घर जाकर लोगों को इसके बारे में थोड़ी जानकारी भी दी है। वैसे तो सर, जो 22 को लॉकडाउन र्स्टाट हुआ था, हमारे जो पंजाब गर्वनमेंट की तरफ से उसी दिन जो 31 तक जो लॉकडाउन एनाउंस कर दिया गया था, काफी लोग हैं जो उसी टाइम इस चीज की पालना कर रहे थे कि लॉकडाउन है तो अपने-अपने घर पर रहिए। और हमारे द्वारा, पूरी पंचायत के द्वारा जो लोगों को समझाया गया है- अपने घर पर रहिए और अपने-अपने घर में भी अगर आप बैठते हैं, दूरी बनाकर बैठिए, टाइम टू टाइम अपने हाथ धोइए और हाथ-मुंह-आंखें जो हैं इनको बार-बार आप छुएं ना।
तो सर, जैसे कि अभी हमारे पंजाब में भी फसलों की कटान का सीजन चल रहा है तो सबसे ज्यादा हमें आवश्यकता इस चीज की देखनी है, जैसे कि अभी कटान चल रही है तो पंजाब सरकार की तरफ से जो कुछ विशेष नियम पालन उनको मतलब बताया गया है लोगों को कि आपको ये नियम जो हैं इनकी पालना करनी है। जैसे कि कटान के समय आपको दो-दो मीटर की दूरी पर बैठना है। अगर आप जब कटान करते हैं और बार-बार हाथ धोने हैं, उसमें। उसमें भी सर, उसके कुछ और भी विशेष और भी प्रबंध किए गए हैं। जैसे कि फसलें आती हैं, उनको मंडी में कैसे ले जाना है। सर, ये सारे प्रबंध जो हैं जैसे चार और पांच गांव के मिलाकर एक मंडी बनाई गई है जहां पर क्या होगा, जो कि किसान हैं वो पहले होलोग्राम पर्ची लेंगे उसके बाद ही वो मंडी में जा सकते हैं। अगर होलोग्राम पर्ची उनके पास होगी तभी वो मंडी में जाएंगे और उनको ये भी हमने बताया है कि आपको जो है ट्रैक्टर पर जो है सिर्फ 50 क्विंटल कनक जो एक बार मंडी में आप ले जा सकते हैं। और ट्रैक्टर पर सिर्फ एक ड्राइवर और उनके साथ एक सहयोगी होगा। वो भी आपस में जो है सामाजिक दूरी का विशेष ध्यान रखें।
प्रधानमंत्री जी- पल्लवी जी, आपने इतना बढ़िया ढंग से बता दिया। मैं सबसे ज्यादा तो आपका अभिनंदन करता हूं कि आपने इतने बढ़िया तरीके से इस सारे संकट के समय अपने गांव को संभाला है और गांव वाले आपकी बात मानते हैं। आपकी बात सही है- किसान का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि वो हमारा अन्नदाता है और नि:स्वार्थ भावना से पूरे देश का पेट पालता है। ये किसान और पशुपालक साथी ही हैं जिन्होंने पूरे लॉकडाउन के कारण देश को जरूरी अनाज की, दूध, फल, इसकी कमी नहीं होने दी है। मैं इनके इस हौसले की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं। हां- तारीफ के साथ ही मेरी आप सभी से एक प्रार्थना भी है कि पंजाब हो, हरियाणा हो, देश का किसान और पल्लवी जी मुझे लगता है कि पठानकोट हो, गुरदासपुर हो, जैसे डेक्स के खिलाफ मैंने देखा है कि प्रधान गोडो गुरदासपुर की बहनें जब मैं वहां संगठन का काम करता था तो मेरा कई गांव की माताओं-बहनों से संपर्क रहता था। वो हमेशा मुझे कहती कि हमारे नौजवानों को ड्रग्स वगैरह से बचाइए। बहुत चिंता करती थीं। जैसे वो एक काम है, वैसे हमारी इस धरती माता को बचाना हमारे किसानों के उज्ज्वल भविष्य के लिए, हमारे देश के नागरिकों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए, हमारी आने वाली पीढ़ियां कमजोर पैदा न हो इसलिए भी हमें गांव-गांव किसानों को समझाना होगा कि यूरिया का उपयोग कम करें। यूरिया के कारण बहुत बड़े संकट आ रहे हैं। यूरिया से हमारी मिट्टी, हमारे जलउस पर बहुत विपरीत असर होता है।
वर्षा जी – बोलते हैं, जबसे ये सरकार आई है तब से सारे लाभ सबको पूरी तरह से, अच्छी तरह से मिल पा रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी – चलिए, वर्षा जी, आप बहुत अच्छा काम कर रहीं हैं। हां, बताइए कुछ कह रही थीं आप।
वर्षा जी – सर, गांव में ये चर्चा हो रही है कि इस संकट की घड़ी में कोरोना जैसी जो वैश्विक बीमारी है, आप जैसे प्रधानमंत्री नहीं होते तो देश का क्या होता। सर, जिस क्षेत्र में भी जाते हैं हर जगह यही चर्चा हो रही है, हम लोग अपने बीच में यही चर्चा करते हैं।
प्रधानमंत्री जी – बस वर्षा जी दो गज की दूरी, हम सबको बचाएगी दो गज की दूरी। खैर मुझे अच्छा लगा, गांव वालों को संतोष है। क्योंकि सरकार और जनता के बीच जब विश्वास होता है तो कितने ही बड़े संकटों को हम पार कर लेते हैं। और इस बार जो हम लड़ाई जीत रहे हैं, उसका कुल कारण विश्वास है। सबसे बड़ी ताकत विश्वास है। खुद पर भी विश्वास है, व्यवस्थाओं पर भी विश्वास है और विकल्प है कि हमें संकट से निकलना है।
आइए, पंजाब की ओर चलते हैं। पंजाब, पठानकोट की ग्राम पंचायत हाड़ा की सरपंच बहन पल्लवी ठाकुर हमारे साथ मौजूद हैं। पल्लवी जी नमस्कार।
पल्लवी जी – नमस्कार, सर। आपको मेरी तरफ से और मेरी पूरी पंचायत की तरफ से हार्दिक अभिनंदन। मैं सरपंच ग्राम पंचायत हाड़ा से, जो कि एक बैकवर्ड एरिया है और एक बॉर्डर का एरिया है, तो सर, जैसे कि अभी कोरोना वायरस चल रहा है तो इसके चलते हुए हमारे गांव में हमारे गांववासी और हमारे गाव के युवाओं का जो सबसे बड़ा सहयोग है। जोकि आपके द्वारा दिए गए संदेश का पालन कर रहे हैं- घर पर रहिए। तो सर, इसके लिए हमने गांव में बहुत अच्छे इंतजाम किए हुए हैं। अपने गांव के दोनों प्रवेश द्वारों पर नाके लगाए हुए हैं, जिसमें मैं खुद भी जाती हूं और मेरे गांव के जितने भी पंच हैं और जो उनके साथ हमारे युवा हैं, वो सब वहां पर पहरा दे रहे हैं ताकि न कोई गांव से बाहर जा सके बिना काम से और न ही कोई गांव के अंदर आ सके। और इसके बाद जो हमने घर-घर जाकर लोगों को इसके बारे में थोड़ी जानकारी भी दी है। वैसे तो सर, जो 22 को लॉकडाउन र्स्टाट हुआ था, हमारे जो पंजाब गर्वनमेंट की तरफ से उसी दिन जो 31 तक जो लॉकडाउन एनाउंस कर दिया गया था, काफी लोग हैं जो उसी टाइम इस चीज की पालना कर रहे थे कि लॉकडाउन है तो अपने-अपने घर पर रहिए। और हमारे द्वारा, पूरी पंचायत के द्वारा जो लोगों को समझाया गया है- अपने घर पर रहिए और अपने-अपने घर में भी अगर आप बैठते हैं, दूरी बनाकर बैठिए, टाइम टू टाइम अपने हाथ धोइए और हाथ-मुंह-आंखें जो हैं इनको बार-बार आप छुएं ना।
तो सर, जैसे कि अभी हमारे पंजाब में भी फसलों की कटान का सीजन चल रहा है तो सबसे ज्यादा हमें आवश्यकता इस चीज की देखनी है, जैसे कि अभी कटान चल रही है तो पंजाब सरकार की तरफ से जो कुछ विशेष नियम पालन उनको मतलब बताया गया है लोगों को कि आपको ये नियम जो हैं इनकी पालना करनी है। जैसे कि कटान के समय आपको दो-दो मीटर की दूरी पर बैठना है। अगर आप जब कटान करते हैं और बार-बार हाथ धोने हैं, उसमें। उसमें भी सर, उसके कुछ और भी विशेष और भी प्रबंध किए गए हैं। जैसे कि फसलें आती हैं, उनको मंडी में कैसे ले जाना है। सर, ये सारे प्रबंध जो हैं जैसे चार और पांच गांव के मिलाकर एक मंडी बनाई गई है जहां पर क्या होगा, जो कि किसान हैं वो पहले होलोग्राम पर्ची लेंगे उसके बाद ही वो मंडी में जा सकते हैं। अगर होलोग्राम पर्ची उनके पास होगी तभी वो मंडी में जाएंगे और उनको ये भी हमने बताया है कि आपको जो है ट्रैक्टर पर जो है सिर्फ 50 क्विंटल कनक जो एक बार मंडी में आप ले जा सकते हैं। और ट्रैक्टर पर सिर्फ एक ड्राइवर और उनके साथ एक सहयोगी होगा। वो भी आपस में जो है सामाजिक दूरी का विशेष ध्यान रखें।
प्रधानमंत्री जी- पल्लवी जी, आपने इतना बढ़िया ढंग से बता दिया। मैं सबसे ज्यादा तो आपका अभिनंदन करता हूं कि आपने इतने बढ़िया तरीके से इस सारे संकट के समय अपने गांव को संभाला है और गांव वाले आपकी बात मानते हैं। आपकी बात सही है- किसान का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि वो हमारा अन्नदाता है और नि:स्वार्थ भावना से पूरे देश का पेट पालता है। ये किसान और पशुपालक साथी ही हैं जिन्होंने पूरे लॉकडाउन के कारण देश को जरूरी अनाज की, दूध, फल, इसकी कमी नहीं होने दी है। मैं इनके इस हौसले की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं। हां- तारीफ के साथ ही मेरी आप सभी से एक प्रार्थना भी है कि पंजाब हो, हरियाणा हो, देश का किसान और पल्लवी जी मुझे लगता है कि पठानकोट हो, गुरदासपुर हो, जैसे डेक्स के खिलाफ मैंने देखा है कि प्रधान गोडो गुरदासपुर की बहनें जब मैं वहां संगठन का काम करता था तो मेरा कई गांव की माताओं-बहनों से संपर्क रहता था। वो हमेशा मुझे कहती कि हमारे नौजवानों को ड्रग्स वगैरह से बचाइए। बहुत चिंता करती थीं। जैसे वो एक काम है, वैसे हमारी इस धरती माता को बचाना हमारे किसानों के उज्ज्वल भविष्य के लिए, हमारे देश के नागरिकों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए, हमारी आने वाली पीढ़ियां कमजोर पैदा न हो इसलिए भी हमें गांव-गांव किसानों को समझाना होगा कि यूरिया का उपयोग कम करें। यूरिया के कारण बहुत बड़े संकट आ रहे हैं। यूरिया से हमारी मिट्टी, हमारे जलउस पर बहुत विपरीत असर होता है।
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Part-7/
और इसलिए पल्लवी जी, आप जैसे प्रधान गांव वालों को समझाएं कि भई अब गांव में पहले अगर 10 थैली आता था यूरिया तो अब पांच थैली आएगा, पहले 100 थैली आता था तो अब 50 थैली आएगा, हम आधा कर देंगे। आप देखिए, पैसा भी बचेगा और ये हमारी धरती माता भी बचेगी।
तो मैं चाहूंगा कि जब पंजाब के किसानों से बात हो रही है और पल्लवी जैसे प्रधान से बात हो रही है तो मुझे पक्का विश्वास है कि आप वो काम करोगी और मेरी ओर से आपको बहुत...
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और इसलिए पल्लवी जी, आप जैसे प्रधान गांव वालों को समझाएं कि भई अब गांव में पहले अगर 10 थैली आता था यूरिया तो अब पांच थैली आएगा, पहले 100 थैली आता था तो अब 50 थैली आएगा, हम आधा कर देंगे। आप देखिए, पैसा भी बचेगा और ये हमारी धरती माता भी बचेगी।
तो मैं चाहूंगा कि जब पंजाब के किसानों से बात हो रही है और पल्लवी जैसे प्रधान से बात हो रही है तो मुझे पक्का विश्वास है कि आप वो काम करोगी और मेरी ओर से आपको बहुत...
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बधाई, बहुत शुभकामनाएं।
आइए हम महाराष्ट्र में चलते हैं। मेदन करवाड़ी ग्राम पंचायत की प्रधान बहन प्रियंका हमारे साथ हैं। प्रियंका जी नमस्कार।
प्रियंका जी – नमस्कार सर।
प्रधानमंत्री जी –बताइए प्रियंका जी, हमने कोरोना का जबसे आपने लॉकडाउन किया, उसके बाद से 26 तारीख से sodium hypochlorite से पूरा गांव सेनेटाइज किया। उसके बाद हमने सेनेटाइजर टनल, दो जगह पर जहां पर ज्यादा आवाजाही लोगों की रहती है, वहां पर सेनेटाइजर्स सैनिक बैठाया। उसके बाद हमने जो सेनेटाइजर हर कोई महिला और हर कोई घर में नहीं जा सकता तो इसीलिए हमने हर घर में साबुन का डिस्ट्रीब्यूशन किया। उसके बाद जब हमारे गांव के अंदर जो स्किल इंडिया महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया था सिलाई का, उन महिलाओं को हमने मास्क बनाने का काम दिया। जो SHG है उनको हमने इस प्रकार के मास्क बनाने का काम दिया जो उन्होंने 5 हजार मास्क इस टाइप के बनाए हैं। इसका डिस्ट्रीब्यूशन हम पूरे गांव में कर रहे हैं। इसके साथ ही हमारा एरिया आता है जो semi urban एरिया है या फिर ज्यादा ही industries के पास है, तो हमने walk को लोग आते हैं, इसके लिए हमने एक टाइम निर्धारित किया है, उसके बीच में हम स्ट्रीट लाइट बंद रखीं तो उसका हमें बहुत फायदा हुआ और सोशल डिस्टेंसिंग रखने के लिए एक असरकारक उपाय साबित हुआ।
इसके साथ ही हमने जो दुकान है उसके सामने एक सर्कल की मार्किंग की जिससे हम सोशल डिस्टेंसिंग रखने में कामयाब हुए। इसके साथ ही जो किराना की दुकानें और सब्जी की दुकानें थीं, उसके लिए हमने alternate days बिक्री का चालू किया कि तीन दिन राशन की दुकान खुली रहेंगी और तीन दिन सब्जी की दुकान खुली रहेंगी। जिसके कारण लोगों की आवाजाही सीमित करने में बहुत ज्यादा मदद हुई।
इसके साथ ही जो हाउसिंग सोसायटीज थीं और जो किसान थे, उनके बीच कोऑर्डिनेशन करके एक पीएमसी के द्वारा हमने वॉलयंटियर लगाकर वो सब्जी और अनाज वहां की हाउसिंग सोसायटीज में पहुंचाने का काम किया, उसकी बिक्री की। इससे किसानों का बहुत फायदा हुआ। इसके साथ ही हमने महिला सुरक्षा के लिए और महिला के स्वास्थ्य के लिए हमारे गांव में सात हजार sanitary नैपकिन का आशा वर्कर्स के throughsanitaryनैपकिन पूरे गांव में बांटे। हरेक महिला को, हरेक युवती को हमने नैपकिन दिए। इसके साथ ही हमने होम क्वारंटाइन की फैसिलिटी भी र्स्टाट की कि अगर कुछ हमारे यहां पर संदिग्ध पाए जाते हैं तो होम क्वारंटाइन के लिए सुविधा हम ले सकते हैं। उसके लिए हमने होम क्वारंटाइन की सुविधा हमने आरंभ की। इससे हमें बहुत फायदा हुआ
दूसरी बार हमने फिर से गांव को सेनेटाइज किया, अभी जब लॉकडाउन बढ़ा था उसके साथ ही हमने फिर से सारा सेनेटाइज किया। तो इन सब उपायों से, सोशल डिस्टेंसिंग रखने से हमें बहुत ज्यादा फायदा हुआ है।
प्रधानमंत्री जी – प्रियंका जी, अब तो गाव वाले थक गए होंगे? लोगों को गुससा आता होगा, ये मोदीजी कैसे हैं, इतने दिनों से बंद करके रखा है।
प्रियंका जी – उन्हें घर में रहने की आदत नहीं है इसलिए गांव वाले थक गए हैं, लेकिन उनको पता है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जो कर रहे हैं, वो हमारे ही स्वास्थ्य के लिए कर रहे हैं, हमारे देश के लिए कर रहे हैं, तो लोग समझते हैं।
प्रधानमंत्री जी – आपके गांव की जनसंख्या कितनी है, प्रियंका जी?
प्रियंका –50,000
प्रधानमत्री जी – मैं समझता हूं कि काम को, Farm Produce और का काम जिसको भारत सरकार काफी मदद कर रही है। ये जितना बल मिलेगा, आपके गांव के किसानों को बहुत बड़ी ताकत मिलेगी।
उसी प्रकार से ई-नाम। ई-नाम भी टेक्नोलॉजी के माध्यम से देश के हर कोने में हमारे किसान को अच्छा मार्केट मिल सकता है। और किसान को अब भरोसा होने लगा है। और आप जैसे पढ़े-लिखे प्रधान हैं तो मैं पक्का मानता हूं कि आधुनिक व्यवस्थाओं को आप अपने गांव में ला सकते हैं।
उसी प्रकार से गर्वंमेंट ई-मार्केट प्लेस, GeM- मैं चाहता हूं कि GeM पोर्टल पर आपके गांव में जो महिला बचत गठ है, और छोटे-छोटे उद्यमी हैं- जो चीजें बनाते हैं, उन्हें वो सीधे भारत सरकार को बेच सकते हैं कोई टेंडर-वेंडर का चक्कर नहीं है। कोई कमीशन नहीं है, कुछ नहीं है, सीधा वो GeMपोर्टल पर करें। तो आप जैसे पढ़े-लिखे प्रधान हैं तो एक अच्छी टोली बना करके टेक्नोलॉजी के माध्यम से आपके गांव की बहनों को, वो जो उत्पादन करते हैं, उनको मार्केट मिले, तो सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
हां कुछ कह रही थीं प्रियंका जी आप?
प्रधानमंत्री जी – सर, ई-नाम जो नेशनल लेवल मार्केट है, और किसानों के लिए हमने जो यहां पर पंचायत के ऑपरेटर हैं, उनके साथ कॉर्डिनेशन के द्वारा हम उस पर भी काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी – चलिए, मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं
प्रियंका - नहीं सर, आपके लिए कुहना चाहूंगी।
प्रधानमंत्री जी – जी बताइए।
प्रियंका – जिस तरह आप पूरे देश, पूरी दुनिया को राह दिखा रहे हैं, कि कोरोना के संकट का कैसे सामना किया जाए, तो मैं कुछ पंक्तियां आपके लिए कहना चाहूंगी।
प्रधानमत्री – जरूर बताइए।
प्रियंका –
कोशिश जारी है और हिम्मत बरकरार है,
सिर है इस दुनिया पर छाने का फितूर।
मुझे किसी पर भरोसा नहीं, मुझे मेहनत पर भरोसा है,
एक न एक दिन ये हालात बदलेंगे जरूर।
आइए हम महाराष्ट्र में चलते हैं। मेदन करवाड़ी ग्राम पंचायत की प्रधान बहन प्रियंका हमारे साथ हैं। प्रियंका जी नमस्कार।
प्रियंका जी – नमस्कार सर।
प्रधानमंत्री जी –बताइए प्रियंका जी, हमने कोरोना का जबसे आपने लॉकडाउन किया, उसके बाद से 26 तारीख से sodium hypochlorite से पूरा गांव सेनेटाइज किया। उसके बाद हमने सेनेटाइजर टनल, दो जगह पर जहां पर ज्यादा आवाजाही लोगों की रहती है, वहां पर सेनेटाइजर्स सैनिक बैठाया। उसके बाद हमने जो सेनेटाइजर हर कोई महिला और हर कोई घर में नहीं जा सकता तो इसीलिए हमने हर घर में साबुन का डिस्ट्रीब्यूशन किया। उसके बाद जब हमारे गांव के अंदर जो स्किल इंडिया महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया था सिलाई का, उन महिलाओं को हमने मास्क बनाने का काम दिया। जो SHG है उनको हमने इस प्रकार के मास्क बनाने का काम दिया जो उन्होंने 5 हजार मास्क इस टाइप के बनाए हैं। इसका डिस्ट्रीब्यूशन हम पूरे गांव में कर रहे हैं। इसके साथ ही हमारा एरिया आता है जो semi urban एरिया है या फिर ज्यादा ही industries के पास है, तो हमने walk को लोग आते हैं, इसके लिए हमने एक टाइम निर्धारित किया है, उसके बीच में हम स्ट्रीट लाइट बंद रखीं तो उसका हमें बहुत फायदा हुआ और सोशल डिस्टेंसिंग रखने के लिए एक असरकारक उपाय साबित हुआ।
इसके साथ ही हमने जो दुकान है उसके सामने एक सर्कल की मार्किंग की जिससे हम सोशल डिस्टेंसिंग रखने में कामयाब हुए। इसके साथ ही जो किराना की दुकानें और सब्जी की दुकानें थीं, उसके लिए हमने alternate days बिक्री का चालू किया कि तीन दिन राशन की दुकान खुली रहेंगी और तीन दिन सब्जी की दुकान खुली रहेंगी। जिसके कारण लोगों की आवाजाही सीमित करने में बहुत ज्यादा मदद हुई।
इसके साथ ही जो हाउसिंग सोसायटीज थीं और जो किसान थे, उनके बीच कोऑर्डिनेशन करके एक पीएमसी के द्वारा हमने वॉलयंटियर लगाकर वो सब्जी और अनाज वहां की हाउसिंग सोसायटीज में पहुंचाने का काम किया, उसकी बिक्री की। इससे किसानों का बहुत फायदा हुआ। इसके साथ ही हमने महिला सुरक्षा के लिए और महिला के स्वास्थ्य के लिए हमारे गांव में सात हजार sanitary नैपकिन का आशा वर्कर्स के throughsanitaryनैपकिन पूरे गांव में बांटे। हरेक महिला को, हरेक युवती को हमने नैपकिन दिए। इसके साथ ही हमने होम क्वारंटाइन की फैसिलिटी भी र्स्टाट की कि अगर कुछ हमारे यहां पर संदिग्ध पाए जाते हैं तो होम क्वारंटाइन के लिए सुविधा हम ले सकते हैं। उसके लिए हमने होम क्वारंटाइन की सुविधा हमने आरंभ की। इससे हमें बहुत फायदा हुआ
दूसरी बार हमने फिर से गांव को सेनेटाइज किया, अभी जब लॉकडाउन बढ़ा था उसके साथ ही हमने फिर से सारा सेनेटाइज किया। तो इन सब उपायों से, सोशल डिस्टेंसिंग रखने से हमें बहुत ज्यादा फायदा हुआ है।
प्रधानमंत्री जी – प्रियंका जी, अब तो गाव वाले थक गए होंगे? लोगों को गुससा आता होगा, ये मोदीजी कैसे हैं, इतने दिनों से बंद करके रखा है।
प्रियंका जी – उन्हें घर में रहने की आदत नहीं है इसलिए गांव वाले थक गए हैं, लेकिन उनको पता है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जो कर रहे हैं, वो हमारे ही स्वास्थ्य के लिए कर रहे हैं, हमारे देश के लिए कर रहे हैं, तो लोग समझते हैं।
प्रधानमंत्री जी – आपके गांव की जनसंख्या कितनी है, प्रियंका जी?
प्रियंका –50,000
प्रधानमत्री जी – मैं समझता हूं कि काम को, Farm Produce और का काम जिसको भारत सरकार काफी मदद कर रही है। ये जितना बल मिलेगा, आपके गांव के किसानों को बहुत बड़ी ताकत मिलेगी।
उसी प्रकार से ई-नाम। ई-नाम भी टेक्नोलॉजी के माध्यम से देश के हर कोने में हमारे किसान को अच्छा मार्केट मिल सकता है। और किसान को अब भरोसा होने लगा है। और आप जैसे पढ़े-लिखे प्रधान हैं तो मैं पक्का मानता हूं कि आधुनिक व्यवस्थाओं को आप अपने गांव में ला सकते हैं।
उसी प्रकार से गर्वंमेंट ई-मार्केट प्लेस, GeM- मैं चाहता हूं कि GeM पोर्टल पर आपके गांव में जो महिला बचत गठ है, और छोटे-छोटे उद्यमी हैं- जो चीजें बनाते हैं, उन्हें वो सीधे भारत सरकार को बेच सकते हैं कोई टेंडर-वेंडर का चक्कर नहीं है। कोई कमीशन नहीं है, कुछ नहीं है, सीधा वो GeMपोर्टल पर करें। तो आप जैसे पढ़े-लिखे प्रधान हैं तो एक अच्छी टोली बना करके टेक्नोलॉजी के माध्यम से आपके गांव की बहनों को, वो जो उत्पादन करते हैं, उनको मार्केट मिले, तो सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
हां कुछ कह रही थीं प्रियंका जी आप?
प्रधानमंत्री जी – सर, ई-नाम जो नेशनल लेवल मार्केट है, और किसानों के लिए हमने जो यहां पर पंचायत के ऑपरेटर हैं, उनके साथ कॉर्डिनेशन के द्वारा हम उस पर भी काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी – चलिए, मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं
प्रियंका - नहीं सर, आपके लिए कुहना चाहूंगी।
प्रधानमंत्री जी – जी बताइए।
प्रियंका – जिस तरह आप पूरे देश, पूरी दुनिया को राह दिखा रहे हैं, कि कोरोना के संकट का कैसे सामना किया जाए, तो मैं कुछ पंक्तियां आपके लिए कहना चाहूंगी।
प्रधानमत्री – जरूर बताइए।
प्रियंका –
कोशिश जारी है और हिम्मत बरकरार है,
सिर है इस दुनिया पर छाने का फितूर।
मुझे किसी पर भरोसा नहीं, मुझे मेहनत पर भरोसा है,
एक न एक दिन ये हालात बदलेंगे जरूर।
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Part-8/
प्रधानमंत्री जी – वाह, चलिए आपके शब्दों में भी विश्वास है, वो देश की भावना का प्रतिबिम्ब है, मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं।
आइए हम पूरब की तरफ चलते हैं, आसाम की तरफ चलते हैं। आसाम के कचार जिले कि ग्राम पंचायत छोटा-दूधपाटिल, यहां के प्रधान श्रीमान रंजीत सरकार जी हमारे साथ हैं। रंजीत जी नमस्कार।
रंजीत जी – नमस्कार सर। सर,...
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प्रधानमंत्री जी – वाह, चलिए आपके शब्दों में भी विश्वास है, वो देश की भावना का प्रतिबिम्ब है, मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं।
आइए हम पूरब की तरफ चलते हैं, आसाम की तरफ चलते हैं। आसाम के कचार जिले कि ग्राम पंचायत छोटा-दूधपाटिल, यहां के प्रधान श्रीमान रंजीत सरकार जी हमारे साथ हैं। रंजीत जी नमस्कार।
रंजीत जी – नमस्कार सर। सर,...
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सबसे पहले मैं लॉकडाउन घोषित करने के आपके असम राज्य से सब साथ मैं अपना पक्ष रखता हूं1
प्रधानमंत्री जी - चलिए बहुत हो गया, आसाम के लोग नाराज हो गए होंगे। क्योंकि मैंने उनका बिहू इतना बड़ा आनंद उत्सव और मोदीजी ने लॉकडाउन कर दिया। इस बार तो कोरोना के कारण बिहू भी लोग सीमित स्तर ही मना पाए। कोरोना के खिलाफ देश की इस लड़ाई में असम के लोगों का ये संयम बहुत प्रशंसनीय है। असम में तो मैं देख रहा हूं कि हमारे गांव की बहनें, गमछे से मास्क बनाने में जुटी हुई हैं। जो स्वास्थ्य कर्मी चेक करने के लिए आ रहे हैं, उनको मदद देने के लिए आपकी पंचायत क्या काम कर रही है?
रंजीत सरकार – लॉकडाउन, आप जो काम किया है सर, वो अच्छा काम किया है। देश की रक्षा करने के लिए काम किया है सर।पीएम सर, हमारी पंचायत की ये कोशिश है कि अपने गांव को कोरोना से बिल्कुल सुरक्षित रखा जाए। बाहर से आने वालों पर नजर रखी जा रही है। यहां आशा कार्यकर्ता और दूसरे मेडिकल से जुड़े लोग सर्वे पर आते हैं। मेडिकल के इन साथियों को घर-घर तक पहुंचाने में और ज़रूरी जानकारी जुटाने में हमारी पंचायत की टीम से पूरी मदद की जा रही है। आपने डॉक्टरों और दूसरे हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा के लिए जो नया कानून बनाया है, उसके लिए पूरी पंचायत की तरफ से मैं आपको आभार व्यक्त करना चाहता हूं। इसकी बहुत ज्यादा ज़रूरत थी। हमारी पंचायत उन लोगों की भी मदद कर रही है जिनके पास इस समय काम नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से जो भी मदद दी जा रही है, उसको तेज़ी से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री जी: रंजीत जी, आपने बहुत उत्तम तरीके से बात बताई। मैं आपको बधाई देता हूं और सभी आसामवासियों को भी मेरी तरफ से बधाई। बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।
ये बहुत अच्छी बात है रंजीत जी।
आपको और आपकी टीम को अभी बहुत काम करना है। जहां तक आपने हेल्थ वर्कर की प्रोटेक्शन को लेकर नए कानून की बात की तो, मैं चाहूंगा कि इस कानून के उपयोग की ज़रूरत ही ना पड़े।
हमें अपने कोरोना योद्धाओं को काम करने देना है, उनको सम्मान देना है, क्योंकि वो अपने लिए नहीं हमारे लिए मैदान में हैं।
साथियों,आपके साथ ये जो सार्थक बातचीत से न सिर्फ मुझे, लेकिन देश के जो भी नागरिक आज आपको सुन रहे हैं, सभी देशवासियों को संतोष हुआ होगा। उनके अंदर एक नया विश्वास पैदा हुआ होगा कि दूर-सुदूर गांव में हमारे लेागों ने कैसे देश को संभाला हुआ है। देश के उज्ज्लव भविष्य के लिए कैसे बढ़िया काम कर रहे हैं। और शायद समय ज्यादा होता और मैं सबको सुन पातात्र कितना आनंद आता, कितनी नई-नई चीजें मिलतीं। लेकिन मैं जब लाखों की तादाद में पंच-सरपंच मेरे सामने हैं, इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़े हैं। भले ही मैं आप सबको सुन नहीं पाया हूं, लेकिन जिन कुछ प्रधानों ने अपने अनुभव बताए, उसमें एक प्रकार से आपकी भावनाएं प्रकट हुई हैं। लेकिन उसके बावजूद भी आपने कोई ऐसे विशेष प्रयास किए हों, प्रयोग किए हों, अपने गांव को बचाया हो; अगर मुझे लिख करके भेजेंगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।
आप सभी इस मुश्किल परिस्थिति में भी गांवों में जीवन को सुरक्षित और आसान बनाने में नेतृत्व कर रहे हैं, जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हम सबने सुना है, बचपन से सुनते आए हैं। महात्मा गांधी एक बात बार-बार करते थे, महात्मा गांधी कहा करते थे कि – ‘’मेरे स्वराज की कल्पना का आधार ग्राम स्वराज ही है”।
इसलिए, ग्राम पचायतें हमारे लोकतंत्र की एकजुट शक्ति का केंद्र हैं। हमारी लोकतान्त्रिक एकजुटता का यही सबसे बड़ा ताकतवर केंद्र हैं। और हमारे यहाँ तो शास्त्रों में कहा गया है- ''संघमूलम् महाबलम्”। अर्थात् बड़ी से बड़ी शक्ति का केंद्र, संगठन या एकजुटता में ही होता है।
और इसलिए आज की परिस्थिति में देश को आगे ले जाने की शुरुआत, देश को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत, गाँव की सामूहिक शक्ति से ही होगी, आप सबकी एकजुटता से ही संभव होगी।
इन प्रयासों के बीच हमें ये याद रखना है कि किसी एक की भी लापरवाही पूरे गांव को खतरे में डाल सकती है। इसलिए ढील की ज़रा भी गुंजाइश नहीं है।
गाँव में sanitization अभियान हो, शहरों से आने वाले लोगों के लिए इतने कम समय में quarantine centersबनाने का काम हो, हर एक व्यक्ति के खान-पान और जरूरतों की चिंता हो, या फिर आम लोगों को जागरूक करने का काम हो; ये काम हमें निरंतर बिना रुके, बिना थके करना है।
और जैसे इकबाल जी ने अभी बताया, जम्मू-कश्मीर के अपने साथी ने respect भी करो suspect भी करो। मैं समझता हूं, गांव में बुजुर्ग, दिव्यांग या फिर बीमार लोगों की सबसे पहली पहुंच, उसको कुछ भी कठिनाई होगी तो पहले आपके पास आएगा, इसलिए पहला समाधान भी गांव के पंच और गांव के प्रधान के पास ही होना चाहिए।
हमें ये ध्यान रखना है कि शारीरिक दूरी, दो गज की दूरी,ये मंत्र भूलना नहीं है। गांव-गांव, घर-घर- गली-गली दो गज की दूरी- ये शारीरिक दूरी, साथ-साथ मुंह को फेसकवर, जरूरी नहीं हैं कि बड़े महंगे वो हों, ऐसा गमछा भी चल जाता है, लेकिन ये लगातार होना चाहिए, या मास्क से ढंकना, हाथों की बार-बार साफ-सफाई की बात हो, आने वाले दिनों में भी हमारे लिए इस बीमारी से बचने का यही बड़ा रास्ता है, यही एक दवाई।
हमें बचाव और स्वच्छता पर ज्यादा बल इसलिए भी देना है क्योंकि गर्मी और बरसात के मौसम में अनेक प्रकार की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। और हमारे बारिश के दिन आने की शुरूआत होने वाली है। इस बार कोरोना बीमारी ने इस खतरे के लिए और अधिक चिंता का कारण बना दिया है। इसलिए हमें बहुत सतर्क रहते हुए अपने गांव को बचाना है।
साथियों, हमारा अतीत का अनुभव बताता है कि बीमारियों और उनके इलाज के बारे में गलत जानकारियों की वजह से हमें बीमारियों को रोकने में काफी दिक्कत आती है, काफी समय चला जाता है। इस बार हमें ऐसा नहीं होने देना है। हमें हर प्रकार की गलतफहमी से लोगों को बाहर निकालना है।
हर परिवार तक सही जानकारी- चाहे वो बचाव को लेकर हो या फिर इसके इलाज के लिए, ये जानकारी पहुंचनी ही चाहिए। इसके लिए आप छोटी-छोटी टोलियां बनाकर, और मैंने सुना, कई सरपंचों ने कहा, उन्होंने गांव में छोटी-छोटी टोलियां बना दीं अलग-अलग, काम के लिए लोगों को संगठित कर दिया है, टोलिया बनाकर जागरूकता के अभियान को तेज़ कर सकते हैं। आशा हैं, ANMहैं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ हमारे यहां सेल्फ हेल्प ग्रुप हैं, उसकी बहनें हैं, युवा मंडल है,पूर्व सैनिक हैं, दूसरे संगठनों से भी कई लोग आए हैं, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, ये संगठन भी हैं। हर किसी की मदद लेनी चाहिए। हर किसी को जोड़ना चाहिए।
साथियों, मैं सोशल मीडिया पर देख रहा था, खान-पान को लेकर भी कुछ लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। इससे भी तमाम अफवाहें उड़ती हैं, जिससे हमें सतर्क रहना है। हम जो भी खाएं वो खूब धोकर और खूब पकाकर खाएं, इस बात को हमें गांव-गांव में बताना है। और हां, गांव में कई अच्छी परंपराएं भी होती हैं, जिनको हमें और प्रोत्साहित करना है।
प्रधानमंत्री जी - चलिए बहुत हो गया, आसाम के लोग नाराज हो गए होंगे। क्योंकि मैंने उनका बिहू इतना बड़ा आनंद उत्सव और मोदीजी ने लॉकडाउन कर दिया। इस बार तो कोरोना के कारण बिहू भी लोग सीमित स्तर ही मना पाए। कोरोना के खिलाफ देश की इस लड़ाई में असम के लोगों का ये संयम बहुत प्रशंसनीय है। असम में तो मैं देख रहा हूं कि हमारे गांव की बहनें, गमछे से मास्क बनाने में जुटी हुई हैं। जो स्वास्थ्य कर्मी चेक करने के लिए आ रहे हैं, उनको मदद देने के लिए आपकी पंचायत क्या काम कर रही है?
रंजीत सरकार – लॉकडाउन, आप जो काम किया है सर, वो अच्छा काम किया है। देश की रक्षा करने के लिए काम किया है सर।पीएम सर, हमारी पंचायत की ये कोशिश है कि अपने गांव को कोरोना से बिल्कुल सुरक्षित रखा जाए। बाहर से आने वालों पर नजर रखी जा रही है। यहां आशा कार्यकर्ता और दूसरे मेडिकल से जुड़े लोग सर्वे पर आते हैं। मेडिकल के इन साथियों को घर-घर तक पहुंचाने में और ज़रूरी जानकारी जुटाने में हमारी पंचायत की टीम से पूरी मदद की जा रही है। आपने डॉक्टरों और दूसरे हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा के लिए जो नया कानून बनाया है, उसके लिए पूरी पंचायत की तरफ से मैं आपको आभार व्यक्त करना चाहता हूं। इसकी बहुत ज्यादा ज़रूरत थी। हमारी पंचायत उन लोगों की भी मदद कर रही है जिनके पास इस समय काम नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से जो भी मदद दी जा रही है, उसको तेज़ी से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री जी: रंजीत जी, आपने बहुत उत्तम तरीके से बात बताई। मैं आपको बधाई देता हूं और सभी आसामवासियों को भी मेरी तरफ से बधाई। बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।
ये बहुत अच्छी बात है रंजीत जी।
आपको और आपकी टीम को अभी बहुत काम करना है। जहां तक आपने हेल्थ वर्कर की प्रोटेक्शन को लेकर नए कानून की बात की तो, मैं चाहूंगा कि इस कानून के उपयोग की ज़रूरत ही ना पड़े।
हमें अपने कोरोना योद्धाओं को काम करने देना है, उनको सम्मान देना है, क्योंकि वो अपने लिए नहीं हमारे लिए मैदान में हैं।
साथियों,आपके साथ ये जो सार्थक बातचीत से न सिर्फ मुझे, लेकिन देश के जो भी नागरिक आज आपको सुन रहे हैं, सभी देशवासियों को संतोष हुआ होगा। उनके अंदर एक नया विश्वास पैदा हुआ होगा कि दूर-सुदूर गांव में हमारे लेागों ने कैसे देश को संभाला हुआ है। देश के उज्ज्लव भविष्य के लिए कैसे बढ़िया काम कर रहे हैं। और शायद समय ज्यादा होता और मैं सबको सुन पातात्र कितना आनंद आता, कितनी नई-नई चीजें मिलतीं। लेकिन मैं जब लाखों की तादाद में पंच-सरपंच मेरे सामने हैं, इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़े हैं। भले ही मैं आप सबको सुन नहीं पाया हूं, लेकिन जिन कुछ प्रधानों ने अपने अनुभव बताए, उसमें एक प्रकार से आपकी भावनाएं प्रकट हुई हैं। लेकिन उसके बावजूद भी आपने कोई ऐसे विशेष प्रयास किए हों, प्रयोग किए हों, अपने गांव को बचाया हो; अगर मुझे लिख करके भेजेंगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।
आप सभी इस मुश्किल परिस्थिति में भी गांवों में जीवन को सुरक्षित और आसान बनाने में नेतृत्व कर रहे हैं, जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हम सबने सुना है, बचपन से सुनते आए हैं। महात्मा गांधी एक बात बार-बार करते थे, महात्मा गांधी कहा करते थे कि – ‘’मेरे स्वराज की कल्पना का आधार ग्राम स्वराज ही है”।
इसलिए, ग्राम पचायतें हमारे लोकतंत्र की एकजुट शक्ति का केंद्र हैं। हमारी लोकतान्त्रिक एकजुटता का यही सबसे बड़ा ताकतवर केंद्र हैं। और हमारे यहाँ तो शास्त्रों में कहा गया है- ''संघमूलम् महाबलम्”। अर्थात् बड़ी से बड़ी शक्ति का केंद्र, संगठन या एकजुटता में ही होता है।
और इसलिए आज की परिस्थिति में देश को आगे ले जाने की शुरुआत, देश को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत, गाँव की सामूहिक शक्ति से ही होगी, आप सबकी एकजुटता से ही संभव होगी।
इन प्रयासों के बीच हमें ये याद रखना है कि किसी एक की भी लापरवाही पूरे गांव को खतरे में डाल सकती है। इसलिए ढील की ज़रा भी गुंजाइश नहीं है।
गाँव में sanitization अभियान हो, शहरों से आने वाले लोगों के लिए इतने कम समय में quarantine centersबनाने का काम हो, हर एक व्यक्ति के खान-पान और जरूरतों की चिंता हो, या फिर आम लोगों को जागरूक करने का काम हो; ये काम हमें निरंतर बिना रुके, बिना थके करना है।
और जैसे इकबाल जी ने अभी बताया, जम्मू-कश्मीर के अपने साथी ने respect भी करो suspect भी करो। मैं समझता हूं, गांव में बुजुर्ग, दिव्यांग या फिर बीमार लोगों की सबसे पहली पहुंच, उसको कुछ भी कठिनाई होगी तो पहले आपके पास आएगा, इसलिए पहला समाधान भी गांव के पंच और गांव के प्रधान के पास ही होना चाहिए।
हमें ये ध्यान रखना है कि शारीरिक दूरी, दो गज की दूरी,ये मंत्र भूलना नहीं है। गांव-गांव, घर-घर- गली-गली दो गज की दूरी- ये शारीरिक दूरी, साथ-साथ मुंह को फेसकवर, जरूरी नहीं हैं कि बड़े महंगे वो हों, ऐसा गमछा भी चल जाता है, लेकिन ये लगातार होना चाहिए, या मास्क से ढंकना, हाथों की बार-बार साफ-सफाई की बात हो, आने वाले दिनों में भी हमारे लिए इस बीमारी से बचने का यही बड़ा रास्ता है, यही एक दवाई।
हमें बचाव और स्वच्छता पर ज्यादा बल इसलिए भी देना है क्योंकि गर्मी और बरसात के मौसम में अनेक प्रकार की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। और हमारे बारिश के दिन आने की शुरूआत होने वाली है। इस बार कोरोना बीमारी ने इस खतरे के लिए और अधिक चिंता का कारण बना दिया है। इसलिए हमें बहुत सतर्क रहते हुए अपने गांव को बचाना है।
साथियों, हमारा अतीत का अनुभव बताता है कि बीमारियों और उनके इलाज के बारे में गलत जानकारियों की वजह से हमें बीमारियों को रोकने में काफी दिक्कत आती है, काफी समय चला जाता है। इस बार हमें ऐसा नहीं होने देना है। हमें हर प्रकार की गलतफहमी से लोगों को बाहर निकालना है।
हर परिवार तक सही जानकारी- चाहे वो बचाव को लेकर हो या फिर इसके इलाज के लिए, ये जानकारी पहुंचनी ही चाहिए। इसके लिए आप छोटी-छोटी टोलियां बनाकर, और मैंने सुना, कई सरपंचों ने कहा, उन्होंने गांव में छोटी-छोटी टोलियां बना दीं अलग-अलग, काम के लिए लोगों को संगठित कर दिया है, टोलिया बनाकर जागरूकता के अभियान को तेज़ कर सकते हैं। आशा हैं, ANMहैं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ हमारे यहां सेल्फ हेल्प ग्रुप हैं, उसकी बहनें हैं, युवा मंडल है,पूर्व सैनिक हैं, दूसरे संगठनों से भी कई लोग आए हैं, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, ये संगठन भी हैं। हर किसी की मदद लेनी चाहिए। हर किसी को जोड़ना चाहिए।
साथियों, मैं सोशल मीडिया पर देख रहा था, खान-पान को लेकर भी कुछ लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। इससे भी तमाम अफवाहें उड़ती हैं, जिससे हमें सतर्क रहना है। हम जो भी खाएं वो खूब धोकर और खूब पकाकर खाएं, इस बात को हमें गांव-गांव में बताना है। और हां, गांव में कई अच्छी परंपराएं भी होती हैं, जिनको हमें और प्रोत्साहित करना है।
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Part-9/
जैसे, हमारे यहां आयुर्वेदिक काढ़ा पीने की परंपरा है, अनेक प्रकार के मसालों का उपयोग हम करते हैं। इसके साथ-साथ अगर हम नियमित रूप से योग-प्राणायाम करेंगे, तो निश्चित रूप से हमें लाभ ही होगा। ये किसी बीमारी का इलाज नहीं हैं, लेकिन ये हमारे शरीर को बीमारी से लड़ने के लिए ताकत देता हे, सक्षम बना देता है। आयुष मंत्रालय की तरफ से इससे जुड़ी कुछ गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं। और मैं चाहूंगा सारे प्रधान आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर जाएं, उसमें सारी चीजें हैं। अपने गांव में उसका उपयोग करें।
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जैसे, हमारे यहां आयुर्वेदिक काढ़ा पीने की परंपरा है, अनेक प्रकार के मसालों का उपयोग हम करते हैं। इसके साथ-साथ अगर हम नियमित रूप से योग-प्राणायाम करेंगे, तो निश्चित रूप से हमें लाभ ही होगा। ये किसी बीमारी का इलाज नहीं हैं, लेकिन ये हमारे शरीर को बीमारी से लड़ने के लिए ताकत देता हे, सक्षम बना देता है। आयुष मंत्रालय की तरफ से इससे जुड़ी कुछ गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं। और मैं चाहूंगा सारे प्रधान आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर जाएं, उसमें सारी चीजें हैं। अपने गांव में उसका उपयोग करें।
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और बात जिस पर आप सभी को बहुत ध्यान देना है, वो है आरोग्य सेतु मोबाइल App. मैंने अभी एक टीवी के अंदर एक किसी कलाकार का देखा था, उसने इस आरोग्य सेतु मोबाइल App को बॉडीगार्ड कहा है। ये मोबाइल Appकोरोना से लड़ाई के लिए बहुत उपयोगी है।
ये App आपके मोबाइल में रहेगा तो आपको पता चल जाएगा कि आपके गांव में, सामने वाला किसी ऐसे इलाके से तो नहीं आया जो कोरोना प्रभावित रहा हो। आपकी खुद की सुरक्षा के लिए, आपके गांव की सुरक्षा के लिए, आपके आसपास वालों की सुरक्षा के लिए आप अगर इस आरोग्य सेतु App अपने मोबाइल में डाउनलोड करें, पूरे गांव के पास करवाएं, लंबे अर्से तक आपके बॉडीगार्ड का काम करेगा।
मैं देश के सभी पंचायत प्रतिनिधियों से निवेदन करुंगा कि आप सभी अपने गांव के प्रत्येक सदस्य के मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु App को डाउनलोड करवाएं। ये एक प्रकार से हमारी सुरक्षा का सेतु है।
साथियों, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले भाइयों और बहनों का स्वास्थ्य, हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक रहा है।आपकी एक एक आवश्यकता को समझते हुए सरकार लगातार काम कर रही है।
पहले टीकाकरण को लेकर इतनी दिक्कतें होती थीं। हमारी सरकार ने न सिर्फ टीकों की संख्या बढ़ाई, बल्कि दूर-दराज वाले क्षेत्रों में भी टीकाकरण अभियान को लेकर गए। पहले गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों में कुपोषण की बहुत ज्यादा समस्याएं थीं। हमने पीएम मातृ वंदना योजना के माध्यम से, सीधे महिलाओं के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने शुरू किए ताकि कुपोषण के खिलाफ लड़ने में उसको मदद मिल जाए।
पहले शौचालयों की क्या स्थिति थी, ये भी आपको पता है। शौचालय न होने से कितनी बीमारियां फैलती थीं, ये भी आपको पता है। हम बहुत गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं कि गांव के गरीब से गरीब को उत्तम स्वास्थ्य सेवा मिले, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना भी गांव के गरीबों के लिए बहुत बड़ी राहत बनकर उभरी है।इसके तहत अब तक करीब-करीब एक करोड़ गरीब मरीज़ों को अस्पताल में मुफ्त इलाज मिल चुका है।
इस योजना ने ग्रामीण इलाकों में जहां अस्पतालों की कमी है, वहां अस्पतालों के निर्माण में भी मदद की है। सरकार द्वारा भी देशभर के गांवों में लगभग डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाने का काम तेज़ी से चल रहा है।इन सेंटर्स में अनेक गंभीर बीमारियों के टेस्ट की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
पहले से किए जा रहे इन प्रयासों ने, हमारे गावों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार किया है। मुझे विश्वास है कि आप सभी अपनी सामूहिक कोशिशों से, अपनी एकजुटता से, अपनी संकल्पशक्ति से कोरोना को जरूर परास्त करेंगे।
इसी विश्वास के साथ एक बार फिर आप सभी साथियों को पंचायत राज की इस महत्वपूर्ण पंचायती राज दिवस की शुभकामनाएं देता हूं। आपके, आपके परिवारजनों के, आपके गांव के नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करता हूं। और फिर से एक बार आपने समय निकाला, आपकी अपनी बहुत सारी बातें मुझे बताई, बहुत सारी नई जानकारियां मिलीं, आपके आतमविश्वास को मैंने अनुभव किया।
मैंफिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।
नमस्कार!!!
VRRK/ VJ
(Release ID :202555)
ये App आपके मोबाइल में रहेगा तो आपको पता चल जाएगा कि आपके गांव में, सामने वाला किसी ऐसे इलाके से तो नहीं आया जो कोरोना प्रभावित रहा हो। आपकी खुद की सुरक्षा के लिए, आपके गांव की सुरक्षा के लिए, आपके आसपास वालों की सुरक्षा के लिए आप अगर इस आरोग्य सेतु App अपने मोबाइल में डाउनलोड करें, पूरे गांव के पास करवाएं, लंबे अर्से तक आपके बॉडीगार्ड का काम करेगा।
मैं देश के सभी पंचायत प्रतिनिधियों से निवेदन करुंगा कि आप सभी अपने गांव के प्रत्येक सदस्य के मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु App को डाउनलोड करवाएं। ये एक प्रकार से हमारी सुरक्षा का सेतु है।
साथियों, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले भाइयों और बहनों का स्वास्थ्य, हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक रहा है।आपकी एक एक आवश्यकता को समझते हुए सरकार लगातार काम कर रही है।
पहले टीकाकरण को लेकर इतनी दिक्कतें होती थीं। हमारी सरकार ने न सिर्फ टीकों की संख्या बढ़ाई, बल्कि दूर-दराज वाले क्षेत्रों में भी टीकाकरण अभियान को लेकर गए। पहले गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों में कुपोषण की बहुत ज्यादा समस्याएं थीं। हमने पीएम मातृ वंदना योजना के माध्यम से, सीधे महिलाओं के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने शुरू किए ताकि कुपोषण के खिलाफ लड़ने में उसको मदद मिल जाए।
पहले शौचालयों की क्या स्थिति थी, ये भी आपको पता है। शौचालय न होने से कितनी बीमारियां फैलती थीं, ये भी आपको पता है। हम बहुत गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं कि गांव के गरीब से गरीब को उत्तम स्वास्थ्य सेवा मिले, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना भी गांव के गरीबों के लिए बहुत बड़ी राहत बनकर उभरी है।इसके तहत अब तक करीब-करीब एक करोड़ गरीब मरीज़ों को अस्पताल में मुफ्त इलाज मिल चुका है।
इस योजना ने ग्रामीण इलाकों में जहां अस्पतालों की कमी है, वहां अस्पतालों के निर्माण में भी मदद की है। सरकार द्वारा भी देशभर के गांवों में लगभग डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाने का काम तेज़ी से चल रहा है।इन सेंटर्स में अनेक गंभीर बीमारियों के टेस्ट की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
पहले से किए जा रहे इन प्रयासों ने, हमारे गावों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार किया है। मुझे विश्वास है कि आप सभी अपनी सामूहिक कोशिशों से, अपनी एकजुटता से, अपनी संकल्पशक्ति से कोरोना को जरूर परास्त करेंगे।
इसी विश्वास के साथ एक बार फिर आप सभी साथियों को पंचायत राज की इस महत्वपूर्ण पंचायती राज दिवस की शुभकामनाएं देता हूं। आपके, आपके परिवारजनों के, आपके गांव के नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करता हूं। और फिर से एक बार आपने समय निकाला, आपकी अपनी बहुत सारी बातें मुझे बताई, बहुत सारी नई जानकारियां मिलीं, आपके आतमविश्वास को मैंने अनुभव किया।
मैंफिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।
नमस्कार!!!
VRRK/ VJ
(Release ID :202555)
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